NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
केरल में हथिनी की मौत पर हुई भड़काऊ रिपोर्टिंग, एक बार फिर मुस्लिम रहे निशाने पर
NDTV और कई अन्य मेनस्ट्रीम मीडिया संस्थानों द्वारा दी गई ग़लत जानकारी की वजह से लोगों ने विश्वास कर लिया कि घटना केरला के मलप्पुरम ज़िले में हुई है जबकि वह पलक्कड़ में हुई. चूंकि मलप्पुरम मुस्लिम बहुल ज़िला है इसलिए मामले ने स्वाभाविक रूप से मुस्लिम विरोधी मोड़ ले लिया
पूजा चौधरी
05 Jun 2020
केरल

केरल में कथित रूप से पटाखों से भरे अनानास खिलाने की वजह से प्रेग्नेंट हथिनी की मौत हो गयी. इस ख़बर से देश भर में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. इस अमानवीय कृत्य को लेकर जब नेताओं और सेलिब्रिटीज़ ने पोस्ट किए तो सोशल मीडिया पर यह दुखद घटना ट्रेंड होने लगी. कई लोगों ने मांग की कि ऐसा जघन्य अपराध करने वालों को सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए. तभी से कई लोगों ने ‘केरल में शिक्षा के स्तर’ को लेकर मज़ाक बनाया है, जहां साक्षरता का आंकड़ा पूरे देश में सबसे ज़्यादा है. देश के बाकी मुद्दों की तरह असहाय जानवर की मौत ने भी मुस्लिम विरोधी लहर को हवा दे दी.

भाजपा सांसद मेनका गांधी ने ट्वीट किया, “मल्लपुरम आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है, ख़ास तौर पर जानवरों के साथ. किसी अवैध शिकारी के ख़िलाफ़ कभी एक्शन नहीं लिया गया इसीलिए वो ऐसा करते आ रहे हैं.” उन्होंने दावा किया कि घटना मलप्पुरम (मेनका गांधी के ट्वीट में गलती से मल्लपुरम लिखा) में घटी है, जो की मुस्लिम बहुल इलाका है. गांधी ने ANI से बात करते हुए यही दोहराया.

पाकिस्तानी-कनाडाई लेखक तारेक फतेह ने एक सिलसिलेवार ट्वीट में NDTV की एक रिपोर्ट शेयर करते हुए मुस्लिमों को हथिनी की मौत का ज़िम्मेदार ठहराया.

घटना मलप्पुरम की नहीं पलक्कड़ की है

तारेक फतेह और अन्य लोगों द्वारा शेयर की गई NDTV की रिपोर्ट अपडेट की जा चुकी है. शुरुआती दावे में कहा गया था कि हथिनी की मौत मलप्पुरम में हुई, अपडेटेड आर्टिकल में ये जगह पलक्कड़ बताई गई है.

1_10.png

रिपोर्ट लिखने वाली शैलजा वर्मा ने सफ़ाई देते हुए ट्वीट किया कि उन्हें ज़िले के नाम की ग़लत जानकारी मिली थी.

घटना पलक्कड़ में घटी, यह केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी ट्वीट किया था.

केरल के वन मंत्री के राजू ने भी यही कहा.

ग़लत जानकारी वायरल हुई, ज़्यादातर ने शेयर की NDTV की चूक वाली रिपोर्ट

कई यूज़र्स ने NDTV की रिपोर्ट का लिंक या स्क्रीनशॉट शेयर किया है. नीचे ‘हिंदू सेना केंद्र’ के संस्थापक प्रतीश विश्वनाथ का ट्वीट है. स्क्रीनशॉट में दिख रहा है कि आर्टिकल में ये घटना मलप्पुरम की बतायी गई है.

अन्य स्वाभाविक नाम जो ये दावा करते हैं कि घटना मलप्पुरम में हुई उनमें अरुण पुदुर, पायल रोहतगी और @IAmMayank_ हैं. पुदुर ने लिखा, “अब मुझे बताइए कि 100 परसेंट साक्षरता है और मलप्पुरम में कौन बहुसंख्यक हैं?”

पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी दावा किया कि घटना मलप्पुरम में हुई है.

मीडिया के द्वारा फैलाई गई ग़लत जानकारी

न केवल NDTV बल्कि कई अन्य मीडिया संस्थानों ने बताया कि घटना मलप्पुरम में हुई है. और तो और, रिपब्लिक, हिंदुस्तान टाइम्स, टाइम्स नाउ, इंडिया टीवी, द इकॉनमिक टाइम्स, इंडिया टुडे, ANI, न्यूज़ नेशन आदि ने ग़लत ख़बर ही जारी रखी.

2_30.JPG

NDTV में कुछ देर बाद सुधारी गई एक और चूक

NDTV की रिपोर्ट में मलप्पुरम वाली चूक के अलावा एक और ग़लती सुधारी गई. “हथिनी को पटाखों से भरा अनानास खिलाया गया” वाली लाइन को बदलकर “हथिनी ने पटाखों से भर हुआ अनानास खाया” कर दिया गया.

3_4.png

हथिनी की मौत की जांच जारी है. एक शख्स को गिरफ़्तार भी किया गया है. हालांकि शुरुआती जांच में यह लग रहा है कि हथिनी को पटाखों से भरा अनानास खिलाया नहीं गया बल्कि उसने गलती से उसे खाया था.

मन्नारकड़ डिविज़नल फ़ॉरेस्ट ऑफ़िसर (DFO) केके सुनील कुमार ने ऑल्ट न्यूज़ से बताया, “हथिनी ने विस्फोटकों से भरा अनानास खाया था, इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है. उसने किसी फल के साथ विस्फोटक खाया होगा, हो सकता है अनानास के साथ. लेकिन यह केवल एक कल्पना है. ऐसा कोई सबूत पोस्टमॉर्टम में सामने नहीं आया है.”

पत्रकार धान्या राजेन्द्रन ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की डिटेल्स के साथ ट्वीट किया है, “मुंह में ज़ख़्म, मुंह में किसी तरह के विस्फोट के कारण हुए हैं.

कुमार ने आगे बताया कि जंगली इलाकों में लोग अपने खेतों से जंगली जानवरों को दूर रखने के लिये देसी बम लगाते हैं, यह सामान्य प्रैक्टिस है. “इसके लिए ज़्यादातर लोहे के तार लगाए जाते हैं ताकि जंगली जानवर जब उन्हें क्रॉस करें तो विस्फोटक में ब्लास्ट होता है और जानवर वहां से भाग जाता है. लेकिन कभी-कभी लोग जंगली सुअर या छोटे जानवरों को पकड़ने के लिए विस्फोटक को खाने की चीज़ों के साथ रखते हैं. हो सकता है हथिनी ने ऐसी ही कोई चीज़ खाई हो. हम पक्के तौर पर नहीं जानते.”

द न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट कहती है, “मामले की जांच कर रहे वन विभाग के अधिकारी के मुताबिक इस तरह के पटाखों को मलयालम में ‘पन्नी पड़कम’(सुअर पटाखा) कहते हैं जिनका प्रयोग आमतौर पर मांस के लिए जंगली सुअरों का शिकार करने के लिए होता है. दूसरे मामलों में अपने खेतों से जंगली सुअरों को दूर रखने के लिए किसान इस तरह के जाल लगाते हैं, जो कि ग़ैरकानूनी है.”

प्रिंसिपल चीफ़ कंज़र्वेटर ऑफ फ़ॉरेस्ट (वाइल्ड लाइफ़) और चीफ़ वाइल्ड लाइफ़ वार्डेन सुरेंद्र कुमार ने द न्यूज़ मिनट को बताया कि हथिनी के ज़ख्म बताते हैं कि वह विस्फोटक के कारण घायल हुई. उन्होंने बताया, “अभी तो हम यह पक्के तौर पर कह सकते हैं. यह कैसे हुआ और इसके पीछे कौन था, हम जांच कर रहे हैं.”

जानवरों को मारने, पकड़ने या भगाने के लिए विस्फ़ोटक का इस्तेमाल कई राज्यों में किया जाता है. पिछले साल तेलंगाना में जानवर भगाने के लिए लगाए गए देसी विस्फोटक से एक आदमी की जान चली गई थी. जंगली सुअर मारने के लिए बनाए गए बम के विस्फोट से बेंगलुरु में 2014 में दो लोग घायल हुए थे. 2017 में मध्य प्रदेश के विदिशा में एक गाय ने ग़लती से ऐसा ही विस्फोटक खा लिया था. जिसके तुरंत बाद शंखनाद ने फ़ेक न्यूज़ फैलाई थी कि मुस्लिमों ने गाय को विस्फोटक खिला दिया. ऑल्ट न्यूज़ ने इस साम्प्रदायिक फ़ेक न्यूज़ को ख़ारिज़ किया था. हमारी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.

निष्कर्ष के तौर पर कहा जाए तो NDTV और कई अन्य मेनस्ट्रीम मीडिया संस्थानों द्वारा दी गई ग़लत जानकारी की वजह से लोगों ने विश्वास कर लिया कि घटना केरला के मलप्पुरम ज़िले में हुई है जबकि वह पलक्कड़ में हुई. चूंकि मलप्पुरम मुस्लिम बहुल ज़िला है इसलिए मामले ने स्वाभाविक रूप से मुस्लिम विरोधी मोड़ ले लिया. इसके अलावा बिना सच जाने मीडिया रिपोर्ट्स में गांव वालों पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने हथिनी को पटाखे खिलाए हैं. हालांकि वन विभाग के अधिकारियों की जांच बताती है कि वह उस जाल में फंस गई जो खेतों से जंगली जानवरों को दूर रखने के लिए लगाया गया था. जांच जारी है और अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज कर ली गई है. अधिक जानकारी आगे मिल सकती है.

पूरी ख़बर विस्तार से पढ़ने के लिए ऑल्ट न्यूज़ की साइट पर जाएं। क्लिक करें- ऑल्ट न्यूज़

fact check
Kerala
elephant
kerala elephant death
Media
NDTV
Pinarayi Vijayan
Religion Politics

Related Stories

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

आर्यन खान मामले में मीडिया ट्रायल का ज़िम्मेदार कौन?

केरल उप-चुनाव: एलडीएफ़ की नज़र 100वीं सीट पर, यूडीएफ़ के लिए चुनौती 

विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

धनकुबेरों के हाथों में अख़बार और टीवी चैनल, वैकल्पिक मीडिया का गला घोंटती सरकार! 

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

केरल: RSS और PFI की दुश्मनी के चलते पिछले 6 महीने में 5 लोगों ने गंवाई जान

‘हेट स्पीच’ के मामले 6 गुना बढ़े, कब कसेगा क़ानून का शिकंजा?


बाकी खबरें

  • Victims of Tripura
    मसीहुज़्ज़मा अंसारी
    त्रिपुरा हिंसा के पीड़ितों ने आगज़नी में हुए नुकसान के लिए मिले मुआवज़े को बताया अपर्याप्त
    25 Jan 2022
    प्रशासन ने पहले तो किसी भी हिंसा से इंकार कर दिया था, लेकिन ग्राउंड से ख़बरें आने के बाद त्रिपुरा सरकार ने पीड़ितों को मुआवज़ा देने की घोषणा की थी। हालांकि, घटना के तीन महीने से अधिक का समय बीत जाने के…
  • genocide
    अजय सिंह
    मुसलमानों के जनसंहार का ख़तरा और भारत गणराज्य
    25 Jan 2022
    देश में मुसलमानों के जनसंहार या क़त्ल-ए-आम का ख़तरा वाक़ई गंभीर है, और इसे लेकर देश-विदेश में चेतावनियां दी जाने लगी हैं। इन चेतावनियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
  • Custodial Deaths
    सत्यम् तिवारी
    यूपी: पुलिस हिरासत में कथित पिटाई से एक आदिवासी की मौत, सरकारी अपराध पर लगाम कब?
    25 Jan 2022
    उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ सरकार दावा करती है कि उसने गुंडाराज ख़त्म कर दिया है, मगर पुलिसिया दमन को देख कर लगता है कि अब गुंडाराज 'सरकारी' हो गया है।
  • nurse
    भाषा
    दिल्ली में अनुग्रह राशि नहीं मिलने पर सरकारी अस्पतालों के नर्सिंग स्टाफ ने विरोध जताया
    25 Jan 2022
    दिल्ली नर्स संघ के महासचिव लालाधर रामचंदानी ने कहा, ‘‘लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल, जीटीबी हस्पताल और डीडीयू समेत दिल्ली सरकार के अन्य अस्पतालों के नर्सिंग स्टाफ ने इस शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग…
  • student
    भाषा
    विश्वविद्यालयों का भविष्य खतरे में, नयी हकीकत को स्वीकार करना होगा: रिपोर्ट
    25 Jan 2022
    रिपोर्ट के अनुसार महामारी के कारण उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों में विश्वविद्यालयों के सामने अनेक विषय आ रहे हैं और ऐसे में विश्वविद्यालयों का भविष्य खतरे में है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License