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कोरोना वायरस के मरीजों में टी कोशिकाएं कैसे काम करती हैं?
दो नए अध्ययन इस निष्कर्ष के साथ सामने आये हैं जो बताते हैं कि संक्रमित लोगों में टी कोशिकाएं होती हैं जो वायरस को निशाने पर रखती हैं और इनसे रिकवरी में मदद मिल सकती है।
संदीपन तालुकदार
16 May 2020
कोरोना वायरस

टी कोशिकाएं जिन्हें हमारे शरीर के इम्यून वॉरियर्स के बतौर जाना जाता है, क्या वे भी SARS-CoV-2 नामक कोरोनावायरस जिसके चलते कोविड-19 वैश्विक महामारी छाई हुई है, के खिलाफ जंग में शामिल हैं? आम तौर पर टी कोशिकाएं वे लड़ाके होते हैं जो कि वास्तव में शरीर में रोगजनक संक्रमित कोशिकाओं को खत्म करने का काम करते हैं। संक्रमित कोशिकाओं पर इनके घातक हमलों से वायरस नष्ट हो जाते हैं। हालाँकि अभी तक यह साफ़ नहीं हो सका है कि नवीनतम कोरोनावायरस मामले में भी टी कोशिकाएं इसी तरह काम करती हैं।

वर्तमान में इसको लेकर दो अध्ययन अपने निष्कर्षों के साथ सामने आए हैं जिनका दावा है कि संक्रमित लोगों में जो टी कोशिकाएं हैं वे वायरस को निशाना बनाती हैं और रिकवरी में मदद पहुंचा सकती हैं। इससे भी अधिक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें यह भी पाया गया है कि जो लोग कभी भी SARS-CoV-2 से संक्रमित नहीं थे, उनमें भी कोशिकीय प्रतिरक्षा पाई जा सकती है। इस बात की प्रबल संभावना है कि इसके पीछे पिछले कोरोनावायरसों से हुए संक्रमण के चलते यह सम्भव हो पाया हो। दोनों ही अध्ययनों के निष्कर्षों में वायरस के लिए मजबूत टी सेल मेकेनिज्म इस बात के संकेत देते हैं कि दीर्घकालिक इम्युनिटी विकसित की जा सकती है। इसके अलावा टी सेल मेकेनिज्म शोधकर्ताओं को वैक्सीन को विकसित करने में भी मदद पहुँचा सकते हैं।

टी कोशिकाएं मानव इम्यून सिस्टम की वे विशिष्ट कोशिकाएं हैं जो संक्रमण के हमलों को विफल करने के काम आती हैं। ऐसा वे दो तरह से करती हैं। ये मारक टी कोशिकाएं अपनी प्रकृति में साइटोटोक्सिक होती हैं और सीधे उन कोशिकाओं पर हमला करती हैं जहां एक वायरस या अन्य प्रकार के रोगज़नक़ों ने प्रवेश कर लिया हो, और कैंसर कोशिकाओं के साथ मिलकर खुद को कई गुना बढ़ा लिया हो। एक अन्य प्रकार की टी कोशिका, जिन्हें सहायक टी कोशिकाएं कहते हैं, ये बी सेल जैसी इम्यून सिस्टम में मौजूद अन्य किस्म की कोशिकाओं को प्रेरित करती हैं। किसी बीमारी की गंभीरता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि टी कोशिकाएं उसपर कैसा रिस्पांस कर रही हैं।

आइये एक बार फिर से कोरोना वायरस रोगियों में टी कोशिकाओं से पड़ने वाले असर वाले मुद्दे पर लौटते हैं। 14 मई को सेल में प्रकाशित पेपर, जो शेन क्रोट्टी और एलेसेंड्रो सेट्टे के नेतृत्व वाली एक टीम के बारे में है।  इनके द्वारा विभिन्न वायरल प्रोटीनों की जांच की गई है और उम्मीद जताई है कि जीव विज्ञान में कम्प्यूटेशनल टूल का इस्तेमाल कर शक्तिशाली टी सेल प्रतिक्रियाओं को उत्तेजित किया जा सकता है। इन्होंने हल्के कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित 10 रोगियों की इम्यून कोशिकाओं को उजागर किया, जो उनके पूर्वानुमानित वायरल टुकड़ों से ठीक हुए थे।

उनके इस प्रयोग से पता चला कि सभी रोगियों में सहायक टी कोशिकाएं मौजूद थीं और वे SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन से परिचित थीं। खास बात यह है कि वायरस का स्पाइक प्रोटीन इसे हमारी कोशिकाओं में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है। इतना ही नहीं बल्कि संक्रमित व्यक्तियों की इम्यून कोशिकाओं में सहायक टी कोशिकाएँ भी होती हैं जो कि अन्य प्रोटीनों पर अपनी प्रतिक्रिया कर सकती हैं जिसके जीवित रहने की SARS-CoV-2 को जरूरत पड़ती है। इस टीम ने वायरस विशिष्ट के खात्मे को संभव बनाने वाली टी कोशिकाओं का भी पता लगा लिया है, जिसकी मौजूदगी 70% रोगियों में पाई गई थी।

इन निष्कर्षों के प्रकाश में आने से पूर्व, एक अन्य पेपर प्री-प्रिंट सर्वर medRxiv में प्रकाशित हो चुका था। इसमें बताया गया कि वायरल स्पाइक प्रोटीन को निशाना बनाने वाली सहायक टी कोशिकाएं खोजी जा चुकी हैं। इम्युनोलोजिस्ट एंड्रियास थिएल के नेतृत्व में बर्लिन अस्पताल के रोगियों पर किए गए अध्ययन को 22 अप्रैल को ऑनलाइन कर दिया गया था। 18 रोगियों में से उन्होंने पाया था कि 15 में सहायक टी कोशिकाएं मौजूद थीं, जो वायरल स्पाइक प्रोटीन को निशाने पर लिए हुए थीं।

इन टीमों ने इस ओर भी ध्यान दिया है कि क्या ऐसे लोग भी इम्यून कोशिकाएं उत्पादित कर सकने में सक्षम हो सकते हैं, जो वायरस से कभी संक्रमित न हुए हों। थिएल और सहकर्मियों ने 68 असंक्रमित लोगों के खून का विश्लेषण किया और पाया कि 34% लोगों में सहायक टी कोशिकाएं मौजूद थीं, जो SARS-CoV-2 से वाकिफ थीं। दूसरी टीम ने इस क्रॉस रिएक्टिविटी  को 2015 और 2018 के बीच में एकत्र और संग्रहीत किये गए तकरीबन आधे खून के नमूनों में पाया। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि इम्यून कोशिकाएं अपनी पिछली चार कोरोनावायरस से हुई मुठभेड़ों में से किसी एक में ट्रिगर हुई थीं, जो जुकाम का कारण बनते हैं। इन वायरसों में प्रोटीन भी होता है जो SARS-CoV-2 से मिलते जुलते से लगते हैं।

जहाँ तक वैक्सीन के अनुसंधान का प्रश्न है तो ज्यादातर वैक्सीन से जुडी परियोजनाएं मुख्य रूप से SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन पर केंद्रित हैं। अब जबकि हमारे सामने इस नए परिदृश्य में, जहां सहायक टी कोशिकाएं अन्य वायरल प्रोटीनों पर प्रतिक्रिया कर सकती हैं, तो इन प्रोटीनों पर केंद्रित वैक्सीन पहले से कहीं अधिक प्रभावी साबित हो सकती हैं। जाहिर सी बात है जब अधिक संख्या में प्रोटीन विकल्प मौजूद होंगे तो शोधकर्ता किसी एक पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं।

अंग्रेज़ी में लिखा मूल आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

How T Cells Function in COVID-19 Patients?

T cell Response in COVID19 Patients
Helper T cells
Killer T cells
Spike Protein
COVID 19 Pandemic
COVID 19 Research
Covid Vaccine
SAR CoV 2

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