NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
गुजरात में मछुआरों की आजीविका बर्बाद करने को लेकर विश्व बैंक क़ानूनी कार्रवाई का कर रहा सामना
गुजरात में कच्छ के मछुआरों ने इंटरनेशनल फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन (आईएफसी) से नुकसान की भरपाई के लिए यूएस के कई अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया है।
विवान एबन
07 May 2018
tata power plant

गुजरात में कच्छ के मछुआरों ने इंटरनेशनल फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन (आईएफसी) से नुकसान की भरपाई के लिए यूएस के कई अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया है।

ज्ञात हो कि आईएफसी विश्व बैंक समूह की निजी निवेश के लिए क़र्ज़ देने वाली एक शाखा है जो प्रतिरक्षा क़ानून के पीछे क़ानूनी कार्रवाई से बच रही है। प्रतिरक्षा के आधार पर इन दावों को अदालत ने खारिज कर दिया था जहां पहले दाखिल किया गया था साथ ही सर्किट कोर्ट (अपीलीय अदालत) से भी खारिज कर दिया गया था।

अब मामला संयुक्त राज्य अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है। अदालत 10 मई को अपना फ़ैसला सुनाएगा।

कार्रवाई का कारण तब सामने आया जब आईएफसी ने टाटा की एक सहायक कंपनी कोस्टल गुजरात पावर लिमिटेड को 450 मिलियन डॉलर का ऋण दिया। यह परियोजना मुंद्रा में कच्छ के तट पर 4,150 मेगावाट कोयले आधारित थर्मल पावर प्लांट के लिए थी।

कंप्लायंस एडवाइजऱ ऑम्बुड्समैन (सीएओ) के एक ऑ़डिट रिपोर्ट के मुताबिक इस परियोजना ने आईएफसी के कई परफॉर्मेंस स्टैंडर्ड (पीएस) का उल्लंघन किया। सीएओ केवल विश्व बैंक के अध्यक्ष को रिपोर्ट देते हैं। ये मानवीय नुकसान ने स्थानीय समुदायों को संयुक्त राज्य अमेरिका में अदालत में जाने के लिए प्रेरित किया।

प्रभावित समुदायों के शपथ-पत्र में इस परियोजना को अपनी आजीविका और पर्यावरण के लिए खतरनाक दिखाया है। इस बिजली संयंत्र ने पानी ठंडा करने के लिए एक तंत्र नहीं स्थापित किया है। जहां यह निकलता है वहां यह समुद्र के पानी का तापमान बढ़ाता है जो संयोग से मछली पकड़ने का क्षेत्र है। पानी के बढ़ते तापमान के कारण मछलियां मर रही है।

कम होती मछलियों की तादाद के परिणामस्वरूप अपनी आजीविका के लिए मछली पकड़ने पर निर्भर इस समुदायों को या तो समुद्र में अंदर जाने या ये काम छोड़ कर निर्माण स्थलों पर काम करने जैसे अन्य काम करने को मजबूर हैं।

थर्मल पावर प्लांट के निर्माण के लिए काफी पानी की आवश्यकता होती है। इन प्लांट को पानी के निकलने लिए एक इनलेट और आउटलेट की आवश्यकता होती है। इनलेट संयंत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले ठंडे पानी में लाता है और आउटलेट अपशिष्ट गर्म पानी को निकालता है।

अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार निकलने वाले गर्म पानी को पहले पर्याप्त ठंडा होना आवश्यक है। यह तट के नजदीक स्थित प्लांट को भूजल न तो बर्बाद करने या न तो प्रदूषित करने की अनुमति देता है। साथ ही यह न तो तट से आंतरिक क्षेत्रों के भूजल को बर्बाद या प्रदूषित करने की अनुमति देता है। एक और पहलू कोयले की धूल और उड़ते हुए राख से संबंधित है। संयंत्र को कोयला पहुंचाने वाला ये कन्वेयर बेल्ट ठीक उस स्थान से गुजरता है जहां ये मछुआरे परंपरागत रूप से मछली पकड़़ते थें। कोयले की धूल उनके मछली पकड़ने के क्षेत्र को गंदा कर देता है। प्लांट से निकलने वाले राख ने उन कुओं को प्रदूषित कर दिया है जहां से ये लोग पानी लेते थें। इस प्रकार, पानी जहरीला हो गया है, भोजन जहरीला हो गया है, और उनके आर्थिक कल्याण को ख़तरे में डाल दिया गया है।

आईएफसी के ख़िलाफ़ मांगी गई राहत टॉर्ट क़ानून पर आधारित थी (टॉर्ट क़ानून सिविल कानून के उन पहलुओं से संबंधित है जिनके लिए कोई विधान नहीं है)। मछिमार अधिकार संघ संगठन (एमएएसएस) ने लापरवाही, उपेक्षा और क्षेत्र में प्रवेश से होने वाले नुकसान का दावा किया है।

दूसरी तरफ आईएफसी ने प्रतिरक्षा का बचाव किया है। यह प्रतिरक्षा जिसका वे दावा करते हैं संयुक्त राज्य अमेरिका के दो कानूनों पर आधारित है। ये दो क़ानून हैं फॉरेन सॉवरेन इम्यूनिटिज एक्ट (एफएसआईए) और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन इम्यूनिटिज एक्ट (आईओआईए)।

एफएसआईए को 1976 में अधिनियमित किया गया था और उनके सरकारी कार्यों के लिए विदेशी संप्रभुओं पर प्रतिरक्षा प्रदान करता है न कि उनके वाणिज्यिक लेनदेन के लिए। जबकि आईओआईए विदेशी राज्यों के स्तर पर अंतरराष्ट्रीय संस्थानों पर प्रतिरक्षा प्रदान करता है। आईओआईए को 1945 में लागू किया गया था यह एक ऐसा समय था जब संप्रभुओं ने अभी से ज्यादा प्रतिरक्षा का लाभ उठाया था। एटकिंसन बनाम इंटर-अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक में संयुक्त राज्य अमेरिका में एक उदाहरण में कहा गया है कि आईओआईए के तहत प्रतिरक्षा 1945 के स्तर की होगी जिसका अर्थ है कि आईएफसी देश की सरकार की तुलना में अधिक प्रतिरक्षा का आनंद लेती है।

इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने आईएफसी के प्रतिरक्षा को छोड़ने के सवाल पर तर्क दिया। मेन्डारो बनाम विश्व बैंक में सर्किट कोर्ट ने कहा था कि बाहरी वाणिज्यिक अनुबंधों और गतिविधियों से उत्पन्न होने वाली कार्रवाइयों के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन की प्रतिरक्षा को माफ कर दिया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि इस आधार पर आईएफसी की प्रतिरक्षा को माफ कर दिया गया है क्योंकि आईएफसी की बाहरी 'गतिविधियों' से कार्रवाई की मांग बढ़ी है।

सर्किट कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि दावे केवल उन पार्टियों की तरफ से हो सकते हैं जिनके पास अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ संविदात्मक संबंध है।

यहां ध्यान देने योग्य यह है कि लगता है कि आईएफसी ने अपनी आंतरिक जवाबदेही तंत्र (सीएओ रिपोर्ट के मुताबिक) की उपेक्षा की है, और इस तरह मुंद्रा में मछुआरों पर आफत आ गया है।

एक कानूनी दृष्टिकोण से यह अकल्पनीय है कि एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान जो विशेष रूप से वित्तीय लेन देन में शामिल है उसके पास एक राष्ट्र की तुलना में अधिक प्रतिरक्षा होना चाहिए।

ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है कि आईएफसी हानिकारक विकास परियोजनाओं को वित्त पोषित करने में शामिल है। ये प्रवृत्ति सामने आई है कि आईएफसी अप्रत्यक्ष रूप से बैंकों को ऋण के माध्यम से ऐसी परियोजनाओं को वित्त पोषित करके संचालित करता है। इस प्रकार, आईएफसी अविवेकी विकास के पर्यावरणीय और सामाजिक विवाद के लिए प्रत्यक्ष ज़िम्मेदारी से बचने में सक्षम है।

वर्ल्ड बैंक
गुजरात
MASS
यूनाइटेड स्टेट्स
IFC

Related Stories

''सिलिकोसिस बीमारी की वजह से हज़ारो भारतीय मजदूर हो रहे मौत के शिकार''

बुलेट ट्रेन परियोजना के खिलाफ गोदरेज ने की हाई कोर्ट में अपील

न्याय से बेजार गुजरात के बच्चे !

अदानी ग्रुप के अस्पताल में 111 नवजात शिशुओं की मौत, सरकार ने दिए जाँच के आदेश

राजकोट का क़त्ल भारत में दलितों की दुर्दशा पर रोशनी डालता है

गुजरात किसानों ने किया बुलेट ट्रेन परियोजना का विरोध,कहा किसानों के साथ मीटिंग एक धोखा थी

गुजरात सरकार ने कहा कि ऊना के दलित पीड़ितों को नौकरी और ज़मीन नहीं दी जाएगी

गुजरात में ज़मीन अधिकार के लिए दलित नेता ने की खुदकुशी, दलित आये सड़कों पर

त्रिपुरा और गुजरात: बच्चों के स्वस्थ्य की एक तुलना

गुजरात चुनाव : अस्पृश्यता और असमानता अभी भी दलितों के जीवन के रोज-मर्रा का हिस्सा


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License