NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कैसे एक रेत खनन ठेकेदार ने हरियाणा-उत्तरप्रदेश बॉर्डर पर यमुना के बहाव को मोड़ा
एनजीटी द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ पैनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सोनीपत के पास नदी के पार बनाये गए एक बांध को अब हरियाणा सिंचाई विभाग द्वारा नष्ट कर दिया गया है।
अयस्कांत दास
12 Apr 2021
कैसे एक रेत खनन ठेकेदार ने हरियाणा-उत्तरप्रदेश बॉर्डर पर यमुना के बहाव को मोड़ा

नई दिल्ली: हरियाणा-उत्तर प्रदेश की सीमा पर यमुना नदी के किनारे रेत-खनन करने के लिय, नदी के बहा को आंशिक रूप से मोड़ने का दोषी पाया गया है। इसकी वजह से आसपास के ग्रामीणों की जिंदगी और आजीविका दांव पर लग गई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गठित एक विशेषज्ञ पैनल ने 27 मार्च को एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें दर्शाया गया है कि कैसे इस कंपनी ने जिसे हरियाणा सरकार से रेत खनन का ठेका प्राप्त है, उसने सोनीपत में यमुना पार एक बंध का निर्माण कर दिया था, जिसके कारण इस क्षेत्र में नदी के आसपास की पारिस्थितिकी को भारी नुकसान पहुंचा है।

विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट के अनुसार बंध को अब हरियाणा सिंचाई विभाग ने ढहा दिया है, ताकि नदी के पानी के प्राकृतिक प्रवाह को बरक़रार रखा जा सके। हरित न्यायाधिकरण की मुख्य पीठ द्वारा विशेषज्ञ दल का गठन सोनीपत जिले के टिकोला गाँव के एक किसान एवं पर्यावरण कार्यकर्ता द्वारा एक याचिका पर किया गया था। उक्त रेत खनन ठेकेदार पर पर्यावरणीय मंजूरी के नियमों और शर्तों का उल्लंघन कर स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाने के एवज में पैनल की ओर से 1.64 करोड़ रूपये का जुर्माना लगाये जाने की अनुशंसा की गई है।

पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “इस इकाई द्वारा सतत खनन की विशिष्ट शर्तों का उल्लंघन किया गया है, जैसा कि दिनांक 22.03.2016 के पर्यावरणीय मंजूरी के क्रमांक संख्या 17 में उल्लिखित है। इसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि ‘रेत खनन के उद्येश्य से किसी भी बहाव की धारा को नहीं मोड़ा जाना चाहिए। जल संसाधन के प्राकृतिक प्रवाह को खनन कार्य के चलते बाधित नहीं किया जा सकता है’।”

ट्रिब्यूनल ने याचिकाकर्ता के आरोपों की दोबारा से जांच के लिए इस वर्ष एक विशेषज्ञ दल के गठन का आदेश दिए थे क्योंकि इससे पहले वर्ष 2020 में मानसून के महीनों के दौरान किये गए जमीनी सर्वेक्षण के बाद कोई महत्वपूर्ण निष्कर्ष हासिल नहीं किये जा सके थे। पिछले फील्ड सर्वेक्षण के दौरान रेत खनन का काम रुका हुआ था।

टिकोला में स्थानीय लोगों का आरोप है कि बंध के निर्माण के अलावा, इस कंपनी ने नदी का प्रवाह को बदलने के उद्देश्य से मानव निर्मित एक गड्ढा भी खोदा था। यह गड्ढा करीब एक किलोमीटर लंबा और कई मीटर गहरा है, जिसे पिछले वर्ष मई में खोदा गया था।

ट्रिब्यूनल के समक्ष याचिका में कहा गया था कि “उत्तरदाता क्रमांक 10 द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध, अस्थाई खनन के साथ-साथ तकरीबन 20 फीट गहरे और 1 किमी की लम्बाई में मानव निर्मित गड्ढे की खुदाई के जरिये नदी के बहाव को मोड़ने का काम किया जा रहा है। इसकी वजह से स्पष्ट रूप से नदी ले आस-पास की पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंच रही है...ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपने दायरे में बनाए जा सकने वाले अस्थाई बाँध/बंध से बाहर जाकर भी अवैध खनन के काम को जारी रखा है, जिसके चलते इस क्षेत्र में नदी के बहाव का पूर्ण कटाव हो गया है।”  

यह आरोप लगाया गया था कि बाँध का निर्माण करते वक्त नदी के पानी के आंशिक प्रवाह को उत्तर प्रदेश की अंतर-राज्यीय सीमा की तरफ मोड़ दिया गया था, ताकि खुदाई करने और मिट्टी निकालने वाली विशालकाय मशीनों को रेत की खुदाई करने में आसानी हो। किसानों का आरोप है कि पानी के इस कटाव के कारण क्षेत्र में भूमिगत जलस्तर घट गया है, जिससे खेतीबाड़ी के काम पर असर पड़ रहा है।

27 जनवरी को विशेषज्ञ दल द्वारा टिकोला गाँव का जमीनी स्तर पर मुआयना किया गया - जिसमें राज्य खनन विभाग, सिंचाई एवं प्रदूषण नियंत्रण विभागों के अधिकारियों सहित केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का एक प्रतिनिधि शामिल था।

हरियाणा सिंचाई विभाग के कार्यकारी अधिकारी अश्वनी फोगाट के अनुसार “बाढ़ की स्थिति में यह बंध, आस-पास के क्षेत्रों में तबाही का कारण बन सकता है। इसके लिए हरियाणा सरकार के पास हरियाणा नाहर एवं जल निकासी अधिनियम, 1974 नीति नामक नीति है, जिसके तहत नदी के पानी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करने पर निषेध का प्रावधान है।”

यदि नदी के पानी के प्रवाह को मोड़ना एक गैर-क़ानूनी गतिविधि है तो एक खनन संचालक फिर कैसे स्थानीय प्रशासन के ठीक नाक के नीचे यमुना के बीचोबीच एक बंध के निर्माण को अंजाम दे सकता है?

याचिका के मुताबिक मई 2020 के महीने में, जब कोविड-19 के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को लागू किया गया था, उस दौरान रेत का ढेर लगाकर बंध का निर्माण कार्य किया गया था। हालांकि दस्तावेजों के मुताबिक बंध इस अवधि से काफी पहले, करीब एक वर्ष पूर्व से अपने अस्तित्व में था। 

25 मई, 2019 को सोनीपत जिला प्रशासन द्वारा एक सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के जरिये रेत खनन कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हरियाणा पुलिस ने हरियाणा नहर एवं जल निकासी अधिनियम, 1974 के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए मामला एफआईआर संख्या 0180/2019 में दर्ज किया है, जिसमें पाया गया है कि बंध का निर्माण कर नदी के पानी के प्रवाह को मोड़ा गया था। हालांकि बाद में सोनीपत जिला प्रशासन द्वारा इसे नष्ट करने के आदेश दे दिए गए थे, लेकिन आरोप है कि स्थानीय अधिकारियों द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई।

न्यूज़क्लिक द्वारा पूछे जाने पर फोगाट का कहना था: “ये खनन संचालक रातोंरात बंध बना डालते हैं। अतीत में भी हमने ऐसा होते देखा है और नदी किनारे कई अवैध बंधों को नष्ट किया है।”

एनजीटी के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 23 अक्टूबर, 2020 को सिंचाई विभाग द्वारा बंध को नष्ट कर दिया गया था। हालांकि, पैनल के सदस्यों का कहना था कि जमीनी जांच के दौरान एक बंध वहां पर मौजूद था।

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी, भूपिंदर सिंह चहल ने न्यूज़क्लिक को बताया, “हमारे फील्ड सर्वेक्षण के दौरान, हमने पाया कि एक बंध नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर रहा था। लेकिन हम उस खाई का पता नहीं लगा सके जिसे कथित रूप से खनन संचालक द्वारा खोदा गया था।” उनका आगे कहना था कि ठेकेदार द्वारा इस इलाके में फिलहाल खनन कार्य को स्थगित कर दिया गया है।

खबरों के मुताबिक हरियाणा के कैबिनेट मंत्री मूल चंद शर्मा ने भी उस क्षेत्र का जमीनी मुआयना किया था, जिसके उपरांत अधिकारियों को इस बात के सख्त निर्देश दे दिए गए थे कि यमुना नदी के किनारे चलाये जा रहे अवैध रेत खनन की गतिविधियों पर रोक लगायें। मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य सरकार द्वारा सख्त निगरानी के दावे के बावजूद, खासकर हरियाणा में यमुना नदी के किनारे अवैध खनन के मामले बदस्तूर जारी हैं। 

नदी संरक्षण पर काम करने वाली दिल्ली-स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन, यमुना जिए अभियान के संयोजक मनोज मिश्रा का कहना है कि रेत खनन में अनियमितताओं की वजह लीज एग्रीमेंट में खनन पट्टाधारकों पर लगाये जाने वाले नियमों एवं शर्तों में छुपी हैं। 

इंडियन फारेस्ट सर्विसेज से सेवानिवृत्त अधिकारी मिश्रा ने बताया “कानून के मुताबिक, नदी किनारे किसी भी प्रकार की खनन गतिविधि नहीं की जा सकती है। तीन मीटर की गहराई से अधिक कोई भी खनन का काम नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं, रेत खनन में किसी भी प्रकार की भारी मशीनरी का इस्तेमाल कानूनन निषिद्ध है। लेकिन अक्सर देखने को मिलता है कि स्थानीय अधिकारियों और स्थानीय सरकारी अधिकारियों के बीच की सांठ-गांठ के कारण इन नियमों की अनदेखी की जाती है।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

How a Sand Mining Contractor Partially Diverted Yamuna's Flow at Haryana-Uttar Pradesh Border

Yamuna river
Yamuna Sand Mining
Haryana
Sonepat
Tikola
NGT
BJP
national green tribunal
Mining Activities

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License