NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
सुपवा: फीस को लेकर छात्रों का विरोध, कहा- प्रोजेक्ट्स-प्रैक्टिकल्स के बिना नहीं होती सिनेमा की पढ़ाई
सुपवा रोहतक के फिल्म एंड टेलीविज़न विभाग के छात्र और प्रशासन एक बार फिर आमने- सामने हैं। छात्र जहां एक ओर प्रशासन द्वारा अपने जरूरी प्रोजेक्ट्स के काटे जाने से परेशान हैं तो वहीं कोरोना महामारी के दौर में फीस भरने को लेकर भी अपनी असमर्थता जाहिर कर रहे हैं।
सोनिया यादव
29 Aug 2020
सुपवा
Image Courtesy: shiksha

“फिल्म बनाने की कला कॉपी पेन में लिखकर परीक्षा देने की कला नहीं हैं। फिल्म मेकिंग सीखने के लिए फील्ड पर उतरना पड़ता है। मार्च के बाद यूनिवर्सिटी में न तो कोई पढ़ाई हुई और न ही प्रोजेक्ट्स-प्रैक्टिकल्स हुए हैं। ऐसे में बिना उन विषयों को पढ़े-समझे नई कक्षा में प्रमोट कर, इस महामारी के दौर में छात्रों पर फीस थोपने की कोशिश की जा रही है।”

ये बयान पंडित लक्ष्मीचंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एंड विजुअल आर्ट (सुपवा) के फिल्म स्टूडेंट्स यूनियन का है। यूनियन का कहना है कि कोरोना संकट के बीच प्रशासन छात्रों की समस्याओं का समाधान करने के बजाए उन्हें और अधिक परेशान करने की कोशिश कर रहा है। लॉकडाउन के चलते जहां ज्यादातर छात्र फीस भरने तक की स्थिति में नहीं हैं वहीं, प्रशासन द्वारा उन पर लेट फीस थोपी जा रही है, विद्यार्थियों को कॉलेज से टर्मिनेट करने तक की धमकी दी जा रही है।

पूरा मामला क्या है?

सुपवा प्रशासन की ओर से 19 अगस्त को एक नोटिस जारी किया गया। इसके अनुसार सभी छात्रों को 24 अगस्त तक नए सेमेस्टर की फीस जमा करने का निर्देश दिया गया। साथ ही इस बात को भी साफ तौर से कहा गया कि अगर तय तारीख तक फीस नहीं जमा होती तो आपको नए समेस्टर में न तो एडमिशन मिलेगा और न ही कोई क्लास अटेंड करने की अनुमति होगी।

Capture 1 notice.JPG
इस नोटिस के खिलाफ जब छात्रों ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई, महामारी के दौर में फीस न दे पाने की असमर्थता जताई तो प्रशासन की ओर से 26 अगस्त को एक और नोटिस थमा दिया गया। इसके मुताबिक छात्रों को फीस के साथ अब फाइन देने की बात भी सामने रखी गई। स्टूडेंट्स यूनियन ने अब इसी नोटिस के खिलाफ मोर्चा खोला है।

Capture notice 2.JPG
क्या कहना है यूनियन का?

यूनियन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि मार्च महीने में क्लासेज बंद होने के बाद से सभी छात्र अपने घरों में बैठे हैं। इस बीच छात्रों ने चल रहे सेमेस्टर की बची क्लासेज और प्रोजेक्ट्स को लेकर प्रशासन से कई बार संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।

यूनियन का कहना है कि यूजीसी की गाइडलाइन्स को फॉलो करते हुए यूनिवर्सिटी ने छात्रों को प्रमोट तो कर दिया लेकिन इस दौरान कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स काट दिए, जो सिनेमा की आगे की कक्षाओं के लिए बेहद जरूरी हैं। इसमें तीसरे साल के छात्रों के सबसे जरूरी प्रोजेक्ट फिक्शन फिल्म और स्टूडियो फिल्म को काट दिया गया। तो वहीं पहले और दूसरे साल के भी फाइनल सेमेस्टर के प्रोजेक्ट्स कॉन्टिन्यूटी प्रोजेक्ट और DV प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़ दिया गया।

छात्रों के अनुसार जब उन्होंने इस संदर्भ में प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की कि आखिर ये अधूरे कटे हुए प्रोजेक्ट्स कब तक पूरे किए जाएंगे तो उन्हें कोई संतुष्टि भरा आश्वासन नहीं मिला और उन्हें यूनिवर्सिटी द्वारा अगले सेमेस्टर में प्रमोट कर दिया गया।

यूनियन के अनुसार, “रिजल्ट आने के बाद प्रशासन की ओर से एक नोटिस आया, जिसमें अगले सेम के फ़ीस देने की बात कही गई। छात्रों ने जब इस बारे में एडमिन से संपर्क साधने की कोशिश की तो फिर जवाब में एक नया नोटिस आया जिसमें फीस के साथ फाइन भरने की धमकी भी दी गई।”


क्या मांगे हैं यूनियन की?

यूनियन का कहना है कि फिल्म एंड टेलीविज़न विभाग के छात्र पिछले कुछ दिनों से अपनी मांगों को लेकर एडमिनिस्ट्रेशन से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ऐसा एक भी जवाब उन्हें नहीं मिला जिससे छात्र संतुष्ट हो पाएं।

1. फीस को इन्सटॉलमेंट में भरने की सुविधा मिले

यूनियन के एक सर्वे के मुताबिक यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले आधे से ज्यादा छात्र मध्य या निचले वर्ग से आते हैं और लॉकडाउन के चलते छात्रों के परिवार आर्थिक तंगी का शिकार हो गए हैं। ऐसे में सभी के लिए एक बार में 36,500 जैसी बड़ी रकम जुटाना मुश्किल है। ऐसे में छात्रों की मांग हैं कि इन्सटॉलमेंट में फीस के भुगतान की सुविधा मिल पाए।

2. बचे हुए प्रोजेक्ट्स-प्रैक्टिकल्स को आगे पूरा करवाने का आश्वासन  

छात्रों का कहना है कि इस इंस्टिट्यूट से पहले भी फिल्में देश-विदेश के फेस्टिवल्स में नाम कमा चुकी हैं। ऐसे में मौजूदा छात्र भी फिल्म बनाना और उनकी बारीकियों को समझना चाहते हैं लेकिन प्रशासन द्वारा प्रोजेक्ट्स और प्रैक्टिकल्स को अधूरा छोड़ा जा रहा है, जिससे छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।

यूनियन के अनुसार उन्हें कोई पक्का आश्वासन नहीं मिल रहा हैं कि कोरोना काल के बाद जब भी सब कुछ पटरी पर लौटने लगेगा, ये बचे हुए प्रोजेक्ट्स कराये जायेंगे और उन्ही नॉर्म्स में कराये जायँगे जो पहले से निर्धारित हैं। ऐसे में छात्रों की मांग है कि जब भी स्थिति ठीक हो उनके प्रोजेक्ट्स हो, भले ही दो साल बाद हों लेकिन हों। उनके मुताबिक बिना प्रोजेक्ट्स के पास होना यानी चार साल बेरोज़गार रहना हैं।  

Capture survey.JPG

3.  ऑनलाइन क्लासेज का प्लान क्लियर हो

छात्रों का कहना है कि उन्हें ऑनलाइन क्लासेज से दिक्कत नहीं है लेकिन ये सुविधा सभी छात्रों तक कैसे पहुंचेगी ये एक बड़ी समस्या है। क्योंकि फिल्म एंड टेलिविजन विभाग में सिलबस का 10 से 20 प्रतिशत हिस्सा ही थ्योरी है, उसमें भी प्रोजेक्टर के माध्यम से फिल्में ही दिखाई जाती हैं। ऐसे में संस्थान के उन छात्रों का क्या होगा जो दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं या जिनके यहां तेज़ रफ्तार वाले इंटरनेट की सुविधा नहीं है।

यूनियन का दावा है कि जब फैकल्टी से पूछा गया कि आप किस तरह से ऑनलाइन क्लास को प्लान कर रहे हैं तब उनसे कोई जवाब नहीं मिला।

छात्रों का कहना है कि जब तक प्रशासन इन तीन मुद्दों पर छात्रों को आश्वस्त नहीं कर देता वो फीस नहीं देंगे। महामारी ने सब के घरों की आमदनी को प्रभावित किया है, ऐसे में अचानक फीस थोपना छात्रों के साथ-साथ उनके परिवार के लिए भी एक चुनौती है।

प्रशासन क्या कह रहा है?

न्यूज़क्लिक ने इस संबंध में प्रशासन का पक्ष जानने के लिए यूनिवर्सिटी पब्लिक रिलेशन ऑफिसर बेहुल बेशक से फोन पर बातचीत की।

उन्होंने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस महामारी के दौरान यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बच्चों के हितों को ही ध्यान में रख कर उन्हें प्रमोट किया है। कैंपस में छात्रों और फैकल्टी के बीच खुला माहौल है। छात्र जब चाहें, जैसे चाहें अपनी फिल्म बना सकते हैं। किसी भी मदद के लिए प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं।

जब पीआरओ से फीस के संबंध में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि पहले से ही संस्थान में कई कैटेगरी में फीस रियायत मौजूद है। किस्तों में फीस लेने का फैसला अकेले यूनिवर्सिटी नहीं ले सकती। इसके लिए कार्यकारिणी परिषद् की मंजूरी के साथ ही राज्य सरकार की अनुमति की भी आवश्यकता होती है।

बेहुल बेशक के अनुसार छात्रों की फीस या कोर्स के संबंध में कोई भी आपत्ति प्रशासन के संज्ञान में नहीं आई है। बावजूद इसके अगर किसी भी छात्र को कोई भी समस्या है तो वो सीधे प्रशासन से संपर्क कर सकता है।

IMG-20200828-WA0007.jpg
हालांकि पीआरओ के इस दावे को यूनियन के सदस्यों ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सभी शिकायतों और ज्ञापनों को यूनिवर्सिटी के कुलपति से लेकर पीआरओ तक से साझा किया गया है। प्रशासन इसे गंभीरता से ना लेते हुए टाल-मटोल करने की कोशिश कर रहा है।

गौरतलब है कि साल 2011 में जबसे ये संस्थान अस्तित्व में आया है, यहां छात्र अपनी मांगों को लेकर लगातार लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। उत्तर भारत में ये फिल्म और टेलीविजन का एकमात्र सरकारी संस्थान है। प्रशासन द्वारा एक सितंबर से नए सत्र की ऑनलाइन कक्षाओं का ऐलान भी कर दिया गया है। लेकिन छात्रों और इस फील्ड के जानकारों का कहना है कि सिनेमा की पढ़ाई ऑनलाइन नहीं हो सकती, ये बिना प्रैक्टिकल के संभव ही नहीं हैं।

Haryana
SUPVA
State University of Performing and Visual Arts
ROHTAK
students protest
fee Issue
Lockdown effect
Higher education
Film and Television Department
courses cut down

Related Stories

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

बीएचयू: लाइब्रेरी के लिए छात्राओं का संघर्ष तेज़, ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ हटाने की मांग

बीएचयू: 21 घंटे खुलेगी साइबर लाइब्रेरी, छात्र आंदोलन की बड़ी लेकिन अधूरी जीत

हड़ताल के कारण हरियाणा में सार्वजनिक बस सेवा ठप, पंजाब में बैंक सेवाएं प्रभावित

हरियाणा: आंगनबाड़ी कर्मियों का विधानसभा मार्च, पुलिस ने किया बलप्रयोग, कई जगह पुलिस और कार्यकर्ता हुए आमने-सामने

हरियाणा : आंगनवाड़ी कर्मचारियों की हड़ताल 3 महीने से जारी, संगठनों ने सरकार से की बातचीत शुरू करने की मांग

केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान

हरियाणा: आंगनवाड़ी कर्मचारियों के आंदोलन के 50 दिन पूरे

हरियाणा की 20,000 हड़ताली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करनाल में करेंगी रैली

हरियाणा: यूनियन का कहना है- नाकाफी है खट्टर की ‘सौगात’, जारी रहेगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की हड़ताल


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License