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भारत
राजनीति
ग्राउंड रिपोर्ट; जहांगीरपुरी अतिक्रमण हटाओ अभियान: नफ़रत की राजनीति से प्रेरित मेहनतक़श विरोधी क़दम!
किस तरह से कही जाए जहांगीरपुरी की कहानी। यहां के लोगों ने पहले धर्म के नाम पर हिंसा झेली। फिर अतिक्रमण के नाम पर अपने घर-दुकान खो दिए। हमने न जाने कितनी ऐसी दास्तानें सुनीं कि आंसू निकल जाएं। और साथ ही ये भी देखा कि कानून के नाम पर न्याय के सिद्धांत पर बुलडोज़र चल गया।
मुकुंद झा
20 Apr 2022
ग्राउंड रिपोर्ट; जहांगीरपुरी अतिक्रमण हटाओ अभियान: नफ़रत की राजनीति से प्रेरित मेहनतक़श विरोधी क़दम!

जहांगीरपुरी सीडी पार्क के पास मुख्य सड़क पर कबाड़ी का काम करने वाले रवि सुबह सुबह अपनी झुग्गी और अपने पडोसी नूर की झुग्गी से सामान बाहर निकाल रहे थे। हमने उनसे पूछा की वो कहाँ जा रहे हैं? उन्होंने कहा जहाँ जगह मिलेगी चले जायँगे दुनिया बहुत बड़ी है। साथ ही उन्होंने कहा कि हम बंगलदेश से नहीं आए हैं, हम बंगाल हल्दिया से आए हैं। इस पर हमने पूछा, हमने ये बात पूछा ही नहीं? तो रवि ने कहा नहीं आजकल मीडिया वाले सब यही पूछ रहे हैं कि आप बांग्लादेश के हैं और कब आए हैं?

रवि और नूर दोनों का ही परिवार कूड़ा बीनने का काम करता है। उसी से इनका घर भी चलता था। परन्तु आज अचनाक सुबह पुलिस ने इनसे कहा कि आप लोग यहाँ से चले जाओ और अपना सारा सामान दूसरी जगह ले जाओ। आज कमेटी वाले (दिल्ली नगर निगम के लोग जब सड़कों से अतिक्रमण हटाने के लिए ट्रक लेकर आते हैं तो आम भाषा में उसे कमेटी वाले कहते हैं) आएंगे।

इन्हीं की तरह उस सड़क पर झुग्गी में कबाड़ का काम करने वाले अधिकतर लोग सुबह से ही अपनी जमापूंजी,जो कि लोगों के घरों के फेंके कूड़े ही हैं। उन्हें अपने ठेली पर भरकर दूसरी जगह ले जा रहे थे। परन्तु सभी लोग ले नहीं जा पाए और जो बच गया उसे निगम वाले अपनी गाड़ियों में भरकर ले गए।

इसी मुख्य सड़क जो कुशल चौक तक जाती है। उसपर बिस्कुट चॉकलेट, तम्बाकू और बीड़ी सिगरेट जैसे सामान बेचने वाली 16 वर्षीया सलीमा भी दूर खड़ी होकर अपने छोटे से कटघरे को टूटता देख रही थी। सलीमा ने बताया उसके पिता पिछले 35 सालो से यहाँ पर ये दुकान चलाते थे। इसी से उनका घर चलता था लेकिन ये सब खत्म हो गया।

सलीमा ने बताया की उनके पिता की उम्र लगभग 60 वर्ष है। पिछले कुछ सालों से वहां भी कमाई कम हो गई और खर्चे बढ़ गए है। इसलिए मैं और मेरी बहन ने भी पढ़ाई छोड़ दी है और अब हम घर में माल बनाते हैं। जिसमें हमें 5 से 6 हज़ार मिलता है।

कुशल चौक पर ही गुप्ता जूस की दुकान पर भी बुलडोजर चला। उसके मालिक गणेश गुप्ता ने बताया कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं है। मेरी ये दुकान 1977 की है और मुझे ये डीडीए (दिल्ली विकास प्रधिकरण) ने एलॉट किया था। इसकी फीस भी देता हूँ। वो कागजों से भरी फाइल लेकर ये सब चीखते और चिल्लाते रहे लेकिन उनकी एक न सुनी गई और बुलडोजर ने अपना पंजा चला दिया।

बिहार से आकर दिल्ली में रहने वाले गणेश ने कहा ये अवैध दुकाने नगर निगम और पुलिस ने मिलकर अपनी कमाई के लिए बसाई थीं और अब ये हिन्दू मुसलमान कराके हमारी रोजी रोटी छीन रहे हैं।

नूर आलम जिनका घर कुशल रोड पर ही है और अपने घर के आगे नाले पर ही पशुओं का चारा बेचते थे। पुलिस ने उसे भी तोड़ दिया। उनके घर और सड़क के बीच में लगभग आठ से दस फीट का नाला है। जिसे पार करके ही घर में घुसा जा सकता है। लेकिन नगर निगम ने नाले पर बने रास्ते को भी तोड़ दिया।

नूर आलम ने हमें बताया की वो इलाके भर से रोटियां एकत्रित करके डेरी वालों को बेचते थे। देरी वाले अपनी गायों के लिए ले जाते थे। आज से पहले उन्हें कभी कोई नोटिस या चलना भी नहीं दिया गया की वो इसे हटा ले लेकिन आज सुबह सीधे तोड़फोड़ कर दी गई।

उनकी के बगल में अकबर थे। जिनकी पुराने कपड़े की दुकान थी। जो कुशल रोड के नाले के ऊपर चलाते थे परन्तु उसे भी तोड़ दिया गया। अकबर ने बताया उनका दुकान सारा सामान भी ले गए और अब मेरे पास कोई काम भी नहीं है। ये नफरत की राजनीति में हम लोगों के रोज़गार छीन रही है, जिन्होंने दंगा किया उनके साथ जो करना है करें लेकिन हमारा रोजगार क्यों छीना जा रहा है।

उनकी दुकान के पास ही कोल्डड्रिंक, पानी, चॉकलेट, बिस्किट की दुकान चलाने वाले हुसैन की दुकान भी तोड़ दी गई। वो अस्थाई ढांचे में सड़क किनारे दुकान चलते थे जबकि उसके पीछे ही B ब्लॉक में उनका मकान भी था। उनकी पत्नी दुकान तोड़े जाने के बाद फफक फफक कर रो रही थी। वो बता रही थी उनका लाखों का सामान तोड़ दिया गया और अब वो क्या करेंगी?

उनकी दुकान में दो फ्रिज थे नगर निगम वालों ने हमारे सामने ही सिर्फ दुकान का ढांचा नहीं तोडा बल्कि फ्रिज को जानबूझकर तोड़ा। हुसैन अपने परिवार के साथ यहां लगभग 35 से 40 साल से रहते थे। यही दुकान उनकी आजीविका का सहारा था।

हुसैन की पत्नी बता रहीं थी कि इस फ्रिज की आज ही 12 हज़ार किश्त जानी है लेकिन अब हम इनकी किश्ते भी कैसे चुकाएंगे। दो साल कोरोना की वजह से हम अपन त्योहार नहीं मना पाए और अब हम इस बार मनाने की सोच रहे थे। तब पुलिस और नगर निगम ने हमारी दुनिया ही उजाड़ दी।

हुसैन की दुकान से थोड़ी दूर पर ही रंजू झा और रमन झा भी पान कटघरे के अवशेष में से बचा हुआ समाना ढूंढ रहे थे। रमन झा बिहार से आए और वो कुशल चौक पर 35 सालों से पान की दुकान चला रहे थे। उसी से उनका परिवार चलता था और इस दुकान के साथ ही लोगों के घरो में पूजा पाठ भी कराते थे। लेकिन निगम ने बिना नोटिस के उनके कटघरे पर भी बुलडोजर चला दिया।

रमन झा बताते है वो इस मुस्लिम बहुल इलाके में इतने लंबे समय से दुकान चलाते हैं लेकिन उन्हें कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। आज सुबह भी वो जब आए तो पुलिस वालों से पूछा की मैं अपनी दुकान यहाँ से हटा लूँ तो पुलिस वालों ने कहा यहां कुछ नहीं होगा। आज सिर्फ सीडी पार्क के इलाके भी कार्रवाई होगी। लेकिन देखिए क्या हो गया ?

रमन के पास वेंडिग सर्टिफिकेट भी है जो नगर निगम खुद जारी करता है कि आप फुटपाथ पर दुकान चला सकते हैं। फिर भी आज बुलडोज़र चला दिया।

अलउद्दीन जिनकी उम्र लगभग 26 साल होगी और वो साइकिल रिपेयर का काम करते थे। निगम ने उनकी दुकान में भी तोड़ दिया।

इसी तरह कुशल रोड जमा मस्जिद से थोड़ी पहले दिलीप की दुकान पर भी तोड़ फोड़ की गई।

मस्जिद का अतिक्रमण टूटा लेकिन मन्दिर का नहीं!

कुशल सिनेमा के बिल्कुल सामने जामा मस्जिद है और उसके बाहर बने चबूतरे और गेट को भी बुलडोजर से तोड़ दिया गया। परन्तु कुछ सौ मीटर दूर स्थित मंदिर के अतिक्रमण को नहीं तोडा गया। जिससे लोगों में भारी नाराजगी दिखी। उनका कहना था कि अवैध निर्माण है तो सबका है और नहीं है तो किसी का नहीं। परन्तु मस्जिद के बाहर तोड़फोड़ हुई लेकिन मंदिर को छोड़ दिया गया क्यों? क्या अतिक्रमण या अवैध निर्माण भी धर्म के हिसाब से होता है ?

ये सभी सवाल वहां मौजूद लोग बार बार पूछ रहे थे।

कुशल चौक से लेकर सीडी पार्क सब्जी मंडी रोड और जामा मस्जिद से आगे तक पुलिस ने सभी दुकानों और घरो के आगे लगे शेड को तोड़ा और साथ ही अस्थाई निर्माण को भी तोड़ कर साफ किया। ये तोड़ फोड़ बिल्कुल मन्दिर से सटी दुकाने के पास तक चली लेकिन मंदिर के सामने जाते है बुलडोजर का पंजा झुक गया और वापस मुड़ गया। क्यों?

इस पर निगम अधिकारियों का कहना है हम मंदिर को भी तोड़ते लेकिन कुछ युवा इसका विरोध कर रहे थे। हम उन्हें समझा ही रहे थे तब तक सीपीआई एम की नेता बृंदा करता कोर्ट का आर्डर लेकर आ गई और उन्होंने इस पूरी कार्रवाई को रुकवा दिया।

जबकि वहां मौजूद पत्रकार बार बार पुलिस और निगम के आला अधिकारियों को लगभग डेढ़ घंटे पहले से ही कोर्ट का आर्डर दिखा रहे थे परन्तु उन्होंने उसे अनदेखा किया और कहा कि उनके पास कोई आदेश नहीं आया है। इसलिए ये कार्रवाई जारी रहेगी। परन्तु मंदिर के पास जाते ही कोर्ट का आदेश भी आ गया और बुलडोजर वापस भी लौट गया। हालाँकि मंदिर के केयर टेकरों ने खुद ही अतिक्रमण को हटाना शुरू कर दिया है। ये दिखाता है कि अगर निगम बाकी लोगों को भी नोटिस देता या हटाने को कहता तो बहुत लोग खुद हटा लेते और उनका जो नुकसान हुआ वो होने से बच जाता।

क्या ये सिर्फ़ एक अतिक्रण हटाओ अभियान था?

निगम का ये पूरा अभियान राजनीति से प्रेरित लगता है। क्योंकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने महपौर को चिट्ठी लिखी उसके कुछ घंटो में ही उत्तरी नगर निगम ने इस पूरे कार्रवाई का आदेश दे दिया था। जबकि आम तौर पर पहले नोटिस फिर सुनवाई और उसके बाद बुलडोजर चलाया जाता है। अगर हम पूरी दिल्ली को देखे तो वो अवैध निर्माण और अतिक्रमण से भरी हुई है। लेकिन जहाँ कुछ दिनों पहले हिंसा हुई और लोग अभी उस दर्द से उबरे भी नहीं है। वहां इस तरह अभियान चलाना और खासकर एक पक्ष को टारगेट करते हुए करना साफ दिखता है ये कोई अतिक्रमण हटाने का अभियान नहीं बल्कि एक राजनैतिक संदेश देने का प्रयास था।

जब पुलिस से हमने सवाल किया कि क्या ये हिंसा के लिए एक पक्ष को टारगेट करने के लिए किया गया है? तो इस पर बड़ी चालाकी से दीपेंद्र पाठक जो दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर है। उन्होंने कहा इसका हिंसा से कोई लेना देना नहीं है। उस पूरे प्रकरण की जाँच क्राइम ब्रांच कर रहा है। ये निगम की कार्रवाई और हम और हम केवल उन्हें सुरक्षा देने कानून व्यवस्था को ठीक बनाए रखने के लिए हैं। इससे अधिक पुलिस का और कोई रोल नहीं है।

जनाधार वाली पार्टियां गायब और एक बार फिर वाम दल ने दिखया वो अवाम के साथ है

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में प्रशासन के अतिक्रमण रोधी अभियान पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने दंगे के आरोपियों के खिलाफ कथित तौर पर लक्षित नगर निकायों की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका भी सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौजूदा हालात में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए।

गौर करने वाली बात यह है की सुबह लगभग 10:45 पर सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद भी निगम ने अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी रखा। इस बीच लगभग 12 बजे तक भी जब निगम ने तोड़फोड़ नहीं रोकी तब सीपीआईएम की पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात वहां पहुंची और बुलडोजर के सामने खड़ी हो गईं और डिमोलिशन को रुकवाया। इसके बाद स्पेशल सीपी दीपेंद्र पाठक ने उनसे मुलाकात की और तोड़फोड़ की कार्रवाई रोकी गई।

बृंदा ने कहा ये बुलडोजर लोगों की दुकान पर नहीं संवैधनिक ढांचे पर चलाया जा रहा है। उन्होंने इस पूरे अभियान को संविधान और न्याय के सिद्धांत के खिलाफ बताया।

खैर एकबार फिर इस अभियान में साफ दिखा कि खुद को बड़े जनाधार वाली पार्टी कहने वाली आम आदमी पार्टी या कांग्रेस ज़मीन से गायब रही। वहीं वाम दलों ने दिखाया कि दिल्ली में वोट के लिहाज से उनकी राजनैतिक हैसियत भले कम हो, परन्तु वो अवाम के लिए उनके हर संघर्ष में साथ है।

लोगों ने दिल्ली दंगों में भी देखा की स्वंयभू खुद को आम आदमी का हितैषी घोषित कर चुके अरविंद केजरीवाल आम आदमी के साथ खड़े नज़र नहीं आए। तब भी ये वाम दल ही थे जो सबसे पहले पहुंचे और पीड़ितों की मदद की और सबसे बड़ी बात बिना धर्म जात देखे सभी की मदद भी की। सीपीआईएम ने सभी दंगा पीड़ितों की आर्थिक मदद की और आज भी उनके लिए कई अभियान चला रही है। आज भी जब जहाँगीर पुरी में हिंसा हुई या राजनैतिक बुलडोजर चला तो आम आदमी पार्टी के नेता अपने घरों में रहे तब सीपीआईएम और सीपीआई-एमएल के नेता वहां पहुंचकर लोगो के दर्द को साँझा कर रहे थे।

सभी अमन-पसंद लोगों, संगठनों और राजनीतिक पार्टियों को आवाज़ उठाने की ज़रुरत: माले

भाकपा माले के राज्य सचिव रवि राय, सीपीआईएम की वरिष्ठ नेता बृंदा करात समेत अन्य नेताओं के सशरीर बुलडोज़र के समक्ष खड़े होने के बाद ही पुलिस और नगर निगम ने अपनी कार्रवाई पर रोक लगाई।

प्रेस बयान जारी करते हुए भाकपा (माले) के राज्य सचिव रवि राय ने कहा कि राज्य द्वारा अपने ही नागरिकों पर धर्म के आधार पर की जा रही हिंसा की भाकपा (माले) भर्त्सना करती है और देश के सभी नागरिकों से अपील करती है कि संघ-भाजपा की नफरत की राजनीति को जन-एकता के बल पर शिकस्त दें। ये बहुत दुःख की बात है कि मेहनतकश, गरीब और अल्पसंख्यक समुदाय के साथ खड़े रहने के लिए दिल्ली के अन्दर वाम-पार्टियों के अलावा और कोई दिखाई नहीं देता। हम सभी शांति और सौहार्द चाहने वाले संगठनों और राजनीतिक पार्टियों से अपील करते हैं कि इस ज़ुल्म और नाइंसाफी के खिलाफ आवाज़ बुलंद करें और देश की जनता के साथ खड़े हों।

मजदूर आवास संघर्ष समिति के अध्यक्ष निर्मल गोराना जो देश भर मज़दूर बस्तियों में तोड़ फोड़ का विरोध में अभियान चलाते हैं और उनके हक़ों के लिए संघर्ष करते हैं। उन्होंने कहा कि नगर निगम द्वारा जहांगीरपुरी में की गई जबरन बेदखली का पुरजोर विरोध किया जाता है यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। एमसीडी के इस आदेश और कार्रवाई से मजदूर तबके को भारी मात्रा में नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई एमसीडी को तत्काल करनी चाहिए। 

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