NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जलेस खड़ा हुआ पत्रकारों के साथ, एफ़आईआर और गिरफ़्तारियों की निंदा
“पत्रकारों के बीच जो आवाज़ें आज भी बेख़ौफ़ हैं, उन्हें सबक़ सिखाने की यह सरकारी चाल बेहद शर्मनाक है। जनवादी लेखक संघ राजद्रोह के आरोपों और गिरफ़्तारियों से पत्रकारों को डराने की इन हरकतों की कठोर भर्त्सना करता है।”
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
01 Feb 2021
Mandeep punia
पुलिस हिरासत में मुट्ठी ताने पत्रकार मनदीप पुनिया।फोटो सोशल मीडिया से साभार

किसान आंदोलन के ताल्लुक़ से एक-के-बाद-एक पत्रकारों को निशाने पर लेने की घटनाएँ जिस तरह सामने आ रही हैं, वह चिंताजनक और निंदनीय है। भाजपा की सरकार इस विराट जनांदोलन को पस्त न पाने की हताशा में हर ईमानदार और असरदार आवाज़ को दबा देने की चाल पर उतर आई है। पहले चार अलग-अलग राज्यों में छह पत्रकारों - इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, नेशनल हेराल्ड की सलाहकार संपादक मृणाल पांडे, कारवां मैगजीन के संस्थापक संपादक परेश नाथ, संपादक अनंत नाथ और कार्यकारी संपादक विनोद जोसे तथा क़ौमी आवाज़ के संपादक ज़फ़र आग़ा - के ख़िलाफ़ एक किसान की मौत के बारे में भ्रामक ट्वीट करने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज की गई। उन पर राजद्रोह का भी अभियोग लगाया गया। एफ़आईआर में उन्हें सुनियोजित साज़िश के तहत दंगा भड़काने के इरादे से भ्रामक ट्वीट करने का दोषी बताया गया है।

इसके बाद 30 जनवरी को सिंघु बॉर्डर से रिपोर्टिंग कर रहे मनदीप पुनिया को पुलिस ने गिरफ़्तार किया। पुलिस के काम में बाधा डालने के आरोप में उन्हें बेरहमी से घसीटते हुए दिल्ली पुलिस अपने साथ ले गई। सच्चाई यह है कि पुनिया ने ‘लोकल’ होने के नाम पर किसानों के जमावड़े में गड़बड़ी फैलाने के लिए पहुँचे भाजपा के लोगों की शिनाख्त करते हुए सोशल मीडिया पर कई पोस्ट्स डाली थीं। ऐसे ही एक ‘लोकल’ की पुलिस के साथ चल रही बातचीत को जब वे अपने कैमरे में कैद कर रहे थे, तब पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और हाथापाई का आरोप लगाकर अंदर कर दिया।

इसी कड़ी में 31 जनवरी को द वायर के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन पर भी यूपी पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की है। उन्होंने एक ट्वीट करके यह जानकारी दी थी कि 26 जनवरी को जिस किसान की मौत हुई, उसके पिता के अनुसार पोस्टमार्टम करनेवाले डॉक्टर ने उस किसान को गोली लगने और रिपोर्ट के मामले में अपने हाथ बँधे होने की बात कही है। सिद्धार्थ वरदराजन की इस ट्वीट और इससे संबंधित रिपोर्ट को भी इरादतन भ्रामक खबर फैलाने का दोषी बताया गया है।

पत्रकारों के बीच जो आवाज़ें आज भी बेख़ौफ़ हैं, उन्हें सबक़ सिखाने की यह सरकारी चाल बेहद शर्मनाक है। जनवादी लेखक संघ राजद्रोह के आरोपों और गिरफ़्तारियों से पत्रकारों को डराने की इन हरकतों की कठोर भर्त्सना करता है।

Mandeep Punia
janwadi lekhak sangh
journalism
journalist
BJP
farmers protest

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • सत्यम् तिवारी
    देश भर में निकाली गई हनुमान जयंती की शोभायात्रा, रामनवमी जुलूस में झुलसे घरों की किसी को नहीं याद?
    16 Apr 2022
    एक धार्मिक जुलूस से पैदा हुई दहशत और घायल लोगों की चीख़-पुकार अभी फ़िज़ा में मौजूद है कि राजधानी दिल्ली सहित देश भर में एक और त्योहार के जुलूस निकाले गए। और वह भी बाक़ायदा सरकारी आयोजन की तरह। सवाल…
  • पलानीवेल राजन सी
    अपनी ज़मीन बचाने के लिए संघर्ष करते ईरुला वनवासी, कहा- मरते दम तक लड़ेंगे
    16 Apr 2022
    पिल्लूर में स्थानीय समुदायों की लगभग 24 बस्तियां हैं, जो सामुदायिक वन अधिकारों की मांग कर रही हैं, जैसा कि एफआरए के तहत उन्हें आश्वस्त किया गया था।
  • रूबी सरकार
    बुलडोज़र की राजनीति पर चलता लोकतंत्र, क्या कानून और अदालतों का राज समाप्त हो गया है?
    16 Apr 2022
    जिस तरह एक ख़ास धर्म के ख़िलाफ़ माहौल बनाने के लिए भाजपा की राज्य सरकारें बुलडोज़र को आगे कर रही हैं उससे लोकतंत्र हर रोज़ मरणासन्न स्थिति की ओर जा रहा है। 
  • सत्यम श्रीवास्तव
    कन्क्लूसिव लैंड टाईटलिंग की भारत सरकार की बड़ी छलांग
    16 Apr 2022
    देश में मौजूद ज़मीन के हर एक पीस/प्लॉट का एक आधार नंबर दिया जाना जिसे इस बजट भाषण में यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (ULPIN) कहा गया है। इसके लिए बाज़ाब्ता ज़मीन के हर टुकड़े के अक्षांश और देशांत…
  • विजय विनीत
    पत्रकारों के समर्थन में बलिया में ऐतिहासिक बंद, पूरे ज़िले में जुलूस-प्रदर्शन
    16 Apr 2022
    पेपर लीक मामले में पत्रकारों की गिरफ़्तारी और उत्पीड़न के खिलाफ आज बलिया में ऐतिहासिक बंदी है। बलिया शहर के अलावा बैरिया, बांसडीह, बेलथरा रोड, रसड़ा और सिकंदरपुर समेत ज़िले के सभी छोटे-बड़े बाज़ार…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License