NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
एनएफएल मज़दूरों का क्रमिक धरना आंदोलन शुरू
इस प्लांट में एक हज़ार से अधिक संविदा कर्मचारी हैं। जो अपने हक़ के लिए पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन प्रबंधन कर्मचारियों की मांग पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
10 Feb 2020
workers protest

मध्य प्रदेश के गुना विजयनगर में नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड( एनएफएल) मजदूर यूनियन के नेतृत्व में सोमवार 10 फरवरी से क्रमिक धरना आंदोलन शुरू किया गया है। यह अंदोलन 14 फरवरी तक जारी रहेगा। 14 फरवरी को एसडीएम कार्यालय राघौगढ़ के समक्ष रैली निकालकर प्रदर्शन कर आंदोलन किया जाएगा। इस प्लांट में एक हज़ार से अधिक संविदा कर्मचारी हैं। जो अपने हक़ के लिए पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन प्रबंधन कर्मचारियों की मांग पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड की विजयपुर इकाई, मैसर्ज नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड की चार इकाइयों में से एक है। यह निगम केंद्र सरकार के अधीन है। यहाँ कर्मचारी अपने बकाया एरियर यानी अपने हक़ के पैसे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आपको बता दें यह उपक्रम केंद्र के अधीन है इसलिए इसमें काम करने वाले कर्मचारियों पर केंद्र द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन लागू होता है लेकिन प्रबंधन मज़दूरों को राज्य द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन दे रहा था। क्योंकि राज्य का न्यूनतम वेतन केंद्र से कम हैं।

इसको लेकर कर्मचारियों ने संघर्ष किया उसके बाद प्रबंधन केंद्र द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन देने के लिए राजी हुआ और मज़दूरों को केंद्र द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन दे रहा है। लेकिन कर्मचारियों को यह वेतन जनवरी 2017 से मिलना था लेकिन प्रबंधन अप्रैल 2018 से दे रहा है। कर्मचारियों के मुताबिक उनका 14 महीने का एरियर है जिसका भुगतान प्रबंधन नहीं कर रहा है।

pro.JPG

जबकि लेबर कोर्ट ने भी मज़दूरों के हक़ में फैसला दिया है। प्रबंधन का कहना है कि जिन ठेकदारों के अंदर यह काम करते थे वो जा चुके हैं। इसपर श्रम अधिकारी ने उन्हें फटकारते हुए कहा की कर्मचारियों को पैसा देना तुम्हारा काम न कि ठेकदार का। इसके बाद भी कंपनी मज़दूरों का पैसा नहीं दे रही है। मज़दूर यूनियन के मुताबिक एक कर्मचारी का करीब 30 हज़ार रुपये का बकाया है तो मोटामोटी तीन करोड़ रूपये की राशि प्रबंधन पर बाकी है। जो वो देना नहीं चाहता हैं।

इसके आलावा कई कर्मचारी यहाँ 20 सालो से अधिक से काम कर रहे है लेकिन उनको स्थायी नहीं किया जा रहा है। जोकि सीधे सीधे श्रम कानूनों का उल्लंघन है क्योंकि स्थाई स्वरूप के कामों के लिए आप संविदा पर कर्मचारी नहीं रख सकते है,परन्तु यहाँ यह सब किया जा रहा है।

एनएफएल यूनियन के महासचिव डॉ. विष्णु शर्मा ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि एनएफएल में कार्यरत श्रमिकों की समस्याएं लंबे समय से लंबित बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि यहाँ के मज़दूर काफी लंबे समय से अपनी मांगों व समस्याओं के समाधान के लिए कई पत्र प्रबंधन को देकर अनुरोध किया गया तथा प्रबंधन से चर्चा भी की गई परंतु प्रबंधन इसे अनदेखा करता रहा है।

मज़दूरों की मांग है कि कारखाने में कार्यरत 1000 श्रमिकों को जनवरी 2017 से मार्च 2018 तक के 14 माह के एरियर के भुगतान की है।
दूसरी मुख्य समस्या ठेकेदार ब्रजेश एंड कंपनी द्वारा बोनस राशि का पूरा भुगतान न करना है।

तीसरी समस्या ठेकेदार लाखन सिंह द्वारा रेलवे रेक सफाई के मजदूरों को शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन का भुगतान न देने की रही।
आपको बता दें इस प्लांट में लगभग 14सौ से अधिक कर्मचारी काम करते है जिसमे एक हज़ार कर्मचारी संविदा पर हैं। जैसा की अधिकांश संविदा कर्मचारियों के साथ होता है उन्हें अपने काम का सही दाम नहीं मिलता या उनके श्रमिक होने के अधिकारों पर भी हमला किया जाता है। यहाँ भी इसी तरह की घटना होती है। संविदा कर्मचारियों ने बताया कि जब कोई मज़दूर अपने अधिकार या ठेकदार की शिकायत करता है तो प्रबंधन उसकी शिकायत पर ध्यान देने बजाय उसे ही धमका दिया जाता है ,कई केस में तो मज़दूरों को नौकरी से हटा दिया जाता है। श्रमिकों के साथ आए दिन गाली गलौच करते हुए अभद्रता पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है।

NFL workers
workers protest
Madhya Pradesh
National Fertilizers Limited
Labour Union
Dr. Vishnu Sharma

Related Stories

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

एमपी : ओबीसी चयनित शिक्षक कोटे के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे

मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

झारखंड: हेमंत सरकार की वादाख़िलाफ़ी के विरोध में, भूख हड़ताल पर पोषण सखी

अधिकारों की लड़ाई लड़ रही स्कीम वर्कर्स


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License