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इज़रायली अदालत ने 126 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे फिलिस्तीनी बंदी की रिहाई की अपील ख़ारिज की
प्रशासनिक बंदी कायेद अल-फ़स्फौस को अपने लगातार भूख हड़ताल पर बैठने की वजह से गंभीर शारीरिक दुष्परिणामों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें वजन घटने, निम्न रक्तचाप और अनियमित दिल की धड़कन शामिल है। डाक्टरों ने उसके परिवार को सूचित कर दिया है कि उसके कभी भी अचानक से मौत का गंभीर खतरा बना हुआ है।
पीपुल्स डिस्पैच
19 Nov 2021
Israeli court rejects appeal for release of Palestinian detainee on hunger strike for 126 days
1 नवंबर को वेस्ट बैंक, हेब्रोन में फिलिस्तीनी कैदी कायेद फ़स्फौस की मां फवाजिया फ़स्फौस. (फोटो: हिशाम के.के. अबू शकरा/अनाडोलू एजेंसी/मिडिल ईस्ट मॉनिटर)

इजरायली उच्च न्यायालय ने मंगलवार, 16 नवंबर को विभिन्न समाचार पत्रों की खबरों के मुताबिक, प्रशासनिक बंदी कायेद अल-फ़स्फौस को तत्काल रिहा किये जाने की अपील को ख़ारिज कर दिया है, जो पिछले 126 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। इस अपील को बंदियों और भूतपूर्व-बंदियों के मामलों के आयोग द्वारा दाखिल किया गया था, जिसने अल-फ़स्फौस की तत्काल रिहाई की मांग इसलिए की थी क्योंकि उनको डर है कि उसके स्वास्थ्य में गंभीर गिरावट के चलते वह अब मौत की कगार पर पहुँच चुका है। विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक, यह चौथी बार है जब इजरायली अदालतों ने स्वास्थ्य एवं मानवीय आधार पर उसकी रिहाई के लिए दाखिल की गई याचिका सुनवाई को ख़ारिज कर दिया है।

अल-फ़स्फौस की तबियत बिगड़ने के बाद उसे रामलेह जेल से इजरायली बर्ज़िलाई चिकित्सा केंद्र के इंटेंसिव केयर यूनिट में स्थानांतरित कर दिया गया था। वहां के डाक्टरों ने कथित तौर पर उसके परिवार को बताया था कि उसकी मौत किसी भी क्षण हो सकती है। वह वजन में अत्यधिक गिरावट, रुक-रुक कर चेतना शून्य हो जाने, अनियमित दिल की धड़कन, छाती में झुनझुनी सनसनाहट, निम्न रक्तचाप, गुर्दे और ह्रदय की जटिलताएं, शरीर में तरल पदार्थों की कमी, और बार-बार उठने वाले दर्द से जूझ रहा है। रिपोर्टों के मुताबिक, डाक्टरों ने पाया है कि उसके शरीर में खून के थक्के भी बनने शुरू हो चुके हैं, जिसके चलते उस पर जानलेवा चिकित्सकीय समस्याओं का गंभीर खतरा बना हुआ है।

34 वर्षीय अल-फस्फौस, कब्जे वाले वेस्ट बैंक के दक्षिण में हेब्रोन के पास के दुरा गाँव का रहने वाला है। उसे अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार कर प्रशासनिक हिरासत में रखा गया था। जब उसकी अवैध प्रशासनिक हिरासत की अवधि को दूसरी बार के लिए नवीनीकृत कर दिया गया, ताकि प्रभावी तौर पर उसे कम से कम छह महीनों के लिए और जेल में रखा जा सके, तो इसे देखते हुए उसने इस साल 15 जुलाई से अपनी भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। पिछले महीने, इजरायली पुलिस और गुप्तचर सेवाओं ने उसके खिलाफ प्रशासनिक हिरासत के आदेश को फिर से सक्रिय कर दिया था, इससे पहले कि इजरायली अदालत इस अपने आदेश को जारी करती, और एक इजरायली अदालत ने उसे एक प्रशासनिक बंदी के बजाय एक गैर-आधिकारिक कैदी के बतौर रखते हुए उसे एक और छह-महीने की सजा मुकर्रर कर दी थी। अल-फ़स्फौस के खिलाफ आदेश को फ्रीज करने अर्थ यह भी था कि जेल और पुलिस प्रशासन अब उसके जीवन और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार नहीं थे।

बता दें कि अल-फ़स्फौस के अलावा, वर्तमान में पांच अन्य बंदी भी इजराइल के द्वारा उन्हें अवैध प्रशासनिक हिरासत में रखे जाने के विरोधस्वरूप भूख हड़ताल पर हैं। इनमें: अला अल-अराज 101 दिनों से, हिशाम अबू हव्वाश (93 दिनों) से, अय्यद अल-हरिमी (54 दिनों)से, रातेब हरेबत (39 दिनों) से, और लोय अल-अशकर (37 दिनों) से भूख हड़ताल पर हैं। इन्हें इजराइल द्वारा बिना किसी आरोप या अदालती कार्यवाई के सिर्फ गुप्त साक्ष्यों के आधार पर कैद कर रखा है। इन गुप्त साक्ष्यों को उनके वकीलों तक से साझा नहीं किया जा रहा है। उनको हिरासत में रखे जाने की अवधि को भी हर 4-6 महीने के अंतराल पर कई दफा नवीनीकृत भी किया जा सकता है। पूर्व में इसी प्रकार के एक अन्य प्रशासनिक बंदी, मिकदाद अल-क़वास्मेह भी अपनी प्रशासनिक हिरासत को समाप्त किये जाने की मांग के साथ भूख हड़ताल पर बैठे थे, जिन्होंने अपनी भूख हड़ताल को तब समाप्त किया, जब उनकी इजरायली अधिकारियों के साथ फरवरी 2021 में उन्हें रिहा कर दिए जाने पर समझौता हो गया था। वर्तमान में कुल 4,600 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों में से इस समय लगभग 520 फिलिस्तीनियों को प्रशासनिक हिरासत वाली अवैध इजरायली नीति के तहत हिरासत में रखा गया है। 

साभार : पीपल्स डिस्पैच 

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