NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
इन औरतों से किस मुंह से वोट मांगोगे ‘साहेब’?
महाराष्ट्र के गन्ना खेतों में काम करने वाली औरतें बड़े पैमाने पर अपना गर्भाशय (यूटरस) निकलवा रही हैं। वजह; ठेकेदार पति-पत्नी को एक इकाई मानते हैं और माहवारी के चार दिनों का पैसा काट लेते हैं।
बादल सरोज
21 Apr 2019
सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर। साभार : newsplatform

काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब' 
शर्म तुम को मगर नहीं आती

महाराष्ट्र के गन्ना खेतों में काम करने वाली औरतें बड़े पैमाने पर अपना गर्भाशय (यूटरस) निकलवा रही हैं। वजह; ठेकेदार पति-पत्नी को एक इकाई मानते हैं और माहवारी के चार दिनों का पैसा काट लेते हैं। आपत्ति करने पर उन्हें यूटरस निकलवाने की सलाह देते है, इस ऑपरेशन में लगने वाला पैसा भी कर्जे के रूप में ठेकेदार ही देता है जिसे ब्याज सहित वसूल लिया जाता है। इस स्तब्ध कर देने वाली ख़बर के छपने के बाद मानवाधिकार आयोग और महाराष्ट्र के महिला आयोग ने फड़नवीस सरकार के लिये नोटिस जारी किया है।

ये औरतें किस बिना पर इन्हें,  हम सब,  हिन्दुस्तानियों को माफ़ करेंगी?
इन औरतों को क्या मुंह दिखाएंगे ‘मुंहबली’?  इन औरतों से किस मुंह से वोट मांगने जाएंगे ज़ुमलेबाज? 

2014 के भाजपा घोषणापत्र में किये गए वायदों पर चुप है 2019 का संकल्प पत्र! न भाषणों में ज़िक्र है न विज्ञापनों में उल्लेख, क्यों? इसलिए कि

"जितना शोर मचाया घर में सूरज पाले का/ उतना काला और हो गया वंश उजाले का " 
महिला विरोधी दर्शन और कुविचार पर टिकी भाजपा सरकार ने आधी आबादी की यातनाएं और बढ़ाई हैं। उसकी जेल की दीवारे और ऊंची, सलाखें और मजबूत की हैं।

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र....... वाले देश में ;
- हर घंटे औसतन 4 महिलायें बलात्कार का शिकार हो रही हैं।

- 2016 में यौन अपराधों की संख्या में 82 (जी हाँ बयासी) प्रतिशत की वृद्धि हुयी।

- पकड़े जाने वाले अपराधियों का प्रतिशत 21.3 से घटकर 18.7 रह गया।

- दर्ज हुए 81 प्रतिशत मामलों में अपराधी बिना सजा के छूट गए।

- महिलाओं के खिलाफ 3 लाख 34 हजार मामले दर्ज हुए।

ठीक यही समय है जब महिलाओं की थोड़ी बहुत सुरक्षा वाले कानूनी प्रावधानों पर हमले हुए हैं। धारा 498 ए उनमें से एक है। बच्चियों-महिलाओं के उत्पीड़न के मामलों के निबटान के लिए फ़ास्ट ट्रैक अदालतों के गठन का काम न होना था, न हुआ।

ऐसा पहली बार हुआ जब मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार और उनकी हत्या करने वालों को बचाने के लिए कठुआ से लेकर उन्नाव तक सरकारी पार्टी भाजपा और उसके मंत्रियों ने जुलूस निकाले।

महिलाओं से जुड़े कार्यक्रमों के लिए बजट आवंटन जीडीपी का 0.62 प्रतिशत और बजट के 13.2 प्रतिशत पर रुका रहा। बैंकों के ऋण में महिलायें पहले से ही असंतुलन का शिकार थीं, 2017 तक आते आते यह असंतुलन 2.8 प्रतिशत से आगे बढ़कर 3.3 प्रतिशत हो गया।

महिला बेरोजगारी 45 वर्षों के शीर्ष पर चली गयी। आंगनबाड़ी इत्यादि में जो रोजगार था वह भी अभी मामूली सी वृद्धि के होने का इन्तजार कर रहा है। नोटबंदी और मंदी की पहली गाज़ महिलाओं के रोजगार पर गिरी, नौकरियों में पहले से ही कम थीं -और कम हो गयीं। अकेले पिछली वर्ष में जिन नौकरियों का खात्मा हुआ उसका 87 प्रतिशत महिलाओं की नौकरियां थीं। 

खाद्य सुरक्षा छीन ली गयी। बिना जांच के 2 करोड़ 97 लाख राशन कार्ड रद्द कर दिए गए। इन सबका सीधा असर महिला आबादी पर हुआ। आधार कार्ड भुखमरी का पासपोर्ट-वीजा बन गया।  भात भात चिल्लाते चिल्लाते मर गयी झारखण्ड की संतोषी की दारुण कथा आज भी विचलित कर देती है और मुंह में जाते कौर को कसैला कर देती है ।

उज्ज्वला योजना के नाम पर हुए छल ने बहुमत महिलाओं की गैस सब्सिडी खत्म कर निजी कंपनियों का मुनाफ़ा बढ़ा दिया ।

बेटी बचाओ की हालत यह है कि इसकी 90 प्रतिशत धनराशि का इस्तेमाल ही नहीं हुआ। सिर्फ बिजूकों की तरह नेता होर्डिंग्स पर लटके रहे। 

बेटी कितनी बची इसके लिए दो उदाहरण काफी हैं : एक अकेले 2016 में 8000 बेटियां दहेज़ के लिए ज़िंदा जला दी गयीं और दो, इक्कीस राज्यों में से 17 प्रदेशों में बाल लिंगानुपात में गिरावट आई है।

साम्प्रदायिक हिंसा के एजेंडे का त्रिशूल और मध्ययुगीन कुख्यात मनुस्मृति का ध्वज स्त्रियों की देह में ही गाड़ कर लहराया जाता है। इस मामले मे भाजपा और उसका रिमोटधारी आरएसएस बच्चियों से लेकर औरतों तक को उनकी "हैसियत" बताने मे शर्म भी नही करता। बच्चियों, महिलाओं के परिधानो पर निर्देश, युवक युवतियों के प्रेम संबंधो पर तालिबानियों को भी पीछे छोड़ देने वाले हुकुमनामे, सती प्रथा और हर तरह की कूपमन्डूकता की हिमायत इसी प्रकार के कुछ उदाहरण हैं।

मोहन भागवत द्वारा दी गयी शादी की बर्बर परिभाषा पुरानी बात नहीं है। उन्होंने इसे एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट करार दिया था जिसमे पत्नी का काम उसकी सेवा करना, उसकी आज्ञा पूरी करना और उसे खुश-संतुष्ट रखना तथा पति का काम इस सबकी एवज में उसके खाने-पहनने का ख्याल रखने की बात थी।

जब असली एजेंडा यह है तो फिर काहे का घोषणापत्र कैसा संकल्प पत्र? 
       

ठीक इसीलिए औरतें मोदी के भाषणों और भाजपा के अभियान के मुद्दों से गायब हैं। ठीक यही वजह है कि सिर्फ महिलायें ही नही समूचे सभ्य समाज की जिम्मेदारी बन जाती है कि वह पार्टी और उसकी खल मण्डली को निर्णायक तरीके से पराजित करने के लिये सडकों पर उतरे।

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)

mazdoor-kisan
KHET MAZDOOR
agricultural labour
Anti Labour Policies
Labour Laws
Maharashtra
Devendra Fednavis
BJP Govt
2019 Lok Sabha elections
womb-less women
ncw

Related Stories

अब राज ठाकरे के जरिये ‘लाउडस्पीकर’ की राजनीति

सांप्रदायिक घटनाओं में हालिया उछाल के पीछे कौन?

एंटीलिया प्रकरण : पुलिस अराजकता का नतीजा!

कार्टून क्लिक : कैब में 'फ़ास्ट टैग’ लग गया लेकिन ओवर स्पीड से बचें!

मी महाराष्ट्र बोलतोय…

फ़ुटपाथ : पहले असम, फिर कश्मीर, कल बाक़ी देश!

बात बोलेगी : क्या हम कश्मीर को भारत का फिलिस्तीन बनाने की राह पर बढ़ रहे हैं !

सूचना के अधिकार को कमज़ोर करना चाहती है मोदी सरकार

कौन से राष्ट्र के निर्माण में पढ़ाई जाएगी आरएसएस की भूमिका?   

#अलीगढ़ : आपको किस बात में दिलचस्पी है, इंसाफ़ में या हिन्दू-मुस्लिम में?


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License