NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
उत्पीड़न
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पश्चिम एशिया
अफ़ग़ानिस्तान में सिविल सोसाइटी और अधिकार समूहों ने प्रोफ़ेसर फ़ैज़ुल्ला जलाल की रिहाई की मांग की
काबुल यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान और क़ानून पढ़ाने वाले डॉ. जलाल तालिबान और अफ़ग़ानिस्तान के पिछले प्रशासन के आलोचक रहे हैं। उन्होंने महज़ सुरक्षा पर ध्यान दिये जाने की तालिबान सरकार की चिंता की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की है और लोगों की आर्थिक समस्याओं को कम करने को लेकर कार्रवाई करने की मांग की है।
पीपल्स डिस्पैच
12 Jan 2022
Protest in Afghanistan
फ़ोटो साभार: हश्त ए सुब्ह

तालिबान सरकार की ओर से शनिवार को गिरफ़्तार किये गये प्रोफ़ेसर फ़ैज़ुल्ला जलाल की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार, 8 जनवरी को विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। मानवाधिकार संगठनों ने इस गिरफ़्तारी की निंदा "बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" पर हमले के तौर पर की है।  

तालिबान सरकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों पर लगाये प्रतिबंध के बावजूद विभिन्न मानवाधिकार और महिला अधिकार समूहों की महिलाओं के छोटे-छोटे समूहों ने काबुल में प्रोफ़ेसर जलाल की तस्वीर वाले बैनर के साथ मार्च किया। उन्होंने इंसाफ़ के आह्वान और जहालत के ख़त्म किये जाने की मांग करते हुए नारे लगाये और प्रोफ़ेसर की तत्काल रिहाई की मांग की।

इससे पहले उस दिन तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने एक ट्वीट में कहा कि जलाल को इसलिए गिरफ़्तार किया गया, क्योंकि वह लोगों को सरकार के ख़िलाफ़ भड़का रहे थे। मुजाहिद ने जलाल के उन कुछ असत्यापित सोशल मीडिया पोस्ट को भी साझा किया, जो सरकार की आलोचना में लिखे गये थे। टोलो न्यूज़ ने बताया कि जलाल के परिवार के लोगों का कहना है कि ये सोशल मीडिया पोस्ट फ़र्ज़ी हैं और इसके लिए उन्हें ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। 

टोलो न्यूज़ ने तालिबान के उप प्रवक्ता बिलाल करीमी के हवाले से कहा कि प्रोफ़ेसर जलाल को तालिबान ख़ुफ़िया ने "व्यवस्था को तोड़ने और लोगों की गरिमा के साथ खेलने" के लिए गिरफ़्तार किया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जलाल के राष्ट्रीय सुरक्षा को बाधित करने वाले ज़िम्मेदार समूहों के साथ रिश्ते थे।  

प्रोफ़ेसर जलाल काबुल यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान और क़ानून पढ़ाते हैं।वह एक प्रसिद्ध कार्यकर्ता और काबुल की तमाम सरकारों के आलोचक भी रहे हैं। वह अफ़ग़ानिस्तान की पहली महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और महिला मामलों की पूर्व मंत्री डॉ. मसूदा जलाल के पति हैं।

उन्होंने पिछले साल नवंबर के अंत में एक टीवी शो के दौरान अफ़ग़ानिस्तान में बिगड़ती आर्थिक स्थिति के लिए तालिबान की आलोचना की थी और सरकार से सुरक्षा को लेकर बहस को बढ़ावा देने के बजाय लोगों की रोज़-ब-रोज़ की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा था। उस शो के दौरान तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम के साथ उनकी बहस भी हुई थी, जो वायरल हो गयी थी।     

विभिन्न सिविल सोसाइटी समूहों और एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने जलाल के साथ एकजुटता वाले बयान जारी किये हैं। इन बयानों में उनकी गिरफ़्तारी को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है। अफ़ग़ानिस्तान के कुछ कार्यकर्ताओं ने उनकी रिहाई की मांग को लेकर एक ऑनलाइन याचिका भी शुरू कर दी है। 

पिछले साल 15 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद से तालिबान एक समावेशी सरकार बनाने के अपने वादे से मुकर गया है। कई मानवाधिकार समूहों और संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान सरकार पर देश में चल रहे व्यापक आर्थिक संकट के बावजूद अपने आलोचकों के पीछे पड़ने और महिलाओं के अधिकारों का गला घोंटने का आरोप लगाया है।

Afghanistan
TALIBAN
Protests
Political Prisoners

Related Stories

हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत

सूडान में तख्तापलट के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन जारी, 3 महीने में 76 प्रदर्शनकारियों की मौत

जानिए: अस्पताल छोड़कर सड़कों पर क्यों उतर आए भारतीय डॉक्टर्स?

एल्गार परिषद : बंबई उच्च न्यायालय ने वकील सुधा भारद्वाज को ज़मानत दी

सूडान : 10 लाख से ज़्यादा नागरिक तख़्तापलट के विरोध में सड़कों पर आए

तमिलनाडु: दलदली या रिहायशी ज़मीन? बेथेल नगर के 4,000 परिवार बेदखली के साये में

अफगानियों के साथ खड़े हुए मानवाधिकार संगठन, दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में प्रदर्शन 

एल्गार मामला : परिजनों ने मुख्यमंत्री से की कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग

हिमाचल प्रदेश: बस किराये में बढ़ोतरी पर विपक्ष सहित मज़दूर संगठनों का विरोध


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License