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भाजपा का भ्रामक प्रोपगेंडा: कोविड संबंधित उत्पादों पर जीएसटी घटा
भाजपा का दावा है कि कोरोना के दौरान कोविड संबंधी उत्पादों पर टैक्स घटा है। अब सवाल ये उठता है कि “दौरान” का मतलब क्या है? कोरोना जनवरी 2020 से चल रहा है। तो क्या मान लें कि फरवरी या मार्च 2020 में टैक्स घटाया गया?
राज कुमार
02 Jul 2021
GST

मोदी सरकार बड़े धूम-धाम से जीएसटी के चार साल मना रही है। भाजपा मीडिया में उपलब्धियों का प्रचार कर रही है औऱ सोशल मीडिया पर पोस्टर और ग्रैफिक की बाढ़ आई हुई है।

 30 जून को #4yearsofGST ट्रेंड करता रहा।

इसी सिलसिले में भाजपा ने अपने आधिकारिक अकाउंट से एक ग्रैफिक ट्वीट किया है जिसमें बताया गया है कि कोविड के दौरान कोविड से संबंधित उपकरणों एवं उत्पादों पर टैक्स घटाया गया। ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय वित्त एवं कार्पोरेट राज्य मामले मंत्री अनुराग ठाकुर और वित्त मंत्रालय को टैग भी किया गया है। इस लिंक पर क्लिक करके आप ट्वीट देख सकते हैं।

आइये, पूरे मामले को समझते है और जानते हैं कि मास्क, हैंड सेनेटाइज़र, हैंडवॉश, थर्मामीटर, कोविड टेस्टिंग किट, वेंटिलेटर, वेंटिलेटर मास्क एवं कनुला, मेडिकल ग्रेड ऑक्सीज़न और ऑक्सीमीटर आदि पर सरकार कितना जीएसटी ले रही है। इन उपकरणों पर टैक्स को लेकर सरकार का क्या रिकॉर्ड है? सबसे पहले शुरुआत हैंड सेनेटाइज़र, मास्क और हैंडवॉश से करते है। क्योंकि कोविड के दौरान ये तीन चीज़ें हर नागरिक के लिये अपरिहार्य हो चुकी हैं। 

मास्क, हैंड सेनेटाइज़र और हैंडवॉश पर जीएसटी

भारत में जनवरी 2020 के अंतिम सप्ताह में कोरोना का पहला केस पाया गया। उसके बाद से लहर बढ़ती गई और मार्च तक देश लॉकडाउन में पहुंच गया। गौरतलब है ये वो समय था जब वैक्सीन नहीं आई थी और बचाव ही एकमात्र उपचार था, अतः मास्क, हैंड सेनेटाइज़र और हैंडवॉश अत्यंत आवश्यक हो गये थे। हैंड सेनेटाइज़र की कमी हो गई थी। इसी दौरान हैंड सेनेटाइज़र निर्माण के क्षेत्र में अनेकों कम्पनियां आ गई। हैंड सेनेटाइज़र की खपत चरम सीमा पर पहुंच गई।

उस समय सेनेटाइज़र पर 18 प्रतिशत, पीपीई किट पर 12 प्रतिशत, वेंटिलेटर पर 12 प्रतिशत, ग्लव्ज़ पर 12 प्रतिशत, लिक्विड हैंड वॉश पर 18 प्रतिशत, एंबुलेंस सेवाओं पर 28 प्रतिशत और मास्क पर 5 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा था।

हैंड सेनेटाइज़र, हैंडवॉश और मास्क एसेंशिएल कॉमोडिटी में शामिल किये जाने की मांग उठी।  13 मार्च, 2020 को केंद्र सरकार ने घोषणी की थी कि हैंड सेनेटाइज़र और मास्क एसेंशिएल कॉमोडिटी हैं। जुलाई, 2020 में हैंड सेनेटाइज़र और मास्क को एसेंशिएल कॉमोडिटी की लिस्ट से हटा दिया गया।

21 अप्रैल 2020 को उद्यमियों की संस्था चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के संयोजक बृजेश गोयल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की थी कि कोविड संबंधी उत्पादों से जीएसटी हटाई जाए। मद्रास हाइकोर्ट में अपील की गई थी कि हैंड सेनेटाइज़र से 18 प्रतिशत और मास्क से 5 प्रतिशत जीएसटी हटाई जाए।

लगातार मांग उठती रही कि कोविंड संबंधी उत्पादों से जीएसटी हटाई जाए लेकिन नहीं हटाई गई। देश में भयानक गरीबी है और कोरोना की वज़ह से लोगों का रोज़गार जा रहा है और स्थितियां विकट हो रही हैं। लेकिन ऐसे में भी हैंड सेनेटाइज़र और मास्क जैसी जीवन रक्षक वस्तुओं पर जीएसटी नहीं हटाई गई। महामारी के दौर में ये अपराधिक गतिविधि है क्योंकि ये जीवन रक्षक अनिवार्य उत्पादों तक लोगों की पहुंच को कम कर देती है।

क्या कोरोना के दौरान कोविड उत्पादों पर टैक्स घटा है?

भाजपा का दावा है कि कोरोना के दौरान कोविड संबंधी उत्पादों पर टैक्स घटा है। अब सवाल ये उठता है कि “दौरान” का मतलब क्या है? कोरोना जनवरी 2020 से चल रहा है। तो क्या मान लें कि फरवरी या मार्च 2020 में टैक्स घटाया गया? सच्चाई ये है कि 12 जून 2021 को जीएसटी काउंसिल की 44वीं बैठक में कोविड संबंधी उत्पादों से जीएसटी घटाया गया है। 12 जून को देश में कोरोना के कुल 2 करोड़ 94 लाख 39 हज़ार 38 केस थे और 12 जून तक 3 लाख 75 हज़ार 837 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी थी। 12 जून को जीएसटी घटाने का फैसला लिया गया और 30 जून को यानी मात्र 18 दिन के भीतर ही इसे कोरोना के “दौरान” जीएसटी घटाने के दावे के तौर पर ट्रेंड करा दिया गया।

स्पष्ट है कि “दौरान” शब्द किसी ठोस समय सीमा को नहीं दर्शाता। भाजपा द्वारा ट्वीट किये गये ग्रैफिक से लगता है कि सरकार ने काफी पहले जीएसटी घटा दी थी जबकि सच्चाई ये है कि ये फैसला मात्र 18 दिन पहले लिया गया है। इसलिये भाजपा द्वारा किया गया ट्वीट प्रोपगेंडा का हिस्सा है और भ्रामक है।

कोविड संबंधी उत्पादों पर कितना जीएसटी घटाया गया है ये आप नीचे दिये गये चित्र में देख सकते हैं या इस लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं। ये दरें 30 सितंबर 2021 तक लागू हैं।

जीएसटी घटाने का मकसद लोगों को राहत देना है या हैडलाइन हड़पना

सवाल ये भी उठता है कि ये लोगों को राहत देने के लिए किया गया है या जीएसटी के 4 साल पूरा होने के मौके पर हैडलाइन हड़पने के लिये। क्योंकि 28 मई को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में कोरोना संबंधी उत्पादों और उपकरणों पर जीएसटी हटाने/घटाने संबंधी निर्णय पर कोई फैसला नहीं हो पाया था। विपक्ष और कई राज्यों ने वित्तमंत्री से मांग की थी कि कोविड संबंधी सेवाओं, उत्पादों और उपकरणों को जीएसटी से मुक्त किया जाए। निर्मला सीतारमण पहले भी कहती रही हैं कि हैंड सेनेटाइज़र आदि से जीएसटी नहीं हटाई जा सकती। तो अचानक जीएसटी के चार साल पूरा होने से ठीक पहले वित्तमंत्री का हृद्य परिवर्तन कैसे हुआ? ये उत्तर प्रदेश चुनाव का असर है या हैडलाइन हड़पने के लिए इवेंट रचा गया है। ताकि जीएसटी के चार साल धूम-धाम से मना सकें।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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