NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
हँसी और प्यार ख़तरे में है...भारत की अवधारणा ख़तरे में है
इस चुनाव में भारत का भविष्य दांव पर लगा है। यह चुनाव तय करेगा कि आइडिया के स्तर पर, अवधारणा के स्तर पर भारत के बारे में हमारा जो सपना और आदर्श है- जिसके लिए लंबे समय से वैचारिक और ज़मीनी लड़ाई लड़ी जाती रही है- वह बचेगा या नहीं।
अजय सिंह
08 Apr 2019
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy : ndtv

17वीं लोकसभा के लिए मतदान 11 अप्रैल 2019 से शुरू होगा। यह दौर 19 मई तक चलेगा और नतीजे 23 मई को आयेंगे। इस चुनाव में भारत का भविष्य दांव पर लगा है। यह चुनाव तय करेगा कि आइडिया के स्तर पर, अवधारणा के स्तर पर भारत के बारे में हमारा जो सपना और आदर्श है- जिसके लिए लंबे समय से वैचारिक और ज़मीनी लड़ाई लड़ी जाती रही है- वह बचेगा या नहीं। संक्षेप में भारत ब्राह्मणवादी पितृसत्ता, फ़ासीवाद व विनाश के रास्ते पर और आगे बढ़ेगा, या अपनी आत्मा को बचा पाने में कामयाब होगा?

इस लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र क़रीब 1000 बुद्धिजीवियों, लेखकों, कलाकारों, रंगकर्मियों, फ़िल्मकारों व अन्य संस्कृतिकर्मियों ने जिस बड़े पैमाने पर और संगठित होकर जनता के नाम बयान व अपीलें जारी की हैं, उनसे पता चलता है कि भारत के भविष्य के लिए ख़तरा कितना गंभीर है। इन अपीलों में जनता से कहा गया है कि वह नफ़रत व हिंसा की राजनीति के ख़िलाफ़ और समानता व विविधता वाले भारत के लिए वोट डालें। इनमें कहा गया है कि वोट डालना इसलिए ज़रूरी है कि देश के सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आज़ादी मिले। हालांकि इन सभी अधिकारों की गारंटी देश के संविधान में की गयी है, इसके बावजूद दिनदहाड़े इनका उल्लंघन आम बात हो गयी है।

बुद्धिजीवियों, लेखकों व संस्कृतिकर्मियों ने कहा है कि तर्कवादियों, लेखकों व कलाकारों को सताया जा रहा है या मार दिया जा रहा है। औरतों, मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और वंचित व ग़रीब लोगों पर मौखिक या शारीरिक हिंसा करने वालों के ख़िलाफ़ कोई कारगर कार्रवाई नहीं की जा रही है। भीड़ की हिंसा और भीड़ द्वारा की गयी हत्या को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। ‘हम चाहते हैं कि यह हालात बदलें।’

कुछ अपीलों में सीधे तौर पर कहा गया है कि इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराया जाना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा सत्ता में आने से रोकना चाहिए। इनमें कहा गया है कि भाजपा के संचालक व नियंत्रक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विभाजनकारी हिंदुत्ववादी विचारधारा को- जो पूरी तरह फ़ासीवादी विचारधारा है- शिकस्त देना ज़रूरी है, क्योंकि यह देश को बांटने और बर्बाद कर देने की मुहिम चला रही है।

फ़िल्मकारों, रंगकर्मियों व कलाकारों के एक समूह का कहना है कि आज हमारी हंसी व प्यार ख़तरे में है- हम हंसना व प्यार करना भूल गए हैं। हम दिन-रात ख़ौफ़ व नफ़रत के साये में रहने के लिए अभिशप्त कर दिये गये हैं। ‘हर रोज़, चारों तरफ़, हिंसा-हिंसा-हिंसा का बोलबाला है। इस लोकसभा चुनाव में ख़ौफ़, नफ़रत व हिंसा की ताक़तों को बाहर का रास्ता दिखा देना है।’

इस बार ख़ास बात यह है कि बुद्धिजीवियों, लेखकों व संस्कृतिकर्मियों के अलावा समाज के अन्य जागरूक तबकों और समूहों ने भी अपना-अपना घोषणापत्र या अपील जारी की है। इन घोषणापत्रों और अपीलों में नफ़रत, हिंसा व भेदभाव की हिन्दुत्ववादी राजनीति के ख़िलाफ़ वोट देने की अपील जनता से की गयी है। बेख़ौफ़ मुस्लिम महिलाओं का समूह, सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन, ‘औरतें उट्ठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जायेगा’ के नारे के तहत जुटे महिला संगठन, ट्रेड यूनियन संगठन ऐक्टू (AICCTU), जन सरोकार आदि संगठनों व समूहों ने भी इसी संदर्भ में घोषणापत्र या अपीलें जारी की हैं।   

(लेखक वरिष्ठ कवि और संस्कृतिकर्मी हैं।)

2019 आम चुनाव
General elections2019
2019 Lok Sabha Polls
Narendra modi
BJP-RSS
Idea Of India
filmmaker
people's poet
progressive writer
600 theatre artists
Save Democracy
save constitution

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

अब राज ठाकरे के जरिये ‘लाउडस्पीकर’ की राजनीति

जलियांवाला बाग: क्यों बदली जा रही है ‘शहीद-स्थल’ की पहचान

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज़े के पास पहुँची आप पार्टी से लेकर मोदी की ‘भगवा टोपी’ तक


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License