NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड चुनाव : अबकी बार, गयी सरकार : जनता बनी असरदार!
जिन भी सीटों पर प्रधानमंत्री–गृहमंत्री ने सभाएं की थीं, अधिकांश पर बीजेपी को भारी पराजय का सामना करना पड़ा। इसके अलावा CAA, एनआरसी, धारा 370 और मंदिर बनाने की घोषणा पर लोगों से वोट मांगे गए थे लेकिन जनता ने इन सभी मुद्दों को नकार दिया।
अनिल अंशुमन
24 Dec 2019
jharkhand
मंगलवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफ़ा सौंपते निवर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास।

झारखंडी जनता के जनादेश को स्वीकारते हुए और प्रदेश की सत्ता से विदाई लेते हुए निवर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास का कहना कि ये प्रधानमंत्री जी की नहीं मेरी हार है... लोगों को हजम नहीं हो रहा है । क्योंकि जिन भी सीटों पर प्रधानमंत्री–गृहमंत्री जी ने अपने प्रत्याशियों के समर्थन में सभाएं की थीं, अधिकांश पर पार्टी को भारी पराजय का सामना करना पड़ा। गौरतलब हो कि इन सभी सभाओं में उक्त सुपर स्टार प्रचारक नेताओं ने CAA, एनआरसी, धारा 370 और मंदिर बनाने की घोषणा पर लोगों से वोट मांगे थे लेकिन जनता ने इन सभी मुद्दों को धता बता दिया जो मार्के की बात है। मीडिया से ये भी खबर आयी कि 23 दिसंबर को गूगल सर्च में उक्त मुद्दों को छोड़, लोगों ने प्रदेश चुनाव के नतीजों में ही अधिक दिलचस्पी दिखायी। इसलिए इस मामले में रघुवर जी की सफाई का कोई महत्व नहीं रह जाता है।    

राजनीतिक पूर्वानुमानों और कयासों के अनुरूप झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों से अबकी बार... गयी सत्ताधारी भाजपा गठबंधन की सरकार और नहीं मिला 65 पार...! सिर्फ इतना ही नहीं मतगणना और चुनाव नतीजे आने से एक दिन पहले ही जब रघुवर दास का अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिया गया कथन कि – झूठ का पर्दाफाश होगा, सच्चाई सामने आएगी .... ! उन्हीं पर बैक फायर बन गया और सच्चाई ऐसे सामने आयी कि वे अपनी सीट गंवाकर विधानसभा से ही बाहर कर दिये गए।

झारखंड के अनेक सुचिन्तित बुद्धिजीवी जनों और सामाजिक कर्मियों की निगाह में झारखंड विधानसभा चुनाव के ये नतीजे थोड़ा सुकून देने वाले हैं कि झारखंडी मन मिजाज एकजुट होकर विपक्षी महागठबंधन को पूर्ण बहुमत देते हुए भाजपा के कुशासन का हिसाब लिया। भाकपा माले द्वारा जारी प्रेस बयान में राज्य की जनता को इस जनादेश के लिए बधाई देते हुए विशेष आभार व्यक्त किया गया कि मोदी–शाह की जोड़ी जो यह समझ बैठी थी कि वे अपराजेय हैं और कुछ भी मनमानी करेंगे तो लोग मानने को मजबूर हैं। जनादेश ने स्पष्ट कर दिया है कि यह सब नहीं होने वाला है।

पिछले पाँच वर्षों के भाजपा शासन ने राज्य में भूख से हो रही मौतें, ज़मीन लूट, राज्य दमन और मॉब लिंचिंग जैसे सुलगते सवालों को जिस हठधर्मिता से हाशिये पर धकेल रखा था , प्रदेश के लोगों के वोट बनकर मुखर हो उठे। जिनके सामने सामाजिक और सांप्रदायिक विभाजन आधारित वोट ध्रुवीकरण की कवायद धरी रह गयी। क्योंकि चुनाव नतीजों ने साबित कर दिया कि मतदाता–जनता की जागरूकता जब भी मुखर होती है, ऐसा ही जनादेश देती है।

23 की शाम अपने आवास पर मीडिया को संबोधित भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का संक्षिप्त बयान भी मौजू है जिसमें उन्होंने राज्य के जागरूक मतदाताओं का आभार प्रकट करते हुए कहा कि – हमसबों के लिए आज उत्साह का दिन तो है ही लेकिन मेरे लिए उससे भी बढ़कर संकल्प लेने का दिन है। राज्य के असंख्य लोगों की जनाकांक्षाओं को पूरा करने के संकल्प का दिन है। जिन उद्देश्यों के लिए इस राज्य के गठन की लड़ाई लड़ी गयी थी, उसे पूरा करने का वक़्त आ गया है । आपने जिन उम्मीदों से अपने मतों का प्रयोग कर जो स्पष्ट जनादेश दिया है, इस राज्य के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा!

इस चुनाव में गोदी मीडिया की तमाम उपेक्षाओं के बावजूद प्रदेश के जन मुद्दों के संघर्षों में सदैव अगली पांत में रहनेवाले वामपंथी दलों की भी सक्रियता नकारी नहीं जा सकती। तीन स्थानों पर इनके प्रत्याशी (मार्क्सवादी समन्वय समिति – 2 सीट, भाकपा माले – 1सीट ) भाजपा को कड़ी टक्कर देते हुए दूसरे स्थान पर रहे। वहीं भाकपा माले की प्रतिष्ठित सीट बागोदर सीट पर जननायक कहे जाने वाले महेंद्र सिंह की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले युवा नेता विनोद सिंह की मजबूत जीत ने प्रदेश के बहुसंख्य संघर्षशील शक्तियों का मनोबल बढ़ा दिया है।

इस जनादेश में राज्य के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के मतदाताओं का भारी योगदान माना जाएगा। जिसके कोल्हान ( पूर्वी / पश्चिमी सिंहभूम ) और संताल परगना के इलाकों में तो भाजपा का खाता भी नहीं खुल सका। पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 28 एसटी रिजर्व सीटों में से 10 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी, जो इस बार 2 पर ही सिमट गयी। दर्शाता है कि राज्य के आदिवासियों में भाजपा शासन के खिलाफ कितना क्षोभ था!

जनादेश पर सोशल मीडिया में व्यक्त लोगों के पोस्ट केवल क्षणिक प्रतिक्रिया मात्र नहीं कहे जा सकते। सनद रहे कि सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी पोस्ट लगाने के आरोप में रघुवर सरकार ने दर्जनों सोशल एक्टिविस्ट पर देशद्रोह का मुकदमा कर रखा है। इन पोस्टों में कहा गया है - यह कोई स्थानीय मुद्दों के महत्व का मामला नहीं है .... पत्थलगड़ी के पत्थरों से टकराना महंगा पड़ा .... आखिर विकास का हाथी ( भाजपा शासन का करोड़ी आयोजन ‘ मोवमेंटम झारखंड ’ का प्रतीक चिह्न) उड़ ही गया... हिन्दू–मुसलमान की राजनीति नहीं चली, 33% मुस्लिम आबादी वाले सीट पर ओवैसी के प्रत्याशी को मिले सिर्फ 13 वोट... धरम की राजनीति हारी... डबल इंजन की सरकार बन गयी थी डबल बुलडोजर की सरकार, जनता ने दिया उतार.. भटकाव की बातें रह गईं शेष, मुद्दों की बात पर मिला है जनादेश...

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर हेमंत सोरेन को बधाई तो दे दी है लेकिन कितना स्वस्थ लोकतन्त्र का ये परिचायक होता यदि वे झारखंड की जनता से इस बात के लिए कोई खेद प्रकट करते कि उनकी पार्टी कि सरकार लोगों की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी। साथ ही जिन मुद्दों पर उन्होंने लोगों से वोट मांगे थे, मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया, इसके लिए भी कुछ आत्ममंथन करते! खैर, अब आने वाली नयी सरकार पर महती जवाबदेहियाँ हैं... लेकिन गोदी मीडिया में अभी से ही इस सरकार की स्थिरता पर सवाल उठाना कहाँ तक उचित है..!

Congratulations to @HemantSorenJMM Ji and the JMM-led alliance for the victory in the Jharkhand polls. Best wishes to them in serving the state.

— Narendra Modi (@narendramodi) December 23, 2019

Jharkhand
jharkhand elections
Jharkhand election results 2019
Raghubar Das
JMM
BJP
Narendra modi
modi sarkar

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License