NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों ने प्रदर्शन किया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
17 May 2022
delhi

दिल्ली के ट्रेड यूनियनों ने मंगलवार को संयुक्त रूप से पश्चिमी दिल्ली के मुंडका अग्निकांड को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। ट्रेड यूनियनों ने राजधानी के उपमुख्यमंत्री और श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की मांग को लेकर उनके निवास के बाहर मथुरा रोड पर प्रदर्शन किया। यूनियनों ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने अतीत में राष्ट्रीय राजधानी को हिला देने वाली औद्योगिक आग की घटनाओं से “कोई सबक” नहीं सीखा। प्रदर्शन का आह्वान HMS, CITU, SEWA, AICCTU, LPF, MEC, IFTU और ICTU ने किया था ।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ताज़ा घटना जिसमें 50 लोगों (सरकारी आकड़ों के मुताबिक़ कम से कम 27 मौतों की पुष्टि हुई है) की जान चली गई, जबकि कई अन्य के लापता होने की ख़बर है, ये घटना शहर के श्रमिकों के प्रति दिल्ली सरकार की "पूरी तरह से गैर ज़िम्मेदाराना और असंवेदनशील व्यवहार" को दर्शाती है। उन्होंने कहा इस दर्दनाक घटना के लिए श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

इसे भी पढ़े:  मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?

पश्चिमी दिल्ली के मुंडका में रोहतक रोड पर एक तीन मंजिला इमारत पिछले हफ्ते शुक्रवार को एक कथित शॉर्ट सर्किट के कारण जलकर खाक हो गई थी। राजधानी में पिछले कई सालों में घटी कई घटनाओं में ये सबसे भयावह थी।

प्रारंभिक जांच से पता चला है कि इमारत की पहली मंजिल पर आग लगी थी, जहां सीसीटीवी कैमरे और वाई-फाई राउटर बनाए जाते थे। जोकि कानूनी रूप से गलत था क्योंकि ये एक तरह की कमर्शियल बिल्डिंग थी जिसमें अवैध रूप से कारखाना चल रहा था।

ट्रेड यूनियन के नेताओं का कहना है कि फैक्ट्री में अंदर-बाहर जाने के लिए केवल एक ही रास्ता था जो कि कारखाना अधिनियम, 1948 के नियमों के विरुद्ध है। कमर्शियल स्पेस का इस्तेमाल औद्योगिक उत्पादन कार्य के लिए किया जा रहा था, जो कि गैर-कानूनी है। कारखाना अधिनियम के तहत बने ‘‘सेफ्टी मैनुअल‘‘ का उल्लंघन हो रहा था जिसके लिए दिल्ली सरकार का फैक्ट्री इन्सपैक्टोरेट जिम्मेदार है। मृतक प्रवासी मज़दूर थे जिनके मालिक ने न तो सही रिकार्ड बनाए थे और न ही ईएसआई एवं पीएफ लागू किया गया था। इसके लिए दोषी मालिक व श्रम विभाग तथा ईएसआई एवं पीएफ विभाग के अधिकारी जिम्मेदार है।

शुक्रवार की आग ने इमारत की वैधता को भी सवालों के घेरे में ला दिया है, क्योंकि ये लाल डोरे की ज़मीन पर अवैध इमारत थी।

मंगलवार को, प्रदर्शनकारी यूनियनों ने सवाल उठाया कि दिल्ली सरकार द्वारा पहले सुरक्षा मानदंडों और कानूनी प्रावधानों के खुलेआम उल्लंघन के खिलाफ उचित कदम क्यों नहीं उठाए गए। उन्होंने डिप्टी सीएम सिसोदिया के कार्यालय को सौंपे गए एक संयुक्त ज्ञापन में कहा “मुंडका में इमारत बनाने की अनुमति कैसे दी गई?  इसके लिए जिम्मेदार एजेंसियां कहां हैं? जो उत्पादन [इकाई में] कानूनों के विरुद्ध चल रहा था, उसके लिए कौन सा सरकारी विभाग जिम्मेदार हैं?  फैक्ट्रियों के सुरक्षा नियमावली के तहत निर्धारित सुरक्षा नियमावली और अन्य श्रम कानूनों को लागू क्यों नहीं किया गया... ।”

सीटू दिल्ली के राज्य महासचिव ने कहा ये महत्वपूर्ण प्रश्न हैं, जिनके उत्तर सिसोदिया द्वारा जनता को उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

उन्होंने तर्क दिया, "यदि श्रम कानूनों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए औद्योगिक इमारतों में पहले से ही उचित निरीक्षण किया गया होता, तो शुक्रवार की घटना को टाला जा सकता था," उन्होंने तर्क दिया कि यूनियनों को मंगलवार को सुबह मज़दूरों की सुरक्षा के सवाल पर डिप्टी सीएम से मिलने की उम्मीद थी। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, क्योंकि सिसोदिया इस समय हिमाचल प्रदेश के शिमला के दौरे पर है।

इसे भी पढ़े: फिर हादसा, फिर मौतें : लगातार ख़तरनाक़ होती जा रही हैं दिल्ली की फैक्ट्रियां

मज़दूर नेताओ ने इसे मज़दूरों की हत्या बताते हुए कहा इसके लिए एमसीडी, दिल्ली सरकार का श्रम विभाग, फायर डिपार्टमेंट समेत अनेकों सरकारी एजेंसियां जिम्मेदार हैं। लेकिन बतौर श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते। ज्ञात हो कि ट्रेड यूनियनों द्वारा बार-बार कार्यक्षेत्र पर मज़दूरों की सुरक्षा जैसे सवालों को लेकर पत्राचार करने के बावजूद मनीष सिसोदिया ने अपने पूरे कार्यकाल में एक बार भी ट्रेड यूनियनों या विभिन्न श्रमिक बोर्डों की बैठक आयोजित नहीं की है।

दिल्ली के ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की तरफ से मनीष सिसोदिया को ज्ञापन सौंपा गया। उन्होंने दिल्ली के उप राज्यपाल से मिलकर हस्तक्षेप की मांग करेंगे। क्योंकि विभिन्न सरकारी एजेंसियों को अपने पास बुलाकर ट्रेड यूनियन संगठनों के साथ वार्ता आयोजित की जाए जिससे भविष्य में ऐसी त्रासद घटना दुबारा न घट सके।

यूनियनों ने मंगलवार को यह भी मांग की- कि अपने प्रियजनों को खोने वालों के परिवारों को 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। जबकि घायलों को 5 लाख रुपये मुआवज का भुगतान किया जाना चाहिए।

शनिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुआवजे की घोषणा की थी। जिसके मुताबिक मुंडका अग्निकांड में मृतक के परिजन को 10 लाख और घायल हुए लोगों को 50,000 रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की है।

इस बीच दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा कि उसने अब तक उन कुल 26 लोगों के जैविक नमूने ‘डीएनए प्रोफाइलिंग’ के लिए एकत्रित किये हैं जिनके परिवार के सदस्यों के बाहरी दिल्ली के मुंडका में एक इमारत में लगी आग में मारे जाने की आशंका है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए कुल 26 नमूने एकत्रित किये गये हैं। फोरेंसिक विशेषज्ञ डीएनए प्रोफाइलिंग करेंगे।’’

दिल्ली पुलिस ने रविवार को कहा था कि उसने कम से कम 20 लोगों के जैविक नमूने डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए जमा किये हैं, जिनके परिवार के सदस्यों के अग्निकांड में मारे जाने की आशंका है।

इसे भी पढ़े: मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?

अधिकारियों ने बताया था कि इनमें उन आठ लोगों के परिजन भी शामिल हैं जिनकी पहचान पहले ही हो चुकी है।

इस मामले में इमारत के मालिक मनीष लकड़ा को घटना के दो दिन बाद रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस उपायुक्त (बाहरी) समीर शर्मा ने रविवार को कहा, ‘‘हमें सूचना मिली थी कि लकड़ा उत्तराखंड स्थित हरिद्वार जा रहा है। हमने जाल बिछाया और दिल्ली तथा हरियाणा में कई जगहों पर छापे मारकर उसे घेवरा मोड़ पर पकड़ लिया।’’

दूसरी तरफ दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुंडका अग्निकांड की मजिस्ट्रेट से जांच की मंजूरी दे दी है। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह जांच छह सप्ताह में पूरी करनी होगी।

trade unions
MANISH SISODIA
Mundka Fire
delhi government
AAP
CITU

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन

दक्षिण अफ्रीका में सिबन्ये स्टिलवाटर्स की सोने की खदानों में श्रमिक 70 दिनों से अधिक समय से हड़ताल पर हैं 

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License