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भारत
राजनीति
"हमें 99 प्रतिशत नागरिकों का भारत चाहिये, 1 प्रतिशत का नहीं"
एआईपीएफ़ ने एक घोषणपत्र जारी किया है, जिसे "2019 चुनाव के लिये भारत की जनता का घोषणापत्र" का नाम दिया गया है। इस घोषणापत्र में बताया गया है कि 2019 का चुनाव इस देश के लिये क्यों ख़ास है।
सत्यम् तिवारी
02 Mar 2019
AIPF

पिछले पांच सालों का 'मोदी राज' बीजेपी के लिए भले ही बेहद सुखदायक रहा हो, लेकिन आम जनता की दिक़्क़तों का हल नहीं हुआ बल्कि इनमें इज़ाफा ही हुआ है। यही वजह है कि आज देश का विपक्ष बीजेपी की सरकार के ख़िलाफ़ एकजुट होने की कोशिश कर रहा है। इसी कड़ी में राजनीतिक विपक्ष के अलावा सिविल सोसायटी, छात्र-युवा संगठन, किसान-मज़दूर संगठन आगे आए हैं। इन्ही में महत्वपूर्ण है एआईपीएफ़ यानी ऑल इंडिया पीपल्स फ़ोरम। जैसा कि नाम से ही जाहिर है एआईपीएफ़ जनता के सवालों के लिये संघर्षरत विभिन्न धाराओं का मंच है जो आगामी चुनावों में जनता के मुद्दों को मुख्य एजेंडा मानकर काम करने की ओर अग्रसर है। इसका गठन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद किया गया था। एआईपीएफ़ का दावा है कि वो चुनाव के बाद भी जनता के हक़ में काम करते रहेंगे।

अभी बीती 28 फ़रवरी को एआईपीएफ़ ने एक घोषणपत्र जारी किया है, जिसे "2019 चुनाव के लिये भारत की जनता का घोषणापत्र" का नाम दिया गया है। इस घोषणापत्र में बताया गया है कि 2019 का चुनाव इस देश के लिये क्यों ख़ास है।

एआईपीएफ़ संयोजक  गिरिजा पाठक कहते हैं, "आगामी लोकसभा चुनाव देश में अब तक हुए अन्य चुनावों की तरह के सामान्य चुनाव नहीं हैं। मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज देश में बेरोज़गारी के हालात पिछले 45 सालों में सबसे बदतर हो चुके हैं। कृषि संकट चरम पर है। राजनीति में परिवारवाद का विरोध करने का नाटक करने वाली भाजपा और मोदी के राज में नेता-पुत्रों और कॉर्पोरेट घरानों की चांदी कट रही है। अम्बानी-अडानी को मुनाफ़ा पहुँचाने के लिये बड़े-बड़े घोटालों में ख़ुद प्रधानमंत्री संलिप्त हैं।"

घोषणापत्र में शामिल अहम बिंदू :

* मोदी सरकार के दस झूठे और टूटे वादे : 2 करोड़ रोज़गार का वादा, पेट्रॉल के दाम घटाने का वादा, नारी सुरक्षा का वादा, और अन्य टूटे वादों का ज़िक्र एआईपीएफ़ के इस घोषणापत्र में किया गया है। इसी के साथ रुपये की गिरती क़ीमत, गंगा की गंदगी और "अच्छे दिन" का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री के वादों पर कड़ा हमला किया गया है।

* लोकतंत्र और संविधान पर हुए बड़े हमले : पिछले पांच सालों में जिस तरह से आम जनता पर, लोकतंत्र पर, और संविधान पर जो लगातार हमले हुए हैं, उन हमलों का ज़िक्र और निंदा इस घोषणापत्र में की गई है। दलितों, छात्रों, अल्पसंख्यकों, पत्रकारों पर लगातार हुए हमले और नेताओं द्वारा उन हमलों का समर्थन घोषणापत्र में शामिल किया गया है। एआईपीएफ़ ने मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाते हुए इस बात को दर्शाया है कि किस तरह से पिछले पांच सालों में मीडिया ने सरकार के प्रचार-प्रसार के लिए काम किया है। फ़ेक न्यूज़ जिस तरह से लगातार फैलाई जा रही है, घोषणापत्र में उसका भी ज़िक्र शामिल है।

इसके अलावा मोदी सरकार के कई ‘जुमलों’ पर एआईपीएफ़ ने बड़े सवाल खड़े किए हैं :

* हर बैंक अकाउंट में 15 लाख लाने का वादा

* नोटबंदी से काले धन को ख़त्म करने का दावा

* स्वच्छ भारत

* बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ

* मुद्रा योजना की विफ़लता

* हर घर में बिजली का वादा

* "मेक इन इंडिया" का मज़ाक़

घोषणपत्र के अंत में एआईपीएफ़ ने उन तमाम घोटालों का ज़िक्र किया है जो पिछले पांच सालों में हुए हैं। सबसे हालिया "रफ़ाल डील, जियो यूनिवर्सिटी का मामला , अमित शाह के बेटे जय शाह का मामला, पीयूष गोयल के मामले पर सवाल खड़े किए गए हैं और इनपर मोदी सरकार से जवाब मांगा गया है। जो भ्रष्टाचार के सवाल पर हमेशा से पिछली सरकार पर हमले करती रही है।

"पुलवामा और युद्धोन्माद के नाम पर वोट मांगना बन्द करो!"

एआईपीएफ़ ने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा है कि दो परमाणु अस्त्रों से लैस देशों के बीच युद्ध पूरे एशिया और दुनिया के लिये ख़तरनाक है। एआईपीएफ़ ने कहा है कि युद्ध से कभी किसी मसले का हल नहीं निकल सकता। एआईपीएफ़ ने अपील की है दोनों देश कूटनीतिक तरीक़ों से इस मसले का हल निकालें।

एआईपीएफ़ सैनिकों के अधिकार की सुरक्षा की मांग कर रहा है और कहा है कि वो सैनिकों के परिवारों के साथ मज़बूती से खड़े हैं।

सरकार की पांच साल की विफ़लताओं को मद्देनज़र रखते हुए एआईपीएफ़ अंत में उन मांगों की बात कर रहा है जो आम जन के मुद्दे हैं।

"भारत की जनता के घोषणापत्र" में शामिल आम जन की मांगें

जनता को सुविधाएं प्रदान करने के लिए सबसे अमीर लोगों पर टैक्स लगाया जाये।

एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण हो।

लोगों के हक़ों की बात हो।

किसानों, मज़दूरों को सुरक्षा और समृद्धि प्रदान की जाए।

शिक्षा और रोज़गार के मुद्दों को सबसे ज़्यादा अहमियत दी जाए

LGBTQI  के सुरक्षा, अधिकार सुरक्षित किये जाएं और उनपर हो रही हिंसा को रोका जाये।

पर्यावरण सुरक्षा और सेवा।

नाबालिगों और बच्चों को अधिकार प्रदान किये जाएं।

जनता के इन तमाम मुद्दों को बताते हुए एआईपीएफ़ का कहना है कि इन सब सवालों पर कोई फ़ैसला तभी लिया जा सकता है जब मौजूदा सरकार सत्ता से हटेगी और जनता के हक़ों की बात करने वाली सरकार सत्ता में आएगी। संगठन का मानना है कि इस बार एक ऐसी सरकार के चुनाव की ज़िम्मेदारी है जो देश के संविधान और धर्मनिरपेक्ष ढांचे को सुरक्षित रखने के साथ आम जनता के बुनियादी सवालों को हल कर सके।

एआईपीएफ़ ने सभी विपक्षी दलों से इन मुद्दों पर जनता के हक में एकजुटता दिखाने और इस मुहिम में शामिल होने की अपील की है। एआईपीएफ का कहना है कि जनता खुद इन सवालों पर गौर करे और आने वाले चुनाव में इन मुद्दों को आगे रखकर ही नई सरकार का चुनाव करे।

AIPF
ALL INDIA PEOPLE'S FORUM
PEOPLE'S CHARTER
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2019 आम चुनाव
जनता का घोषणापत्र
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BJP Govt
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