NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार: लालू प्रसाद ने साफ़ किया अपना इरादा- “मिट जायेंगे, लेकिन झुकेंगे नहीं”
अपनी पार्टी के रजत जयंती स्थापना दिवस पर बीमार राजद सुप्रीमो ने देश के सामाजिक ताने-बाने को "छिन्न-भिन्न" करने के लिए भाजपा और मोदी, दोनों का नाम लिये बिना उन पर निशाने साधे।
मोहम्मद इमरान खान
06 Jul 2021
लालू प्रसाद
फ़ोटो: साभार: ट्रिब्यून इंडिया

पटना: ज़मानत पर जेल से बाहर आने के बाद अपने पहले वर्चुअल भाषण में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख बीमार लालू प्रसाद ने सोमवार को हज़ारों पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को एक मज़बूत राजनीतिक संदेश दिया, जिसमें कहा गया कि “मिट जायेंगे, लेकिन झुकेंगे नहीं”।

लोगों तक ज़मीनी स्तर पर पहुंचने की अहमियत को भांपते हुए प्रसाद अपनी पार्टी के स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर राजद कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए कह रहे थे कि वह और उनकी पार्टी सत्ता के लिए न तो कोई समझौता करेंगे और न ही अपने पुराने राजनीतिक सिद्धांत से डिगेंगे।

"हम लंबे समय से लड़ रहे हैं और लोगों, ख़ास तौर पर हाशिए पर धकेल दिये गये लोगों के लिए अपनी यह लड़ाई आगे भी जारी रखेंगे।" उन्होंने यह बात यहां चल रही उन अटकलों के सिलसिले में कही, जिसमें कहा जा रहा था कि राजद अपनी तक़रीबन ढाई दशक पुरानी धर्मनिरपेक्ष राजनीति और सांप्रदायिक राजनीति के ख़िलाफ़ लड़ाई की वैचारिक सिद्धांत से हट सकती है।

"मिट जाएंगे पर झुकेंगें नहीं":- आदरणीय श्री @laluprasadrjd जी #राजद_रजत_जयंती pic.twitter.com/i8BcgZexM6

— RJD Muzaffarpur (@MuzaffarpurRjd) July 5, 2021

रांची की जेल में बंद रहे लालू प्रसाद को तक़रीबन साढ़े तीन साल के अंतराल के बाद बिहार भर के अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं, समर्थकों और अनुयायियों के सामने एक वर्चुअल भाषण देने का मौक़ा मिला। वह अपने समर्थकों को इस बात की याद दिलाने का मौक़ा नहीं चूके कि उन्हें एक साज़िश के तहत जेल में डाला गया और जबरन सूबे से दूर रखा गया।

राजद सुप्रीमो पहले भी कहा करते थे कि वह उस भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ समझौता करने के बजाय मरना पसंद करेंगे, जिसे उन्होंने "फ़ासीवादी और सांप्रदायिक" ताक़त कहते हैं (ऐसा उन्होंने अगस्त 2017 में ' पटना में बीजेपी भगाओ, देश बचाओ रैली में कहा था), पहले की उसी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी ताक़तों के सामने झुकने का कोई सवाल ही नहीं होता।

उनकी पार्टी के लोगों और उनके समर्थकों ने अपने मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, भाजपा के प्रति राजद प्रमुख के इस स्पष्ट रुख़ की सराहना की है। यहां अपनी रजत जयंती मनाने के लिए एकत्र हुए पार्टी के सैकड़ों लोगों में शामिल कृष्ण चौधरी ने कहा, 'लालूजी एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने कभी बीजेपी से समझौता नहीं किया और फ़ासीवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई के लिए जाने जाते हैं। हम उनके पीछे चलेंगे।"

पार्टी के एक अन्य समर्थक मिंटो सिंह ने याद दिलाया कि पार्टी नेता तेजस्वी यादव (लालू प्रसाद के बेटे) ने बार-बार सही कहा था कि अगर लालू प्रसाद ने बीजेपी से हाथ मिलाया होता, तो उन्हें 'हरिश्चंद्र' क़रार दिया जाता और वह मुख्यमंत्री बन जाते। सिंह ने कहा, "लालूजी ने बीजेपी के ख़िलाफ़ लड़ने की हमारी प्रतिबद्धता को मज़बूती दी है।"

कई बीमारियों से ग्रस्त होने के चलते कमज़ोर दिखते राजद प्रमुख ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधते हुए कहा कि वस्तु और सेवा कर या जीएसटी और नोटबंदी के बाद कोविड-19 महामारी से आर्थिक संकट पैदा हुआ है, “इसके बावजूद कुछ लोग अयोध्या के बाद मथुरा के बारे में बात कर रहे हैं, यह हमारे सामाजिक ताने-बाने के लिए एक नया ख़तरा होगा।

अपने भाषण के आख़िर में लालू प्रसाद ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से वादा किया कि वह जल्द ही बिहार के हर एक ज़िले में जाकर उनसे मिलेंगे और उनसे सीधे संपर्क करेंगे। "मेरे प्रतिद्वंद्वी मेरे शासन को 'जंगल राज' के रूप में पेश करते रहे हैं, लेकिन सही मायने में वह एक ग़रीब राज था, क्योंकि ग़रीबों में भी सबसे ग़रीबों को अपनी आवाज़ उठाने का मौक़ा मिला और इसे सुना भी गया। वे मतदान केंद्रों पर पहुंचे और ज़मीन पर उन्होंने पुरानी सत्ता संरचना को चुनौती दी।”

राजद ने अपने स्थापना दिवस मनाने के लिए सभी ज़िला मुख्यालयों, प्रखंड स्तरों और पंचायतों में हाईटेक व्यवस्था की थी, ताकि पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को एक लंबे समय के बाद लालू प्रसाद की एक झलक मिल सके और वे उन्हें सुन सकें।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Bihar: Lalu Prasad Addresses RJD Workers After 3 Years, Vows Not to Bow Before Fascist Forces

Lalu Prasad
RJD Foundation Day
Lalu Address
BIHAR POLITICS
BJP
Tejashwi Yadav
Communalism

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • Ukraine
    स्टुअर्ट ब्राउन
    यूक्रेन: एक परमाणु संपन्न राज्य में युद्ध के खतरे
    03 Mar 2022
    यूक्रेन के ऊपर रूस के आक्रमण से परमाणु युद्ध का खतरा वास्तविक बन गया है। लेकिन क्या होगा यदि देश के 15 परमाणु उर्जा रिएक्टरों में से एक भी यदि गोलीबारी की चपेट में आ जाए?
  • banaras
    विजय विनीत
    यूपी का रणः मोदी के खिलाफ बगावत पर उतरे बनारस के अधिवक्ता, किसानों ने भी खोल दिया मोर्चा
    03 Mar 2022
    बनारस में ऐन चुनाव के वक्त पर मोदी के खिलाफ आंदोलन खड़ा होना भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है। इसके तात्कालिक और दीर्घकालिक नतीजे देखने को मिल सकते हैं। तात्कालिक तो यह कि भाजपा के खिलाफ मतदान को बल…
  • Varanasi District
    तारिक़ अनवर
    यूपी चुनाव : बनारस की मशहूर और अनोखी पीतल पिचकारी का कारोबार पड़ रहा है फीका
    03 Mar 2022
    बढ़ती लागत और कारीगरों की घटती संख्या के कारण पिचकारी बनाने की पारंपरिक कला मर रही है, जिसके चलते यह छोटा उद्योग ज़िंदा रहने के लिए संघर्ष रहा है।
  • migrants
    एपी
    एक सप्ताह में 10 लाख लोगों ने किया यूक्रेन से पलायन: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी
    03 Mar 2022
    संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) के आंकड़ों के अनुसार, पलायन करने वाले लोगों की संख्या यूक्रेन की आबादी के दो प्रतिशत से अधिक है। विश्व बैंक के अनुसार 2020 के अंत में यूक्रेन की आबादी…
  • medical student
    एम.ओबैद
    सीटों की कमी और मोटी फीस के कारण मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं छात्र !
    03 Mar 2022
    विशेषज्ञों की मानें तो विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए जाने की दो मुख्य वजहें हैं। पहली वजह है यहां के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में सीटों की संख्या में कमी और दूसरी वजह है प्राइवेट कॉलेजों…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License