NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
चुनाव 2019; झारखंड : कोडरमा सीट पर माले का मजबूत दावा
“कोडरमा सीट पर पूरे प्रदेश के वामपंथी और जनमुद्दों के आंदोलनकारी-लोकतान्त्रिक शक्तियों की आशाभरी निगाहें लगीं हुईं हैं।”
अनिल अंशुमन
15 Apr 2019
कोडरमा में माले की जनसभा

11 अप्रैल को झारखंड प्रदेश के गिरिडीह मुख्यालय स्थित झण्डा मैदान का पूरा परिसर भाकपा माले कार्यकर्ताओं-समर्थकों की भारी भीड़ से अंटा पड़ा था। दोपहर की चिलचिलाती धूप में भी लाल झंडे लहराकर जोशपूर्ण नारे लगा रहे युवा जत्थों का उत्साह देखने लायक था। ये सभी आगामी 6 मई को राज्य के कोडरमा संसदीय चुनाव में आपनी पार्टी प्रत्याशी के नामांकन कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। इस सीट से क्षेत्र के लोकप्रिय जननेता व भाकपा माले विधायक कॉमरेड राज कुमार यादव को राज्य के सभी वामपंथी दलों के समर्थन से माले ने अपना प्रत्याशी बनाया है। राजकुमार ने 2014 के चुनाव में मोदी–लहर पर सवार भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी और 6 में से चार विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। 

Koderma2.jpg

नामांकन के बाद ..... “चेहरे बदले पार्टियां बदलीं, नहीं बदला तो उजाड़–पलायन और लूट का सिलसिला... आइये, हम जीतें विकास और रोजगार की अपनी जंग”  के आह्वान के साथ  ‘विकास संकल्प रैली’ का आयोजन किया गया। झारखंड विधानसभा में मार्क्सवादी समन्वय समिति के विधायक कॉ. अरूप चटर्जी ने अपनी पार्टी के सक्रिय समर्थन की घोषणा की। अपने सम्बोधन में कहा कि कोडरमा सीट पर पूरे प्रदेश के वामपंथी और जनमुद्दों के आंदोलनकारी-लोकतान्त्रिक शक्तियों की आशाभरी निगाहें लगीं हुईं हैं। कॉमरेड राजकुमार यादव जिस प्रकार विधान सभा सदन से लेकर सड़कों के जन अभियानों में जनता के सवालों को बुलंदी से उठाते रहें हैं, वक़्त आ गया है कि जनता की इस आवाज़ को संसद में भी पूरी ताक़त के साथ पहुंचाई जाए। इनकी जीत से न केवल सभी लाल झंडे का मान बढ़ेगा बल्कि धर्मनिरपेक्ष शक्तियों को भी मजबूती मिलेगी।

सभा में आए साथियों का उत्साह बढ़ाते हुए राजकुमार यादव ने जोशभरे अंदाज़ में कहा कि व्यापक जनसंपर्क अभियानों के दौरान उन्होंने पाया कि लोगों में व्यापक चर्चा है कि इस बार देश के साथ साथ कोडरमा में भी बदलाव होगा। माले का एक एक वोट जनता के संघर्षों का है इसलिए सवाल सिर्फ जीत-हार मात्र का ही नहीं है बल्कि उससे भी बड़ा पहलू है कि इस चुनाव में झारखंड और इस देश से ‘लूट– झूठ का राज’ कैसे खत्म होगा।

सभा के कई वक्ताओं ने तथाकथित विपक्षी महागठबंधन द्वारा वाम दलों को किनारा कर ‘भाजपा हटाओ’ अभियान को कमजोर करने के लिए तीखी आलोचना भी की। कई मुस्लिम वक्ताओं ने तो उनपर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि बगल के गोड्डा सीट में दूसरे स्थान पर रहे राज्य के एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी और कोडरमा में लाल झंडे की सीट छीनकर वैसे दल को टिकट दिया गया है जिसकी भूमिका हमेशा से संदिग्ध रही है।

कोडरमा 4.jpg

निस्संदेह ये सारी प्रतिक्रियाएं यूं ही नहीं हैं क्योंकि झारखंड में कोडरमा संसदीय क्षेत्र ही ऐसा रहा है जिसके अधिकांश इलाकों में पिछले कई वर्षों से भाकपा माले की मजबूत जमीनी प्रभाव है। लगभग तीन दशक पूर्व क्षेत्र के दलित–पिछड़े किसानों, अल्पसंख्यकों व ग्रामीण गरीबों पर होनेवाले सामंती उत्पीड़नों, पुलिस अत्याचार और बेगारी - सूदखोरी शोषण की अमानवीय स्थितियों के खिलाफ जुझारू वाम आंदोलन संगठित करके महेंद्र सिंह जी ने सूत्रपात किया था। इस कारण महेंद्र जी को लगातार राज्य दमन का सामना करते हुए अनेकों बार जेल में भी रहना पड़ा। सरकार व विरोधियों की गहरी साज़िश से उन्हें फांसी की सज़ा भी हो गयी थी लेकिन व्यापक जनप्रतिवाद के कारण कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बारी कर दिया। इलाके के वंचितों–उपेक्षितों के भारी जन समर्थन ने ही महेंद्र सिंह को बागोदर विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार बार अपना विधायक चुना। दो बार कोडरमा संसदीय क्षेत्र से माले उम्मीदवार बनकर अच्छा खासा वोट हासिल किया । लेकिन 2005 में सुनियोजित राजनीतिक साजिश से उनकी हत्या किए जाने के बाद बाद कॉ. विनोद सिंह को भी लोगों ने दो बार माले का विधायक चुना। वहीं राजधानवार के इलाके में राजकुमार यादव ने भी महेंद्र सिंह द्वारा स्थापित माले की संघर्ष परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पिछले विधानसभा चुनाव यहाँ से विधायक बने हैं। गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा में विधायकों के वेतन–भत्ते इत्यादि बढ़ाने व उन्हें कीमती उपहार दिये जाने के खिलाफ महेंद्र सिंह द्वारा शुरू की गयी बहिष्कार परंपरा आज भी माले विधायक दृढ़ता से लागू करते हैं। इस बहिष्कार का तर्क है कि इस राशि का उपयोग विधायकों की बजाय जनहित में होना चाहिए। 

चुनाव जनता के अपने सवालों के वास्तविक समाधान का रास्ता तैयार करने का एक निर्णायक अवसर होता है। इन्हीं संदर्भों में कोडरमा सीट के मतदाताओं का बड़ा हिस्सा ( विशेषकर ग्रामीण ) इस बार बदलाव के मूड में है। क्योंकि वर्तमान भाजपा सांसद से लेकर इसके पूर्व दो-दो बार सांसद बने बाबूलाल मरांडी जी इत्यादि किसी ने भी इस क्षेत्र की बदहाली, मरणासन्न माइका उद्योग को उबारने, भयावह बेरोजगारी और रोजगार न मिलने से हो रहे भारी पलायान जैसी विकट समस्यों पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसबार के चुनाव में बाबूलाल जी महागठबंधन प्रत्याशी बनकर उतरे हैं। वहीं 2014 के चुनाव में जनता से किए गए किसी भी वायदों को नहीं पूरा करने पर सवालों से घिरी भाजपा को अपने खिलाफ बन रहे सामाजिक समीकरण के मद्देनज़र दल बदलू नेता को अपना उम्मीदवार बनाना पड़ा है। वर्तमान स्थिति में माले प्रत्याशी को छोड़कर किसी भी उम्मीदवार के पास क्षेत्र के आम मतदाताओं से वोट मांगने का कोई ठोस और नया आधार नहीं दीख रहा, जबकि भाकपा माले द्वारा “....इस बार… बदलाव की आवाज़ कॉमरेड राज कुमार!” के चलाये जा रहे जन अभियान को मिल रहे व्यापक जनसमर्थन से .... संभव है कि इसबार बहे बदलाव की नयी बयार!

(लेखक सांस्कृतिक कार्यकर्ता हैं।)

2019 आम चुनाव
General elections2019
2019 Lok Sabha Polls
Jharkhand
Koderma
CPI(ML)
Left unity
BJP
jharkhand mahagathbandhan

Related Stories

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

कश्मीर फाइल्स: आपके आंसू सेलेक्टिव हैं संघी महाराज, कभी बहते हैं, और अक्सर नहीं बहते

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

त्वरित टिप्पणी: जनता के मुद्दों पर राजनीति करना और जीतना होता जा रहा है मुश्किल


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बीमार लालू फिर निशाने पर क्यों, दो दलित प्रोफेसरों पर हिन्दुत्व का कोप
    21 May 2022
    पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी का राजनीतिक निहितार्थ क्य है? दिल्ली के दो लोगों ने अपनी धार्मिक भावना को ठेस लगने की शिकायत की और दिल्ली…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली
    21 May 2022
    अदालत ने लाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा करने पर राहत दी।
  • सोनिया यादव
    यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?
    21 May 2022
    प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक खुद औचक निरीक्षण कर राज्य की चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। हाल ही में मंत्री जी एक सरकारी दवा गोदाम पहुंचें, जहां उन्होंने 16.40 करोड़…
  • असद रिज़वी
    उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण
    21 May 2022
    भारत निर्वाचन आयोग राज्यसभा सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा  करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है। मतदान 10 जून को…
  • सुभाष गाताडे
    अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !
    21 May 2022
    ‘धार्मिक अंधविश्वास और कट्टरपन हमारी प्रगति में बहुत बड़े बाधक हैं। वे हमारे रास्ते के रोड़े साबित हुए हैं। और उनसे हमें हर हाल में छुटकारा पा लेना चाहिए। जो चीज़ आजाद विचारों को बर्दाश्त नहीं कर सकती,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License