NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड : आदर्श पुलिस राज का ‘नक्सली सरेंडर घोटाला’
फ़र्ज़ी नक्सली सरेंडर का यह मामला उस समय उभर कर आया जब सीआरपीएफ के तत्कालीन आईजी ने राज्य के पुलिस विभाग को खुला पत्र लिखकर सवाल उठाया। ...अब 14 दिसंबर को इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट की सुनवाई में आगे की तस्वीर साफ होगी।
अनिल अंशुमन
01 Dec 2018
झारखंड में सरेंडर मामला सवालों के घेरे में है।

इन दिनों केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम बकोरिया पुलिस मुठभेड़ कांड के फ़र्जी होने की जांच के लिए झारखंड पहुंची हुई है। राज्य पुलिस की संदिग्ध भूमिका पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने कांड की नए सिरे से जांच का जिम्मा राज्य की पुलिस से लेकर सीबीआई को दिया है। अब ‘फ़र्जी नक्सली सरेंडर’ कांड का मामला इन दिनों हाईकोर्ट में सरगर्म है। जिसमें राज्य पुलिस के साथ साथ सीआरपीएफ के कई बड़े अधिकारियों की गर्दन फंसी हुई है। इस मामले में भी पुलिस विभाग के टालमटोल और असहयोग के रवैये से कोर्ट नाराज़ है। इसलिए 14 दिसंबर को होनेवाली अगली सुनवाई से पूर्व सभी ज़रूरी कागज़ात जमा करने की सख़्त दे रखी है।

गौरतलब है की सरकार द्वारा 2014 में माओवाद–नक्सलवादी धारा से जुड़े युवाओं को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए छत्तीसगढ़ और झारखंड समेत देश के कई राज्यों में ‘सरेंडर (आत्म समर्पण) नीति’ बनाई गयी थी।  जिसमें यह प्रावधान था कि नक्सली संगठनों का कोई कार्यकर्ता अथवा नेता सरकार के समक्ष यदि सरेंडर करेगा तो सरकार उसे कानूनी तौर पर समाज की मुख्य धारा में आने का अवसर व रोजगार मुहैया कराएगी। मीडिया के माध्यम से इस कार्यक्रम को ऐसा लोकलुभावन बनाकर पेश किया गया था मानो सरकार सचमुच में नक्सल समस्या के प्रति बहुत गंभीर है लेकिन इस सियासी खेल की कलई उस समय खुल गयी जब सरकार की सरेंडर - योजना की सफलता दिखाने के लिए भोले भाले नौजवानों को फ़र्ज़ी नक्सली बनाकर सरेंडर कराने का मामला सामने आया। सरेंडर आंकड़ा बढ़ाने के लिए पुलिस व सीआरपीएफ के बड़े अधिकारियों ने प्रदेश के खूंटी जिला स्थित दिग्दर्शन कोचिंग सेंटर के जरिये नक्सल प्रभावित ज़िलों के 514 युवाओं को  सरेंडर कराया था। इन सबों को समझाया गया था कि यदि वे ख़ुद को नक्सली बताकर सरेंडर करेंगे तो उन्हें फौरन पुलिस या सीआरपीएफ नौकरी मिल जाएगी। भव्य कार्यक्रमों में मीडिया की भीड़ जमाकर इन सबों का सरेंडर समारोह कराया गया। जिसका स्वागत करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री ने हमेशा की भांति मोदी जी के कुशल नेतृत्व में अपनी सरकार की सफलता का कसीदा भी पढ़ा था। इसी दौरान राजधानी के एक नागरिक अधिकार संगठन जेसीडीआर ने पूरे मामले को फ़र्ज़ी बताते हुए जांच की मांग करने संबंधी याचिका राज्य के हाईकोर्ट में दायर कर दी। साथ ही इसमें शामिल पुलिस व सीआरपीएफ के कई बड़े अधिकारियों की संलिप्तता की भी जांच की मांग कर दी। मामले को तूल पकड़ता देख राज्य पुलिस ने भी विभागीय जांच की घोषणा करते हुए आनन फानन मेँ जांच की औपचारिकता पूरी कर दी जिसमें सभी नामजद बड़े अधिकारियों को क्लीन चिट देते हुए सरेंडर कार्यक्रम को सही ठहराकर मामले की फाइल बंद कर दी।

फ़र्ज़ी नक्सली सरेंडर का यह मामला उस समय उभर कर आया जब सीआरपीएफ के तत्कालीन आईजी ने राज्य के पुलिस विभाग को खुला पत्र लिखकर सवाल उठाया। साथ ही भोले भाले ग्रामीण नौजवानों को फ़र्ज़ी नक्सली बनाकर जेल मेँ रखने को धोखाधड़ी बताया। मामला सार्वजनिक हो जाने के कारण उनके ही बयान को आधार बनाकर केस दर्ज़ करने की औपचारिकता पूरी की गयी थी। सन् 2014 के इस सरेंडर कांड की जांच को लेकर दायर याचिका संज्ञान लेते हुए जब से हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू की है, राज्य पुलिस लगातार अपना पक्ष व तथ्य प्रस्तुत करने में आनाकानी कर रही है जिसपर कोर्ट नाराजगी प्रकट कर कई बार पुलिस को फटकार भी लगा चुका है। सरेंडर किए नौजवानों को बिना किसी कोर्ट मेँ पेश किए रांची स्थित पुराने बिरसा मुंडा जेल मेँ सीआरपीएफ की दीखरेख मेँ रखने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी गम्भीर आपत्ति जताते हुए पुलिस को दोषी ठहराया है।

सरेंडर करने के बाद कई महीने सीआरपीएफ की विशेष निगरानी और देखरेख में रखे गए सभी ग्रामीण नौजवानों की हालत ऐसी है अब वे कहीं के नहीं रह गये हैं क्योंकि सबकी नज़र मेँ उनकी सामाजिक पहचान माओवादी-नक्सलवादी की हो गयी है, तो दूसरी ओर, जिन जिन से सरेंडर के बाद नौकरी देने का लालच दिखाकर लाख–लाख रुपये वसूले गये वह सब भी डूब गया। रुपये देने के लिए किसी ने अपनी बाइक बेची तो किसी ने ज़मीन बेच दी लेकिन नौकरी नहीं मिली। सरेंडर किए नौजवानों ने मीडिया को सारा दर्द बताते हुए यह भी कहा कि पुलिस ने अभी तक किसी से औपचारिक बयान भी नहीं लिया है। हैरानी की बात ये भी है कि इनको रखे जाने की यह कानूनी/वैधानिक स्थिति भी स्पष्ट नहीं है कि वे पुलिस हिरासत में हैं या न्यायिक हिरासत में। फिलहाल दिखावे की कारवाई के लिए पुलिस ने दिग्दर्शन कोचिंग सेंटर के रवि बोदरा को फ़र्ज़ी सरेंडर घोटाला कांड का मास्टर माइंड घोषित कर गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि कोर्ट में कुछ के सही होने के सबूत व गवाही तो पेश की गयी है लेकिन इसमें शामिल पुलिस व सीआरपीएफ के बड़े अधिकारियों को साफ़ बचा लिया है।

बहरहाल, 14 दिसंबर को इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट की सुनवाई मेँ आगे की तस्वीर साफ होगी लेकिन यह तो साबित हो ही गया है कि माओवाद–नक्सलवाद से निपटने के नाम पर आज सरकार और पुलिस दोनों मिलकर प्रभावित इलाकों के भोले-भाले गरीब नौजवानों के भविष्य के साथ कैसा सलूक कर रही है जिन्हें कभी फ़र्ज़ी एनकाउंटर का शिकार बनाया जा रहा है तो कभी फ़र्ज़ी सरेंडर का। विशेषकर झारखंड, जहां पहली सरकार के शपथग्रहण समारोह में तत्कालीन एनडीए सरकार के वरिष्ठ नेता व उप प्रधानमंत्री ने इसे ‘आदर्श पुलिस राज’ बनाने की घोषणा की थी, उसकी हक़ीक़त जगजाहिर होने लगी है।

Jharkhand
Jharkhand government
jharkhand high court
NAXAL
MAOISTS
JHARKHAND POLICE
CBI

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?

सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ नया मामला दर्ज किया, कई जगह छापे मारे

झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार

झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध

झारखंड : हेमंत सरकार को गिराने की कोशिशों के ख़िलाफ़ वाम दलों ने BJP को दी चेतावनी

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल जेल भेजी गयीं

झारखंडः आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी दूसरे दिन भी जारी, क़रीबी सीए के घर से 19.31 करोड़ कैश बरामद

खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं


बाकी खबरें

  • भाषा
    श्रीलंका में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ़्तारी की मांग तेज़
    10 May 2022
    विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के लिए सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को दूसरी बार मिला ''द पुलित्ज़र प्राइज़''
    10 May 2022
    अपनी बेहतरीन फोटो पत्रकारिता के लिए पहचान रखने वाले दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी और उनके सहयोगियों को ''द पुल्तिज़र प्राइज़'' से सम्मानित किया गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
    10 May 2022
    केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के आचरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि वे इस घटना से पहले भड़काऊ भाषण न देते तो यह घटना नहीं होती और यह जघन्य हत्याकांड टल सकता था।
  • विजय विनीत
    पानी को तरसता बुंदेलखंडः कपसा गांव में प्यास की गवाही दे रहे ढाई हजार चेहरे, सूख रहे इकलौते कुएं से कैसे बुझेगी प्यास?
    10 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्टः ''पानी की सही कीमत जानना हो तो हमीरपुर के कपसा गांव के लोगों से कोई भी मिल सकता है। हर सरकार ने यहां पानी की तरह पैसा बहाया, फिर भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई।''
  • लाल बहादुर सिंह
    साझी विरासत-साझी लड़ाई: 1857 को आज सही सन्दर्भ में याद रखना बेहद ज़रूरी
    10 May 2022
    आज़ादी की यह पहली लड़ाई जिन मूल्यों और आदर्शों की बुनियाद पर लड़ी गयी थी, वे अभूतपूर्व संकट की मौजूदा घड़ी में हमारे लिए प्रकाश-स्तम्भ की तरह हैं। आज जो कारपोरेट-साम्प्रदायिक फासीवादी निज़ाम हमारे देश में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License