NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
गाज़ा पर 2014 के बाद से इज़रायल का सबसे बड़ा हवाई हमला
इस हमले में दो नाबालिग लड़के मारे गए और कम से कम 30 लोग घायल हो गए वहीं दो अन्य फिलिस्तीनियों की सीमा पर गोली लगने से मौत हो गई।
द डॉन न्यूज़
17 Jul 2018
गाजापट्टी पर हमला
गाज़ा में 15 वर्षीय आमिर अल-निम्रा के अंतिम संस्कार के दौरान उनकी माँ (बाएँ से दूसरी) और तीन बहनेंI [Hosam Salem/Al Jazeera]

इज़़रायल ने 2014 के अपने 'सुरक्षात्मक' हमले के बाद से गाज़ा पर शुक्रवार की रात अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया। इस हमले में दो नाबालिग़ लड़के मारे गए। फिलीस्तीनी आतंकवादी प्रतिरोध समूह हमास ने सीमा पार से रॉकेट छोड़ कर जवाबी हमला किया।

इन लड़कों की पहचान अमीर अल-निमरा और लुई कहिल के रूप में की गई है। जब हवाई हमला हुआ तो ये लड़के एक इमारत की छत पर खेल रहे थे। इस हवाई हमले में वे गंभीर रूप से ज़ख़्मी हो गए। इज़़रायली सेना ने गाज़ा में इस रात 40 जगहों पर हमला किया। सेना ने कथित तौर पर कहा वे हमास के ठिकाने थे। गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ अल-क़िद्र के मुताबिक़ इज़रायल की तरफ से की गई इस बमबारी के परिणामस्वरूप 30 फिलिस्तीनी घायल हुए। इस हमले में गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय की इमारतों और एम्बुलेंस को नुकसान पहुँचा।

मंत्रालय ने यह भी कहा कि गाज़ा-इज़़रायल सीमा के पास शुक्रवार के विरोध में हिस्सा लेने के दौरान दो फिलिस्तीनी ओथमान रामी हेल्स (15) और मोहम्मद नस्सर शुराब (20) की गोली लगने से मौत हो गई, साथ ही 220 फिलिस्तीनी घायल हो गए।

साल 2014 के हमले में इज़रायली सैनिकों ने क़रीब 2,251 फिलिस्तीनियों की हत्या कर दी थी। इनमें ज़्यादातर आम लोग थे।

हारेत्ज़़ के मुताबिक़ शनिवार को रॉकेट हमले में दक्षिणी इज़राइली शहर सडरोट में चार इज़़रायली नागरिक भी घायल हो गए। हारेत्ज़़ ने यह भी बताया कि इज़राइल पर गाज़ा से 190 से अधिक रॉकेट और मोर्टार के गोले दागे गए। 73 गोले खुले इलाकों में गिरे और 37 गोले इज़राइल के आयरन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली द्वारा नष्ट कर दिए गए।

रविवार को एक अन्य घटना में 31 वर्षीय फिलिस्तीनी व्यक्ति अहमद मंसूर हसन और उसके 13 वर्षीय बेटे लुई अहमद हसन गाज़ा में अज्ञात परिस्थितियों में मारे गए थे। हमास ने कहा कि अंदाज़ा है कि वे एक आकस्मिक हमले के शिकार हुए लेकिन उसने कहा कि आगे की जांच की जाएगी।

इज़़रायल ने कहा कि ये हवाई हमले 30 मार्च को ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न के बाद से "हफ्तों की हिंसा" जैसे रॉकेट हमले, टायर जलाना, बम छोड़ना,भड़काऊ पतंग और गुब्बारे के जवाब में किए गए थे। हालांकि इस मार्च के संचालन के लिए ज़िम्मेदार लोगों ने कहा है कि हमास एक मात्र संगठन है जो इसमें हिस्सा ले रहा है।

इजरायली रक्षा मंत्री एविगडोर लिबरमैन ने घोषणा की कि इस देश का "रॉकेट, पतंग, ड्रोन या कुछ भी सहन करने का कोई इरादा नहीं था। हमास ने ग़लत किया है, मुझे उम्मीद है कि हमास निष्कर्ष निकालेगा और यदि नहीं तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।"

हमास के प्रवक्ता फौजी बरहौम ने कहा कि रॉकेट हमले इज़रायली हवाई हमले के जवाब में किया गया था, आगे कहा कि "हमारे लोगों की सुरक्षा और रक्षा एक राष्ट्रीय कर्तव्य और रणनीतिक इच्छा है" और "इज़रायल के हमले में वृद्धि और उसकी तीव्रता नए एजंडे को नहीं दबाएगा।" बरहौम ने यह भी पुष्टि की कि इज़रायली हमले मार्च ऑफ रिटर्न को रोक नहीं पाएगा।

30 मार्च से द ग्रैट मार्च ऑफ रिटर्न विरोध के दौरान अंधाधुंध इज़रायली गोलीबारी से 139 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई है और हजारों अन्य लोग घायल हो गए हैं। गाज़ा में फिलिस्तीनियों ने इलाक़े में 12 साल के इज़़रायली नाकेबंदी को ख़त्म करने और फिलीस्तीनी शरणार्थियों के अपने घरों में वापसी के अधिकार का आह्वान करते रहे हैं। इनके घरों से शरणार्थियों को जबरन 1948 में निष्कासित कर दिया गया था।

हालांकि हमास ने शनिवार को कहा कि इज़रायल के साथ युद्धविराम हुआ था। इस फिलीस्तीनी इस्लामी जिहादी समूह ने एक अलग बयान में यह भी कहा कि एक मिस्री ने युद्धविराम संधि में मध्यस्थता की जिससे हिंसा समाप्त हुई थी।

संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत निकोले म्लाडेनोव ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने का आग्रह किया और कहा, "कल हम युद्ध के कगार पर थे, और टकराव से पीछे हटने को सुनिश्चित करने के लिए सभी को ठोस प्रयास करना है, हर किसी को एक क़दम पीछे हटने की ज़रूरत है।"

गाज़ा
Gaza strip
इज़राइल
फिलिस्तीन
हवाई हमले
युद्ध

Related Stories

लैंड डे पर फ़िलिस्तीनियों ने रिफ़्यूजियों के वापसी के अधिकार के संघर्ष को तेज़ किया

इस्राइल का दोहरा अपराध: उपनिवेशवाद और नस्लवाद

गाज़ा के भीतर हवाई हमलों के बीच इज़रायल को हथियारों की बिक्री के ख़िलाफ़ अमेरिका में विरोध तेज़

गाज़ा में जारी इज़रायली हमले के विरोध में फ़िलीस्तीनियों ने मंगलवार को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया

बीच बहस: फिलिस्तीन का संकट क्या है और हमें क्यों चिंता करनी चाहिए!

गाज़ा पट्टी के भीतर इज़रायल के हवाई हमले में क़रीब 24 फ़िलिस्तीनियों की मौत

इज़रायल ने गाज़ा पट्टी पर बम गिराया

सीरिया और कब्जे वाले गाजा पट्टी पर इजरायल के हवाई हमले में दो लोग मारे गए

वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में फिलिस्तीन पर हुई गंभीर बहस

इज़रायली बलों द्वारा तामीमी परिवार के एक अन्य सदस्य को गिरफ्तार किया गया


बाकी खबरें

  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    यूपी: योगी 2.0 में उच्च-जाति के मंत्रियों का दबदबा, दलितों-पिछड़ों और महिलाओं की जगह ख़ानापूर्ति..
    02 Apr 2022
    52 मंत्रियों में से 21 सवर्ण मंत्री हैं, जिनमें से 13 ब्राह्मण या राजपूत हैं।
  • अजय तोमर
    कर्नाटक: मलूर में दो-तरफा पलायन बन रही है मज़दूरों की बेबसी की वजह
    02 Apr 2022
    भारी संख्या में दिहाड़ी मज़दूरों का पलायन देश भर में श्रम के अवसरों की स्थिति को दर्शाता है।
  • प्रेम कुमार
    सीबीआई पर खड़े होते सवालों के लिए कौन ज़िम्मेदार? कैसे बचेगी CBI की साख? 
    02 Apr 2022
    सवाल यह है कि क्या खुद सीबीआई अपनी साख बचा सकती है? क्या सीबीआई की गिरती साख के लिए केवल सीबीआई ही जिम्मेदार है? संवैधानिक संस्था का कवच नहीं होने की वजह से सीबीआई काम नहीं कर पाती।
  • पीपल्स डिस्पैच
    लैंड डे पर फ़िलिस्तीनियों ने रिफ़्यूजियों के वापसी के अधिकार के संघर्ष को तेज़ किया
    02 Apr 2022
    इज़रायल के क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में और विदेशों में रिफ़्यूजियों की तरह रहने वाले फ़िलिस्तीनी लोग लैंड डे मनाते हैं। यह दिन इज़रायली क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ साझे संघर्ष और वापसी के अधिकार की ओर प्रतिबद्धता का…
  • मोहम्मद सज्जाद, मोहम्मद ज़ीशान अहमद
    भारत को अपने पहले मुस्लिम न्यायविद को क्यों याद करना चाहिए 
    02 Apr 2022
    औपनिवेशिक काल में एक उच्च न्यायालय के पहले मुस्लिम न्यायाधीश, सैयद महमूद का पेशेवराना सलूक आज की भारतीय न्यायपालिका में गिरते मानकों के लिए एक काउंटरपॉइंट देता है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License