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केरल में हथिनी की मौत पर हुई भड़काऊ रिपोर्टिंग, एक बार फिर मुस्लिम रहे निशाने पर
NDTV और कई अन्य मेनस्ट्रीम मीडिया संस्थानों द्वारा दी गई ग़लत जानकारी की वजह से लोगों ने विश्वास कर लिया कि घटना केरला के मलप्पुरम ज़िले में हुई है जबकि वह पलक्कड़ में हुई. चूंकि मलप्पुरम मुस्लिम बहुल ज़िला है इसलिए मामले ने स्वाभाविक रूप से मुस्लिम विरोधी मोड़ ले लिया
पूजा चौधरी
05 Jun 2020
केरल

केरल में कथित रूप से पटाखों से भरे अनानास खिलाने की वजह से प्रेग्नेंट हथिनी की मौत हो गयी. इस ख़बर से देश भर में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. इस अमानवीय कृत्य को लेकर जब नेताओं और सेलिब्रिटीज़ ने पोस्ट किए तो सोशल मीडिया पर यह दुखद घटना ट्रेंड होने लगी. कई लोगों ने मांग की कि ऐसा जघन्य अपराध करने वालों को सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए. तभी से कई लोगों ने ‘केरल में शिक्षा के स्तर’ को लेकर मज़ाक बनाया है, जहां साक्षरता का आंकड़ा पूरे देश में सबसे ज़्यादा है. देश के बाकी मुद्दों की तरह असहाय जानवर की मौत ने भी मुस्लिम विरोधी लहर को हवा दे दी.

भाजपा सांसद मेनका गांधी ने ट्वीट किया, “मल्लपुरम आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है, ख़ास तौर पर जानवरों के साथ. किसी अवैध शिकारी के ख़िलाफ़ कभी एक्शन नहीं लिया गया इसीलिए वो ऐसा करते आ रहे हैं.” उन्होंने दावा किया कि घटना मलप्पुरम (मेनका गांधी के ट्वीट में गलती से मल्लपुरम लिखा) में घटी है, जो की मुस्लिम बहुल इलाका है. गांधी ने ANI से बात करते हुए यही दोहराया.

पाकिस्तानी-कनाडाई लेखक तारेक फतेह ने एक सिलसिलेवार ट्वीट में NDTV की एक रिपोर्ट शेयर करते हुए मुस्लिमों को हथिनी की मौत का ज़िम्मेदार ठहराया.

घटना मलप्पुरम की नहीं पलक्कड़ की है

तारेक फतेह और अन्य लोगों द्वारा शेयर की गई NDTV की रिपोर्ट अपडेट की जा चुकी है. शुरुआती दावे में कहा गया था कि हथिनी की मौत मलप्पुरम में हुई, अपडेटेड आर्टिकल में ये जगह पलक्कड़ बताई गई है.

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रिपोर्ट लिखने वाली शैलजा वर्मा ने सफ़ाई देते हुए ट्वीट किया कि उन्हें ज़िले के नाम की ग़लत जानकारी मिली थी.

घटना पलक्कड़ में घटी, यह केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी ट्वीट किया था.

केरल के वन मंत्री के राजू ने भी यही कहा.

ग़लत जानकारी वायरल हुई, ज़्यादातर ने शेयर की NDTV की चूक वाली रिपोर्ट

कई यूज़र्स ने NDTV की रिपोर्ट का लिंक या स्क्रीनशॉट शेयर किया है. नीचे ‘हिंदू सेना केंद्र’ के संस्थापक प्रतीश विश्वनाथ का ट्वीट है. स्क्रीनशॉट में दिख रहा है कि आर्टिकल में ये घटना मलप्पुरम की बतायी गई है.

अन्य स्वाभाविक नाम जो ये दावा करते हैं कि घटना मलप्पुरम में हुई उनमें अरुण पुदुर, पायल रोहतगी और @IAmMayank_ हैं. पुदुर ने लिखा, “अब मुझे बताइए कि 100 परसेंट साक्षरता है और मलप्पुरम में कौन बहुसंख्यक हैं?”

पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी दावा किया कि घटना मलप्पुरम में हुई है.

मीडिया के द्वारा फैलाई गई ग़लत जानकारी

न केवल NDTV बल्कि कई अन्य मीडिया संस्थानों ने बताया कि घटना मलप्पुरम में हुई है. और तो और, रिपब्लिक, हिंदुस्तान टाइम्स, टाइम्स नाउ, इंडिया टीवी, द इकॉनमिक टाइम्स, इंडिया टुडे, ANI, न्यूज़ नेशन आदि ने ग़लत ख़बर ही जारी रखी.

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NDTV में कुछ देर बाद सुधारी गई एक और चूक

NDTV की रिपोर्ट में मलप्पुरम वाली चूक के अलावा एक और ग़लती सुधारी गई. “हथिनी को पटाखों से भरा अनानास खिलाया गया” वाली लाइन को बदलकर “हथिनी ने पटाखों से भर हुआ अनानास खाया” कर दिया गया.

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हथिनी की मौत की जांच जारी है. एक शख्स को गिरफ़्तार भी किया गया है. हालांकि शुरुआती जांच में यह लग रहा है कि हथिनी को पटाखों से भरा अनानास खिलाया नहीं गया बल्कि उसने गलती से उसे खाया था.

मन्नारकड़ डिविज़नल फ़ॉरेस्ट ऑफ़िसर (DFO) केके सुनील कुमार ने ऑल्ट न्यूज़ से बताया, “हथिनी ने विस्फोटकों से भरा अनानास खाया था, इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है. उसने किसी फल के साथ विस्फोटक खाया होगा, हो सकता है अनानास के साथ. लेकिन यह केवल एक कल्पना है. ऐसा कोई सबूत पोस्टमॉर्टम में सामने नहीं आया है.”

पत्रकार धान्या राजेन्द्रन ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की डिटेल्स के साथ ट्वीट किया है, “मुंह में ज़ख़्म, मुंह में किसी तरह के विस्फोट के कारण हुए हैं.

कुमार ने आगे बताया कि जंगली इलाकों में लोग अपने खेतों से जंगली जानवरों को दूर रखने के लिये देसी बम लगाते हैं, यह सामान्य प्रैक्टिस है. “इसके लिए ज़्यादातर लोहे के तार लगाए जाते हैं ताकि जंगली जानवर जब उन्हें क्रॉस करें तो विस्फोटक में ब्लास्ट होता है और जानवर वहां से भाग जाता है. लेकिन कभी-कभी लोग जंगली सुअर या छोटे जानवरों को पकड़ने के लिए विस्फोटक को खाने की चीज़ों के साथ रखते हैं. हो सकता है हथिनी ने ऐसी ही कोई चीज़ खाई हो. हम पक्के तौर पर नहीं जानते.”

द न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट कहती है, “मामले की जांच कर रहे वन विभाग के अधिकारी के मुताबिक इस तरह के पटाखों को मलयालम में ‘पन्नी पड़कम’(सुअर पटाखा) कहते हैं जिनका प्रयोग आमतौर पर मांस के लिए जंगली सुअरों का शिकार करने के लिए होता है. दूसरे मामलों में अपने खेतों से जंगली सुअरों को दूर रखने के लिए किसान इस तरह के जाल लगाते हैं, जो कि ग़ैरकानूनी है.”

प्रिंसिपल चीफ़ कंज़र्वेटर ऑफ फ़ॉरेस्ट (वाइल्ड लाइफ़) और चीफ़ वाइल्ड लाइफ़ वार्डेन सुरेंद्र कुमार ने द न्यूज़ मिनट को बताया कि हथिनी के ज़ख्म बताते हैं कि वह विस्फोटक के कारण घायल हुई. उन्होंने बताया, “अभी तो हम यह पक्के तौर पर कह सकते हैं. यह कैसे हुआ और इसके पीछे कौन था, हम जांच कर रहे हैं.”

जानवरों को मारने, पकड़ने या भगाने के लिए विस्फ़ोटक का इस्तेमाल कई राज्यों में किया जाता है. पिछले साल तेलंगाना में जानवर भगाने के लिए लगाए गए देसी विस्फोटक से एक आदमी की जान चली गई थी. जंगली सुअर मारने के लिए बनाए गए बम के विस्फोट से बेंगलुरु में 2014 में दो लोग घायल हुए थे. 2017 में मध्य प्रदेश के विदिशा में एक गाय ने ग़लती से ऐसा ही विस्फोटक खा लिया था. जिसके तुरंत बाद शंखनाद ने फ़ेक न्यूज़ फैलाई थी कि मुस्लिमों ने गाय को विस्फोटक खिला दिया. ऑल्ट न्यूज़ ने इस साम्प्रदायिक फ़ेक न्यूज़ को ख़ारिज़ किया था. हमारी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.

निष्कर्ष के तौर पर कहा जाए तो NDTV और कई अन्य मेनस्ट्रीम मीडिया संस्थानों द्वारा दी गई ग़लत जानकारी की वजह से लोगों ने विश्वास कर लिया कि घटना केरला के मलप्पुरम ज़िले में हुई है जबकि वह पलक्कड़ में हुई. चूंकि मलप्पुरम मुस्लिम बहुल ज़िला है इसलिए मामले ने स्वाभाविक रूप से मुस्लिम विरोधी मोड़ ले लिया. इसके अलावा बिना सच जाने मीडिया रिपोर्ट्स में गांव वालों पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने हथिनी को पटाखे खिलाए हैं. हालांकि वन विभाग के अधिकारियों की जांच बताती है कि वह उस जाल में फंस गई जो खेतों से जंगली जानवरों को दूर रखने के लिए लगाया गया था. जांच जारी है और अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज कर ली गई है. अधिक जानकारी आगे मिल सकती है.

पूरी ख़बर विस्तार से पढ़ने के लिए ऑल्ट न्यूज़ की साइट पर जाएं। क्लिक करें- ऑल्ट न्यूज़

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