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कोविड-19 : उत्तर प्रदेश और आंकड़ों की गड़बड़ी 
कोविड-19 से संबंधित मामलों की सही संख्या को न बताने की राज्य की अपनी चिंताओं के बावजूद, उत्तर प्रदेश में बढ़ते मामलों की संख्या एक गंभीर तस्वीर पेश कर रही है।
सुभाष राय, पीयूष शर्मा
24 Jul 2020
Translated by महेश कुमार
Yogi
Image Courtesy: Livemint

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार डेटा का प्रबंधन इतनी अच्छी तरह से कर रही है ताकि कोई खबर बाहर न जाए। 17 जून को, एक समाचार के अनुसार, एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री को उनकी अपनी टीम ने सूचित किया कि राज्य में कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या 30 है। बाद में उस दिन संख्या को बड़ी जल्दी से काफी कम कर दिया गया क्योंकि अन्य कारणों से होने वाली मौतों को भी गलत तरीके से कोविड-19 मौतों के रूप में शामिल कर लिया गया था, जो मुख्यमंत्री की नाराज़गी के लिए काफी था।

फिर भी, संख्या बढ़ती जा रही है, मौतों की नहीं, बल्कि पुष्ट मामलों की, हालांकि आगरा और बुलंदशहर में कुछ हद तक वक्र का समतल होना शुरू हो गया है।

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लखनऊ, गौतम बौद्ध नगर, गोरखपुर और कानपुर जिलों में मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

लेकिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मौजूद (एनसीआर), गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर (नोएडा और ग्रेटर नोएडा) दोनों जिले जहां संक्रमण अधिक है विशेष चिंता का विषय रहे हैं।

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गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, मेरठ और बागपत में 21 जुलाई तक राज्य भर के 53,288 मामलों में से 46 प्रतिशत मामले इस पश्चिम क्षेत्र से हैं। बुंदेलखंड की तुलना में गौतम बुद्ध नगर में 4,293 और गाजियाबाद में 4,126, जबकि मेरठ में 1,885 मामले पाए गए और 5,94,638 जांच की गई, जबकि बुंदेलखंड में कुल 54,000 जांच हुई हैं। दो प्रमुख जिलों झांसी में (1,366 मामले) और ललितपुर में (129 मामले) पाए गए हैं जबकि जांच के आंकड़े अनुपलब्ध थे।

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अवध में की गई जांच की संख्या के आधे से भी कम होने पर, राज्य के पशिचम क्षेत्र की तुलना में, कानपुर नगर (2,841 मामले), एक प्रमुख शहरी जिला और राजधानी लखनऊ (4,503 मामलों) के साथ तेजी से हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहा है।

वाराणसी, जो पूर्वांचल में है, में 1,552 पुष्ट मामले पाए गए हैं, जबकि क्षेत्र के अन्य महत्वपूर्ण केंद्र, गोरखपुर में 1,185  मामले मिले हैं। जबकि पूर्वांचल में 26 प्रतिशत मामले मिले है जो अच्छी खबर नहीं है।

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सरकार ने 12 जुलाई, बेतरतीब ढंग से घोषणा कर दी कि जरूरत के हिसाब से वह प्रति दिन 50,000 जांच करेगी। तब से अब तक इसने जो बेहतर किया उसमें 17 जुलाई को की गई  54,000 जाँचे शामिल हैं, केवल वही एक दिन था जब राज्य ने अपने लक्ष्य को पार किया था।

जांच ज़ाहिर है जांच के उपलब्ध ढाँचे से संबंधित है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 144 केंद्र हैं, जो आरटी-पीसीआर और ट्रूनेट जांच करते हैं, इतने बड़े प्रदेश के लिए 119 सरकारी और 28 निजी जांच केंद्र हैं। 

बिगड़ते हालत ने सरकार को मज़बूर कर दिया कि वह सभी सप्ताहांतों में लॉकडाउन रखेगी, लेकिन जाहिर तौर पर बाजारों को सेनिटाइज़ किया जाएगा, और सरकार ने यह भी सुझाव दिया है कि "औद्योगिक इकाइयों को भी शनिवार और रविवार को साफ कर सेनीटाइज़ किया जाए।"

उत्तर प्रदेश की कहानी प्रवासी श्रमिकों और आशा कर्मियों की बिगड़ती स्थिति को उजागर किए बिना पूरी नहीं होती है। देश भर में प्रवासियों श्रमिकों के साथ निराशाजनक व्यवहार के बाद सबसे कठिन कामों में से एक था कि लौटने वाले प्रवासियों को आशा कर्मियों द्वारा ट्रैक किया जाना। उनके तापमान की जांच के लिए सिर्फ एक उपकरण उपलब्ध कराया गया था और नाम के लिए भी कोई अन्य व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण उन्हे नहीं दिया गया था, उन्होंने कथित तौर पर दो चरणों में 30 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को ट्रैक किया। 

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ये अभी भी शुरूआती दिन हैं, और बढ़ती संख्या के चलते प्रशासन के सामने चुनौतियां बहुत बड़ी हैं। सरकार के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह मौतों के साथ-साथ सभी मामलों और जांच के आंकड़ों की सटीक रिपोर्ट करे, ताकि लोग समझ सकें कि हो क्या रहा है और आगे क्या होने वाला है, ताकि सरकार और खुद लोग आने वाली चुनौतियों से लड़ने के लिए अपने को तैयार कर सके।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

COVID-19: Uttar Pradesh and its Problem of Numbers

Coronavirus
COVID-19
UttarPradesh
Yogi Adityanath
yogi sarkar

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