NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली के दरवाज़े पर ‘किसान क्रांति यात्रा’, लेकिन प्रवेश की इजाज़त नहीं
कर्ज़ माफ़ी और बिजली के दाम घटाने जैसी कई मांगों को लेकर हरिद्वार से ‘किसान क्रांति यात्रा’ लेकर दिल्ली कूच पर निकले इन किसानों का ऐलान है कि गांधी जयंती 2 अक्टूबर को राजघाट से संसद तक मार्च किया जाएगा।
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
01 Oct 2018
किसान क्रांति यात्रा
Image Courtesy: navjivan

देश के किसान एक बार फिर राजधानी दिल्ली में दस्तक दे रहे हैं, लेकिन हर बार कि तरह इस बार भी सरकार उनके प्रति वही संवेदनहीन रवैया अपनाए हुए है और उन्हें दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं है। 

कर्ज़ माफ़ी और बिजली के दाम घटाने जैसी कई मांगों को लेकर हरिद्वार से ‘किसान क्रांति यात्रा’ लेकर दिल्ली कूच पर निकले इन किसानों का ऐलान है कि गांधी जयंती 2 अक्टूबर को राजघाट से संसद तक मार्च किया जाएगा।

दिल्ली पुलिस ने इसके लिए इजाज़त देने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है। और राजघाट और संसद के आसपास सुरक्षा इंतजाम भी कड़े कर दिए गए हैं। साथ ही गाजीपुर और महाराजपुर बॉर्डर को भी सील कर दिया गया है, ताकि किसान दिल्ली में प्रवेश न कर पाएं।

भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर देशभर के हजारों किसानों ने 23 सितंबर को हरिद्वार में हर की पैड़ी स्थित टिकैत घाट से दिल्ली के लिए कूच किया था। इस पदयात्रा में यूपी के अलावा पंजाब, हरियाणा के किसान ज़्यादा संख्या में शामिल हैं। इनके अलावा बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान भी इस यात्रा के साथ हैं। आज, सोमवार दोपहर तक यह किसान यात्रा यूपी में गाज़ियाबाद में मोहननगर मोड़ तक पहुंच गई थी। यहां जिला प्रशासन किसानों को मनाने में लगा है कि वे किसी तरह अपनी यात्रा समाप्त कर दें।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष जावेद तोमर का कहना है कि प्रदेश सरकार की तरफ से एक बार फिर वार्ता का प्रस्ताव दिया जा रहा है लेकिन ये सब प्रस्ताव मीठी गोली के सिवा कुछ भी नहीं। किसान अपनी मांगों को लेकर ठोस कार्रवाई चाहता है, न कि बार-बार सिर्फ झूठे आश्वासन। उन्होंने कहा कि आज रात किसान यात्रा साहिबाबाद मंडी में रुकेगी और सुबह दिल्ली के राजघाट के लिए कूच किया जाएगा।  

यह पूछे जाने पर कि दिल्ली पुलिस उन्हें दिल्ली में प्रवेश नहीं करने देगी तो वे क्या करेंगे? भाकियू नेता ने कहा कि “हम गांधीवादी तरीके से जितना हो सकेगा इसका विरोध करेंगे।”  

हालांकि इस स्थिति को देखते हुए टकराव की संभावना बन रही है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिवंगत महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत का भी कहना है कि किसान क्रांति यात्रा गांधी जी के सिद्धांतों के मुताबिक बिल्कुल शांतिपूर्ण ढंग से निकाली जा रही है और गांधी जयंती पर बापू की समाधि राजघाट पर फूल चढ़ाकर संसद की तरफ मार्च किया जाएगा।

किसान-मज़दूरों की सुनवाई नहीं

आपको बता दें कि किसान बार-बार देश की राजधानी दिल्ली में दस्तक दे रहे हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इससे पहले अभी पिछले महीने 5 सिंतबर को किसान-मज़दूरों की एक बड़ी रैली दिल्ली पहुंची थी। तीन मज़दूर और किसान संगठन- सीटू, ऑल इंडिया किसान सभा और ऑल इंडिया एग्रीकल्चरल वर्कर्स एसोसिएशन; के नेतृत्व में निकाली गई इस 'मज़दूर-किसान संघर्ष रैली' में कई लाख किसान और मज़दूर शामिल हुए थे।

इस रैली का मकसद भी किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाना, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करवाना, छोटे-मंझौले किसानों के लिए कर्ज़माफ़ी और मज़दूरों के लिए न्यूनतम मज़दूरी की मांग ही था।

इससे पहले मार्च महीने में महाराष्ट्र के किसानों ने नासिक से मुंबई कूच किया था। 7 मार्च से नासिक से शुरू हुआ ये मार्च 180 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद मुंबई पहुंचा। उस समय ज़ख़्मी लहूलुहान पांव लिए चल रहे महिला-पुरुष किसानों की तस्वीरें सोशल मीडिया के जरिये देशभर में छा गईं थी। पांव में फफोले लिए किसानों की तस्वीरों ने सभी को हिला दिया था लेकिन सरकार नहीं पसीजी। हर बार की तरह सिर्फ आश्वासन दिए गए। 

इस बीच जून में मंदसौर गोलीकांड की बरसी पर मध्य प्रदेश के किसानों समेत कई राज्यों के किसानों ने 10 दिन ‘गांव बंद’ आंदोलन किया। आखिरी दिन भारत बंद भी किया गया। लेकिन किसी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा।

आपको यह भी याद होगा कि 2017 में तमिलनाडु के किसानों ने जंतर-मंतर पर लगातार करीब 40 दिन धरना दिया था। सूखे की मार से पीड़ित ये किसान आत्महत्या करने वाले अपने परिजनों के कंकाल लेकर दिल्ली पहुंचे थे और सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए तरह-तरह से प्रदर्शन किया था लेकिन तमिलनाडु और केंद्र सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। हां उस समय तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने आश्वासन देकर ये आंदोलन खत्म ज़रूर करा दिया था, लेकिन मांगें पूरी न होने पर ये किसान फिर जुलाई, 2017 में दिल्ली आए थे।

किसान बार-बार दिल्ली आकर अपनी मांगें रख रहे हैं लेकिन उनकी हालत में कोई बदलाव नहीं आ रहा। ये तब है जब केंद्र सरकार से लेकर हर राज्य सरकार रात-दिन किसान हितैषी होने का दावा कर रही है।

हर राज्य सरकार की तरह यूपी की योगी सरकार भी कहती है कि उसने कई लाख किसानों का कर्जा माफ कर दिया,  उपज का दाम दिला दिया। केंद्र की मोदी सरकार भी रबी के बाद खरीफ फसल का भी ड्योढ़ा दाम करने और किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दावा करते नहीं थकती। लेकिन हकीकत इससे उलट है।

भारतीय किसान यूनियन जिसके नेतृत्व में इस बार ये किसान क्रांति यात्रा निकल रही है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश उसका मुख्यरूप से गढ़ है। इसी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिसे गन्ना बेल्ट कहा जाता है वहां अभी पिछले दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना किसानों को सलाह दी थी कि गन्ना कम उगाएं क्योंकि इससे शुगर की बीमारी होती है। उनकी इसकी सलाह का गन्ना किसानों ने पुरज़ोर विरोध किया था और उनसे पूछा था कि गन्ना न उगाएं तो खाएं क्या, बच्चों को खिलाएं क्या। आपको बता दें कि इस इलाके कि मिट्टी और आबो-हवा गन्ने के लिए ही सबसे ज्यादा अनुकूल है। लेकिन हाड़ तोड़ मेहनत कर गन्ना उगाने वाले किसान जिससे देश को चीनी मिलती है, उनका हज़ारों करोड़ बकाया सरकारी और प्राइवेट चीनी मिलों पर बकाया है।

किसानों की मुख्य मांगें

  • स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट जल्द लागू की जाए।
  • शुगर मिलों से बकाया गन्ना भुगतान तुरंत दिया जाए।
  • भुगतान में 14 दिन से ज्यादा देरी होने पर किसान को ब्याज मिले।
  • किसानों को गन्ना मूल्य 450 रुपये कुतंल मिले।
  • 10 साल पुराने ट्रैक्टरों को तोड़ने का फैसला वापस लिया जाए।
  • किसानों को 60 साल बाद नौकरी करने वालों की तर्ज पर पेंशन मिले।
  • किसानों की फसल का वाजिब दाम बाजार दर के मुताबिक मिले।
  • बिजली की बढाई गई दरों को तुरंत वापस लिया जाए।

एक आकंड़े के मुताबिक देश भर में गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर करीब 17 हजार करोड़ रुपया बकाया है। इसमें अकेले यूपी में करीबी 11 हजार करोड़ रुपये किसानों का बकाया है।

यूपी चुनावों में बीजेपी का वादा था कि गन्ने का भुगतान 14 दिन के भीतर कराया जाएगा और ऐसा न होने पर बकाया रकम पर ब्याज़ दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

इसके अलावा पेट्रोल-डीज़ल और रसोई गैस की तर्ज पर ही घरेलू और खेती के काम के लिए बिजली के दाम भी यूपी समेत पूरे देशभर में तेज़ी से बढ़े हैं, यूपी में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि है, जिसने किसान-मज़दूर सभी की कमर तोड़ दी है। 

kisan andolan
BKU
KISAN KRANTI YATRA
Delhi
GANNA KISAN

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया

विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?

केवल विरोध करना ही काफ़ी नहीं, हमें निर्माण भी करना होगा: कोर्बिन

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?


बाकी खबरें

  • padtal dunia ki
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोलंबिया में लाल को बढ़त, यूक्रेन-रूस युद्ध में कौन डाल रहा बारूद
    31 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की' में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने लातिन अमेरिका के देश कोलंबिया में चुनावों में वाम दल के नेता गुस्तावो पेत्रो को मिली बढ़त के असर के बारे में न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर…
  • मुकुंद झा
    छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"
    31 May 2022
    एनईपी 2020 के विरोध में आज दिल्ली में छात्र संसद हुई जिसमें 15 राज्यों के विभिन्न 25 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए। इस संसद को छात्र नेताओं के अलावा शिक्षकों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?
    31 May 2022
    आज अभिसार शर्मा बता रहे हैं के सरकारी एजेंसियों ,मसलन प्रवर्तन निदेशालय , इनकम टैक्स और सीबीआई सिर्फ विपक्ष से जुड़े राजनेताओं और व्यापारियों पर ही कार्रवाही क्यों करते हैं या गिरफ्तार करते हैं। और ये…
  • रवि शंकर दुबे
    भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़
    31 May 2022
    अटल से लेकर मोदी सरकार तक... सदन के भीतर मुसलमानों की संख्या बताती है कि भाजपा ने इस समुदाय का सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया है।   
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार
    31 May 2022
    अदालत ने 30 मई की शाम सभी महिला वादकारियों को सर्वे की रिपोर्ट के साथ वीडियो की सीडी सील लिफाफे में सौंप दी थी। महिलाओं ने अदालत में यह अंडरटेकिंग दी थी कि वो सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो कहीं…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License