NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दलित आन्दोलन को बदनाम करने की साज़िश
2 अप्रैल 2018 के भारत बंद में हुइ हिंसा से किसको क्या मिला या किसने इस हिंसा का फायदा उठाया?
मुकुंद झा
06 Apr 2018
Dalits Protest

2 अप्रैल 2018 के भारत बंद के दौरान हुई हिंसा से किसे क्या मिला या किसने इस हिंसा का फयदा उठाया? जब हम भारत में दलित आंदोलन देखते हैं तो पाते हैं कि पिछले कुछ वर्षो में इनके आंदोलनों ने एक बार फिर से गति पकड़ी है | जब हम देख रहे हैं कि इन आंदोलनों की व्यापकता बढ़ी है और इनके आन्दोलन में एक बड़ा बदलाव है कि अब ये पहले से कहीं तेज़ और आक्रमक है | इसके कई करण है पर कई दलित विचारक मानते हैं कि इसका सबसे बड़ा कारण है  देश में पहली बार हिंदूवादी विचार को सत्ता का प्रत्यक्ष और भरपूर संरक्षण मिलना |

2014 के आम चुनाव के बाद देश में पहली बार भाजपा को पूर्ण बहुमत के सथा सत्ता में आने का मौका मिला, जिसके बाद से ही उससे जुड़े कई  कट्टर हिन्दूवादी संगठन जैसे हिन्दू युवावह्नी, बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद आदि तमाम संगठनों द्वारा देश के अलग-अलग शहरों में जाति और धर्म के नाम पर लोगों पर हमले तेज़ हो गये | इन हमलों का सबसे अधिक शिकार दलित और अल्पसंख्यक समाज हुआ, इसी कारण समाज के इस सबसे निचले तबके में अपने ऊपर हो रहे हिंसक हमलों से आक्रोश बढ़ रहा है और वो अलग-अलग राज्यों में आन्दोलन के रूप में अपना रोष विरोध प्रदर्शनों के द्वार प्रकट कर रहे है |

अगर हम देख तो भारत में आय दिन कोई ना कोई  दक्षिणपंथी संगठन किसी न किसी मुद्दे पर हिंसक आन्दोलन करते रहते है चाहे वो करनी सेना का पद्मावती फ़िल्म पर पुर देश में हिंसक आन्दोलन हो या फिर बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद द्वार देश रोज़ गायके नाम पर लोगो की हत्या और मार-पिट करना आम बात है, पर इस पर सरकार कुछ नही बोलती है | क्योंकि ये अधिकतर वो संग्ठन जो भाजपा के सहयोगी और बिरादराना संगठन है |

जबकी 2 अप्रैल को देशव्यापी बंद के दौरान  कुछ राज्यों में हुई कुछ हिंसक घटनाओं को इतना बढ़ा चढ़ा कर बताया जा रहा है जैसे देश में इससे पूर्व कभी भी इस तरह की हिंसक विरोध हुए ही नहीं है | जबकी कुछ रिपोर्टों की माने तो बंद के दौरान हिंसा करने वाले दलित संगठन के नहीं थे बल्कि वो आरएसएस और कई अन्य हिन्दूवादी संगठन के लोग थे | इसके बाबजूद भी इस आन्दोलन में हुई हिंसा को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता |

इन हिंसक घटनाओं से इस आन्दोलन के मुख्य उद्देश्य को भुला कर पूरा ध्यान हिंसा की ओर मोड़ दिया है | सरकार और सारे हिन्दूवादी संगठन हिंसा को लेकर  पूरे आन्दोलन की आलोचना कर रहे है ,इसके साथ ही वो अपने मनुवादी ऐजेंडे को आगे कर के पुरे दलित आंदोलनों को दबाने का प्रयास कर रही है | जबकी हिंसा इस आन्दोलन का आधार नहीं था बल्कि कई ऐसी भी खबरे आई की भिड़ को पुलिस और कई जगह पर सवर्णों ने उन्हें उकसाय जिसके परिणाम स्वरूप हिंसा हुई | कई जगह दलित ही हिसा का शिकार हो गये | ये दिखता है की हिंसा एकतरफा नही था |

इस आन्दोलन की आड़ लेकर  आरएसएस,भाजपा ,और इन से जुड़े संघटन दलितो के अधिकारों को खत्म करने की बात कर रहे है | सोशल मिडिया में इनकी ट्रोल सेना पूरी तरह सक्रिय हो गई है | ये दलित आदिवासी के मिले संवैधानिकआरक्षण को खत्म करने का प्रचार कर रही है | साथ ही वो इन हिंसक घटनाओ का सहारा ले कर ,पिछले कई वर्षो से हो रहे दलितों पर अत्याचार को भी सही ठहरने का प्रयास कर रहे हैं |

इन सब में सरकार भी इनका पूरा साथ देती हुई दिख रही है,क्योकि सरकार रोज़गार,किसान ,एसएससी स्कैम ,सीबीएसई लिक पिनबी घोटाल जैसे कई मुद्दो पर बुरी तरह  से घिरी हुई थी | इस बिच में इस बंद के दौरान हुई हिंसा को आगे करके एन सभी मुद्दो को पीछे करना चाहती है |जिसमे वो काफी हद तक सफल हो रही है क्योकि उन्हें इसमे मुख्यधार के मिडिया संगठनों का भी भरपूर साथ मिल रहा हैं |

 इस आन्दोलन की आड़ में सरकार बड़े ही सतिर तरीके से  अपने रोज़गार  देने की विफलता को छिपा रही है |भाजपा के कई नेता कई  बार गाहे बगाहे  ये कहते है कि युवाओ को नौकरी आरक्षण के करण नही मिल रहा है |सारी  नौकरी आरक्षण वाले खा जाते है |जबकि सत्य यह है कि मोदी सरकार ने चुनाव पुर्व साल में 2 करोड़ नौकरी का वाद किया था, पर वो अपने अब तक के अपने पुरे कार्यकाल में 2करोड़ नौकरी नहीं दे पाए है | इसलिऐ वो युवाओ को आरक्षण के नाम पर भ्रमित कर रहे है ,बेरोजगार युवकों को आरक्षित और अनारक्षित में बांटकर उनके गुस्से से बचना चाहती हैं | परन्तु आज के युवा सज़ग है और वो इनके इस दुष्प्रचार में नहीं फसेंगे |

इन सब पर दलित विचारकऔर कार्यकर्ता अनिल  चमड़िया ने अपने फेसबुक पर कहा की “2 अप्रैल को सामाजिक स्तर जातीय पूर्वाग्रहों, प्रशासन का एकपक्षीय रवैया और मीडिया के भीतर दलित विरोधी मानसिकता का एक बहुस्तरीय ढांचा सक्रिय दिखाई दिया है। दो अप्रैल को देश की सामाजिक स्थिति को बदलने के लिए दलितों के बीच चेतना के विस्तार होने के साफ-साफ संकेत मिलते हैं। उसके खुद पर देशव्यापी निर्भरता का भरोसा बढ़ने का सबूत मिलता है”।

Dalits Protest
Bharat Bandh
RSS
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License