NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
इन दो पिताओं को सुन लें, इससे पहले कि नेता आपको दंगाई बना दे
2019 के संदर्भ में कई शहरों को इस आक्रामकता में झोंक देने की तैयारी है। इसकी चपेट में कौन आएगा हम नहीं जानते हैं।
रवीश कुमार
30 Mar 2018
सांप्रदायिक हिंसा
Image Courtesy : DNA

"मैं शांति चाहता हूं। मेरा बेटा चला गया है। मैं नहीं चाहता कि कोई दूसरा परिवार अपना बेटा खोए। मैं नहीं चाहता कि अब और किसी का घर का जले। मैंने लोगों से कहा है कि अगर मेरे बेटे की मौत का बदला लेने के लिए कोई कार्रवाई की गई तो मैं आसनसोल छोड़ कर चला जाऊंगा। मैंने लोगों से कहा है कि अगर आप मुझे प्यार करते हैं तो उंगली भी नहीं उठाएंगे। मैं पिछले तीस साल से इमाम हूं, मेरे लिए ज़रूरी है कि मैं लोगों को सही संदेश दूं और वो संदेश है शांति का। मुझे व्यक्तिगत नुकसान से उबरना होगा।"

अपने 16 साल के बेटे सिब्तुल्ला राशिदी की हत्या के बाद एक इमाम का यह बयान दिल्ली के अंकित सक्सेना के पिता यशपाल सक्सेना की याद दिलाता है। हिंसा और क्रूरता के ऐसे क्षणों में कुछ लोग हज़ारों की हत्यारी भीड़ को भी छोटा कर देते हैं। 16 साल के सिब्तुल्ला को भीड़ उठाकर ले गई और उसके बाद लाश ही मिली। बंगाल की हिंसा में बंगाल की हिंसा में चार लोगों की मौत हुई है। छोटे यादव, एस के शाहजहां, और मक़सूद ख़ान। इस हिंसा

“मैं भड़काऊ बयान नहीं चाहता हूं। जो हुआ है उसका मुझे गहरा दुख है लेकिन मैं मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल नहीं चाहता। मेरी किसी धर्म से कोई शिकायत नहीं है। हां, जिन्होंने मेरे बेटे की हत्या की, वो मुसलमान थे लेकिन सभी मुसलमान को हत्यारा नहीं कहा जा सकता है। आप मेरा इस्तमाल सांप्रदायिक तनाव फैलाने में न करें। मुझे इसमें न घसीटें। मैं सभी से अपील करता हूं कि इसे माहौल ख़राब करने के लिए धर्म से न जोड़ें।‘’

यह बयान दिल्ली के यशपाल सक्सेना का है जिनके बेटे अंकित सक्सेना की इसी फरवरी में एक मुस्लिम परिवार ने हत्या कर दी। अंकित को जिस लड़की से प्यार था,उसने अपने मां बाप के ख़िलाफ़ गवाही दी है। यशपाल जी ने उस वक्त कहा था जब नेता उनके बेटे की हत्या को लेकर सांप्रदायिक माहौल बनाना चाहते थे ताकि वोट बैंक बन सके। आसनसोल के सिब्तुल्ला को जो भीड़ उठा कर ले गई वो किसकी भीड़ रही होगी, बताने की ज़रूरत नहीं है। मगर आप सारे तर्कों के धूल में मिला दिए जाने के इस माहौल में यशपाल सक्सेना और इमाम राशिदी की बातों को सुनिए। समझने का प्रयास कीजिए। दोनों पिताओं के बेटे की हत्या हुई है मगर वे किसी और के बेटे की जान न जाए इसकी चिन्ता कर रहे हैं।

सांप्रदायिक तनाव कब किस मोड़ पर ले जाएगा, हम नहीं जानते। दोनों समुदायों की भीड़ को हत्यारी बताने के लिए कुछ न कुछ सही कारण मिल जाते हैं। किसने पहले पत्थर फेंका, किसने पहले बम फेंका। मगर एक बार राशिदी और सक्सेना की तरह सोच कर देखिए। जिनके बेटों की हत्याओ को लेकर नेता शहर को भड़काते हैं, उनके परिवार वाले शहर को बचाने की चिन्ता करते हैं। हमारी राजनीति फेल हो गई है। उसके पास धार्मिक उन्माद ही आखिरी हथियार बचा है। जिसकी कीमत जनता को जान देकर, अपना घर फुंकवा कर चुकानी होगी ताकि नेता गद्दी पर बैठा रह सके।

आपको समझ जाना चाहिए कि आपकी लड़ाई किससे है। आपकी लड़ाई हिन्दू या मुसलमान से नहीं है, उस नेता और राजनीति से है जो आपको भेड़ बकरियों की तरह हिन्दू मुसलमान के फ़साद में इस्तमाल करना चाहता है। आपकी जवानी को दंगों में झोंक देना चाहता है ताकि कोई चपेट में आकर मारा जाए और वो फिर उस लाश पर हिन्दू और मुसलमान की तरफ से राजनीति कर सके।

क्या इस तरह की ईमानदार अपील आप किसी नेता के मुंह सुनते हैं? 2019 के संदर्भ में कई शहरों को इस आक्रामकता में झोंक देने की तैयारी है। इसकी चपेट में कौन आएगा हम नहीं जानते हैं। मुझे दुख होता है कि आज का युवा ऐसी हिंसा के ख़िलाफ़ खुलकर नहीं बोलता है। अपने घरों में बहस नहीं करता है। जबकि इस राजनीति का सबसे ज़्यादा नुकसान युवा ही उठा रहा है। बेहतर है आप ऐसे लोगों से सतर्क हो जाएं और उनसे दूर रहें जो इस तरह कि हिंसा और हत्या या उसके बदले की जा सकने वाली हिंसा और हत्या को सही ठहराने के लिए तथ्य और तर्क खोजते रहते हैं। नेताओं को आपकी लाश चाहिए ताकि वे आपको दफ़नाने और जलाने के बाद राज कर सकें। फैसला आपको करना है कि करना क्या है।

रवीश कुमार की फेसबुक वॉल  से साभार I

सांप्रदायिक हिंसा
हिन्दू-मुस्लिम तनाव
सांप्रदायिक सद्भाव
बिहार दंगे
बंगाल दंगे
रवीश कुमार
बीजेपी
आरएसएस
अंकित सक्सेना

Related Stories

झारखंड चुनाव: 20 सीटों पर मतदान, सिसई में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में एक ग्रामीण की मौत, दो घायल

झारखंड की 'वीआईपी' सीट जमशेदपुर पूर्वी : रघुवर को सरयू की चुनौती, गौरव तीसरा कोण

बढ़ते हुए वैश्विक संप्रदायवाद का मुकाबला ज़रुरी

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा भी बोगस निकला, आप फिर उल्लू बने

हमें ‘लिंचिस्तान’ बनने से सिर्फ जन-आन्दोलन ही बचा सकता है

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

असमः नागरिकता छीन जाने के डर लोग कर रहे आत्महत्या, एनआरसी की सूची 30 जुलाई तक होगी जारी

एमरजेंसी काल: लामबंदी की जगह हथियार डाल दिये आरएसएस ने

अहमदाबाद के एक बैंक और अमित शाह का दिलचस्प मामला

आरएसएस के लिए यह "सत्य का दर्पण” नहीं हो सकता है


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: मुझे गर्व करने से अधिक नफ़रत करना आता है
    01 May 2022
    जब गर्व खोखला हो तो नफ़रत ही परिणाम होता है। पर नफ़रत किस से? नफ़रत उन सब से जो हिन्दू नहीं हैं। ….मैं हिंदू से भी नफ़रत करता हूं, अपने से नीची जाति के हिन्दू से। और नफ़रत पाता भी हूं, अपने से ऊंची…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    मई दिवस ज़िंदाबाद : कविताएं मेहनतकशों के नाम
    01 May 2022
    मई दिवस की इंक़लाबी तारीख़ पर इतवार की कविता में पढ़िए मेहनतकशों के नाम लिखी कविताएं।
  • इंद्रजीत सिंह
    मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश
    01 May 2022
    इस बार इस दिन की दो विशेष बातें उल्लेखनीय हैं। पहली यह कि  इस बार मई दिवस किसान आंदोलन की उस बेमिसाल जीत की पृष्ठभूमि में आया है जो किसान संगठनों की व्यापक एकता और देश के मज़दूर वर्ग की एकजुटता की…
  • भाषा
    अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश
    30 Apr 2022
    प्रधान न्यायाधीश ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में कहा न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के…
  • भाषा
    जनरल मनोज पांडे ने थलसेना प्रमुख के तौर पर पदभार संभाला
    30 Apr 2022
    उप थलसेना प्रमुख के तौर पर सेवाएं दे चुके जनरल पांडे बल की इंजीनियर कोर से सेना प्रमुख बनने वाले पहले अधिकारी बन गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License