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हापुड़ मॉब लिंचिंग : आगे की जांच का निर्देश देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए पीठ ने समीउद्दीन से निचली अदालत का रुख करने को कहा जो कानून के मुताबिक फैसला लेगी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 May 2019
Hapur Lynch

दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 2018 के हापुड़ मॉब लिंचिंग (भीड़ हत्या) मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को आगे की जांच करने का निर्देश देने से मंगलवार को इनकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई एवं न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ ने कहा कि मांस निर्यातक 45 वर्षीय कासिम कुरैशी की हत्या मामले में आगे की जांच करने और पूरक आरोप-पत्र दायर करने के लिए राज्य पुलिस को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर फैसला निचली अदालत लेगी।

पीठ मृतक के रिश्तेदार और इस हमले में घायल हुए समीउद्दीन की ओर से दायर नयी अंतरिम याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में कहा गया है कि मीट निर्यातक के दोनों भाइयों की तरफ से हापुड़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए बयानों में हुए खुलासों के मद्देनजर आगे जांच की जरूरत है।

याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए पीठ ने समीउद्दीन से निचली अदालत का रुख करने को कहा जो कानून के मुताबिक फैसला लेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्व में शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि उसने हापुड़ भीड़ हत्या मामले में जांच पर नयी स्थिति रिपोर्ट दायर की है।

अदालत ने आठ अप्रैल को राज्य सरकार को इस मामले में स्थिति रिपोर्ट दायर करने को कहा था।

Hapur Lynching2.jpg

आपको बता दें कि 18 जून 2018 उत्तर प्रदेश के हापुड़ में कासिम नाम के व्यक्ति की कथित गौरक्षकों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी और उन्हें बचाने आए बुजुर्ग समीउद्दीन को घायल कर दिया गया था। इस घटना का वीडियो भी बनाया गया और वायरल किया गया। इस पूरी घटना में पुलिस की भी संदग्धि भूमिका सामने आई थी। पहले पुलिस ने इस घटना को गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग मानने की बजाय मोटरसाइकिल टक्कर के बाद हुए मामूली झगड़े की घटना बताया था।  

आपको यह भी बता दें कि उस समय ऐसी घटनाएं बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई को केंद्र और राज्य सरकारों को स्वयंभू रक्षा के नाम पर भयानक कृत्यों को अंजाम देने की घटनाओं, पीट-पीट कर हत्या की घटनाओं को रोकने और भीड़तंत्र को समाप्त करने के लिए 22 दिशा-निर्देश जारी किए थे। साथ ही, इस दिशा में कार्य करते हुए रोकथाम,समाधान और दंडात्मक उपाय करने को कहा था।

(समाचार एजेंसी भाषा और आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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