NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी...
हर त्योहार पर नज़ीर अकबराबादी याद आ ही जाते हैं वो चाहे ईद हो या होली। और आज के वक़्त में तो फ़ैज़ की दुआ भी ख़ूब याद आती है। आइए पढ़ते हैं दो ख़ास नज़्म।
न्यूज़क्लिक डेस्क
05 Jun 2019
ईद मुबारक
फोटो : साभार

मशहूर शायर नज़ीर अकबराबादी ने होली-दीवाली से लेकर ईद तक हर मौके की नज़्म लिखी हैं। ईद उल फ़ितर पर मुबारक के साथ उनकी ये शानदार नज़्म आपके लिए

ईद उल फ़ितर

है आबिदों[1] को त‘अत-ओ-तजरीद[2] की ख़ुशी
और ज़ाहिदों[3] को जुहाद[4] की तमहीद[5] की ख़ुशी
रिन्द आशिकों को है कई उम्मीद की ख़ुशी
कुछ दिलबरों के वल की कुछ दीद की ख़ुशी

ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

पिछले पहर से उठ के नहाने की धूम है
शीर-ओ-शकर सिवईयाँ पकाने की धूम है
पीर[6]-ओ-जवान को नेम‘तें[7] खाने की धूम है
लड़कों को ईद-गाह के जाने की धूम है
 
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

कोई तो मस्त फिरता है जाम-ए-शराब से
कोई पुकारता है कि छूटे अज़ाब[8] से
कल्ला[9] किसी का फूला है लड्डू की चाब से
चटकारें जी में भरते हैं नान-ओ-कबाब से

ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

क्या है मुआन्क़े[10] की मची है उलट पलट
मिलते हैं दौड़ दौड़ के बाहम झपट झपट
फिरते हैं दिल-बरों के भी गलियों में गट के गट[11]
आशिक मज़े उड़ाते हैं हर दम लिपट लिपट

ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

काजल हिना ग़ज़ब मसी-ओ-पान की धड़ी
पिशवाज़ें[12] सुर्ख़ सौसनी लाही की फुलझड़ी
कुर्ती कभी दिखा कभी अंगिया कसी कड़ी
कह “ईद ईद” लूटें हैं दिल को घड़ी घड़ी

ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

रोज़े की ख़ुश्कियों से जो हैं ज़र्द ज़र्द गाल
ख़ुश हो गये वो देखते ही ईद का हिलाल[13]
पोशाकें तन में ज़र्द, सुनहरी सफेद लाल
दिल क्या कि हँस रहा है पड़ा तन का बाल बाल

ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जो जो कि उन के हुस्न की रखते हैं दिल से चाह
जाते हैं उन के साथ ता बा-ईद-गाह
तोपों के शोर और दोगानों की रस्म-ओ-राह
मयाने, खिलौने, सैर, मज़े, ऐश, वाह-वाह

ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

रोज़ों की सख़्तियों में न होते अगर अमीर
तो ऐसी ईद की न ख़ुशी होती दिल-पज़ीर
सब शाद हैं गदा से लगा शाह ता वज़ीर
देखा जो हम ने ख़ूब तो सच है मियां ‘नज़ीर‘

ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

(कविता कोश से साभार)

ख़ास शब्दों के अर्थ
1.     श्रद्धालु, 2. श्रद्धा, 3. पूजा करने वाला, 4. धर्म की बात, 5. शुरुआत, 6. पुराना, 7. इनाम/दया, 8. यातना, 9. गाल, 10. आलिंगन, 11. भीड़, 12. कुरती, 13. ईद का चांद

और अंत में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के हवाले से

दुआ

आईए हाथ उठायें हम भी
हम जिन्हें रस्म-ए-दुआ याद नहीं
हम जिन्हें सोज़-ए-मोहब्बत के सिवा
कोई बुत, कोई ख़ुदा याद नहीं

आईए अर्ज़ गुज़रें कि निगार-ए-हस्ती
ज़हर-ए-इमरोज़ में शीरीनी-ए-फ़र्दां भर दे
वो जिन्हें तबे गरांबारी-ए-अय्याम नहीं
उनकी पलकों पे शब-ओ-रोज़ को हल्का कर दे

जिनकी आंखों को रुख-ए-सुबह का यारा भी नहीं
उनकी रातों में कोई शमा मुनव्वर कर दे
जिनके कदमों को किसी राह का सहारा भी नहीं
उनकी नज़रों पे कोई राह उजागर कर दे

जिनका दीन पैरवे-ए-कज़्बो-रिया है उनको
हिम्मत-ए-कुफ़्र मिले, जुर्रत-ए-तहकीक मिले
जिनके सर मुन्ताज़िर-ए-तेग-ए-जफ़ा हैं उनको
दस्त-ए-कातिल को झटक देने की तौफ़ीक मिले

इश्क का सर्र-ए-निहां जान-तपां है जिस से
आज इकरार करें और तपिश मिट जाये
हर्फ़-ए-हक दिल में खटकता है जो कांटे की तरह
आज इज़हार करें ओर खलिश मिट जाये
 

eid
eid mubark
culture
Muslims
ईद मुबारक
गंगा-जमुनी तहज़ीब

Related Stories

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

मुस्लिम जेनोसाइड का ख़तरा और रामनवमी

मथुरा: गौ-रक्षा के नाम पर फिर हमले हुए तेज़, पुलिस पर भी पीड़ितों को ही परेशान करने का आरोप, कई परिवारों ने छोड़े घर

यूपी का रणः सत्ता के संघर्ष में किधर जाएंगे बनारस के मुसलमान?

शुक्रवार की नमाज़ के विवाद में आरएसएस की भूमिका, विपक्षी दलों की चुप्पी पर पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब के विचार

रवींद्रनाथ टैगोर साहित्य पुरस्कार 2021, 2022 के लिए एक साथ दिया जाएगा : आयोजक

इतवार की कविता : "मुझमें गीता का सार भी है, इक उर्दू का अख़बार भी है..."

केंद्र की पीएमजेवीके स्कीम अल्पसंख्यक-कल्याण के वादे पर खरी नहीं उतरी

सोचिए, सब कुछ एक जैसा ही क्यों हो!


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी
    25 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,124 नए मामले सामने आए हैं। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में एक दिन के भीतर कोरोना के मामले में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
  • weat
    नंटू बनर्जी
    भारत में गेहूं की बढ़ती क़ीमतों से किसे फ़ायदा?
    25 May 2022
    अनुभव को देखते हुए, केंद्र का निर्यात प्रतिबंध अस्थायी हो सकता है। हाल के महीनों में भारत से निर्यात रिकॉर्ड तोड़ रहा है।
  • bulldozer
    ब्रह्म प्रकाश
    हिंदुत्व सपाट है और बुलडोज़र इसका प्रतीक है
    25 May 2022
    लेखक एक बुलडोज़र के प्रतीक में अर्थों की तलाश इसलिए करते हैं, क्योंकि ये बुलडोज़र अपने रास्ते में पड़ने वाले सभी चीज़ों को ध्वस्त करने के लिए भारत की सड़कों पर उतारे जा रहे हैं।
  • rp
    अजय कुमार
    कोरोना में जब दुनिया दर्द से कराह रही थी, तब अरबपतियों ने जमकर कमाई की
    25 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है कि जहां कोरोना महामारी के दौरान लोग दर्द से कराह रहे…
  • प्रभात पटनायक
    एक ‘अंतर्राष्ट्रीय’ मध्यवर्ग के उदय की प्रवृत्ति
    25 May 2022
    एक खास क्षेत्र जिसमें ‘मध्य वर्ग’ और मेहनतकशों के बीच की खाई को अभिव्यक्ति मिली है, वह है तीसरी दुनिया के देशों में मीडिया का रुख। बेशक, बड़े पूंजीपतियों के स्वामित्व में तथा उनके द्वारा नियंत्रित…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License