NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
स्मृति शेष : ए के रॉय; लाल-हरे की एकता के सूत्रधार!
इनके सादगीपूर्ण सरल और जुझारू व्यक्तित्व का प्रभाव ऐसा था कि जब विरोधियों ने इनकी हत्या की सुपारी एक किलर को दी तो इन्हें देखकर किलर ने हत्या की सुपारी लौटते हुए कह दिया कि दूसरों की खातिर लड़ने वाले ऐसे शख़्स को वो नहीं मार सकता ।
अनिल अंशुमन
23 Jul 2019
 ए के रॉय : लाल – हरे की एकता के सूत्रधार का अवसान !

“ आमार राय , तोमार राय , सोबार राय – एके राय ” का जनप्रिय नारा दशकों तक कोयला की राजधानी कहे जानेवाले झारखंड प्रदेश स्थित धनबाद इलाके में गूंजायमान रहा । लेकिन तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया से लेकर बॉलीवुड तक ने धनबाद को सिर्फ माफिया और बासेपुर के आपराधिक दबंगता का ही महिमामंडित किया । एके राय के नेतृत्व में कोयला मजदूरों और स्थानीय आदिवासी – मूलवासियों का जुझारू संघर्ष ही था जिसने माफिया – अपराधी दबंगता पर लगाम लगाए रखा.

माना जाता है कि भारत में ‘ माफिया ‘ शब्द की उत्पत्ति सर्वप्रथम धनबाद क्षेत्र में काबिज कोयला के काले धंधा जगत से हुई थी । तत्कालीन सत्ता – सियासत व उसके नेताओं , प्रशासन तथा कतिपय भ्रष्ट कोल अधिकारियों के संस्थाबद्ध गँठजोड़ द्वारा कोयले से अकूत काली कमाई के लिए ही इसका बोलबाला कराया गया था । जिनके यहाँ काम करनेवाले और स्थानीय ग्रामीणों पर जारी अमानवीय शोषण ने ही कॉमरेड राय दा को इनके व पूंजीपरस्त सरकार के खिलाफ संघर्ष के लिए खड़ा किया । जिसे हर खतरे का सामना करते हुए इस कदर जुझारू और व्यापक जन भागीदारी वाला बनाया कि यहाँ के लोगों ने अपने खर्ची से इन्हें तीन बार संसद और विधान सभा में अपना चहेता जन प्रतिनिधि बना दिया । इनके सादगीपूर्ण सरल और जुझारू व्यक्तित्व का प्रभाव ऐसा था कि जब विरोधियों ने इनकी हत्या की सुपारी एक किलर को दी तो इन्हें देखकर किलर ने हत्या की सुपारी लौटते हुए कह दिया कि दूसरों की खातिर लड़ने वाले ऐसे शक्स को वो नहीं मार सकता । 

'70 के दशक में कॉमरेड राय ही संभवतः पहले ऐसे मार्क्सवादी थे जिन्होंने देशज ( इंडिजिनस ) और आदिवासी राष्ट्रियता के सवाल को वामपंथी राजनीति के केंद्र में स्थापित किया । साथ ही ‘ लाल – हरे ‘ की व्यापक एकता आधारित संघर्ष के जरिये झारखंड अलग राज्य गठन के अभियान की परिकल्पना व रूप – रेखा पेश किया । अपने समय के स्थापित झारखंड आंदोलनकारी विनोद बिहारी महतो व शिबू सोरेन के साथ मिलकर 4 फरवरी 1973 को धनबाद के गोल्फ मैदान में विशाल जन सैलाब के बीच ‘ लाल – हरे ‘ की एकता आधारित संगठन झारखंड मुक्ति मोर्चा के निर्माण की घोषणा की । साथ ही तत्कालीन राज्य – दमन के कारण शिथिल पड़ गए झारखंड अलग राजय गठन के आंदोलन में नयी जान फूंककर उसे नयी दिशा दी । 

A K ROY 4.jpg

उनकी स्पष्ट मान्यता थी कि झारखंडी राष्ट्रियता का संघर्ष तभी अपना वास्तविक लक्ष्य हासिल कर सकेगा जब इसमें मेहनतकशों और व्यापक आम लोकतन्त्र पसंद लोगों की भागीदारी होगी । अपनी इस प्रस्थापना को प्रमाणित करने की दिशा में ‘ मार्क्सवादी समन्वय समिति ‘ का गठन कर व्यापक जन गोलबंदी का कार्य किया । इनके इन विशिष्ट राजनीतिक प्रयोगों ने राष्ट्रीय फ़लक के वाम आंदोलन में अच्छी चर्चा - बहस पैदा कर दी थी । विशेषकर लाल – हरा एकता की परिकल्पना को ज़मीनी शक्ल देने के अभियानों ने तो स्थापित वामपंथ को एक नयी व मौलिक ने स्थापित वामपंथी राजनीति को काफी प्रभावित किया ।  

मजदूर आंदोलन को मजदूरी – बोनस भत्ते व चंद तात्कालिक सुविधाओं की मांगों के परंपरागत सीमित संघर्ष के दायरे से बाहर निकालने का अभियान को काफी जन स्वीयार्यता मिलने लगी । इससे क्षेत्र के तत्कालीन कांग्रेस व अन्य राजनितिक दल के नेताओं और सभी स्थापित ट्रेड यूनियन नेताओं की नींद हराम होने लगी । क्योंकि कोयला मजदूरों व स्थानीय आदिवासी किसानों की बढ़ती संघर्ष चेतना से कोयले के काले धंधों को इससे खतरा होने लगा था ।

इस कारण कई बार इन्हें व इनके कार्यकर्ता साथियों को प्रशासन के दमन का शिकार बनाने की साजिशें की गईं । लेकिन तब भी शोषण के अंतहीन चक्र का शिकार हो रहे कोयला मजदूरों और आसपास के विस्थापितों – आदिवासियों तथा गाँव के किसानों में कॉमरेड राय कि राजनीतिक कार्यवाहियों को व्यापक समर्थन मिलता रहा । लोगों के भारी दबाव से ही कॉमरेड राय को चुनावी संघर्ष में कूदना पड़ा । 1977 के संसदीय चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के धनबाद आगमन भी भी बेअसर रहा और कॉमरेड राय ने भारी मतों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी को पराजित किया ।           A K ROY 1_0.jpg

कॉमरेड राय के बहुयायमी संघर्षशीलता की बानगी उनके निधन पर सभी वाम दलों के आलवे विपक्ष के साथ साथ सत्ताधारी दलों के नेताओं तक के स्मृति बयानों में सहज ही मिलती है । विशेष कर झारखंडी नेताओं तथा चिंतक - विश्लेषकों ने झारखंड राज्य निर्माण में उनके प्रभावी योगदान की चर्चा करते हुए ये कहा कि – राय दा चर्चा के बिना झारखंड का इतिहास नहीं पूरा होगा । 

राय को राज्य के विशेष राजनेता का सम्मान देते हुए पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ । निस्संदेह आज वे नहीं हैं लेकिन झारखंड नवनिर्माण की जब भी कोई ईमानदार कोशिश होगी , राय दा सदैव प्रासांगिक बने रहेंगे । वाम व मेहनतकशों कि संघर्षशील धारा के लिए सदैव प्रेरक बने रहेंगे । लेकिन एक सवाल तो बना ही रहेगा कि – कॉमरेड एके राय जैसे जनप्रिय वामपंथी व्यक्तित्व को आदर्श राष्ट्रीय नेताओं की  चर्चा में क्यों नहीं लाया गया ..... ?

AK Roy
Jharkhand
trade unions

Related Stories

चारा घोटाला: सीबीआई अदालत ने डोरंडा कोषागार मामले में लालू प्रसाद को दोषी ठहराया

झारखंड: भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम युवक से की मारपीट, थूक चटवाकर जय श्रीराम के नारे लगवाए

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

जमशेदपुर : बच्चों के यौन उत्पीड़न के आरोपी आश्रय गृह के निदेशक, वार्डन सहित चार लोग मध्य प्रदेश से गिरफ्तार

झारखण्ड में सब इंस्पेक्टर रूपा तिर्की की मौत की सीबीआई जांच के लिए आदिवासी समुदाय का विरोध प्रदर्शन   

झारखंड: 50 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार, गुप्तांग में चोट के बाद महिला अस्पताल में भर्ती

रांची : रिम्स में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म की कोशिश, आरोपी सीनियर डॉक्टर फरार

नफ़रत और अफवाह पर कोई लॉकडाउन नहीं, झारखंड में भी अल्पसंख्यकों पर हमले तेज़

झारखंडः लॉकडाउन के दौरान घर लौट रही छात्रा के साथ दस लड़कों ने किया गैंगरेप

झारखंड : बुरुगुलीकेरा नरसंहार का कारण पत्थलगड़ी विरोध है या कुछ और!


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License