NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जंतर मंतर - सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी द्वारा धरना-प्रदर्शन पर लगी रोक हटाई
पीठ ने आदेश दिया है कि केंद्रीय दिल्ली में प्रदर्शनों पर पूरी तरह रोक यानी ‘ब्लैंकेट बैन’ नहीं लगाया जा सकता। आंदोलन करना मौलिक अधिकार है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
23 Jul 2018
जन्तर मन्त्र
Image Courtesy: the indian express

जंतर मंतर पर अब लोग फिर से आंदोलन कर सकेंगें। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक फैसला सुनाया, जिसके तहत पिछले वर्ष के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के द्वारा दिये गए आदेश पर रोक लगा दी और आदेश दिया कि यहाँ प्रदर्शनों पर पूरी तरह रोक यानी ‘ब्लैंकेट बैन’ नहीं लगाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंदोलन करना मौलिक अधिकार है और इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती। कोर्ट ने जंतर मंतर और केंद्रीय दिल्ली के अन्य क्षेत्रों में शांतिपूर्ण विरोध पर रोक हटाने के साथ-साथ पुलिस प्रशासन को इसके लिए दो हफ्ते में दिशानिर्देश तैयार करने को कहा है।

पिछले वर्ष 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने आदेश दिया था कि दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन नहीं हो सकता। एनजीटी के आदेश के बाद प्रशासन ने 10 अक्टूबर से यहाँ हो रहे विरोध प्रदर्शनों को रोक लगा दी थी। एनजीटी ने कहा था कि बैलगाड़ी लाने व आंदोलन करने से जो शोर-शराबा उत्पन्न होता है उससे यहाँ रहने वाली जनता को काफी दुशवारियों का सामना करना पड़ता है। उसने सरकार को आदेश दिया था कि आंदोलनकर्ता को जंतर मंतर के विकल्प के तौर पर रामलीला मैदान में जगह दी जाए।

रिपोर्ट्स के अनुसार रामलीला मैदान में आंदोलन करने वालों का कहना है कि यहाँ आंदोलन करने का कोई फायदा नहीं दिखता है क्योंकि यहाँ सरकार के मंत्री या अधिकारी किसी आंदोलनकर्ता की आवाज़ सुनने नहीं आते हैं। उनके अनुसार जंतर मंतर पर आंदोलनकर्ताओं को उम्मीद होती थी की यहाँ उनकी बात सुनने कोई न कोई आएगा।

न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने जंतर मंतर, बोट क्लब व अन्य जगहों पर धरना और प्रदर्शन पर लगी रोक को हटाने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शांतिपूर्वक धरना-प्रदर्शन मौलिक अधिकार है और कानून व्यवस्था के बीच संतुलन ज़रूरी है।

एनजीटी के आदेश के बाद पुलिस प्रशासन ने न केवल जंतर मंतर पर धरना करने से रोक लगा दी थी बल्कि सीआरपीसी की धारा 144 के तहत प्रशासन ने पूरे केंद्रीय दिल्ली के क्षेत्र को आंदोलन व किसी भी तरह के धरना प्रदर्शन प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया था। एनजीओ मज़दूर किसान शक्ति संगठन, इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट व और कई लोगों द्वारा दायर याचिका में इस बात को चुनौती दी गई थी। साथ ही कहा गया था कि पुलिस प्रशासन मनमाने रूप से धारा 144 का इस्तेमाल कर रही है। याचिका में यह भी कहा गया था कि इस तरह का प्रतिबंध संविधान के अनूच्छेद 19 (1) (बी) का उलंघन करता है और यह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के मौलिक आधिकार के विरुद्ध है और जब तक सुप्रीम कोर्ट इस बैन को खत्म नहीं कर देता तब तक आंदोलनकारियां को वैकल्पिक रूप में दिल्ली के बोट कल्ब वाली ज़मीन पर आंदोलन करने की अनुमति दे।

दिल्ली का जंतर मंतर देश के कई छोटे और बड़े आंदोलनों का गवाह है। चाहे वह 2010 का तेलंगाना को अलग राज्य बनाने का आंदोलन हो, चाहे वह 2011का अन्ना भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हो, चाहे वह 2012 का निर्भया आंदोलन हो, चाहे वह 2015 से चल रहे सैनिकों का वन रैंक वन पेंशन का आंदोलन हो इन तमाम आंदोलन का गवाह यह क्षेत्र रह चूका है। ज्ञात हो कि वर्ष 1993 में केंद्र सरकार ने जंतर मंजर को विरोध प्रदर्शन के लिए आधिकारिक स्थान घोषित किया था। इससे पहले आंदोलन का आधिकारिक स्थान बोट कल्ब हुआ करता था। 1993 में जंतर मंतर में शुरू हुआ आंदोलन 24 साल तक चल कर अंततः 2017 में बन्द हो गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह क्षेत्र एक बार फिर से आंदोलनकारियों की आवाज़ सुनेगा।

लोकतंत्र की ख़ूबसूरती वहाँ की स्वतंत्र आवाज़ होती है और जंतर मंतर पर गूँजने वाली इस आवाज़ को पिछले वर्ष एनजीटी के द्वारा रोक लगा दी गई थी। अब यह आवाज़ फिर से जंतर मंतर पर सुनाई देगी।

 

जंतर मंतर
Supreme Court
दिल्ली
ब्लैंकेट बैन
विरोध का अधिकार

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • कैथरीन स्काएर, तारक गुईज़ानी, सौम्या मारजाउक
    अब ट्यूनीशिया के लोकतंत्र को कौन बचाएगा?
    30 Apr 2022
    ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति धीरे-धीरे एक तख़्तापलट को अंजाम दे रहे हैं। कड़े संघर्ष के बाद हासिल किए गए लोकतांत्रिक अधिकारों को वे धीरे-धीरे ध्वस्त कर रहे हैं। अब जब ट्यूनीशिया की अर्थव्यवस्था खस्ता…
  • international news
    न्यूज़क्लिक टीम
    रूस-यूक्रैन संघर्षः जंग ही चाहते हैं जंगखोर और श्रीलंका में विरोध हुआ धारदार
    29 Apr 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार ने पड़ोसी देश श्रीलंका को डुबोने वाली ताकतों-नीतियों के साथ-साथ दोषी सत्ता के खिलाफ छिड़े आंदोलन पर न्यूज़ क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ से चर्चा की।…
  • NEP
    न्यूज़क्लिक टीम
    नई शिक्षा नीति बनाने वालों को शिक्षा की समझ नहीं - अनिता रामपाल
    29 Apr 2022
    नई शिक्षा नीति के अंतर्गत उच्च शिक्षा में कार्यक्रमों का स्वरूप अब स्पष्ट हो चला है. ये साफ़ पता चल रहा है कि शिक्षा में ये बदलाव गरीब छात्रों के लिए हानिकारक है चाहे वो एक समान प्रवेश परीक्षा हो या…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    अगर सरकार की नीयत हो तो दंगे रोके जा सकते हैं !
    29 Apr 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस अंक में अभिसार बात कर रहे हैं कि अगर सरकार चाहे तो सांप्रदायिक तनाव को दूर कर एक बेहतर देश का निर्माण किया जा सकता है।
  • दीपक प्रकाश
    कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से जितने लाभ नहीं, उतनी उसमें ख़ामियाँ हैं  
    29 Apr 2022
    यूजीसी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पर लगातार जोर दे रहा है, हालाँकि किसी भी हितधारक ने इसकी मांग नहीं की है। इस परीक्षा का मुख्य ज़ोर एनईपी 2020 की महत्ता को कमजोर करता है, रटंत-विद्या को बढ़ावा देता है और…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License