NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
‘हिरासत केन्द्रों’ में 'नज़रबंद’ : जम्मू में रह रहे रोहिंग्या डर के साये में!
‘हिरासत केन्द्रों’ में 'नजरबंद' रखे जाने की घटना के बाद से जम्मू में रह रहे प्रताड़ित रोहिंग्याओं के बीच में खौफ़ छाया हुआ है। करीब 168 रोहिंग्या शरणार्थी जो म्यांमार के उत्पीड़न की मार से बचकर जम्मू में रह रहे थे। उन्हें शनिवार 6 मार्च को कथित तौर पर “सत्यापन प्रकिया’’ के लिए एक स्थान पर इकट्ठा किया गया और बाद में हिरासत में ले लिया गया। 
सागरिका किस्सू
09 Mar 2021
‘हिरासत केन्द्रों’ में 'नज़रबंद’!
तस्वीर साभार: याहू न्यूज़ 

जम्मू-कश्मीर (जे एंडके) पुलिस के निर्देशों का पालन करते हुए 6 मार्च की शाम को एक रोहिंग्या शरणार्थी  मोहम्मद अब्दुल ने अपने 26 वर्षीय बेटे, मोहम्मद यासीन को चन्नी राम पुलिस लाइन में सत्यापन के लिए भेजा था। यह जम्मू के उन इलाकों में से एक है जहाँ पर प्रवासी आकर बसे हुए हैं। दो दिन बाद जाकर अब्दुल को सूचित किया गया कि उनके बेटे को जो कि एक दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करता है, उसे हिरासत में ले लिया गया है और ‘हिरासत केंद्र’ में भेज दिया गया है।

करीब 168 रोहिंग्या शरणार्थियों को जो म्यांमार में उत्पीड़न से बच कर निकल भागने में सफल रहे थे और जम्मू में रह रहे थे, उन्हें कथित तौर पर शनिवार, 6 मार्च के दिन “सत्यापन प्रक्रिया” के एक हिस्से के तौर पर इकट्ठा होने के लिए कहा गया  और बाद में हिरासत में ले लिया गया।

विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक, कठुआ जिले के हीरा नगर उप-जेल में इन हिरासत केन्द्रों की स्थापना, विदेशी अधिनियम की धारा 3(2) के तहत गृह विभाग की अधिसूचना के बाद जाकर की गई है, जो भारत सरकार को भारत के भीतर विदेशियों के प्रवेश को निषिद्ध, विनियमित या प्रतिबंधित करने में सक्षम बनाती है। 

इस कदम को नवगठित केंद्र शासित प्रदेश के कई तबकों से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विपक्ष ने इस कदम पर सवाल खड़े किये हैं, जिसमें कांग्रेस नेता सलमान निज़ामी ने ट्वीट करते हुए कहा है “जम्मू में 7,690 तिब्बती एवं 5,743 रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं। लेकिन 155 रोहिंग्याओं को ही हिरासत केन्द्रों में भेजा गया है। सिर्फ रोहिंग्याओं का ही सत्यापन क्यों किया जा रहा है? क्या इसकी वजह सिर्फ उनका मुस्लिम होना है? यह भाजपा सरकार की इस्लामोफोबिक और अमानवीय प्रकृति का पर्दाफाश करता है!” 

डर ने रोहिंग्याओं को जकड़ रखा है, जो इन घटनाओं की परिणिति, उन्हें वापस निर्वासित करने की तैयारी के हिस्से के तौर पर देखते हैं। शरणार्थियों में से एक मोहम्मद इमाम, जिन्हें “सत्यापन” प्रक्रिया के बाद वापस जाने की इजाजत दे दी गई थी, ने बताया कि वे यहाँ से नहीं जाना चाहते हैं। उनका कहना था कि “हम भारत के शुक्रगुजार हैं कि उसने हमें रहने के लिए जगह दी। हम वापस नहीं जाना चाहते हैं। एक बार बर्मा में सामान्य हालात बहाल हो जाएँ, तो हम यहाँ से शांतिपूर्वक ढंग से वापस लौट जायेंगे।”

अब्दुल के बेटे को हिरासत में लिया गया है,उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि वे उम्मीद कर रहे थे कि सत्यापन प्रकिया पूरी हो जाने के बाद उनका बेटा वापस आ जायेगा। “पुलिस हमारे इलाके में आई थी और पुरुषों और महिलाओं का नाम ले गई थी, और उन्हें सत्यापन प्रक्रिया के लिए स्टेडियम में पहुँचने के लिए कहा था। हमारे पास छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है, इसलिए हमने अपने बेटे-बेटियों को वहां भेज दिया था।”

सत्यापन प्रक्रिया समाप्त होने के फौरन बाद ही यासीन ने अब्दुल को फोन से सूचित किया था कि उन्हें बसों में किसी “अज्ञात स्थान” पर ले जाया जा रहा है। उन्होंने बताया “इसके बाद उसका फोन स्विच ऑफ हो गया था। हमारे एरिया से जिस किसी को भी जेल में ले जाया गया था, उन सभी के फोन स्विच ऑफ थे। हम बेहद डर गए थे।”

एक अन्य रोहिंग्या शरणार्थी जिसने खुद को गुमनाम रखे जाने का अनुरोध किया, का कहना था कि उन्हें समाचार चैनलों के जरिये ही बंदीगृहों के बारे में पता चला है। इस शरणार्थी के मुताबिक “न्यूज़ चैनलों के जरिये ही हमें पता चला कि उन्हें डिटेंशन केन्द्रों में रखा गया है। हम अभी तक यह समझ पाने में नाकामयाब रहे हैं कि उनका अपराध क्या था, और उनके फोन क्यों स्विच ऑफ हो गए थे?”

चन्नी राम से 22 वर्षीय मोहम्मद इमाम को भी सत्यापन के लिए बुलाया गया था, जिसे हालाँकि सामान्य पूछताछ के बाद वहां से जाने की इजाजत दे दी गई थी। इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए उसने न्यूज़क्लिक को बताया “मुझे एक फॉर्म को भरने के लिए कहा गया था, जबकि बीच-बीच में वे सवाल पूछ रहे थे। मुझे अपनी पत्नी के साथ वहां से जाने के लिए कहा गया। बाकियों को जेल ले जाया गया। हम बेहद डरे हुए हैं। हमें वास्तव में नहीं जानते कि ये सब क्या हो रहा है।”

जैसे ही शरणार्थियों को “हिरासत केंद्र” में ले जाए जाने की खबर सार्वजनिक हुई, जम्मू के तमाम स्थानों पर रहने वाले शरणार्थी रविवार को बठिंडा पुलिस स्टेशन के पास इकट्ठा हो गये, और वे अपने-अपने रिश्तेदारों के ठिकानों की जानकारी मुहैय्या कराये जाने की मांग करने लगे।

उनमें से एक प्रदर्शनकारी ने बताया “हमने मांग रखी थी कि या तो वे हम सभी को हिरासत में ले लें, या फिर सभी को आजाद कर दें। लेकिन हमें एक दूसरे से जुदा न करें।” "नई स्वीकृति" के बारे में कुछ भी नहीं है बंदीगृह केंद्र नहीं बल्कि “नए ठौर” शरणार्थियों के मुताबिक सभी इलाकों के प्रभारियों को डीएसपी द्वारा एक बैठक के लिए रविवार की रात को बुलाया गया था। अब्दुल भी उनमें से एक था। अब्दुल ने न्यूज़क्लिक को बताया कि “हमें बताया गया कि सभी को इन होल्डिंग केन्द्रों में भेजा जाएगा। उनके अनुसार ये डिटेंशन सेंटर्स नहीं हैं बल्कि ‘आवास’ के नए स्थान हैं। हालाँकि लोगों को (उन केन्द्रों से) बिना इजाजत बाहर कदम रखने की इजाजत नहीं होगी।”

एक अन्य शरणार्थी जिसने इस बैठक में हिस्सा लिया था, के अनुसार “उन्होंने कहा था कि हमें कपड़े और भोजन सहित सब कुछ मुहैय्या कराया जायेगा, लेकिन हमें लगता है हमें काम करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने हमसे बाहर कदम रखने से पहले इजाजत मांगने के बारे में भी कहा है।”

इस बीच राजनीतिक टिप्पणीकारों ने दावा किया है कि ये “होल्डिंग सेंटर” असल में परिवर्तित नामों के साथ नए डिटेंशन सेंटर ही हैं। फरवरी 2020 में, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की डिवीज़न बेंच ने केंद्र शासित प्रशासन को एक महीने के भीतर म्यांमार और बांग्लादेश से आकर “इस क्षेत्र में डेरा डाले अवैध आप्रवासियों की पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने के लिए अब तक किये गए उपायों” के बारे में अपनी प्रतिक्रिया को दर्ज करने के निर्देश दिए थे।  

दक्षिण पंथियों द्वारा चलाया गया सतत अभियान 

दुनियाभर में सबसे अधिक उत्पीड़ित समुदायों में से एक रोहिंग्या शरणार्थी, असल में बौद्ध बहुसंख्यक म्यांमार में एक मुस्लिम जातीय समुदाय के तौर पर हैं। 2014 के बाद से ही जम्मू में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं और भारतीय जनता पार्टी के कथित सदस्यों की ओर से इस क्षेत्र से रोहिंग्याओं को हटाने के लिए एक सतत अभियान को चलाया जा रहा है। 

इस घृणा अभियान ने एक नैरेटिव का निर्माण किया है, जिसके अनुसार रोहिंग्या समुदाय की बसाहट इस क्षेत्र में जनसांख्यिकीय बदलाव को अंजाम दे सकती है। इसे ध्यान में रखना महत्वपूर्ण होगा कि जम्मू में मात्र 6,500 की संख्या के आस-पास रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं।

पिछले साल सत्तारूढ़ भाजपा के केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा था कि जम्मू में रह रहे रोहिंग्याओं को निर्वासित किया जायेगा, क्योंकि वे नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), जिसने समूचे भारत में बड़े-बड़े विरोध प्रदर्शनों को प्रेरित करने का काम किया था। 

2018 में एक और अन्य घटना में, स्थानीय समाचार पत्र एक पेज के विज्ञापनों से अटे पड़े थे, जिसमें जम्मू से रोहिंग्याओं को निकाल बाहर करने की जरूरत और तात्कालिकता की मांग की गई थी।

न्यूज़क्लिक द्वारा जम्मू के डिविजनल कमिशनर या आईजीपी जम्मू से इस घटना के बारे में मालूमात हासिल करने को लेकर कई बार संपर्क किये जाने की कोशिशों के बावजूद, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। जैसे ही इस बाबत कोई सूचना प्राप्त होती है, इस स्टोरी में आवश्यक अपडेट कर दिया जायेगा।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करे

Detained in ‘Holding Centres’: Fear Grips Persecuted Rohingyas in Jammu

Jammu and Kashmir
Rohingyas Detained in Jammu
Rohingya Refugees in Jammu
Channi Rama
Jammu and Kashmir police
Union Minister Jitendra Singh
BJP
Muslim Refugees
Rohingya Settlement

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल


बाकी खबरें

  • असद रिज़वी
    CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा
    06 May 2022
    न्यूज़क्लिक ने यूपी सरकार का नोटिस पाने वाले आंदोलनकारियों में से सदफ़ जाफ़र और दीपक मिश्रा उर्फ़ दीपक कबीर से बात की है।
  • नीलाम्बरन ए
    तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है
    06 May 2022
    रबर के गिरते दामों, केंद्र सरकार की श्रम एवं निर्यात नीतियों के चलते छोटे रबर बागानों में श्रमिक सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।
  • दमयन्ती धर
    गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया
    06 May 2022
    इस मामले में वह रैली शामिल है, जिसे ऊना में सरवैया परिवार के दलितों की सरेआम पिटाई की घटना के एक साल पूरा होने के मौक़े पर 2017 में बुलायी गयी थी।
  • लाल बहादुर सिंह
    यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती
    06 May 2022
    नज़रिया: ऐसा लगता है इस दौर की रणनीति के अनुरूप काम का नया बंटवारा है- नॉन-स्टेट एक्टर्स अपने नफ़रती अभियान में लगे रहेंगे, दूसरी ओर प्रशासन उन्हें एक सीमा से आगे नहीं जाने देगा ताकि योगी जी के '…
  • भाषा
    दिल्ली: केंद्र प्रशासनिक सेवा विवाद : न्यायालय ने मामला पांच सदस्यीय पीठ को सौंपा
    06 May 2022
    केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में रहेंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License