NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भारत-नेपाल में बाढ़ से तबाही मानवीय गतिविधियों के चलते बढ़ी
हालांकि इन इलाक़ों के ज़्यादातर हिस्सों में बाढ़ वार्षिक घटना है लेकिन मानवीय गतिविधियों के चलते समय के साथ तबाही कई गुना बढ़ गई है।
संदीपन तालुकदार
17 Jul 2019
भारत-नेपाल

पिछले दस दिनों से असम बाढ़ की चपेट में है। राज्य के 33 में से 30 ज़िलों में बाढ़ आ गई है। 43 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों के मकान, धान के खेत, पशुओं का भारी नुक़सान हुआ है। राज्य के राष्ट्रीय उद्यान काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, मानस टाइगर रिज़र्व और पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य भी डूब गए हैं।

असम में हर साल आने वाली बाढ़ और उससे जुड़े नुक़सान पिछले कुछ वर्षों में बढ़े हैं। आपदा राहत तंत्र इस राज्य में आवश्यकता को पूरा करने और घटना से पहले ख़ाली कराने में अक्षम है। इसने लोगों को मुश्किल में डाल दिया है। उधर राज्य की राजधानी गुवाहाटी ब्रह्मपुत्र नदी में ज़्यादा पानी के चलते डूबने के कगार पर है।

वहीं दूसरी तरफ़ बिहार भी भीषण बाढ़ की चपेट में है। यहाँ 26 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हैं। मरने वालों की संख्या यहां बढ़कर 24 हो गई है। बाढ़ ने राज्य के 12 ज़िलों को प्रभावित किया है। बिहार के किशनगंज, अररिया और शिवहर के इलाक़ों में भारी बाढ़ आई है जिससे मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बिहार में ये तबाही पड़ोसी देश नेपाल के बांधों से निकलने वाले पानी ने मचाई है।

इसके अलावा पहाड़ी राज्य मिज़ोरम भी बाढ़ की चपेट में है। खावथलांगपुई नदी से लगे लुंगलेई ज़िले के 32 गांवों में आई बाढ़ के चलते कम से कम 1000 परिवार मकान ख़ाली करके सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। बारिश से जुड़ी घटनाओं ने मिज़ोरम में अब तक 5 लोगों की जान ले ली है। लगातार हो रही बारिश के कारण हुए भूस्खलन से कई स्थान तक जाना मुश्किल हो गया है। मध्य मिज़ोरम के सेरछिप ज़िले से लगभग 200 परिवारों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।

साथ ही मेघालय में पश्चिमी गारो हिल्स ज़िले के मैदानी इलाक़ों में एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।

वहीं नेपाल भी भयंकर बाढ़ का सामना कर रहा है। राजधानी काठमांडू पानी में डूबा हुआ है जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।

बाढ़ से तबाही और मानवजनित हिस्सा

इन इलाक़ों में बाढ़ एक वार्षिक घटना रही है। ऐसे में गुज़रते समय के साथ तबाही और संपत्ति का नुक़सान कई गुना बढ़ गया है। वार्षिक बाढ़ के कारण बढ़ती तबाही में मानवजनित गतिविधियों ने भी योगदान दिया है।

असम में बाढ़ और इससे होने वाले नुक़सान बड़े पैमाने पर बांधों के निर्माण और इनसे निकलने वाले पानी के कारण हैं। अरुणाचल प्रदेश में बांध जब बारिश के पानी से भर जाते हैं तब इन्हें खोला जाता है और भारी मात्रा में ये पानी असम की ओर तेज़ी से बहता है। इन बांधों से छोड़े जाने वाले पानी का लिंक ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र से है। अरुणाचल से बहने वाली कई सहायक नदियां और छोटी नदियां अंततः ब्रह्मपुत्र में मिल जाती हैं। इसके अलावा इन बांधों के लिए आवश्यक निर्माण की प्रकृति काफ़ी कठिन है, जिसके दौरान पहाड़ियों से टनों बड़े शिलाखंड और पत्थर निकाल लिए जाते हैं। इन विशाल पत्थरों और शिलाखंड के नीचे की सिल्ट इस प्रक्रिया में निकल जाती है और पानी के साथ बह जाती है। इसने असम में सैंकड़ों हेक्टेयर उपजाऊ भूमि को नष्ट कर दिया है। उत्तरी लखीमपुर और धेमाजी ज़िले इसके उदाहरण हैं। इसके अलावा नदी के तट समय के साथ बहुत उथले हो गए हैं और मानसून के दौरान नदियों में बढ़े हुए पानी आसपास के इलाक़ों में आसानी से पहुंच जाते हैं।

बिहार में भी ऐसी ही स्थिति है। कोसी और गंडक नदियों के चलते बिहार में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। कोसी और गंडक गंगा की सहायक नदियां हैं। इन दोनों नदियों पर नेपाल में बांध बने हुए हैं। नेपाल के इन बांधों में जब ज़्यादा पानी भर जाता है तो इन्हें खोल दिया जाता है और अतिरिक्त पानी कोसी और गंडक नदियों के ज़रिए बिहार में बह जाता है। हालांकि ये बांध नेपाल में स्थित है फिर भी इनके परिचालन का नियंत्रण भारत के पास भी है। यह क्रमशः 1954 और 1959 में हस्ताक्षर किए गए भारत और नेपाल के बीच कोसी और गंडक संधियों के अनुसार है।

बिहार का अभिशाप कही जाने वाली कोसी नदी के कोसी बैराज में अकेले 56 जल द्वार हैं। जब मानसूनी वर्षा का पानी सीमा को तोड़ता है तो जल द्वार को खोल दिया जाता है और ये बहाव वाले क्षेत्रों में कहर ढाते हैं। दूसरी ओर इस बांध के न खोलने से नेपाल के स्थानीय इलाक़ों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है जिसके लिए भारत की आलोचना की जा रही है।

नेपाल की कई नदियां चुर पर्वत श्रृंखला से होकर बहती हैं, जिसकी पारिस्थिति बहुत नाज़ुक और गंभीर रूप से ख़तरे में है। ये पहाड़ियां नेपाल और भारत (नेपाल की सीमा के साथ) में नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करती थीं और नुक़सान को कम करती थीं। लेकिन बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और खनन ने इस पर्वतीय तंत्र को अस्थिर कर दिया है। निर्माण में तेज़ी के कारण नदी के तल से पत्थर, कंकड़ और रेत का बड़ी मात्रा में खनन हुआ। बाढ़ की प्राकृतिक नियंत्रित बिंदु के समाप्त होने के साथ मानसून का बाढ़ नियंत्रण में नहीं हैं।

India Flood
Assam Flood
Bihar flood
Nepal Flood
floods in india
Water crisis
MIZORAM
dam
kosi river
kosi floods

Related Stories

पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा

पानी को तरसता बुंदेलखंडः कपसा गांव में प्यास की गवाही दे रहे ढाई हजार चेहरे, सूख रहे इकलौते कुएं से कैसे बुझेगी प्यास?

बनारस में हाहाकारः पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में पीने के पानी के लिए सब बेहाल

बिहारः गर्मी बढ़ने के साथ गहराने लगा जल संकट, ग्राउंड वाटर लेवल में तेज़ी से गिरावट

बनारस में गंगा के बीचो-बीच अप्रैल में ही दिखने लगा रेत का टीला, सरकार बेख़बर

मध्यप्रदेशः बुन्देलखण्ड में मछली की तरह बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है आवाम!

विश्व जल दिवस : ग्राउंड वाटर की अनदेखी करती दुनिया और भारत

सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत काफी पीछे: रिपोर्ट

मणिपुर चुनाव: भाजपा के 5 साल और पानी को तरसती जनता

यूपी चुनावः सरकार की अनदेखी से राज्य में होता रहा अवैध बालू खनन 


बाकी खबरें

  • असद रिज़वी
    CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा
    06 May 2022
    न्यूज़क्लिक ने यूपी सरकार का नोटिस पाने वाले आंदोलनकारियों में से सदफ़ जाफ़र और दीपक मिश्रा उर्फ़ दीपक कबीर से बात की है।
  • नीलाम्बरन ए
    तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है
    06 May 2022
    रबर के गिरते दामों, केंद्र सरकार की श्रम एवं निर्यात नीतियों के चलते छोटे रबर बागानों में श्रमिक सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।
  • दमयन्ती धर
    गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया
    06 May 2022
    इस मामले में वह रैली शामिल है, जिसे ऊना में सरवैया परिवार के दलितों की सरेआम पिटाई की घटना के एक साल पूरा होने के मौक़े पर 2017 में बुलायी गयी थी।
  • लाल बहादुर सिंह
    यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती
    06 May 2022
    नज़रिया: ऐसा लगता है इस दौर की रणनीति के अनुरूप काम का नया बंटवारा है- नॉन-स्टेट एक्टर्स अपने नफ़रती अभियान में लगे रहेंगे, दूसरी ओर प्रशासन उन्हें एक सीमा से आगे नहीं जाने देगा ताकि योगी जी के '…
  • भाषा
    दिल्ली: केंद्र प्रशासनिक सेवा विवाद : न्यायालय ने मामला पांच सदस्यीय पीठ को सौंपा
    06 May 2022
    केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में रहेंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License