NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
यूपी चुनाव : मिर्ज़ापुर के ग़रीबों में है किडनी स्टोन की बड़ी समस्या
जिले में किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी के मामले बहुत अधिक हैं, और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते पहले से ही दुखी लोगों की आर्थिक स्थिति ओर ख़राब हो रही है।
अब्दुल अलीम जाफ़री
04 Mar 2022
Translated by महेश कुमार
Mirzapur

मिर्जापुर: एक कंक्रीट का घर, जिसमें पुआल और ईख की छत है। ज़ाहिर तौर पर 30 वर्षीय संजू की यही कुल संपत्ति है। उनके पति, मुंबई में काम करने वाले एक प्रवासी मजदूर हैं और प्रति माह 10,000 रुपये ही कमा पाते हैं। वे अपने परिवार के पांच सदस्यों के भरण-पोषण के लिए मात्र 5,000 रुपये भेजने का ही इंतज़ाम कर पाते हैं। लेकिन महंगाई के इस दौर में परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह रक़म काफी कम पड़ रही है।

इस कमाई का एक अच्छा खासा हिस्सा डॉक्टर के पास चला जाता है क्योंकि संजू पिछले छह महीनों से गुर्दे की पथरी की बीमारी का इलाज़ करा रही है।

चार बच्चों की माँ की सबसे बड़ी बेटी - 21 वर्ष की है जो इस बात से अनभिज्ञ है कि वह कब तक इसी किस्म के हालत को झेलती रहेगी।

उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के मरिहान विधानसभा क्षेत्र के पटेहरा ब्लॉक के गोहिया खुर्द गांव की निवासी संजू बताती हैं कि “चुनाव आते हैं और चले जाते हैं। सरकारें बदलती हैं। लेकिन हमारे जैसे गरीब लोगों की हालत नहीं बदलती है, क्योंकि हमारे मुद्दे हमेशा पीछे छुट जाते हैं।“ 

यहाँ पानी खारा है, जिसमें कैल्शियम की बड़ी मात्रा पाई जाती है, जिसके कारण गुर्दे में क्रिस्टल के जमाव के परिणामस्वरूप गुर्दे की पथरी के मामले अधिक हैं।

दीप नगर में एक निजी नर्सिंग होम चलाने वाले और संजू का इलाज कर रहे डॉ संजय सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, "इस क्षेत्र का हर छ्ठा या सातवाँ व्यक्ति इस दर्दनाक बीमारी से पीड़ित हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत बुरी हालत में हैं।"

पानी की गंभीर कमी और पानी में कैल्शियम की उच्च मात्रा को इस डॉक्टर ने इस स्थिति के मुख्य कारणों में से एक बताया है।

डॉ सिंह ने कहा कि, "यह एक पानी की कमी वाला क्षेत्र है जहां लोग हर दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीने में असमर्थ हैं।"

संजू को सलाह दी गई है कि वह दिन में कम से कम सात लीटर पानी पीएं और पपीते का रस और पाशनभेद या स्टोन-ब्रेकर (एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी) लें।

हलिया गांव के 31 वर्षीय निवासी, चंदन मौर्य पिछले 15 साल से इस बीमारी से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि भारी शारीरिक परिश्रम के बाद उन्हें पेट में तेज दर्द होता है। तीन दिन पहले मिर्जापुर जिला अस्पताल में वे एक डॉक्टर के पास गए थे, जहां उसे आईवीपी (अंतःशिरा पाइलोग्राम) जांच कराने के लिए कहा गया। आईवीपी एक एक्स-रे है जो गुर्दे की रूपरेखा बनाता है, जिससे रेडियोलॉजिस्ट को पथरी के कारण मूत्र पथ के भीतर गुर्दे की समस्याओं का पता लगाने में मदद मिलती है।

अस्पताल में सुविधा नहीं होने के कारण मौर्य को बाहर टेस्ट कराने को कहा गया। दरअसल, यहां नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉक्टर भी नहीं हैं।

मौर्य एक स्थानीय हार्डवेयर की दुकान में सहायक के रूप में काम करता है और हर महीने 5,000 रुपये कमाता है। “एक निजी निदान केंद्र में एक्स-रे की लागत लगभग 3,000 रुपये है। उसके लिए इतनी रकम वहन करना मुश्किल है। वे कहते हैं "अगर सरकारी अस्पताल ये सुविधाएं नहीं दे सकते हैं, तो वहां जाने का क्या मतलब है?"

सरसावा गांव के निवासी राम बालक भी चार साल से गुर्दे की पथरी से पीड़ित हैं। उसे सर्जरी की सलाह दी गई है, लेकिन वह अपनी खराब आर्थिक स्थिति के कारण सर्जरी नहीं करा पा रहे हैं। 

"मैं एक दिहाड़ी मजदूर हूं। सर्जिकल प्रक्रिया एक निजी अस्पताल में करवानी पड़ती है क्योंकि जिला अस्पताल में नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं है। 39 वर्षीय राम बालक ने कहा, जो कोल जनजाति से हैं कि जब भी मैं अपनी छोटी सी कमाई से पैसे बचा पाता हूं तभी कोई न कोई आपात स्थिति पैदा हो जाती है और पैसा खर्च हो जाता है।” 

बालक ने कहा कि सरकार का दावा है कि उसने स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन बुनियादी ढांचे की कमी के कारण चिकित्सा उपचार से इनकार इन सभी लंबे दावों की पोल खोल देता देता है।

जिले में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं, जिसे विध्यांचल भी कहा जाता है, दयनीय है। स्थानीय आबादी को इलाज़ के लिए आस-पास के शहरों में जाना पड़ता है क्योंकि स्थानीय अस्पतालों में अपर्याप्त बुनियादी ढांचा हैं और सुविधाएं न के बराबर हैं।

यही हाल जिले के 96 विधानसभा क्षेत्र का है। डॉ सिंह आरोप लगाते हैं, जिन्होंने खुद अनुबंध के आधार पर यहां काम किया है, और वे उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जिले के पटेहरा ब्लॉक के पटेहरा कलां में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में “पांच डॉक्टर हैं, जिन्हें हर दिन आना चाहिए। लेकिन उनमें से हर एक सप्ताह में एक बार आता है।” 

पीएचसी उत्तर में 12 किलोमीटर, दक्षिण में 25 किलोमीटर, पूर्व में 8 किलोमीटर और पश्चिम में 15 किलोमीटर तक के गांवों को इलाज़ मुहैया कराती है।

दुर्भाग्य से मौजूदा विधानसभा चुनाव में यह इतना बड़ा मुद्दा नहीं है। सभी राजनीतिक नेता खराब स्वास्थ्य ढांचे के बारे में बात करने बचते नज़र आते हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि विपक्ष भी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी - भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला करने के बजाय जाति कार्ड खेलने की इच्छा रखते हैं। 

वे आगे कहते हैं कि, मतदाताओं के लिए दिन में दो बार भोजन की व्यवस्था करना महत्वपूर्ण है। वे घोर गरीबी में रहते हैं और बाहरी दुनिया के संपर्क में बिल्कुल नहीं आते हैं, और शायद, उन्होंने दुख को अपनी नियति के रूप में स्वीकार कर लिया है। 

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के तहत अंतिम चरण में 7 मार्च को मतदान होने वाले मिर्जापुर में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। 2017 के चुनावों में, भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने इन सभी सीटों पर जीत हासिल की थी।

समाजवादी पार्टी ने 2012 के चुनावों में पांच सीटों में से तीन पर जीत हासिल की थी, जबकि बाकी दो सीटों पर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने जीत हासिल की थी।

कुर्मी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली अपना दल (एस) प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने जिले से दो बार लोकसभा चुनाव जीता है।  

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

UP Elections: In Mirzapur, the Poor Battle Renal Stone Disease, but Politics Revolves Around Caste

mirzapur
UP elections
UP Polls
Kidney Disease
Mirzapur Health Infra
public health
UP Health Facilities

Related Stories

पक्ष-प्रतिपक्ष: चुनाव नतीजे निराशाजनक ज़रूर हैं, पर निराशावाद का कोई कारण नहीं है

आर्थिक मोर्चे पर फ़ेल भाजपा को बार-बार क्यों मिल रहे हैं वोट? 

क्या BJP के अलावा कोई विकल्प नहीं ?

विधानसभा चुनाव: एक ख़ास विचारधारा के ‘मानसिक कब्ज़े’ की पुष्टि करते परिणाम 

यूपी चुनाव: सोनभद्र और चंदौली जिलों में कोविड-19 की अनसुनी कहानियां हुईं उजागर 

यूपी: चुनावी एजेंडे से क्यों गायब हैं मिर्ज़ापुर के पारंपरिक बांस उत्पाद निर्माता

यूपी चुनाव: बस्ती के इस गांव में लोगों ने किया चुनाव का बहिष्कार

यूपी का रणः उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों का वर्चस्व, बढ़ गए दागी उम्मीदवार

यूपी चुनाव: क्या भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं सिटिंग विधायक?

यूपी चुनाव, पांचवां चरण: अयोध्या से लेकर अमेठी तक, राम मंदिर पर हावी होगा बेरोज़गारी का मुद्दा?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License