NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली: 20 जुलाई को 20 लाख मज़दूर हड़ताल पर जायेंगे
औद्योगिक इकाइयों और असंगठित क्षेत्र के मज़दूर बेहतर मज़दूरी के लिये और ठेका प्रथा के खिलाफ लड़ रहे हैं।
सुबोध वर्मा
17 Jul 2018
Translated by महेश कुमार
दिल्ली मज़दूरों की हड़ताल

जब बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार और दिल्ली में आप के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बीच युद्ध खबरों चल रही हैं उस वक्त तीसरी हाशिए की ताकत मज़दूर लेकिन संभावित रूप से शक्तिशाली ताकत भारत की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अपनी ताकत की आजमाइश के लिये मैदान में उतर रही है। 11 ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर, 20 लाख से अधिक श्रमिक और कर्मचारी 20 जुलाई को एक दिवसीय हड़ताल पर जाने की योजना बना रहे हैं। लगभग एक दशक बाद दिल्ली में औद्योगिक श्रमिक अपनी मांगों के समर्थन मैं हड़ताल करेंगे, ये हड़ताल  तेजी से खराब होती स्थिति और काम की स्थिति में सुधार के लिये है।

दिल्ली में लगभग 3 लाख सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यम हैं और आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार लगभग 9000 पंजीकृत कारखाने हैं। लेकिन बड़ी संख्या में औद्योगिक इकाइयां बिना किसी आधिकारिक अनुमति के काम करती हैं जो कई लाखों कामगारों को रोजगार देती है। आग की घटनाओं ने हाल ही में  घटनाओं ने ऐसी अवैध इकाइयों में श्रमिकों की त्रासदी का खुलासा किया है। इस वर्ष अकेले ही 28 श्रमिकों को इन आग की गह्त्नओन मैं जान से हाथ धोना पड़ा  हैं।

दिल्ली एक बहुत महंगा शहर है जहां परिवहन, किराया, स्कूल शुल्क, स्वास्थ्य देखभाल आदि श्रमिकों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा खा जाते हैं। चूंकि अधिकांश मज़दूर दूरस्थ गांवों से आये हैं, इसलिए उनकी कमाई का एक हिस्सा गांवों में परिवारों के पास जाता है। अधिकतर कर्मचारी कम से कम नागरिक सुविधाओं के साथ झोपड़ियों में रहते हैं। 10-12 घंटे का कार्य दिवस होता है, जिससे वे बेहतर जीवन नहीं जी पाते हैं, और और उन्हें नौकरी सुरक्षा तथा अत्यधिक दमनकारी व्यवस्था हमेश सताति हैं।

श्रमिकों के लिए मुख्य मुद्दा आधिकारिक रूप से घोषित न्यूनतम मज़दूरी 13,896 रुपये प्रति माह पाने का है। आप सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में मार्च 2017 में इस नए स्तर को अधिसूचित किया गया था। लेकिन विभिन्न उद्योग और व्यापार निकायों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में 37 प्रतिशत की वृद्धि को चुनौती देने का दावा किया और कहा कि यह असहनीय है और उनकी इकाइयों की व्यवहार्यता को नष्ट कर देगा।

विचित्र रूप से, हालांकि अदालत ने मज़दूरी बढ़ाने की अधिसूचना  पर कोई आदेश नहीं दिया, फिर भी आप सरकार ने इसे लागू नहीं किया, भले ही उसने अदालत में बढ़ोतरी के पक्ष ब्यान दिया हो। दिसंबर में सुनवाई समाप्त हो गई, अदालत ने अपना आदेश लको आरक्षित कर दिया, मामले को फिर से खोला गया, और आखिरकार 23 मई 2018 को सुनवाई बंद कर दी। आज तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। इस बीच राज्य सरकार ने भी इसे लागू नहीं किया है।

"असल में, सरकार द्वारा इंडियन ट्रेड यूनियनों (सीआईटीयू) की दिल्ली इकाई के महासचिव अनुराग सक्सेना जो दिल्ली के न्यूनतम वेतन बोर्ड के सदस्य भी हैं नें समझाया कि, "मानदंडों के आधार पर कम से कम 20,000 मासिक मज़दूरी मिलनी चाहिए।" "लेकिन हम सरकार की अपनी ही की गयी घोषणा को लागू करने के लिए लड़ रहे हैं।"

सक्सेना के अनुसार, दिल्ली के नियोक्ताओं के 5 प्रतिशत हिस्से ने संशोधित पैमाने को लागू नहीं किया है। आप सरकार ने, उन्होंने कहा कि उद्योगपति लॉबी के सामने प्रभावी रूप से आत्मसमर्पण कर दिया गया है, भले ही वह गरीबों और लोगों के उन्मुख होने का दावा करता है।

अनजाने में, बीएमएस, जो सत्ताधारी बीजेपी से जुड़ी ट्रेड यूनियन है, वह हड़ताल का आहवान कर्ने वाले  संयुक्त मोर्चे का हिस्सा नहीं है। बीएमएस न केवल अन्य यूनियनों से खुद को अलग रखना चाहती है बल्कि वह आम तौर पर हड़ताल के कदमों नजरअंदाज भी करती है कार्यों और श्रम और पूंजी के बीच तथाकथित सामंजस्यपूर्ण संबंधों के सिद्धांत को आगे बढ़ाती है। यहां तक कि आप के कड़े राजनीतिक विरोध ने इसे उद्योगपति लॉबी के प्रति अपने निष्ठा को बदलने के लिए भी मजबूर नहीं किया है।

मजदूर भी मांग कर रहे हैं कि दिल्ली के श्रम विभाग का कायाकल्प किया जाए और इसे अधिक प्रभावी बनाया जाए। केवल 11 श्रम निरीक्षक हैं (72 स्वीकृत पदों के खिलाफ) जबकि केवल चार कारखाने निरीक्षक हैं। उनके लिए विशाल महानगरों 'औद्योगिक इकाइयों से निपटना असंभव है। सक्सेना का कहना है कि इस स्थिति को जानबूझकर श्रम कानूनों के थोक उल्लंघन की अनुमति देने के लिए बनाया गया है।

ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे द्वारा उठाइ गयी अन्य मांगों में व्यापक रूप से फैले आउट-कॉन्ट्रैक्टिंग सिस्टम का  अंत शामिल है, जिसे सरकार ने अपने कार्यों में लागू किया है। सक्सेना के अनुसार, दिल्ली सरकार के 50-60 प्रतिशत कर्मचारी अब संविदात्मक प्रणाली के तहत काम करते हैं और जिन्हें  कोई नौकरी की सुरक्षा नहि है, सीमित लाभ और कम मज़दूरी है। वे 2015 में 7 वें वेतन आयोग द्वारा अनुशंसित वेतन को न लागू करने पर भी उत्तेजित हैं।

अन्य मांगों में महिला श्रमिकों के लिए समान वेतन और सुविधाएं, आंगनवाड़ी श्रमिकों के नियमितकरण, आशा/यूएसएचए, दिल्ली मेट्रो श्रमिकों की मांगों का निपटान, श्रम विभाग के कार्य में सुधार आदि शामिल हैं।

मज़दूरों की हड़ताल
दिल्ली
मज़दूर संगठन
ठेका मज़दूर
ठेका प्रथा
न्यूनतम वेतन
सामाजिक सुरक्षा
नवउदारवादी नीतियां

Related Stories

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

दिल्ली: दिव्यंगो को मिलने वाले बूथों का गोरखधंधा काफी लंम्बे समय से जारी

जंतर मंतर - सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी द्वारा धरना-प्रदर्शन पर लगी रोक हटाई

दिल्ली के मज़दूरों की एक दिवसीय हड़ताल

क्या भाजपा हेडक्वार्टर की वजह से जलमग्न हो रहा है मिंटो रोड?

दिल्ली का दमकल

भाजपा शासित राज्य: सार्वजनिक परिवहन का निजीकरण

क्या भारत की बैंकिंग प्रणाली तबाही की राह पर है?

दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की माँग पर जनता की राय

दिल्ली में कक्षा 12वीं तक ईडब्ल्यूएस छात्र शिक्षा ले सकतें है?


बाकी खबरें

  • covid
    संदीपन तालुकदार
    जानिए ओमिक्रॉन BA.2 सब-वैरिएंट के बारे में
    24 Feb 2022
    IISER, पुणे के प्रख्यात प्रतिरक्षाविज्ञानी सत्यजित रथ से बातचीत में उन्होंने ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट BA.2 के ख़तरों पर प्रकाश डाला है।
  • Himachal Pradesh Anganwadi workers
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिमाचल प्रदेश: नियमित करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरीं आंगनबाड़ी कर्मी
    24 Feb 2022
    प्रदर्शन के दौरान यूनियन का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिला व उन्हें बारह सूत्रीय मांग-पत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने आगामी बजट में कर्मियों की मांगों को पूर्ण करने का आश्वासन दिया। यूनियन…
  • Sulaikha Beevi
    अभिवाद
    केरल : वीज़िंजम में 320 मछुआरे परिवारों का पुनर्वास किया गया
    24 Feb 2022
    एलडीएफ़ सरकार ने मठीपुरम में मछुआरा समुदाय के लोगों के लिए 1,032 घर बनाने की योजना तैयार की है।
  • Chandigarh
    सोनिया यादव
    चंडीगढ़ के अभूतपूर्व बिजली संकट का जिम्मेदार कौन है?
    24 Feb 2022
    बिजली बोर्ड के निजीकरण का विरोध कर रहे बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान लगभग 36 से 42 घंटों तक शहर की बत्ती गुल रही। लोग अलग-अलग माध्यम से मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन प्रशासन पूरी तरह से लाचार…
  • Russia targets Ukraine
    एपी
    रूस ने यूक्रेन के वायुसेना अड्डे, वायु रक्षा परिसम्पत्तियों, सैन्य आधारभूत ढांचे को बनाया निशाना, अमेरिका-नाटो को चेताया
    24 Feb 2022
    रूस के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि सेना ने घातक हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन के वायुसेना अड्डे, वायु रक्षा परिसम्पत्तियों एवं अन्य सैन्य आधारभूत ढांचे को निशाना बनाने के लिये किया है। उसने आगे दावा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License