NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भीषण दंगों के चार साल बाद 'मुज़फ्फरनगर में मुस्लिम-जाट के बीच शांति बहाल करने की कोशिश
दंगा पीड़ितों के पुनःस्थापन और पुनर्वास के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने कहा कि समझौता के बारे में सोचने और बसने के लिए पीड़ितों को "न्याय के आभास" की ज़रूरत है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
05 Jan 2018
muzafarnagar riots

मुजफ्फरनगर दंगा भारत में हुए सांप्रदायिक हिंसा के सबसे भीषण दंगों में से एक है। इस दंगा के क़रीब साढ़े चार साल बाद इलाके के जाट और मुस्लिम समुदाय के वरिष्ठ नेता दोनों समुदायों के बीच अमन बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस उद्देश्य के लिए जाट और मुस्लिम समुदायों के बीस प्रमुख, प्रतिष्ठित और सामाजिक सम्मानजनक सदस्यों की एक समिति बनाई गई है। इस समिति को समाजवादी पार्टी के प्रभावी नेता मुलायम सिंह का समर्थन प्राप्त है। भारतीय किसान मज़दूर मंच के अध्यक्ष ग़ुलाम मोहम्मद जौला, भारतीय किसान संघ (बीकेयू)के नेता नरेश टिकैत सहित समिति के सदस्य सभी दंगाग्रस्त गांवों की यात्रा करने और मुस्लिम और जाट समुदाय के लोगों से मिलने और एक दूसरे के साथ समझौता करने के लिए उन्हें राज़ी करने की योजना बना रहे हैं।।

भारतीय किसान मज़दूर मंच के अध्यक्ष ग़ुलाम मोहम्मद जौला ने न्यूज़क्लिक से कहा कि "अतीत के ज़ख़्मों को भरने और समझौते के प्रयासों में हमने समझौता करने के लिए बातचीत शुरू कर दी है।"

जौला ने कहा कि "हमने बीस लोगों की एक टीम का गठन किया है जिसमें मुज़फ्फरनगर और शामली के प्रमुख और सम्मानित नागरिक शामिल हैं। हम सबसे बुरी तरह प्रभावित गांवों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं और वे ग्रामीण जो एक-दूसरे के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया है उन्हें पुलिस की शिकायतों को वापस लेने के लिए समझाने की कोशिश की जा रही है।

जौला ख़ुद दंगों से बुरी तरह प्रभावित हुए थे। वे प्रसिद्ध किसान नेता और बीकेयू के संस्थापक महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद क़रीब थे। टिकैत की आख़िरी दिनों तक जौला उनके क़रीब रहे। लेकिन दंगों के दौरान उन्होंने बीकेयू से अलग होकर आरोप लगाया कि जाट के किसान नेताओं ने भाजपा द्वारा प्रभावित हिंसक दंगाइयों का पक्ष ले लिया। इसने किसान सक्रियता के पतन को आगे बढ़ाया। पश्चिमी यूपी में किसानों के लिए काम जारी रखने के लिए जौला ने भारतीय किसान मजदूर मंच का गठन किया। लेकिन वे "ज़़ख्मों को भरने और जाट-मुस्लिम रिश्तों में पड़ी दरार को पाटने के लिए एक व्यवहार्य संभावना देखते हैं।"

ये सब यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के वृद्ध नेता मुलायम सिंह यादव के साथ 26 दिसंबर को दिल्ली में उनके आवास पर हुई मुलाकात के साथ शुरू हुआ।

जौला ने आगे कहा कि "जाट समुदाय के अपने दोस्तों और भाइयों सहित कई लोगों ने मुलायम सिंह से मुलाकात की और उनसे अपने विचार के बारे में कहा कि इस क्षेत्र में शांति बहाल करने के बारे में हमलोगों ने क्या सोचा है। उन्हें निश्चित रूप से ये विचार पसंद आया और इसके लिए अपना पूर्ण समर्थन किया।”

समाजवादी पार्टी के संस्थापक के साथ बैठक के बाद दंगों के दौरान सबसे बुरी तरह प्रभावित गांवों में से एक पूर्बलियान गांव में एक बैठक हुई जिसमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता क़ादिर राणा, पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, बीकेयू प्रमुख नरेश टिकैत और कुछ खाप नेता शामिल थें। इन्होंने गांव में आरोपियों और पीड़ितों दोनों से संपर्क करने और"समझौता" के लिए उन्हें मनाने की रणनीति तैयार की।

नरेश टिकैत ने न्यूज़क्लिक को बताया कि इस इलाकें में शांति क़ायम करने के प्रयासों के पीछे एक सच्चा इराद़ा था और समुदायों को फिर से एकजुट होने के लिए आधार बनाया गया था। "मुस्लिम हों या जाट अब नफ़रतों से तंग आ गए हैं। उन्होंने कभी नफ़रत नहीं देखी और एक-दूसरे से दुश्मनी करना कभी जानते तक नहीं थे क्योंकि दोनों सदियों से शांति के साथ रहते आए। इसलिए लोग अतीत के सौहार्दपूर्ण और शांतिपूर्ण समय को याद कर रहे हैं। यही कारण है कि हम सभी ने सोचा कि हमें इन प्रयासों को आगे बढ़ाना चाहिए जिसका वे हक़दार हैं।"

ठोस नतीजों के लिए समय सीमा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने जवाब दिया कि "कुछ समय लगेगा लेकिन यह हो जाएगा"। उन्होंने आगे कहा कि "समिति के सदस्यों ने कुछ गांवों के कुछ पीड़ितों और आरोपियों से मुलाकात की। और वे इस विचार से सहमत हुए। दोनों पक्षों के समझौता फार्मूले पर हस्ताक्षर करने से पहले और अधिक विवरणों को तैयार किया जाना चाहिए।"

कुतबा गांव के दंगा पीड़ित मोहम्मद हसन, जिसने दंगा के दौरान परिवार के एक सदस्य को खो दिया था, भी पिछले महीने मुलायम सिंह के आवास पर हुई बैठक का हिस्सा थे। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उन्होंने कहा कि "शांति बैठकों में शामिल हुआ। विपिन बालियान, जो समिति के सदस्य हैं, ने मुझे आमंत्रित किया था। मैं सहमत हूं कि अब शांति क़ायम होनी चाहिए। और मैं समझौता फॉर्मूला के लिए तैयार हूं, अगर समिति ऐसा करना चाहती है।"

दंगा पीड़ितों के पुनःस्थापन और पुनर्वास के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने कहा कि समझौता के बारे में सोचने और बसने के लिए पीड़ितों को "न्याय के आभास" की ज़रूरत है। कंधला में पीड़ितों के अधिकारों और पुनर्वास के लिए काम कर रहे एक स्थानीय कार्यकर्ता अकरम अख्तर चौधरी ने कहा "ज़ख्मों को भरने के लिए यह आवश्यक है कि पीड़ितों को न्याय मिले। न्याय मिलने के बाद ही माफ़ी की बात आती है। यदि पीड़ितों को लगता है कि उन्हें न्याय पाने का मौका नहीं मिला तो किस तरह समझौता किया जाएगा?"

कथित तौर पर छेड़छाड़ की घटना के कारण दंगों की शुरुआत हुई और बाद में दोनों समुदायों के लड़कों की हत्या हुई। इस व्यापक हिंसा में क़रीब 42 से अधिक लोग मारे गए और चालीस हज़ार से अधिक लोगों को उनके घरों का नुकसान हुआ और अपने पैतृक गांवों को छोड़कर सुरक्षित इलाकों में जाने के लिए मजबूर हुए।

दोनों समुदाय चौधरी चरण सिंह की राजनीतिक विरासत के हिस्से के रूप में एकजुट रहे लेकिन दंगा के बाद अलग हो गए और जाट भाजपा की तरफ चले गए वहीं मुस्लिम आरएलडी, बसपा और समाजवादी पार्टी में बंट गए।

muzaffarnagar
muzaffarnagar riots
BJP
BJP-RSS
Jat
Muslim
BSP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • SFI PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    SFI ने किया चक्का जाम, अब होगी "सड़क पर कक्षा": एसएफआई
    09 Feb 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय को फिर से खोलने के लिए SFI ने प्रदर्शन किया, इस दौरान छात्रों ने ऑनलाइन कक्षाओं का विरोध किया। साथ ही सड़क पर कक्षा लगाकर प्रशासन को चुनौत दी।
  • PTI
    समीना खान
    चुनावी घोषणापत्र: न जनता गंभीरता से लेती है, न राजनीतिक पार्टियां
    09 Feb 2022
    घोषणापत्र सत्ताधारी पार्टी का प्रश्नपत्र होता है और सत्ताकाल उसका परीक्षाकाल। इस दस्तावेज़ के ज़रिए पार्टी अपनी ओर से जनता को दी जाने वाली सुविधाओं का जिक्र करती है और जनता उनके आधार पर चुनाव करती है।…
  • हर्षवर्धन
    जन्मदिन विशेष : क्रांतिकारी शिव वर्मा की कहानी
    09 Feb 2022
    शिव वर्मा के माध्यम से ही आज हम भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु, भगवती चरण वोहरा, जतिन दास और महाबीर सिंह आदि की कमानियों से परिचित हुए हैं। यह लेख उस लेखक की एक छोटी सी कहानी है जिसके बारे…
  • budget
    संतोष वर्मा, अनिशा अनुस्तूपा
    ग्रामीण विकास का बजट क्या उम्मीदों पर खरा उतरेगा?
    09 Feb 2022
    कोविड-19 महामारी से पैदा हुए ग्रामीण संकट को कम करने के लिए ख़र्च में वृद्धि होनी चाहिए थी, लेकिन महामारी के बाद के बजट में प्रचलित प्रवृत्ति इस अपेक्षा के मामले में खरा नहीं उतरती है
  • Election
    एम.ओबैद
    यूपी चुनावः प्रचार और भाषणों में स्थानीय मुद्दों को नहीं मिल रही जगह, भाजपा वोटर भी नाराज़
    09 Feb 2022
    ऐसे बहुत से स्थानीय मुद्दे हैं जिनको लेकर लोग नाराज हैं इनमें चाहे रोजगार की कमी का मामला हो, उद्योग की अनदेखी करने का या सड़क, बिजली, पानी, महिला सुरक्षा, शिक्षा का मामला हो। इन मुद्दों पर चर्चा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License