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एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल जारी, लाल किले पर तैनाती के लिए भी दूसरे राज्यों से मदद
हाई अलर्ट के बावजूद दिल्ली सरकार स्वतंत्रता दिवस पर एंबुलेंस सेवाएं देने में नाकाम। यूनियन ने कहा- जिस दिन सरकार अपना निजीकरण का फैसला वापस लेगी उसके दो घंटे में सभी गाड़ियां सड़क पर होंगी।
मुकुंद झा
13 Aug 2019
 Ambulance personnel

दिल्ली में स्वास्थ्य आपातकाल सेवा खुद बीमार हैं। दिल्ली के लगभग1200 कैट्स एंबुलेंस कर्मचारी बीते डेढ़ महीने से निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर है। स्थिति इतनी गंभीर है की अगर कोई दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति है, गर्भवती महिला है, या फिर आपको स्वास्थ्य को लेकर कुछ भी इमरजेंसी है और आपको एंबुलेंस चाहिए। आप एंबुलेंस हेल्पलाइन102 पर कॉल करिए मुश्किल ही है की आपको एंबुलेंस सेवा मिल जाए।
स्थिति इतनी गंभीर है कि कई बार पुलिस पीसीआर को मरीजों को अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है। ये स्थति एक दो दिन से नहीं बल्कि बीते 44 दिनों से है, इस बीच कई ऐसी दुर्घटनाएं हुईं जिसमें लोगों ने कहा कि अगर एंबुलेंस मिल जाती तो जान बच जाती।

हाई अलर्ट के बावजूद दिल्ली सरकार स्वतंत्रता दिवस पर एंबुलेंस सेवाएं देने में नाकाम!

इस बीच हर साल की तरह पूरा देश15अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है। जैसा कि आप जानते हैं कि इस दिन प्रधानमंत्री देश की जनता को लालाकिले की प्राचीर से संबोधित करते हैं। इस दौरान यहाँ देश और विदेश की कई जाने-माने लोगों के साथ हज़ारों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं।

इस दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए वहां दिल्ली की लगभग100 एंबुलेंस खड़ी होती हैं लेकिन इसबार दिल्ली सरकार ने अपने हाथ खड़े कर दिए की वो स्वतंत्रता दिवस के लिए एंबुलेंस सेवाएं नहीं दे पाएगी। इसका कारण सर्वविदित है कि दिल्ली के एंबुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर हैं।

इसी कारण अब सरकार ने स्वतंत्रता दिवस पर किसी भी स्वास्थ्य आपात स्थिति से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश और राजस्थान से एंबुलेंस मांगने का निर्णय किया है।

हर साल की तरह इस साल भी केंद्र ने दिल्ली सरकार से ऐंबुलेंस सेवा मांगी लेकिन सरकार की तरफ से मना करने के बाद यह सूचना केंद्रीय गृह विभाग को दी गई। इसके बाद केंद्र सरकार ने एंबुलेंस की व्यवस्था दूसरे राज्यों से की। 

कैट्स अधिकारियों के मुताबिक उत्तर प्रदेश से 25 और राजस्थान से पांच एंबुलेंस मंगाई गईं हैं। इस तरह दिल्ली कैट्स की 15 और कुछ निजी अस्पतालों की एंबुलेंस मिलाकर कुल59 एंबुलेंस स्वतंत्रता दिवस पर तैनात रहेंगी।

क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि 1जुलाई को जब से कैट्स एंबुलेंस को चलाने की जिम्मेदारी जीवीके- एमआईआर कंपनी को दी गई उसके बाद से ही 1200 कर्मचारी हड़ताल पर हैं। ये कैट्स द्वार एंबुलेंस का संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी निजी कंपनी को दिये जाने का विरोध कर रहे है। कर्मचारियों की एक सबसे प्रमुख मांग है कि उन्हें ठेके पर ही रखा जाए लेकिन एंबुलेंस का संचालन कैट्स खुद करे, बीच में किसी ठेकदार को न रखा जाए।

कर्मचारियों के संगठन कैट्स एंबुलेंस स्टाफ यूनियन, जिसके बैनर तले यह अंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आम तौर पर स्वतंत्रता दिवस पर100 एंबुलेंस लगाए जाते थे। लेकिन इस बार हालत ये है कि अलर्ट के बाद भी दिल्ली सरकार एंबुलेंस का व्यवस्था नहीं कर सकी। यह उनकी अव्यवस्था को दिखाता है।

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निजीकरण का विरोध क्यों?

उन्होंने यह भी बताया कि वो लोग निजीकरण का विरोध क्यों कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब किसी निजी कंपनी द्वारा आपतकालीन सेवाएं चलाई जाती हैं तो वो लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ करती है क्योंकि उन्हें सुरक्षा से नहीं अपने शुद्ध लाभ से मतलब होता है। उन्होंने बताया कि जब हम निजी कंपनी से गाड़ी की खराब हालत के बारे में कहते है, तो वो हमें नौकरी से निकलने की धमकी देते हैं।

आगे उन्होंने यह कहा कि एंबुलेंस,फायर,पुलिस ये सभी लाइफ सेविंग सेवाएं हैं, इसका निजीकरण लोगों की जान को खतरे में डालता है। क्योंकि इसमें जिम्मेदारी का काम है और सरकार से जिम्मेदार संस्था कोई नहीं है। लेकिन सरकार पता नहीं क्यों एंबुलेंस सेवाओं का निजीकरण करने में लगी हुई है जबकि हमने पहले कैट्स के तहत ही एंबुलेंस चलाया है, वो भी किसी कंपनी से बेहतर, इसलिए सवाल उठता की सरकार निजीकरण क्यों चाहती है?

आज (मंगलवार, 13 अगस्त) 45दिन हो जाने के बाद हमने पूछा कि यह अंदोलन और जनता की समस्या कब तक चलेगी तो यूनियन ने कहा कि जिस दिन सरकार अपने निजीकरण का फैसला वापस लेगी उसके दो घंटे में सभी गाड़ियां सड़क पर होंगी।

इस पूरे मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। हमने कई अधिकारियों से बात करने की कोशिश की लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। अगर कोई जवाब आएगा तो ये खबर अपडेट कर दी जाएगी।

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