NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
भारत
राजनीति
चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर उतरने का देश ही नहीं दुनिया को इंतज़ार
‘चंद्रयान 2’ के लैंडर ‘विक्रम’ की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग का दूरदर्शन पर शुक्रवार देर रात एक बजकर 10 मिनट से सीधा प्रसारण किया जाएगा। इसे इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर भी प्रसारित किया जाएगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
06 Sep 2019
chandrayan 2
Image courtesy:Outlook India

चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर उतरने का देश ही नहीं पूरी दुनिया को इंतज़ार है। इसरो, नासा और आम लोग भी इसका इंतज़ार कर रहे हैं।

‘चंद्रयान 2’ के लैंडर ‘विक्रम’ की चांद पर प्रस्तावित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से कुछ घंटों पहले इसरो अध्यक्ष के़ सिवन ने शुक्रवार को बताया कि इस बहुप्रतीक्षित लैंडिंग के लिए चीजें योजना के अनुसार आगे बढ़ रही हैं।

सिवन ने शुक्रवार को ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘हम इसका (लैंडिंग का) बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सब कुछ योजना के मुताबिक हो रहा है।’’

‘विक्रम’ शुक्रवार-शनिवार की मध्य रात डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा। ‘विक्रम’ के अंदर रोवर ‘प्रज्ञान’ होगा जो शनिवार सुबह साढ़े पांच से साढ़े छह बजे के बीच लैंडर के भीतर से बाहर निकलेगा।

सॉफ्ट लैंडिंग का दूरदर्शन पर शुक्रवार देर रात एक एक बजकर 10 मिनट से सीधा प्रसारण किया जाएगा। इसे इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर भी प्रसारित किया जाएगा।

इस मिशन से जुड़े एक अधिकारी ने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘निश्चित ही पूरी (चंद्रयान-2) टीम के मन में घबराहट है क्योंकि यह एक जटिल अभियान है और हम पहली बार ऐसा कर रहे हैं।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘सेंसरों, कम्प्यूटरों, कमांड प्रणालियों... सभी का अच्छी तरह काम करना आवश्यक है, लेकिन हमने जमीन पर कई आभासी परीक्षण किए हैं जिससे हमें यह भरोसा मिलता है कि सब सही होगा।’’

उन्होंने ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ को ‘‘बच्चे को पालने में रखने के समान बताया’’ और कहा ‘‘इसे लेकर थोड़ी घबराहट है लेकिन शंका नहीं है।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता के जरिए इसरो द्वारा देशभर से चुने गए दर्जनों छात्र-छात्राएं, बड़ी संख्या में मीडिया कर्मी और अन्य इसरो टेलीमेंट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के जरिए यहां इस ऐतिहासिक लम्हे का सीधा नजारा देखेंगे।
भारत जब चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की कोशिश करेगा तो सभी की नजरें लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ पर टिकी होंगी।

1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसे चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के लिए तैयार किया गया है। यह एक चंद्र दिवस के लिए काम करेगा। एक चंद्र दिवस पृथ्वी के करीब 14 दिनों के बराबर होता है।

क्या है प्रज्ञान?

रोवर 27 किलोग्राम वजनी छह पहिया रोबोटिक वाहन है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस है। इसका नाम ‘प्रज्ञान’ है जिसका मतलब ‘बुद्धिमत्ता’ से है। यह ‘लैंडिंग’ स्थल से 500 मीटर तक की दूरी तय कर सकता है और यह अपने परिचालन के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा। यह लैंडर को जानकारी भेजेगा और लैंडर बेंगलुरु के पास ब्याललु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क को जानकारी प्रसारित करेगा।

इसरो के अनुसार, लैंडर में तीन वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देंगे, जबकि रोवर के साथ दो वैज्ञानिक उपकरण हैं जो चांद की सतह से संबंधित समझ बढ़ाएंगे।

इसरो ने कहा है कि ‘चंद्रयान-2’ अपने लैंडर को 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश में दो गड्ढों- ‘मैंजिनस सी’ और ‘सिंपेलियस एन’ के बीच ऊंचे मैदानी इलाके में उतारने का प्रयास करेगा।

लैंडर के चांद पर उतरने के बाद इसके भीतर से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस यानी के पृथ्वी के 14 दिनों की अवधि तक अपने वैज्ञानिक कार्यों को अंजाम देगा।

सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ भारत को रूस, अमेरिका और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगी। इसके साथ ही भारत अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय लिखते हुए चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला विश्व का प्रथम देश बन जाएगा।

सिवन ने हाल में कहा था कि प्रस्तावित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ दिलों की धड़कन थाम देने वाली साबित होने जा रही है क्योंकि इसरो ने ऐसा पहले कभी नहीं किया है।

गौरतलब है कि ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण तकनीकी खामी के चलते 15 जुलाई को टाल दिया गया था। इसके बाद 22 जुलाई को इसके प्रक्षेपण की तारीख पुनर्निर्धारित करते हुए इसरो ने कहा था कि ‘चंद्रयान-2’ अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए तैयार है।

इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क-।।। एम 1 के जरिए 3,840 किलोग्राम वजनी ‘चंद्रयान-2’ को प्रक्षेपित किया था। इस योजना पर 978 करोड़ रुपये की लागत आई है।

चंद्रयान-2’ ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को शुरू की थी। इसके बाद 20 अगस्त को यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था।

इसरो ने बताया कि यहां स्थित इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स से ‘ऑर्बिटर’ और ‘लैंडर’ की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। इस काम में ब्याललु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) की मदद ली जा रही है।

‘चंद्रयान-2’ के ‘ऑर्बिटर’ में आठ वैज्ञानिक उपकरण हैं जो चंद्रमा की सतह का मानचित्रण करेंगे और पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह के बाह्य परिमंडल का अध्ययन करेंगे। ‘लैंडर’ के साथ तीन उपकरण हैं जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। वहीं, ‘रोवर’ के साथ दो उपकरण हैं जो चंद्रमा की सतह के बारे में जानकारी जुटाएंगे।

चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर उतरने का अमेरिकी वैज्ञानिकों को भी इंतज़ार

भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन की चांद की सतह पर होने वाली सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर नासा सहित अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक उत्साहित हैं और सांस रोक कर इस पल का इंतज़ार कर रहे हैं।

अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ऐतिहासिक मिशन से चंद्रमा की बनावट को समझने में और मदद मिलेगी।

वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने भी विक्रम लैंडर के चंद्रमा पर उतरने की घटना का सीधा प्रसारण दिखाने की व्यवस्था की है। इस दौरान चंद्रयान-2 पर प्रस्तुति भी दी जाएगी। नासा के अंतरिक्ष वैज्ञानिक भी ऐतिहासिक लैंडिंग पर पल-पल की नजर रखेंगे। विक्रम लैंडर के न्यूयॉर्क के स्थानीय समयानुसार शु्क्रवार शाम चार बजे से पांच बजे के बीच चंद्रमा के सतह पर उतरने की उम्मीद है।

स्पेस डॉट कॉम ने कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जहां पर भी भारत का छह पहियों का रोवर ‘प्रज्ञान’ उतरेगा, वह चंद्रमा का सबसे अहम स्थान बन जाएगा। यह चंद्रमा का सबसे दक्षिणी छोर होगा जहां यान पहुंचेगा।

जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के एप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी में अंतरिक्ष वैज्ञानिक ब्रेट डेनेवी ने कहा कि चंद्रयान-2 जहां उतरेगा वह पूरी तरह ऐसा हिस्सा है जिसके बारे में जानकारी नहीं है।

उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 अपने साथ 13 उपकरण ले गया है जिसमें 12 भारत के हैं जबकि एक नासा का उपकरण है।

डेनेवी ने नेचर पत्रिका से कहा कि वह ‘ऑर्बिटर’ के इमैजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर से बहुत उत्साहित हैं, यह चंद्रमा की सतह से परावर्तित हो रहे प्रकाश की गणना विस्तृत तरंग दायरे में करेगा। इस सूचना का इस्तेमाल सतह पर पानी और उसकी मात्रा का पता लगाने में किया जाएगा क्योंकि पानी कुछ खास तरंगों के प्रकाश को सोख लेता है।

नासा के अंतरिक्ष वैज्ञानिक डेव विलियम ने कहा कि चंद्रयान-2 से कई अहम सवालों के जवाब मिलेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कक्षा से चांद का कई बार सर्वेक्षण किया लेकिन यह वहां जाकर करने जैसा नहीं है।’’ यह भारत के लिए राष्ट्रीय गौरव की बात है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने गुरुवार को लिखा कि अन्य अंतरिक्ष मिशन की लागत के मुकाबले चंद्रयान-2 बहुत सस्ता है। इसकी लागत 15 करोड़ डॉलर है जो 2014 में बनी हॉलीवुड फिल्म ‘इंटरस्टेलर’ के बजट से भी आधी है।

एरिजोना विश्वविद्यालय से संबद्ध चंद्रमा एवं ग्रहीय प्रयोगशाला के निदेशक टिमोथी स्विंडल ने कहा कि वैज्ञानिक इस मिशन से उम्मीद कर रहे हैं कि वहां पर पानी के स्रोत का पता लगाने और भविष्य के मिशन के लिए उसके इस्तेमाल की संभावना को समझने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें पता है कि वहां पानी है लेकिन यह पता नहीं है कि उसकी मात्रा कितनी है और वहां कैसे आया? ’’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Chandrayaan-2
Chandrayaan
Vikram soft landing
Narendera Modi
John hopkins university
ISRO

Related Stories

इसरो का 2022 का पहला प्रक्षेपण: धरती पर नज़र रखने वाला उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित

कार्टून क्लिक : काश! कोई 'धरती मित्र' भी मिले

एरियन रॉकेट से इसरो के जीसैट 30 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

नासा को मिला चंद्रयान-2 का मलबा, तस्वीर की साझा

पृथ्वी की बेहद साफ़ तस्वीर लेने वाले भारत के कार्टोसैट-3 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

विक्रम लैंडर की हुई थी हार्ड लैंडिंग: नासा ने तस्वीरें जारी करके बताया

चांद की सतह पर टकराने से झुका लैंडर ‘विक्रम’, लेकिन साबुत अवस्था में : इसरो

अंतरिक्ष के रहस्यों से भी ज्यादा चकित करता मीडिया का व्यवहार

चंद्रयान-2 के अंतिम पड़ाव की पूरी कहानी : कैसा था 'विक्रम', क्या करता 'प्रज्ञान’?

चन्द्रयान -2 : लैंडर खोया लेकिन सब कुछ नहीं गंवाया 


बाकी खबरें

  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के मामलों में क़रीब 25 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई
    04 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,205 नए मामले सामने आए हैं। जबकि कल 3 मई को कुल 2,568 मामले सामने आए थे।
  • mp
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    सिवनी : 2 आदिवासियों के हत्या में 9 गिरफ़्तार, विपक्ष ने कहा—राजनीतिक दबाव में मुख्य आरोपी अभी तक हैं बाहर
    04 May 2022
    माकपा और कांग्रेस ने इस घटना पर शोक और रोष जाहिर किया है। माकपा ने कहा है कि बजरंग दल के इस आतंक और हत्यारी मुहिम के खिलाफ आदिवासी समुदाय एकजुट होकर विरोध कर रहा है, मगर इसके बाद भी पुलिस मुख्य…
  • hasdev arnay
    सत्यम श्रीवास्तव
    कोर्पोरेट्स द्वारा अपहृत लोकतन्त्र में उम्मीद की किरण बनीं हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं
    04 May 2022
    हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं, लोहिया के शब्दों में ‘निराशा के अंतिम कर्तव्य’ निभा रही हैं। इन्हें ज़रूरत है देशव्यापी समर्थन की और उन तमाम नागरिकों के साथ की जिनका भरोसा अभी भी संविधान और उसमें लिखी…
  • CPI(M) expresses concern over Jodhpur incident, demands strict action from Gehlot government
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जोधपुर की घटना पर माकपा ने जताई चिंता, गहलोत सरकार से सख़्त कार्रवाई की मांग
    04 May 2022
    माकपा के राज्य सचिव अमराराम ने इसे भाजपा-आरएसएस द्वारा साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करार देते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अनायास नहीं होती बल्कि इनके पीछे धार्मिक कट्टरपंथी क्षुद्र शरारती तत्वों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन की स्थिति पर भारत, जर्मनी ने बनाया तालमेल
    04 May 2022
    भारत का विवेक उतना ही स्पष्ट है जितना कि रूस की निंदा करने के प्रति जर्मनी का उत्साह।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License