NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
हिमाचल में बस किराये में भारी वृद्धि, नागरिक सभा ने किया विरोध
हिमाचल सरकार ने सरकारी बसों के किराये में 20 से 24 फीसदी की वृद्धि की है। न्यूनतम किराया भी 100% बढ़ा दिया गया है। किराया बढ़ोतरी पर शिमला नागरिक सभा ने अपना विरोध जताया है और सड़क पर उतरकर मोर्चा खोलने का ऐलान किया है।
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
26 Sep 2018
hrtc
Image Courtesy: samachar jagat

हिमाचल प्रदेश सरकार ने बस किराये में बढ़ोतरी पर मुहर लगा दी है। सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बस किराये में वृद्धि करने निर्णय लेते हुए न्यूनतम दर में सौ फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई। इसके अलावा किराये में 20 से 24 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

नये फैसले के मुताबिक अब न्यूनतम बस किराया 3 रुपये से बढ़कर 6 रुपये हो गया है और इस किराये के लिए अधिकतम दूरी 3 किलोमीटर होगी। सरकार ने इसमें 1.75 रुपये प्रति किलोमीटर किराया तय किया है।

बस किराया बढोतरी पर शिमला नागरिक सभा ने अपना विरोध जताया है। उसका कहना है कि निजी बस संचालकों के दबाव में बस किराये में 20 से 24 फीसदी की बढ़ोतरी की गई। सभा ने साफतौर पर कहा है कि अगर सरकार ने किराया वृद्धि को तुरन्त वापस नहीं लिया तो सभा सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ संघर्ष करेगी।

हिमाचल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सामान्य बस किराया मैदानी क्षेत्रों में प्रति किलोमीटर 90 पैसे से बढ़ाकर 1 रुपये 12 पैसे किया है। इसमें 24.47 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। पहाड़ी क्षेत्रों में 1 रुपये 45 पैसे से बढ़ाकर 1 रुपये 75 पैसे मंजूरी दी है। यह 20.68 फीसदी बैठता है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र व सरकारी क्षेत्र में चल रहीं बसों को ध्यान रखते हुए किराये में आंशिक वृद्धि की गई है।

बढ़ोतरी से सबसे अधिक आम जनता परेशान

बस किराये में हुई इस बढ़ोतरी से सबसे अधिक हिमाचल की आम जनता के लिए परेशनी का सबब है क्योंकि वहाँ की भौगलिक स्थिति बहुत जटिल है वहाँ के जन सामान्य के लिए सफर के लिए बसों के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है अगर है तो वो टैक्सी या फिर निजी वाहन है जो काफी महंगा है और इसका खर्च वहन भी सबकी बस की बात नही है और डीजल पेट्रोल की कीमत बढने के बाद अधिकतर मध्यम वर्ग के लोगो अपने निजी वहान को छोड़कर सार्वजनिक परिवहन की ओर बढ़ रहे थे उनके लिए नही यह निर्णय निराशाजनक है।

लोगों का कहना है कि पहले ही पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर के महंगा होने से लगातार बोझ झेलने के बाद अब बसों में सफर करने वालों का बजट और भी गड़बड़ा जाएगा। किराया बढ़ाए जाने का सबसे ज्यादा असर रोजाना एक से दो किलोमीटर सफर करने वाले छात्रों, कर्मचारियों और दूसरे नौकरी पेशा लोगों की जेब पर पड़ेगा।

नागरिक सभा के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने  कहा कि इस किराया वृद्धि के खिलाफ जनता को लामबंद करते हुए नागरिक सभा सड़कों पर उतरेगी क्योंकि यह किराया वृद्धि न केवल अव्यवहारिक है परन्तु इस से जनता पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा।

उन्होंने सरकार के इन दावों को भी गलत बताया कि हिमाचल की भौगलिक स्थिति खराब है इस करण किराये में बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहा कि यह किराया वृद्धि उत्तराखंड को आधार बनाकर की गई है जबकि हकीकत यह है कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति हिमाचल से खराब है। उत्तराखंड में पहाड़ी इलाकों में बुरी भौगोलिक स्थिति के कारण केवल 28 से 32 सीटर बसें चलती हैं जबकि हिमाचल के दुर्गम इलाकों में भी 42 से 52 सीटर बसें चलती हैं। इसके बावजूद उत्तराखंड में न्यूनतम किराया 5 रुपये है।

उन्होंने कहा कि ये प्रदेश सरकार जनता विरोधी है। हिमाचल में गाड़ियों की ज्यादा एवरेज के बावजूद न्यूनतम किराया 6 रुपये व लॉन्ग रूट लिए एक रुपये पचहत्तर पैसे प्रति किलोमीटर है जो उत्तराखंड व अन्य पहाड़ी इलाकों की तुलना में ज़्यादा है।

किराया वृद्धि से एचआरटीसी को होगा नुकसान

इस किराया वृद्धि से एचआरटीसी को फायदे के बजाय भारी नुकसान होगा क्योंकि यहां के स्थनीय लोगों का कहना है कि आमतौर पर प्राइवेट बस संचालक सवारियों से एचआरटीसी के मुकाबले कम किराया लेते हैं और अपना बिज़नेस बढ़ाते हैं। इस निर्णय के लागू होने से एचआरटीसी को प्रतिदिन होने वाली ढाई करोड़ रुपये की आय भी गिर जाएगी। इसलिए नागरिक अधिकार मंच ने प्रदेश सरकार व एचआरटीसी को बस किराया बढ़ोतरी के प्रस्ताव के देखते हुए ग्रीन कार्ड की तर्ज़ पर सभी नागरिकों को किराये में पच्चीस प्रतिशत छूट देनी चाहिए ताकि प्राइवेट बसों का मुकाबला किया जा सके व जनता को सस्ता सफर भी उपलब्ध हो।

उन्होंने कहा है कि इस वृद्धि से लोग न्यूनतम सफर के लिए लोगों के पास पैदल यात्रा का विकल्प रह गया और इससे पहले से ही कमज़ोर एचआरटीसी और ज़्यादा कमज़ोर हो जाएगी व उसकी प्रतिदिन की आय भी गिर जाएगी। आगे वो कहते है कि नुकसान एचआरटीसी को ही भुगतना करना पड़ेगा क्योंकि दूरदराज के इलाकों में एचआरटीसी ही अपनी सेवाएं देती है जबकि प्राइवेट रुट वहीं है जहां पर मुनाफा है।

निजी ट्रांसपोर्टरों के दबाव में बढ़ोतरी

शिमला शहर के पूर्व मेयर संजय चौहान ने कहा कि इस किराये में वृद्धि के बाद निजी वाहनों की संख्या सड़क पर बढ़ेगी और जिससे साफ है कि प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी होगी जो हिमाचल जैसे सेंसटिव क्षेत्र के लिए ठीक नहीं है। ये फैसला केवल निजी ट्रांसपोर्टरों के लाभ के लिए किया गया है। ये साफ दिखा रहा है की सरकार निजी बस मालिको के फायदे के लिए किराये में बढ़ोतरी कर रही है। 2013 में भी किराया बढ़ाया गया था। जब निजी ऑपरेटर हड़ताल पर गए थे।

संजय चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों से ही एचआरटीसी बर्बाद हो रहा है और उसकी गाड़ियों की संख्या महज़ 3200 रह गई है, जबकि प्राइवेट बसों की संख्या उससे ज्यादा 4000 हो गई है। इस किराया वृद्धि से सरकारी परिवहन जो पहले से बहुत ही बीमारू हालत में है  और बर्बाद होगा और प्राइवेट बस का दबदबा बढ़ेगा।

ठियोग से सीपीएम के विधायक राकेश सिंघा ने सरकार की मंशा पर सवाल उठते हुए कहा की सरकार की मन में कोई खोट नहीं था तो अभी कुछ दिनों पूर्व हुए विधानसभा के मानसून  सत्र में इस प्रस्ताव को लेकर क्यों नहीं खुलेतौर पर चर्चा की। वहां सरकार ने केवल छात्रों के बस पास पर शुल्क बढ़ाया था जिसे बाद में रोलबैक कर लिया गया परन्तु सरकार ने इसके कुछ दिनों बाद एक बंद कमरे में बिना किसी से चर्चा के किराये में बढ़ोतरी कर दी जो सरासर गलत है और वो और उनकी पार्टी इसका विरोध सदन से सड़क तक करेगी।

HRTC
bus fare hike
Himachal Pradesh

Related Stories

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 

हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन, घेराव और हड़ताल पर लगाई रोक, विपक्ष ने बताया तानाशाही फ़ैसला

हिमाचल प्रदेश: नियमित करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरीं आंगनबाड़ी कर्मी

हिमाचल प्रदेश: फैक्ट्री में ब्लास्ट से 6 महिला मज़दूरों की मौत, दोषियों पर हत्या का मुक़दमा दर्ज करने की मांग

बुमला : हिमाचल के ऊंचे इलाकों में भारत-चीन आमने-सामने

हिमाचल: जलशक्ति विभाग के मज़दूरों ने किया प्रदर्शन, कहा अगर मांगे नहीं मानी तो करेंगे आंदोलन तेज़

हिमाचल: सेब के उचित दाम न मिलने से गुस्साए किसानों का प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन

हिमाचल: आईजीएमसी वर्कर्स यूनियन का आउटसोर्स व ठेका मज़दूरों की मांगों को लेकर प्रदर्शन  

सवर्ण आयोग: शोषणकारी व्यवस्था को ठोस रूप से संस्थागत बनाने का नया शिगूफ़ा


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License