NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
कला
भारत
राजनीति
पाकिस्तान
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए...
ऐसे माहौल में हम ये सोचने पे मजबूर हो जाते हैं कि इन नफ़रतों से बचने या नफ़रत को ख़त्म करने के क्या ज़रिये हो सकते हैं! हमें ऐसे में "डेड पोएट्स सोसाइटी" फ़िल्म के जॉन कीटिंग की याद आती है जो कहता है कि "कविता, मुहब्बत, ख़ूबसूरती, ये वो चीज़ें हैं जिनके लिए हम ज़िंदा रहते हैं।"
सत्यम् तिवारी
01 Mar 2019
सांकेतिक तस्वीर
सुदर्शन पटनायक की रेत पर उकेरी गई कृति (Image Courtesy: Prasar Bharati)

जब भारत और पाकिस्तान जैसे दो देशों की बात होती है तो हमारी नज़रों के सामने से एक पूरा इतिहास गुज़रता है। एक इतिहास जिसमें ज़ुल्म है, हिंसा है, ख़ून है, दहशत है। दो देश, जिन्हें किसी तीसरे मुल्क ने धर्म, सम्प्रदाय के नाम पे बाँटा और इस क़दर बाँटा कि आज हमारे पास तमाम चीज़ें होने के साथ एक दूसरे के लिए एक बड़ी मात्रा में नफ़रत भी मौजूद है। अंग्रेज़ों के जाने के बाद दोनों ही देशों के सियासतदानों ने इस नफ़रत  को ज़िंदा रखने और बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सरहदों पर हमेशा से चल रहे तनाव की आड़ में जिस तरह से आम जनता को दूसरे मुल्क से नफ़रत करने के लिए उकसाया जाता है, वो डरावना लगने लगा है। ये काम रैलियों में, टीवी चैनलों पर,  भाषणों में, यहाँ तक कि घरों में भी ज़ोर ओ शोर के साथ आज भी जारी है।

ऐसे माहौल में हम ये सोचने पे मजबूर हो जाते हैं कि इन नफ़रतों से बचने या नफ़रत को ख़त्म करने के क्या ज़रिये हो सकते हैं! हमें ऐसे में "डेड पोएट्स सोसाइटी" फ़िल्म के जॉन कीटिंग की याद आती है जो कहता है कि "कविता, मुहब्बत, ख़ूबसूरती, ये वो चीज़ें हैं जिनके लिए हम ज़िंदा रहते हैं।"

दोनों देशों पर फैली नफ़रतों के इस दौर में, हम याद कर रहे हैं उन कविताओं को जो सारी नफ़रतों को, सरहदी तनाव को, और सियासतदानों की मनमानी को परे रख के लिखी गई हैं। ये कवितायेँ लिखी गई हैं शांति की चाहत के साथ, उन लोगों से मुहब्बत के साथ जो सरहद के उस पार तो हैं मगर ये भी एक हक़ीक़त है कि वो हमारे ही जैसे हैं, और एक तरह से हमारे ही परिवार के लोग हैं।

india-pakistan.jpg

लकीरें- गुलज़ार

 

लकीरें हैं तो रहने दो

किसी ने रूठ कर ग़ुस्से में शायद खैंच दी थीं

इन्हीं को अब बनाओ पाला

और आओ कबड्डी खेलते हैं

लकीरें हैं तो रहने दो  

 

मेरे पाले में तुम आओ मुझे ललकारो

मेरे हाथ पर तुम हाथ मारो और भागो

तुम्हें पकड़ूँ लिपटूँ

और तुम्हें वापस न जाने दूँ

लकीरें हैं तो रहने दो

 

तुम्हारे पाले में जब कौड़ी-कौड़ी करता जाऊँ मैं

मुझे तुम भी पकड़ लेना

मुझे छूने नहीं देना

मुझे तुम भी पकड़ लेना

 

लकीरें हैं तो रहने दो

किसी ने रूठ कर ग़ुस्से  में शायद खैंच दी थीं

इन्हीं को अब बनाओ पाला

और आओ कबड्डी खेलते हैं

pak.jpg

'दोस्ती का हाथ' - अहमद फ़राज़

 

गुज़र गए कई मौसम कई रुतें बदलीं

उदास तुम भी हो यारो उदास हम भी हैं

फ़क़त तुम्हीं को नहीं रंज-ए-चाक-दामानी

कि सच कहें तो दरीदा-लिबास हम भी हैं

 

तुम्हारे बाम की शमएँ भी ताबनाक नहीं

मिरे फ़लक के सितारे भी ज़र्द ज़र्द से हैं

तुम्हारे आइना-ख़ाने भी ज़ंग-आलूदा

मिरे सुराही ओ साग़र भी गर्द गर्द से हैं

 

न तुम को अपने ख़द-ओ-ख़ाल ही नज़र आएँ

न मैं ये देख सकूँ जाम में भरा क्या है

बसारतों पे वो जाले पड़े कि दोनों को

समझ में कुछ नहीं आता कि माजरा क्या है

 

न सर्व में वो ग़ुरूर-ए-कशीदा-क़ामती है

न क़ुमरियों की उदासी में कुछ कमी आई

न खिल सके किसी जानिब मोहब्बतों के गुलाब

न शाख़-ए-अम्न लिए फ़ाख़्ता कोई आई

 

तुम्हें भी ज़िद है कि मश्क़-ए-सितम रहे जारी

हमें भी नाज़ कि जौर-ओ-जफ़ा के आदी हैं

तुम्हें भी ज़ोम महा-भारता लड़ी तुम ने

हमें भी फ़ख़्र कि हम कर्बला के आदी हैं

 

सितम तो ये है कि दोनों के मर्ग़-ज़ारों से

हवा-ए-फ़ित्ना ओ बू-ए-फ़साद आती है

अलम तो ये है कि दोनों को वहम है कि बहार

अदू के ख़ूँ में नहाने के बा'द आती है

 

तो अब ये हाल हुआ इस दरिंदगी के सबब

तुम्हारे पाँव सलामत रहे न हाथ मिरे

न जीत जीत तुम्हारी न हार हार मिरी

न कोई साथ तुम्हारे न कोई साथ मिरे

 

हमारे शहरों की मजबूर ओ बे-नवा मख़्लूक़

दबी हुई है दुखों के हज़ार ढेरों में

अब उन की तीरा-नसीबी चराग़ चाहती है

जो लोग निस्फ़ सदी तक रहे अँधेरों में

 

चराग़ जिन से मोहब्बत की रौशनी फैले

चराग़ जिन से दिलों के दयार रौशन हों

चराग़ जिन से ज़िया अम्न-ओ-आश्ती की मिले

चराग़ जिन से दिए बे-शुमार रौशन हों

 

तुम्हारे देस में आया हूँ दोस्तो अब के

न साज़-ओ-नग़्मा की महफ़िल न शाइ'री के लिए

अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर

चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए

53566807_10210593346468975_8248193312796704768_n.jpg

'दोस्ती का हाथ' – अली सरदार जाफ़री

(अहमद फ़राज़ के पैग़ाम का जवाब)

 

तुम्हारा हाथ बढ़ा है जो दोस्ती के लिए

मिरे लिए है वो इक यार-ए-ग़म-गुसार का हाथ

वो हाथ शाख़-ए-गुल-ए-गुलशन-ए-तमन्ना है

महक रहा है मिरे हाथ में बहार का हाथ

ख़ुदा करे कि सलामत रहें ये हाथ अपने

अता हुए हैं जो ज़ुल्फ़ें सँवारने के लिए

ज़मीं से नक़्श मिटाने को ज़ुल्म ओ नफ़रत का

फ़लक से चाँद सितारे उतारने के लिए

ज़मीन-ए-पाक हमारे जिगर का टुकड़ा है

हमें अज़ीज़ है देहली ओ लखनऊ की तरह

तुम्हारे लहजे में मेरी नवा का लहजा है

तुम्हारा दिल है हसीं मेरी आरज़ू की तरह

करें ये अहद कि औज़ार-ए-जंग जितने हैं

उन्हें मिटाना है और ख़ाक में मिलाना है

करें ये अहद कि अर्बाब-ए-जंग हैं जितने

उन्हें शराफ़त ओ इंसानियत सिखाना है

जिएँ तमाम हसीनान-ए-ख़ैबर-ओ-लाहौर

जिएँ तमाम जवानान-ए-जन्नत-ए-कश्मीर

हो लब पे नग़मा-ए-महर-ओ-वफा की ताबानी

किताब-ए-दिल पे फ़क़त हर्फ़-ए-इश्क़ हो तहरीर

तुम आओ गुलशन-ए-लाहौर से चमन-बर्दोश

हम आएँ सुबह-ए-बनारस की रौशनी ले कर

हिमालया की हवाओं की ताज़गी ले कर

फिर इस के ब’अद ये पूछें कि कौन दुश्मन है

india-pakistan
bring peace
no war
wing commander abhinandan
pulwama attack
CRPF Jawan Killed
Narendra modi
Imran Khan
poem
people's poet

Related Stories

प्रकाश पर्व : भारत-पाक के टूटे संबंधों को जोड़ती गुरुनानक देव जी की ज़िंदगी

एक का मतलब एकता होना चाहिए एकरूपता नहीं!

नए भारत के विचार को सिर्फ़ जंग चाहिए!

आतिशी के ख़िलाफ़ पर्चा अदब ही नहीं इंसानियत के ख़िलाफ़ है

तिरछी नज़र : प्रधानमंत्री का एक और एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

मोदी VS विवेक ओबेरॉय : कौन है बेहतर अभि-नेता? भारत एक मौज, सीज़न-3, एपिसोड-2

वीडियो : अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमले के ख़िलाफ़ कलाकार हुए एकजुट

बनारसियों को ख़ारिज कर कौन सा बनारस बना रहे हो बाबू!

विशेष : पाब्लो नेरुदा को फिर से पढ़ते हुए

"खाऊंगा, और खूब खाऊंगा" और डकार भी नहीं लूंगा !


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License