NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
कानून
भारत
राजनीति
गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया
इस मामले में वह रैली शामिल है, जिसे ऊना में सरवैया परिवार के दलितों की सरेआम पिटाई की घटना के एक साल पूरा होने के मौक़े पर 2017 में बुलायी गयी थी।
दमयन्ती धर
06 May 2022
jignesh
सज़ा के बाद जिग्नेश मेवानी

वडगाम के विधायक जिग्नेश मेवानी के असम की जेल से रिहा होने के एक दिन बाद ही मेहसाणा की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने साल 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने के एक मामले में मेवानी के साथ 11 अन्य लोगों को दोषी ठहरा दिया।

ग़ौरतलब है कि पुलिस की इजाज़त के बिना जुलाई 2017 में मेहसाणा क़स्बे में रैली करने के आरोप में 12 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था। सभी दोषियों- सुबोध परमार, कौशिक परमार, रामोजी परमार, खोलीदास चौहान, गौतम श्रीमाली, कैल शाह, अरविंद परमार, ज्योतिराम परमार, लालजी महरिया, रेशमा पटेल और मेवानी को तीन-तीन महीने की क़ैद और एक-एक हज़ार रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनायी गयी है।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जेए परमार की अदालत ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा, "रैली करना अपराध नहीं है, लेकिन बिना अनुमति के रैली करना अपराध है।" उन्होंने आगे कहा, "नाफ़रमानी को कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।"

मेहसाणा निवासी और 2016 में मेवानी की ओर से गठित दलित अधिकार संगठन राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच (RDAM) के सदस्य कौशिक परमार ने मेहसाणा के कार्यकारी मजिस्ट्रेट से इस संगठन के बैनर तले रैली करने की इजाज़त मांगी थी। शुरुआत में ऐसा करने की इजाज़त दी गयी थी, लेकिन बाद में अधिकारियों ने उसे रद्द कर दिया था, और आयोजकों ने रैली के साथ आगे बढ़ने का फ़ैसला किया था।

ऊना में सरवैया परिवार के दलितों की सार्वजनिक पिटाई की घटना के एक साल पूरे होने के मौक़े पर उस रैली का आयोजन किया गया था। 11 जुलाई, 2017 को मेवानी और उनके सहयोगियों ने उत्तरी गुजरात के बनासकांठा में मेहसाणा से धनेरा तक निकल रही आज़ादी कूच रैली की अगुवाई की थी।

दो अलग-अलग मामलों में ज़मानत मिलने के बाद 4 मई को असम से गुजरात पहुंचे मेवानी ने कहा, "मैं न्यायपालिका का सम्मान करता हूं और इसमें भरोसा करता हूं, इसलिए मैं सत्र अदालत में इस दोषसिद्धि के ख़िलाफ़ अपील करूंगा और इंसाफ़ पाने की उम्मीद करूंगा। मुझे ख़ुशी और संतोष है कि यह मामला हमारे ख़िलाफ़ उस रैली के लिए दायर किया गया था, जिसने एक ग़रीब दलित परिवार को 50 साल पहले आवंटित ज़मीन के एक टुकड़े को दिलवाने में मदद की थी। वह परिवार अब उसी ज़मीन पर खेती करता है और उससे उसकी रोज़ी-रोटी चलती है।”

4 मई को गुजरात लौटे मेवानी

मेवानी ने आगे कहा, “यह (गुजरात) सरकार बलात्कार, हत्या, ड्रग्स और बड़े-बड़े घोटालों के आरोपियों को सज़ा दिलाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। इसके बजाय, इस सरकार ने रैली निकालने की अनुमति थी या नहीं,इस तरह के मामूली मामला को दायर करने और उसे आगे बढ़ाने में इतना प्रयास किया। यह और कुछ नहीं, बल्कि राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार का मुझे परेशान करने का एक तरीक़ा है। सरकार मुझे परेशान करने को लेकर इतनी बेचैन है कि उन्होंने मुझे मेरे गृह राज्य से 2,500 किलोमीटर दूर असम की जेल में डाल दिया। इससे पता चलता है कि सरकार पहली बार निर्दलीय विधायक बने उस विधायक से कितनी डरी हुई है, जो अभी-अभी विपक्षी दल में शामिल हुई है।”

इसे भी पढ़ें: पीएम मोदी के खिलाफ ट्वीट करने पर जिग्नेश मेवाणी गिरफ्तार

आज़ादी कूच रैली 11 जुलाई को मेहसाणा से शुरू हुई थी। इसका एक मक़सद बनासकांठा ज़िले के धनेरा तालुक़ा के एक गांव लावारा में चार दलित परिवारों की 12 एकड़ ज़मीन को उन्हें दिलवाना था।

हालांकि, जब 17 जुलाई को वह रैली जब सोनेठ गांव में रुकी थी,तो रैली में भाग लेने वाले आरडीएएम और बनासकांठा दलित संगठन की कोर टीमों को सूचित किया गया था कि बनासकांठा के ज़िला कलेक्टर-दिलीप राणा ने उस मामले को अपने हाथ में ले लिया है, और भरोसा दिलाया गया था कि सम्बन्धित ज़मीन का वह टुकड़ा उन परिवारों को शांतिपूर्वक सौंप दिया जायेगा।

हालांकि, लावारा के दलित ग्रामीण 18 जुलाई को उस रैली को सूचित करने के लिए धनेरा पहुंचे थे कि ग़ैर-क़ानूनी रूप से उस ज़मीन पर कब्ज़ा करने वाले दरबार समुदाय के लोग उस समय दलितों को धमका रहे थे, जब कलेक्टर ने उनकी ज़मीन सौंप देने का ऐलान किया था।

लावारा निवासी बीजाभाई ने मेवानी को बताया था कि धमकी देने वाले हरचनभाई कसाभाई सोलंकी गांव के तत्कालीन सरपंच हैं और लावारा के दलित डरे हुए हैं।

मेवानी ने तब ऐलान किया था कि वह रैली धनेरा पुलिस स्टेशन तक मार्च करेगी और दरबार समुदाय के लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज होने तक धरने पर बैठेगी। इसके बाद धनेरा पुलिस हरक़त में आ गयी थी और मौक़े पर प्राथमिकी दर्ज करने को तैयार हो गयी थी।

इसे भी पढ़ें: गुजरात चुनावः दलित नेता जिग्नेश मेवानी के ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वारंट

हालांकि, धनेरा में आज़ादी कूच रैली के मंच से अपने भाषण में मेवानी ने ऐलान किया था, “रैली लावारा तक चलेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि 50 सालों से अपनी ज़मीन का इंतज़ार कर रहे चारों दलित परिवारों को वह ज़मीन मिले, जिन पर उनका हक़ है। यह एक प्रतीकात्मक कार्य है, जो भूमिहीनों को ज़मीन दिये जाने को लेकर उस लंबे संघर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, जो इस आंदोलन के मूल में रहा है। भूमि सीमा अधिनियम,1961 के तहत भूमिहीन परिवारों को एक लाख एकड़ से ज़्यादा ज़मीन आवंटित की गयी थी, लेकिन ऐसा सिर्फ़ काग़ज़ों पर हो पाया था। ज़्यादतर लाभार्थी दलित हैं। इनमें से क़रीब 6,000 एकड़ ज़मीन बनासकांठा ज़िले में पड़ती है।

18 जुलाई को जैसे ही वह रैली लावारा गांव में ख़त्म हुई, वैसे ही मेवानी की अगुवाई में तक़रीबन 20 लोगों के एक जत्थे ने उस विवादित ज़मीन पर प्रतीकात्मक नीला अम्बेडकरवादी झंडा गाड़ दिया था, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ज़मीन को उसके असली मालिकों,यानी हरचनभाई, पंजाबभाई सोलंकी, त्रिजाबेन सोलंकी और कांतिभाई हरचनभाई सोलंकी को सौंप दिया गया है।

हर एक दलित परिवार के पास अब तीन एकड़ ज़मीन है। इस ज़मीन पर वे खेती करते हैं और रोज़ी-रोटी के लिए उस पर निर्भर हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Gujarat: Mehsana Court Convicts MLA Jignesh Mevani, 11 Others for Unlawful Assembly in 2017

Gujarat
Jignesh Mevani
Gujarat Government
rally
Lavara
land
Dalits
Dalit families

Related Stories

विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

बागपत: भड़ल गांव में दलितों की चमड़ा इकाइयों पर चला बुलडोज़र, मुआवज़ा और कार्रवाई की मांग

मेरे लेखन का उद्देश्य मूलरूप से दलित और स्त्री विमर्श है: सुशीला टाकभौरे

मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में सैलून वाले आज भी नहीं काटते दलितों के बाल!

झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला


बाकी खबरें

  • mp
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    सिवनी : 2 आदिवासियों के हत्या में 9 गिरफ़्तार, विपक्ष ने कहा—राजनीतिक दबाव में मुख्य आरोपी अभी तक हैं बाहर
    04 May 2022
    माकपा और कांग्रेस ने इस घटना पर शोक और रोष जाहिर किया है। माकपा ने कहा है कि बजरंग दल के इस आतंक और हत्यारी मुहिम के खिलाफ आदिवासी समुदाय एकजुट होकर विरोध कर रहा है, मगर इसके बाद भी पुलिस मुख्य…
  • hasdev arnay
    सत्यम श्रीवास्तव
    कोर्पोरेट्स द्वारा अपहृत लोकतन्त्र में उम्मीद की किरण बनीं हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं
    04 May 2022
    हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं, लोहिया के शब्दों में ‘निराशा के अंतिम कर्तव्य’ निभा रही हैं। इन्हें ज़रूरत है देशव्यापी समर्थन की और उन तमाम नागरिकों के साथ की जिनका भरोसा अभी भी संविधान और उसमें लिखी…
  • CPI(M) expresses concern over Jodhpur incident, demands strict action from Gehlot government
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जोधपुर की घटना पर माकपा ने जताई चिंता, गहलोत सरकार से सख़्त कार्रवाई की मांग
    04 May 2022
    माकपा के राज्य सचिव अमराराम ने इसे भाजपा-आरएसएस द्वारा साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करार देते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अनायास नहीं होती बल्कि इनके पीछे धार्मिक कट्टरपंथी क्षुद्र शरारती तत्वों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन की स्थिति पर भारत, जर्मनी ने बनाया तालमेल
    04 May 2022
    भारत का विवेक उतना ही स्पष्ट है जितना कि रूस की निंदा करने के प्रति जर्मनी का उत्साह।
  • starbucks
    सोनाली कोल्हटकर
    युवा श्रमिक स्टारबक्स को कैसे लामबंद कर रहे हैं
    03 May 2022
    स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड अमेरिकी की प्रतिष्ठित कॉफी श्रृंखला हैं, जिसकी एक के बाद दूसरी शाखा में यूनियन बन रही है। कैलिफ़ोर्निया स्थित एक युवा कार्यकर्ता-संगठनकर्ता बताते हैं कि यह विजय अभियान सबसे…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License