NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली की हर दिशा हर सड़क पर उमड़ा किसानों का सैलाब
अपनी फसल का ही नहीं, जीवन का अधिकार मांगने आज देशभर के किसान दिल्ली पहुंच गए हैं। ये किसान आज पूरी दिल्ली में पैदल मार्च करते हुए रामलीला मैदान में जमा हुए हैं, जहां से ये शुक्रवार को संसद के लिए कूच करेंगे।
मुकुंद झा
29 Nov 2018
#kishanMuktiMarch

आज किसान मार्च में पशुपालन करने वाले किसानों ने अपने जीवन से जुड़े कई अन्य गंभीर मुद्दे भी उठाये। हिमाचल के कुल्लू से आईं महिला किसान माली देवी ने कहा कि महिलाएँ सुबह से शाम तक पशुओं के देखभाल करती हैं और चराने के लिए जाती हैI कई बार दुर्घटना में उनकी मौत भी हो जाती है लेकिन उनके लिए किसी भी प्रकार के बीमा की कोई सुविधा नहीं हैI

माली देवी की एक अन्य साथी ने कहा कि दूध की कीमत उनकी मेहनत और लागत के मुकाबले बहुत ही कम है और जो कुछ मिलता भी है वह भी भ्रष्टाचार के कारण पूरा नहीं मिलताI उन्होंने कहा कि “हमारा दूध पानी से भी सस्ता है। एक लीटर पानी कीमत कम से कम20 रुपये है जबकि  किसानों को उनके एक लीटर दूध की कीमत 14 से 16 रुपये दी जाती है। बाद में उससे क्रीम निकालकर 45 से 50 रुपये प्रति लीटर बेचा जाता हैI एक लीटर दूध उत्पादन की लागत ही कम से कम  20 रुपये है। किसान को उसकी लागत भी नहीं मिलती हैं। हम अपने उताप्दन के उचित मूल्य लेने के लिए दिल्ली आये है।

85 वर्ष से अधिक उम्र के नालंदा के कामदेव प्रसाद ने पूर्वी दिल्ली में आनंद विहार रेलवे स्टेशन से दिल्ली में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों को धोखा दे रही है, इसलिए किसानों की न्याय के लिए लड़ाई जारी है। उन्होंने कहा, "मैंने देखा है कि बहुत से लोग किसानी से परेशान होकर  आत्महत्या कर चुके हैं, लेकिन अब सरकार को हिलाने और अपनी आवाज सुनाने का समय है।"

किसान बाबा.jpg

पंजाब से आये किसान जनरैल सिंह ने कहा कि जिस तरह से लगातर डीजल के दाम बढ़ रहे हैं जिससे हम किसानों के लिए खेती करना बहुत ही महंगा हो गया है। इसलिए सरकारों को इस पर सब्सिडी देनी चाहिए। इसके साथ ही आवारा पशुओं की गंभीर समस्या का जिक्र किया जो उनकी फसल को तबाह कर देते है।

किसानों के एक जत्थे का नेतृत्व कर रहे किसान सभा के नेता व सीपीएम के विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि आज के समय में किसान संकट सबसे गंभीर है। आज रोजाना किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है। इसलिए आज किसान दिल्ली आया है कि उसकी जीविका कैसे चलेगी। वह अपनी जीविका को बचाने आया है। अपने संघर्ष को तेज़ करने आया है।

इस प्रकार से पूरे देश से आए किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में पूर्ण कर्जा माफी औरफसल की लागत से डेढ़ गुना दाम की मुख्य मांग को लेकर दिल्ली पहुंचे हैं। ये किसान गुरुवार को रामलीला मैदान में जमा हो रहे हैं। इसके लिए दिन भर दिल्ली के अलग-अलग स्थानों से रामलीला मैदान के लिए कूच हुआ।

हरियाणा.jpg

दिल्ली के लिए यह बिल्कुल नया था जब दिल्ली की सड़कों पर किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की चारों दिशाओं से पैदल मार्च कर रहे थे। दिल्ली में उत्तरी दिल्ली से हिमाचल, पंजाब व उत्तराखंड के किसान, पश्चिम से हरियाणा के किसान, पूर्वी दिल्ली से बिहार उत्तर प्रदेश, आसाम और उड़ीसा के किसान और दक्षिण दिल्ली की ओर से केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य दक्षिणी व पश्चिम के राज्यों से किसानों ने दिल्ली में प्रवेश किया।

इससे पहले हमने ऐसा ही नज़ारा मुंबई में देखा था, जहाँ हजारों किसान अखिल भारतीय किसान सभा के लाल झंडे लेकर नासिक से पैदल मार्च करते हुए मुंबई पहुचे थे। वहाँ भी किसानों का स्वागत बहुत उत्साह के साथ किया गया था। दिल्ली की जनता ने भी किसानों का स्वागत बड़े ही जोश के साथ किया। चाहे वो दिल्ली के छात्र, शिक्षक, वकील हों या कोई और वर्ग। सभी सुबह से दिल्ली में किसानों के मार्च के रास्ते में उन्हें पीने का पानी, बिस्किट, खाने के पैकट 
और फल लेकर उनके साथ उनका इंतजार कर रहे थे।

IMG-20181129-WA0003.jpg

किसान मांग कर रहे हैं कि कृषि संकट पर संसद का विशेष सत्र बुलाकर चर्चा की जाए। साथ ही किसान पेंशन, वन अधिकार कानून के तहत आदिवासी किसानों के लिए ज़मीन के पट्टे और स्वामीनाथन कमेटी की बाकी सिफ़ारिशों को लागू किया जाए।

 

 

 

 

#kisanmuktimarch
farmer crises
Delhi
AIKS
farmers protest

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया

मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • BJP
    अनिल जैन
    खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं
    01 May 2022
    राजस्थान में वसुंधरा खेमा उनके चेहरे पर अगला चुनाव लड़ने का दबाव बना रहा है, तो प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया से लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इसके खिलाफ है। ऐसी ही खींचतान महाराष्ट्र में भी…
  • ipta
    रवि शंकर दुबे
    समाज में सौहार्द की नई अलख जगा रही है इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा
    01 May 2022
    देश में फैली नफ़रत और धार्मिक उन्माद के ख़िलाफ़ भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) मोहब्बत बांटने निकला है। देशभर के गावों और शहरों में घूम कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जा रहे हैं।
  • प्रेम कुमार
    प्रधानमंत्री जी! पहले 4 करोड़ अंडरट्रायल कैदियों को न्याय जरूरी है! 
    01 May 2022
    4 करोड़ मामले ट्रायल कोर्ट में लंबित हैं तो न्याय व्यवस्था की पोल खुल जाती है। हाईकोर्ट में 40 लाख दीवानी मामले और 16 लाख आपराधिक मामले जुड़कर 56 लाख हो जाते हैं जो लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट की…
  • आज का कार्टून
    दिन-तारीख़ कई, लेकिन सबसे ख़ास एक मई
    01 May 2022
    कार्टूनिस्ट इरफ़ान की नज़र में एक मई का मतलब।
  • राज वाल्मीकि
    ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना
    01 May 2022
    “मालिक हम से दस से बारह घंटे काम लेता है। मशीन पर खड़े होकर काम करना पड़ता है। मेरे घुटनों में दर्द रहने लगा है। आठ घंटे की मजदूरी के आठ-नौ हजार रुपये तनखा देता है। चार घंटे ओवर टाइम करनी पड़ती है तब…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License