NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
उत्पीड़न
कानून
मज़दूर-किसान
भारत
लखनऊ में लॉकडाउन की अफ़वाहों से ख़ौफ़ के साये में प्रवासी मज़दूर, कई लोग घर के लिए रवाना
छत्तीसगढ़ के एक निर्माण श्रमिक सुमेंदु के मुताबिक़ होली से पहले ही प्रवासी श्रमिकों का एक बड़ा हिस्सा राज्य की राजधानी छोड़ चुका है और बाक़ी लोग अपने पैतृक गांवों वापस जाने की योजना बना रहे हैं क्योंकि उन्हें इस बात का डर है कि पिछली बार की तरह वे रोज़गार और पैसे के बिना फिर से फंस जायेंगे।
अब्दुल अलीम जाफ़री
07 Apr 2021
Labourers

लखनऊ: प्रवासी मज़दूर सुमेंदु 5 अप्रैल को भारी मन से अपने गृह राज्य छत्तीसगढ़ जाने के लिए लखनऊ के अवध बस स्टैंड पर बस में सवार होने का इंतज़ार कर रहे थे। परिवार में चार बच्चों के पिता और इकलौकमाने वाले सुमेंदु लखनऊ में एक निर्माण श्रमिक के रूप में काम करता था, जो कुछ काम पाने की उम्मीद से दो महीने पहले ही लौटे थे। लेकिन, वह अब इन अफ़वाहों के बीच यह शहर छोड़ रहा है कि उत्तर प्रदेश में कोविड -19 के बढ़ते मामलों के बीच एक और लॉकडाउन लगाये जाने की संभावना है।

परेशान सुमेंदु ने न्यूज़क्लिक को बताया कि वह बस में खाली हाथ ही सवार हुआ है, उसे लगा था कि कुछ ही महीनों में चीज़ें सामान्य हो जायेंगी, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। सुमेंदु ने आगे बताया, “पिछले साल मार्च के दौरान पूरे देश में अचानक लॉकडाउन लगने के बाद,  लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मज़दूर पैदल ही निकल गये थे,क्योंकि देश में सभी तरह की गाड़ियों के चलने पर रोक लगा दी गयी थी। कई दिनों तक पैदल चलने के बाद अपने गांव पहुंचने वाले प्रवासी मज़दूरों की पीड़ा को कोई नहीं भूल सकता। एक और लॉकडाउन लगने को लेकर उसी तरह का डर हमें फिर से सता रहा है, इसलिए हम अपने गांव वापस जा रहे हैं।”

उत्तर प्रदेश में कोविड-19 मामलों में अचानक आयी बढ़ोत्तरी के बाद योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस साल 11 अप्रैल तक स्कूलों को बंद करते हुए 30 जून तक राज्य भर में महामारी नियंत्रण अधिनियम को लागू कर दिया है। इस तरह के उपायों ने प्रवासी श्रमिक के बीच लॉकडाउन को लेकर फिर से चिंता में डाल दिया है। सुमेंदु के मुताबिक़, होली से पहले ही प्रवासी श्रमिकों का एक बड़ा हिस्सा राज्य की राजधानी छोड़ चुका है और बाक़ी लोग अपने पैतृक गांव वापस जाने की योजना बना रहे हैं,क्योंकि उन्हें डर है कि पिछली बार की तरह ही इस बार भी रोज़गार और पैसों के बिना फिर वे फंस जायेंगे।

बिहार के पूर्णिया क्षेत्र के 45 वर्षीय कामगार,हेमंत को भी ऐसा ही डर सता रहा है। वह पहले निर्माण स्थल पर अयोध्या लौट आया था,लेकिन अब वापस अपने गांव जा रहा है।

पिछले साल के लॉकडाउन की दहशत को याद करते हुए हेमंत ने बताया, "हमारी साइट पर निर्माण कार्य चल रहा है। इसे पिछले साल अक्टूबर में फिर से शुरू किया गया था, जब ज़्यादातर मज़दूर अपने गांव से वापस आ गये थे। तब से काम ठीक ठाक चल रहा था, लेकिन मार्च के दूसरे सप्ताह से जब कोविड-19 के मामले तेज़ी से बढ़ने लगे, तो संक्रमण और अब एक और लॉकडाउन लगाये जाने के डर से हम परेशान होना शुरू हो गये हैं। 35 श्रमिकों के एक समूह में से 20 श्रमिक पिछले हफ़्ते बिहार के अपने गृहनगर के लिए रवाना हो चुके हैं।”

नाम ज़ाहिर नहीं करने की इच्छा जताने वाले उत्तर प्रदेश राज्य सड़क यातायात निगम (UPSRTC) के एक कर्मचारी के मुताबिक़ मार्च के आख़िरी सप्ताह में 5-6 से ज़्यादा बसें प्रवासी श्रमिकों को लेकर उत्तर प्रदेश के लखनऊ और अयोध्या से बिहार और छत्तीसगढ़ रवाना हुई थीं। जब वह बस स्टैंड पहुंचे,तो उन्हें बताया गया कि प्रवासी मज़दूर न सिर्फ़ होली, बल्कि लॉकडाउन के डर से भी घर लौट रहे हैं।

यूपीएसआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक,पल्लव बोस ने न्यूज़क्लिक को बताया, “हम देख रहे हैं कि लखनऊ से बिहार और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों,यानी लखनऊ से पटना, लखनऊ से छत्तीसगढ़ और लखनऊ से बिहार और अन्य स्थानों के लिए अलग-अलग बसों से यात्रा करने वाले दैनिक यात्रियों की संख्या में काफ़ी इज़ाफ़ा हो रहा है।"

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ़ से लखनऊ में पोज़िटिव मामले से जुड़े 20 मकानों को सील करने का निर्देश देने और प्रशासन को इस बात के नये दिशानिर्देशों का पालन किये जाने वाले निर्देश देने के बाद श्रमिकों और व्यापारियों के बीच लॉकडाउन को लेकर आशंका बढ़ गयी है कि अगर कहीं से एक भी पोज़िटिव मामले की सूचना मिलती है,तो उस पूरे क्षेत्र को कंटेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया जाये।

हालांकि, इन बढ़ती आशंकाओं के बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री,जय प्रताप सिंह ने कहा है कि अभी राज्य में लॉकडाउन जैसे कठोर क़दम उठाने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने आगे बताया, "सरकार सख़्त नियंत्रण रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ख़तरनाक रुख़ अख़्तियार करने से पहले कोविड-19 मामलों को क़ाबू करने के लिए सख़्त निगरानी और परीक्षण बढ़ाये जाने पर ज़ोर दिया जा रहा  है।"

न्यूज़क्लिक ने छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के मुंगेली,बेमेतरा,बस्तर,बिलासपुर,रायपुर और कवर्धा से आये एक दर्जन से ज़्यादा प्रवासी श्रमिकों के साथ बात की,उनमें से सभी ने कहा कि चाहे कुछ भी हो, मगर वे अपने गृह नगर नहीं लौटना चाहते,क्योंकि वहां रोज़ी-रोटी का कोई ज़रिया नहीं है।

हालांकि,लखनऊ के गोमती नगर में एक निर्माण श्रमिक,जोगेश्वर ने न्यूज़क्लिक को बताया, “अगर सरकार एक बार फिर लॉकडाउन लगाती है, तो हम मर जायेंगे। हम रोज़ी-रोटी की तलाश में छत्तीसगढ़ से यहां आये थे और अगर हमें फिर से उन्हीं हालात के हवाले छोड़ दिया जाता है,तो हमारे पास फिर से अपने गांव लौट जाने के अलावा कोई चारा नहीं होगा,जहां हम एक जून के खाने का इंतज़ाम भी नहीं कर सकते।”

इस बीच, उत्तर प्रदेश ने 5 अप्रैल को 3,999 नये कोविड-19 मामलों की सूचना दी,जिसे मिलाकर कुल मामलों की संख्या 6,34,033 तक हो गयी है, जबकि मरने वालों की संख्या 13 को मिलाकर 8,894 पहुंच गयी है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

https://www.newsclick.in/fear-grips-migrant-workers-lucknow-lockdown-rumours-leave-home

Migrant labourers
Migrant workers
Coronavirus lockdown

Related Stories

कोविड-19: दूसरी लहर के दौरान भी बढ़ी प्रवासी कामगारों की दुर्दशा


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License