NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
अर्थव्यवस्था
बैंकों से धोखाधड़ी: क्या बैंकिंग व्यवस्था को गहरे आत्ममंथन की ज़रूरत है?
भारतीय रिज़र्व बैंक के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में एक लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामले में संख्या के हिसाब से 28 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 159 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Aug 2020
rbi

वित्त वर्ष 2019-20 में बैंकों और वित्त संस्थानों द्वारा रिपोर्ट किए गए एक लाख रुपये और इससे अधिक की धोखाधड़ी के मामले में संख्या के लिहाज से 28 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 159 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिजर्व बैंक की मंगलवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि पिछले वित्त वर्ष में बैंकों और वित्तीय संस्थानों में धोखाधड़ी होने और उसका पता चलने का औसत समय दो साल रहा। वहीं, 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी होने के मामले में यह समय कहीं ज्यादा रहा है।

रिजर्व बैंक ने एक लाख रुपये और इससे अधिक की धोखाधड़ी के आंकड़े बताते हुए कहा कि 2019-20 में धोखाधड़ी के कुल 8,707 मामलों का पता चला, जिसमें 185,644 करोड़ रुपये की राशि लिप्त रही। वहीं इससे पिछले साल इस प्रकार की धोखाधड़ी के कुल 6,799 मामलों में 71,543 करोड़ रुपये की राशि की ही गड़बड़ी हुई।

क्या हैं आंकड़े?

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून की अवधि के दौरान 28,843 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 1,558 मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामलों में औसतन 63 महीने में पता चला है। इनमें कई मामले तो पिछले कई साल पहले के हैं।

आपको बता दें कि आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 2019 से लेकर पिछले 11 वित्तीय वर्षों में 2.05 लाख करोड़ रुपये की भारी धनराशि की बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए थे। इससे पहले 2008- 09 में 1,860.09 करोड़ रुपये के 4,372 मामले सामने आए. इसके बाद 2009- 10 में 1,998.94 करोड़ रुपये के 4,669 मामले दर्ज किए गए।

2015- 16 में 18,698.82 करोड़ रुपये के 4,693 मामले और 2016- 17 में 23,933.85 करोड़ रुपये मूल्य के 5,076 मामले सामने आए। इसके अलावा वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकिंग क्षेत्र ने 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,799 मामलों को रिपोर्ट किया।

क्या है कारण?

गौरतलब है कि बैंकों से मामूली रकम कर्ज लेने के लिए आम नागरिक को कितनी परेशानी उठानी पड़ती है तथा तमाम दस्तावेजों की पड़ताल के बाद ही कर्ज मिल पाता है। चुकौती की किस्तों को वक्त पर जमा करने का दबाव भी बैंक की तरफ से होता है। जबकि बड़ी रकम के कर्ज की मंजूरी में तो बैंकों के शीर्ष अधिकारी भी शामिल होते हैं। ऐसे में इस तरह की धोखाधड़ी के लिए बैंकों का शीर्ष प्रबंधन भी जिम्मेदार है।

आरबीआई द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों द्वारा अग्रिम चेतावनी संकेत (ईडब्ल्यूएस) पर ठीक से अमल नहीं करने, आंतरिक आडिट के समय ईडब्ल्यूएस का पता नहीं चलने, फारेंसिंक जांच के दौरान कर्ज लेनदार का सहयोग नहीं मिलना, अधूरी आडिट रिपोर्ट और संयुक्त कर्जदाताओं की बैठक में फैसले नहीं ले पाना जैसे कई मुद्दे हैं जिनकी वजह से समय रहते धोखाधड़ी का पता नहीं चल पाता है।

सरकार का क्या है कहना?

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को बैंकों को कर्ज देने के लिये प्रोत्साहित करते हुये कहा कि जोखिम से जरूरत से ज्यादा बचने की प्रवृत्ति उनके लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है इसलिये उन्हें आगे बढ़कर कर्ज देना चाहिये और धोखाधड़ी को भांपने और समझने के पुख्ता इंतजाम करने चाहिये।

दास ने कहा कि बैंकों को धोखाधड़ी को रोकने की अपनी क्षमता में सुधार लाने की पर्याप्त गुंजाइश है, ताकि वे कमजोरियों की तुरंत पहचान कर सकें। उन्होंने कहा कि बैंकों की जोखिम प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि वह विभिन्न कारोबार में धोखाधड़ी को पहले ही भांप ले और बाहरी माहौल में बदलाव के साथ पैदा होने वाले जोखिमों की समय रहते पहचान कर ले।

दास ने कहा कि हाल में धोखाधड़ी के जो मामले सामने आए हैं, उनके मूल में कर्ज को मंजूरी देते समय या मंजूरी के बाद ऋण की निगरानी में संबंधित बैंक की प्रभावशाली जोखिम प्रबंधन क्षमता का अभाव रहा है। दास ने कहा कि कर्ज देने से बचने की जगह बैंकों को अपने जोखिम प्रबंधन और प्रशासनिक ढांचे में सुधार करना चाहिए और खुद में पर्याप्त लचीलापन लाना चाहिए।

क्यों जरूरी है सुधार?

आपको बता दें कि कोरोना महामारी से पैदा हुईं आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों व एनपीए यानी फंसे कर्जों के बोझ से बैंक पहले से ही दबे हुए हैं। ऐसे में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का भी उन्हें सामना करना पड़ रहा है। जिस प्रकार से फंसे हुए कर्ज की समस्या मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ है, उसी तरह से फर्जीवाड़े के सबसे ज्यादा शिकार भी यही बैंक हुए हैं।धोखाधड़ी के 80 फीसदी मामले इन्हीं बैंकों के साथ हुए हैं।

इस आंकड़े को देखकर तो यही कहा जा सकता है कि बैंकिंग तंत्र में बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती जा रही है, जिसे रिजर्व बैंक की रिपोर्ट ने भी रेखांकित किया है। इस संबंध में तुरंत सुधार करना जरूरी है। ध्यान देनी वाली बात यह है कि तमाम तरह के जरूरी कदम उठाने के बावजूद बैंकों के पैसे लेकर हजम कर जाना अगर इस कदर आसान है, तो फिर हमारी बैंकिंग व्यवस्था को गहरे आत्ममंथन की जरूरत है।

समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ

RBI
banking sector
Bank
SBI
Banking sector crises

Related Stories

लंबे समय के बाद RBI द्वारा की गई रेपो रेट में बढ़ोतरी का क्या मतलब है?

आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!

महंगाई 17 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर, लगातार तीसरे महीने पार हुई RBI की ऊपरी सीमा

रिपोर्टर्स कलेक्टिव का खुलासा: कैसे उद्योगपतियों के फ़ायदे के लिए RBI के काम में हस्तक्षेप करती रही सरकार, बढ़ती गई महंगाई 

आज़ादी के बाद पहली बार RBI पर लगा दूसरे देशों को फायदा पहुंचाने का आरोप: रिपोर्टर्स कलेक्टिव

ख़बरों के आगे-पीछे: 23 हज़ार करोड़ के बैंकिंग घोटाले से लेकर केजरीवाल के सर्वे तक..

गुजरात : एबीजी शिपयार्ड ने 28 बैंकों को लगाया 22,842 करोड़ का चूना, एसबीआई बोला - शिकायत में नहीं की देरी

DCW का SBI को नोटिस, गर्भवती महिलाओं से संबंधित रोजगार दिशा-निर्देश वापस लेने की मांग

RBI कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे: अर्थव्यवस्था से टूटता उपभोक्ताओं का भरोसा

बैंक निजीकरण का खेल


बाकी खबरें

  • एम.ओबैद
    एमपी : ओबीसी चयनित शिक्षक कोटे के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे
    26 Apr 2022
    चयनित शिक्षक पिछले एक महीने से नियुक्ति पत्र को लेकर प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन मांग पूरी न होने पर अंत में आमरण अनशन का रास्ता चयन किया।
  • अखिलेश अखिल
    यह लोकतांत्रिक संस्थाओं के पतन का अमृतकाल है
    26 Apr 2022
    इस पर आप इतराइये या फिर रुदाली कीजिए लेकिन सच यही है कि आज जब देश आज़ादी का अमृतकाल मना रहा है तो लोकतंत्र के चार प्रमुख स्तम्भों समेत तमाम तरह की संविधानिक और सरकारी संस्थाओं के लचर होने की गाथा भी…
  • विजय विनीत
    बलिया पेपर लीक मामला: ज़मानत पर रिहा पत्रकारों का जगह-जगह स्वागत, लेकिन लड़ाई अभी बाक़ी है
    26 Apr 2022
    "डबल इंजन की सरकार पत्रकारों को लाठी के जोर पर हांकने की हर कोशिश में जुटी हुई है। ताजा घटनाक्रम पर गौर किया जाए तो कानपुर में पुलिस द्वारा पत्रकारों को नंगाकर उनका वीडियो जारी करना यह बताता है कि…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जन आंदोलनों के आयोजन पर प्रतिबंध अलोकतांत्रिक, आदेश वापस लें सरकार : माकपा
    26 Apr 2022
    माकपा ने सवाल किया है कि अब जन आंदोलन क्या सरकार और प्रशासन की कृपा से चलेंगे?
  • ज़ाहिद खान
    आग़ा हश्र काश्मीरी: गंगा-ज़मुनी संस्कृति पर ऐतिहासिक नाटक लिखने वाला ‘हिंदोस्तानी शेक्सपियर’
    26 Apr 2022
    नाट्य लेखन पर शेक्सपियर के प्रभाव, भारतीय रंगमंच में महत्वपूर्ण योगदान और अवाम में उनकी मक़बूलियत ने आग़ा हश्र काश्मीरी को हिंदोस्तानी शेक्सपियर बना दिया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License