NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एमएसपी का सबसे बड़ा धोखा
उत्पादन की कुल लागत का 50% अधिक की किसानों की मांग पर नवीनतम समर्थऩ मूल्य की हुई घोषणा एक बार फिर बेहद मामूली साबित हो रही है
सुबोध वर्मा
05 Oct 2018
msp

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बुधवार को छह रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की। इन क़ीमतों को सरकार द्वारा किसानों को भुगतान किया जाएगा यदि वह अगले वर्ष बाज़ार में आने पर इस उत्पाद में से किसी को ख़रीदती है।

जैसा कि अब मोदी सरकार के लिए एक सामान्य कार्य बन गया है, नई एमएसपी दरों को उत्पादन लागत का 50% से ज़्यादा होने के तौर पर बताया जा रहा है। यह एक धोखा है क्योंकि सरकार 'उत्पादन की लागत' के रूप में जो ले रही है वास्तव में यह पूरी लागत नहीं है। यह महत्वपूर्ण घटकों को नज़रअंदाज़ कर देता है, जैसे कि किराए और ब्याज और विमूल्यन लागत।

गेहूं एमएसपी की वास्तविकता

मुख्य रबी फसल गेहूं है, इसलिए इसके आंकड़ों का खुलासा करें। इसका घोषित एमएसपी 1,840 रुपए प्रति क्विंटल है। लागत मूल्य 866 रुपए प्रति क्विंटल के रूप में दिखाया जाता है। इसलिए, सरकार का कहना है कि वह उत्पादन की लागत से ज़्यादा और ऊपर 112% अंतर घोषित कर रही है।

आखिर वास्तविकता क्या है? पिछले साल की तुलना में इनपुट लागत में औसत 6% की वृद्धि के आधार पर उत्पादन की कुल लागत वास्तव में 1,331रुपए प्रति क्विंटल है। इसलिए, कुल लागत से 50% अधिक की किसानों की मांग के अनुसार, एमएसपी 1,997 रुपए प्रति क्विंटल होने चाहिए। हालांकि,घोषित एमएसपी 1,840 रुपए प्रति क्विंटल है- जो कि 1,57 रुपए प्रति क्विंटल का अंतर है।

कुल लागत (सी 2) का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है क्योंकि सरकार ने 2019-20 के लिए रबी प्राइस पॉलिसी रिपोर्ट जारी नहीं की है (इसे लिखते के समय)। पिछले रिवाज के अनुसार इसे इस वर्ष जुलाई में प्रकाशित किया जाना चाहिए था। इसलिए, पिछले वर्ष में लागत में 6% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

https://cacp.dacnet.nic.in/ViewReports.aspx?Input=2&PageId=40&KeyId=602

यह तर्क दिया जा सकता है कि मोदी सरकार लगातार एमएसपी बढ़ा रही है और वांछित स्तर की लागत + 50% के क़रीब है। लेकिन यह गलत होगा,जैसा उपर्युक्त चार्ट से देखा जा सकता है। वे सिर्फ अंतर को क़ायम रख रहे हैं।

यह भी तर्क दिया जा सकता था कि अंतर अब सिर्फ इतना कम है जो केवल 1,57 रुपए प्रति क्विंटल है। लेकिन वह भी किसानों के प्रति कठोर होगा। सभी चीज़ों के बार में विचार किए बिना आंकड़ा स्पष्ट यह करता हैं: यदि होने वाली रबी फसल पिछले साल की ही प्रवृत्ति को अपनाती है, तो सरकार द्वारा 35मिलियन टन गेहूं की ख़रीद की जाएगी। 1,57 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों को नुकसान क़रीब 500 करोड़ रुपए का होगा!

एक और समस्या है। गेहूं के कुल उत्पादन का केवल 32% ही सरकार द्वारा ख़रीदा जाता है। शेष अनाज (जो लगभग 65 मिलियन टन होगा) खुले बाज़ार में किसानों द्वारा बेचा जाएगा जहां उन्हें घोषित एमएसपी से कम कीमत मिलती हैं। एमएसपी में बढ़ोतरी के बारे में लगातार सरकारी प्रचार के बावजूद ज़्यादातर किसानों के नुकसान इसी तरह कायम हैं।

लोगों को मूर्ख बनाना

चूंकि कुछ लोगों ने कृषि मंत्री को ट्विटर पर बताया कि, हरियाणा में धान को 1,300 रुपए प्रति क्विंटल बेचा जा रहा है जबकि इसका एमएसपी 1,750रुपए था।

https://twitter.com/RadhamohanBJP/status/1047475725207396352

अन्य पांच रबी फसलें जैसे जौ, चना, मसूर (दाल), रैपसीड और सरसों और कस्तूरी की बात आती है तो इसकी स्थिति और भी गंभीर है। घोषित एमएसपी लागत+ 50% के अंक से काफी कम है, ख़रीद अबाध है और एमएसपी का कार्यान्वयन ग़ैर-मौजूद है। यह सरकारी रिपोर्टों के साथ साथ किसानों द्वारा भी दर्ज किया जाता है। फिर भी मंत्री ने स्पष्ट रूप से एक बहुत बड़े राशि की गणना करते हैं क्योंकि इसी नए एमएसपी के जरिए किसानों को संभावित राशि मिलेगा।

https://cacp.dacnet.nic.in/ViewReports.aspx?Input=2&PageId=40&KeyId=602

एक धोखा: एआईकेएस

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने इस घोषणा को मोदी सरकार द्वारा किसानों से किए गए वादे के साथ "धोखाधड़ी" बताया है। एक बयान में एआईकेएस ने बताया कि इनपुट लागत में वृद्धि को ध्यान में नहीं रखा गया है। एआईकेएस ने कहा, 'उर्वरक की क़ीमत में क़रीब 25 फीसदी की वृद्धि हुई है साथ ही पिछले साल रबी सीजन में 21,520 रुपए प्रति टन की तुलना में डीएपी खुदरा बिक्री 26,800 रुपए प्रति टन हो गई है। डीजल की कीमत में 27फीसदी से ज्यादा बढ़ी है जिसके परिणामस्वरूप सिंचाई लागत में भारी वृद्धि हुई है। सिंचाई लागत को दिया गया भार केवल 0.13 है जो ज़मीनी वास्तविकता की तुलना में काफी कम है।'

किसान संगठन ने आंकड़ों की गणना करते हुए कहा कि इनपुट लागत में 10% की वृद्धि के साथ घोषित एमएसपी कुल लागत से 232 रुपए प्रति क्विंटल कम है।

यह असंभव है कि कृषि मंत्री कम ख़रीद, एमएसपी व्यवस्था की अन्य समस्याओं और कीमतों के बेहद कम होने से अनजान हैं। यह समान रूप से असंभव है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस जैसे मुख्यमंत्री इन सबसे अनजान हैं। फिर भी, क्योंकि इनमें से सभी इस भ्रामक वृद्धि की सराहना करते हैं और एक-दूसरे की पीठ थपथपाते हैं - और, निश्चित रूप से, प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व की प्रशंसा करते हैं - इसका मतलब यह हो सकता है कि मोदी सरकार और बीजेपी जानबूझकर लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही हैं, खासकर किसानों को।

इस बीच, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले किसानों के 200 से अधिक संगठनों सहित एआईकेएस 28 से 30 नवंबर, 2018 को संसद तक किसान मुक्ति मार्च करेंगे। वे इस दौरान कृषि संकट पर चर्चा के लिए एक विशेष सत्र के साथ-साथ किसानों की ऋण से मुक्ति और लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए दो विधेयकों को पारित करने की मांग करेंगे।

AIKS
minimum support price
BJP
farmers distress

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: मुझे गर्व करने से अधिक नफ़रत करना आता है
    01 May 2022
    जब गर्व खोखला हो तो नफ़रत ही परिणाम होता है। पर नफ़रत किस से? नफ़रत उन सब से जो हिन्दू नहीं हैं। ….मैं हिंदू से भी नफ़रत करता हूं, अपने से नीची जाति के हिन्दू से। और नफ़रत पाता भी हूं, अपने से ऊंची…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    मई दिवस ज़िंदाबाद : कविताएं मेहनतकशों के नाम
    01 May 2022
    मई दिवस की इंक़लाबी तारीख़ पर इतवार की कविता में पढ़िए मेहनतकशों के नाम लिखी कविताएं।
  • इंद्रजीत सिंह
    मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश
    01 May 2022
    इस बार इस दिन की दो विशेष बातें उल्लेखनीय हैं। पहली यह कि  इस बार मई दिवस किसान आंदोलन की उस बेमिसाल जीत की पृष्ठभूमि में आया है जो किसान संगठनों की व्यापक एकता और देश के मज़दूर वर्ग की एकजुटता की…
  • भाषा
    अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश
    30 Apr 2022
    प्रधान न्यायाधीश ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में कहा न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के…
  • भाषा
    जनरल मनोज पांडे ने थलसेना प्रमुख के तौर पर पदभार संभाला
    30 Apr 2022
    उप थलसेना प्रमुख के तौर पर सेवाएं दे चुके जनरल पांडे बल की इंजीनियर कोर से सेना प्रमुख बनने वाले पहले अधिकारी बन गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License