NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार
भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पर राष्ट्रपति की मुहर के बाद राज्य की तमाम पार्टीयों ने किया 5 जुलाई को झारखंड बंद आह्वान।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
30 Jun 2018
Jharkhand land acquisition
Image Courtesy : Scroll

झारखंड राज्य में विपक्षी दलों, खासकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमों), का गुस्सा केंद्र के THE RIGHT TO FAIR COMPENSATION AND TRANSPARENCY IN LAND ACQUISITION, REHABILITATION AND RESETTLEMENT ACT, 2013 में संशोधन के खिलाफ फूट चुका है। यह कानून भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में भूमि के मालिकों (जो अमूमन किसान और आदिवासी होते हैं) को सही मुआवज़ा और उनके पुनर्वास को सुनिश्चित करता हैI तमाम विपक्षी दलों का आरोप है कि इस बिल से आम जनता को नहीं बल्कि उद्योगपतियों व पूंजीपतियों को लाभ होगा। राज्य की राजनीति में यह उबाल, बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद आया है। इस बिल के विरोध के बाद राज्य में विपक्षी दलों झामुमो, वामदल, झारखण्ड विकास मोर्चा (झाविमो), कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सहित जन संगठनों ने लामबंद होकर 5 जूलाई को राज्य महाबंद की तैयारी की हैI

इस बिल में हुए संशोधन के अनुसार अब भूमि अधिग्रहण के लिए सरकार को  ज़मीन लेने के लिए  सामाजिक प्रभाव के आँकलन की आवश्यकता नहीं है। झारखंड सरकार ने सामाजिक प्रभाव के स्थान पर ग्राम सभा या स्थानीय प्राधिकार से परामर्श  करने का प्रावधान किया  है। भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के अनुसार विश्विद्यालय , कॉलेज, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, अस्पताल, पंचायत भवन, जलापूर्ति लाइन, रेल, सड़क, अफोर्डेबल हाउसिंग, जलमार्ग, विद्युतीकरण और सरकारी भवन निर्माण के लिए ज़मीन सामाजिक प्रभाव के आँकलन के अध्ययन बिना ली जा सकेगी।

यह भी पढ़ें गुजरात : किसानों ने किया बुलेट ट्रेन योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

सीपीआई(एम) की झारखंड राज्य समीति के सचिव जी.के.बख़शी  सरकार के मंसूबे पर सवाल उठा रहे  हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि आदिवासियों की ज़मीन हड़पने के लिए सरकार ने यह कानून बनाया है। सरकार ने तमाम विपक्षी पार्टीयों की बिना सहमती के सरकार ने केंद्र के भूमि अधिग्रहण बिल 2013 को विधानसभा में पारित कर दिया था।

 ध्यान रहे कि राज्य में सत्ताधीन भाजपा सरकार ने पिछले वर्ष 12 अगस्त को विपक्षी दलों के विरोध और हंगामे के बाद भी ‘भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापना में उचित प्रतिकार पारदर्शिता का अधिकार, झारखंड संशोधन विधेयक’ को विधानसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया था। वहीं इसी महीने इस विधेयक पर राष्ट्रपति ने भी अपनी मुहर लगा दी है।

बिल के विरोध में पिछले वर्ष से ही राज्य में जगह-जगह आंदोलन और धरना प्रदर्शन हो रहे हैं। केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी जन परिषद, आदिवासी संघर्ष मोर्चा जैसे सरीखे संगठनों ने भी बंद का समर्थन करते हुए आंदोलन छेड़ दिया है। तमाम संगठनों सहित विपक्ष की मांग है कि भूमि अधिग्रहण बिल को भाजपा सरकार बिना शर्त वापस ले जैसे छोटानागपुर काश्तकारी तथा संताल परगना काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी- एसपीटी एक्ट) के संशोधन को सरकार ने वापस ले लिया था।

आदिवासी संघर्ष मोर्चा के मुख्य संयोजक डॉ. करमा उरांव ने भी इस संशोधन को आदिवासी और जन विरोधी बताया है। उनका मानना है कि इस संशोधन से आदिवासीयों के मौलिक हितों ज़मीन और जीवन की सुरक्षा के साथ धोखा होगा।

यह भी पढ़ें महाराष्ट्र के पालघर के किसान बुलेट ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कर रहे हैं विरोध

माकपा के राज्य सचिव मंडल सदस्य प्रकाश विप्लव ने न्यूज़क्लिक से खास बातचीत करते हुए बताया कि सरकार ने इस कानून में संशोधन इसलिए किया है ताकि वह उद्योगपतियों को सहायता पहुँचा सके। केंद्र सरकार भी ‘भूमि अधिग्रहण बिल-2013 में कुछ इस तरह का प्रावधान करना चाहती थी लेकिन विरोध के कारण इस तरह के प्रावधान को इस बिल में शामिल नहीं कर पाई और वह अब राज्य सरकार की सहायता से इस बिल को कमज़ोर करना चाहती है।

इससे पहले तमिलनाडु और गुजरात की राज्य सरकारें भी केंद्र के भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन कर चुकी हैंI वहीं आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और राजस्थान समेत कई और राज्य भी भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन करने की तैयारी में हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में ज़मीन सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण का मुद्दा पिछले कुछ समय से झारखण्ड की राजनीति में केंद्रीय भूमिका में रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार विस्थापन के सवाल पर आंदोलन कर रहे लोगों में से लगभग 7 लोगों की जान पुलिस फायरिंग में चली गई है।

हाल के वर्षों में हम देख रहे हैं कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें निजी क्षेत्र के फ़ायदे के लिए किसानों  और आदिवासियों के ज़मीन के अधिकार को कुचल रही हैI जहाँ इस मकसद के लिए सरकारी तंत्र पूरी तरह से जुटा हुआ है वहीं दूसरी ओर किसान और आदिवासी अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए भी लामबंद हैंI

झारखण्ड
भूमि अधिग्रहण
रघुबर दास
भाजपा
आदिवासी
आदिवासियों की ज़मीन

Related Stories

मध्य प्रदेश: 22% आबादी वाले आदिवासी बार-बार विस्थापित होने को क्यों हैं मजबूर

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

झारखंड : साल का पहला दिन आदिवासियों को आज भी शोक से भर देता है

आठ साल से जारी है किसानों का बांगड़-बिरला सीमेंट प्लांट के खिलाफ संघर्ष

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

शोभापुर लिंचिंग: बच्चे पिता के इंतज़ार में हैं जो अब नहीं लौट सकते

नागाड़ी लिंचिंगः एक परिवार के 3 सदस्य मार दिए गए, मुख्य संदिग्ध फरार

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License