NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
दुनिया को गौर करना चाहिए कि बाइडेन की प्रेसीडेंसी ढलान पर है
वेस्ट वर्जीनिया के डेमोक्रेटिक सीनेटर जो मैनचिन के 2.2 ट्रिलियन डॉलर पैकेज के विधेयक की विनाशकारी आलोचना इस ओर इशारा करती है कि विश्व की महाशक्ति अपनी ताक़त से कहीं अधिक ऊपर उड़ाने की कोशिश कर रही है।
एम. के. भद्रकुमार
22 Dec 2021
Translated by महेश कुमार
biden
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन डेलावेयर में वीकेंड बिताने के बाद व्हाइट हाउस लौटने के लिए मरीन वन में सवार होते हुए, 20 दिसंबर, 2021

अमेरिकी राजनीति ने रविवार को वेस्ट वर्जीनिया डेमोक्रेटिक सीनेटर जो मैनचिन की घोषणा के बाद तब एक नाटकीय मोड़ ले लिया जब उन्होने कहा कि वे ‘बिल्ड बैक बेटर एक्ट’ को "वोट नहीं दे” सकते हैं, यह राष्ट्रपति जो बाइडेन का 2.2 ट्रिलियन डॉलर के पैकेज वाला विधेयक है जिसे देश की स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, जलवायु को दुरुस्त करने और आव्रजन तथा टैक्स कानून के लिए लाया गया है।

यह बाइडेन के आर्थिक एजेंडे को संभावित बड़ा राजनीतिक झटका है, जिस पर उनके पूरे राष्ट्रपति पद का भाग्य टिका हुआ है। इस विधेयक का उद्देश्य कम आय वाले अमेरिकियों को मेडिकेयर लाभों का विस्तार करना है जिसमें चिकित्सकीय दवाओं की कीमतों को कम करना, सभी अमेरिकी बच्चों को प्रीकिंडरगार्टन में दाखिले की सुविधा देना, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारी निवेश करना और कई नई वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

अमेरिकी सीनेट इस पर समान रूप से विभाजित है और मैनचिन का रुख बिल के खिलाफ संतुलन को डेमोक्रेट के खिलाफ झुकाता है - अर्थात, जब तक कि खर्च करने वाले पैकेज के आकार और दायरे में भारी कटौती की जाती है, और ऐसा होता है तो यह डेमोक्रेट्स द्वारा किए गए उन कई वादों को पूरा करने की क्षमता को खतरे में डाल देगा जिन्हे 2020 के अभियान के दौरान किया गया था जोकि 2022 में होने वाले मध्यावधि चुनावों में उनकी संभावनाओं पर भी गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

‘बिल्ड बैक बेटर एक्ट’ पर मैनचिन की अस्वीकृति इस आधार पर रही है कि प्रस्तावित बिल में पारदर्शिता का अभाव है। उन्होंने व्हाइट हाउस पर "इस बिल के पीछे के इरादे की वास्तविक लागत को छिपाने" की कोशिश करने का आरोप लगाया है, समर्थकों ने दावा किया है, कि गैर-पक्षपाती कांग्रेस के बजट कार्यालय ने पाया है कि इसकी "लागत 4.5 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर है जोकि बिल में प्रावाधान की गई राशि से दोगुने से अधिक है।"

मैनचिन ने संकेत दिया है कि अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज़ वर्तमान में खतरे के निशान (28.9 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज़ और उससे भी अधिक बढ़ रहा है) से परे है और इस बात को रेखांकित किया कि "जैसे-जैसे महामारी बढ़ती है, मुद्रास्फीति बढ़ती है और दुनिया भर में भू-राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ जाती है," राष्ट्रीय कर्ज़ अमेरिका के लिए भारी राजनीतिक अड़चन बन गया है। मैनचिन की विनाशकारी आलोचना इस बात पर प्रकाश डालती है कि महाशक्ति अपनी ताक़त से  काफी ऊपर उड़ रही है और देश इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता है।

विधेयक के प्रति मैनचिन की असहमति के तत्काल आर्थिक परिणाम बाइडेन प्रेसीडेंसी के लिए बहुत हानिकारक होने जा रहे हैं क्योंकि बिल के एक हिस्से का उद्देश्य जल्द ही समाप्त होने वाले संघीय कार्यक्रम का विस्तार करना है जो बच्चों के साथ-साथ 35 मिलियन से अधिक अमेरिकी परिवारों को भुगतान करता है। एक वार्ताकार के रूप में बाइडेन की खुद की बहुप्रतीक्षित कौशल की सीमाएँ उजागर होती नज़र आ रही है। 

मैनचिन ने बिल में जलवायु और स्वच्छ-ऊर्जा प्रावधानों को स्पष्ट रूप से लक्षित करते हुए कहा है कि वे "हमारे इलेक्ट्रिक ग्रिड की विश्वसनीयता को जोखिम में डालते हैं और विदेशी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर हमारी निर्भरता बढ़ाते हैं।" बाइडेन के जलवायु एजेंडे को हासिल करना अब लगभग असंभव होगा। यह व्यक्तिगत रूप से बाइडेन के लिए एक बार फिर बड़ा झटका है। बाइडेन ने दावा किया था कि वह कानून स्वच्छ-ऊर्जा क्षेत्र और ऑटो निर्माण में हजारों नौकरियां पैदा करेगा और अमेरिका को चीन और यूरोपीय यूनियन के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद करेगा।

बाइडेन के राष्ट्रपति चुने जाने के केवल एक साल बाद, मतदाता हाल ही में वर्जीनिया में उनके खिलाफ हो गए हैं, जहां से डेमोक्रेट पिछले 10 वर्षों में लगभग हर चुनाव जीत रहे थे। यह एक संकेत था कि देश में कुछ बड़ा हो रहा था, जो राष्ट्रीय स्तर पर मतदाताओं के मोहभंग को दर्शाता है। इसके कई कारक अब इस खेल में हैं।

पहली बात, बाइडेन ने मूर्खतापूर्ण तरीके से 4 जुलाई को अमेरिका के महामारी से "मुक्त" होने की घोषणा की थी। आज, लोग निराश महसूस क रहे हैं, क्योंकि महामारी फिर से बढ़ रही है।

दूसरा, अफ़गानिस्तान से अराजक और अचानक वापसी एक बार फिर राष्ट्रपति के रूप में बाइडेन की अपील और उसकी योग्यता के केंद्र में चली गई है। एक तीसरा कारक मुद्रास्फीति और मूल्य वृद्धि (खाद्य कीमतों और विशेष रूप से गैस की कीमतें) और महामारी के मद्देनजर उनमें आई कमी है, जो बाइडेन की लोकप्रियता को कम कर रही है। दरअसल, जनता बहुत सी चीजों को लेकर बहुत गुस्से में है - मास्क पहनना, छोटे बच्चों के लिए टीकों को लेकर वैध चिंता, बच्चों की सामाजिक गतिविधियों में कमी आदि इसका मुख्य कारण है।

इससे भी बढ़कर, 1961 में गर्भनिरोधक गोली के आविष्कार और उसके बाद महिला अधिकार आंदोलन, व्यक्तिगत स्वायत्तता, समलैंगिक अधिकार आदि पर अमेरिकी समाज एक "सांस्कृतिक युद्ध" में फंस गया है और यह हमेशा की तरह नए मुद्दों जैसे जटिल ट्रांसजेंडर प्रश्न, तथाकथित "क्रिटिकल रेस थ्योरी" जैसे मुद्दे में भी फंस गया है।

यह डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए एक गहरी समस्या बन गई है, क्योंकि वे अमेरिका में "उदार" और  "लोकतांत्रिक" होने के लिए ऐसा कर रहे हैं, और वे विशेष रूप से वामपंथियों के गंभीर मुद्दों को छू रहे हैं।

डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर लड़ाई और बाइडेन से मतदाताओं का मोहभंग ऐसे समय में हुआ है जब सीनेट पर डेमोक्रेट्स की पकड़ कम है। सीनेट में उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस का वोट डालना ही एकमात्र मोक्ष बन गया है। और यह वह जगह भी है जहां असली अस्वस्थता निहित है: हाल के वर्षों में नकारात्मकता और भेदभाव अमेरिकी राजनीति को चला रहे हैं।

आम धारणा यह है कि बाइडेन और उनका प्रशासन इस समय गंभीर रूप से खराब प्रदर्शन कर रहा है। बाइडेन अमेरिका को फिर से एकबद्ध करने के बड़े वादे के साथ सत्ता में आए थे। डोनाल्ड ट्रम्प की कठोर राजनीति के बाद उन्होंने खुद को दादाजी के रूप में प्रस्तुत किया था।

शुरुवात में तो बाइडेन वादे पूरे करते दिख रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे सप्ताह और महीने बीतते गए, यह संदेह पैदा होता गया कि क्या वास्तव में घटनाओं पर बाइडेन का नियंत्रण है। अफ़गानिस्तान, कोविड, शिक्षा, महंगाई- इन सभी मोर्चों पर बाइडेन की क्षमता की कड़ी जांच की जा रही है।

साथ ही, बाइडेन की हर गलती का श्रेय उनकी बढ़ती उम्र को दिया जा रहा है। ग्लासगो में कोप26 (COP26)में, उन्हें अपनी आँखें बंद करके चित्रित किया गया था। हो सकता है कि एक छोटा आदमी ऐसा करता तो इसे भुलाया जा सकता था लेकिन बाइडेन को नहीं जिसने एक बूढ़े आदमी की छाप छोड़ी जो जाग कर शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले सकता था।

बहस बड़ी गंभीरता के साथ शुरू हो गई है कि क्या बाइडेन का दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ना बुद्धिमानी है। वाशिंगटन पोस्ट ने हाल ही में 2024 में राष्ट्रपति पद के लिए "शीर्ष 10 गैर-बाइडेन डेमोक्रेट्स" के नामों को सूचीबद्ध किया है और उन्हे राष्ट्रपति पद के लिए "नामांकित होने की सबसे अधिक संभावना के क्रम में रखा गया है।"

इस बीच, अधिकांश विश्लेषकों का अनुमान है कि 2022 के मध्यावधि चुनावों में डेमोक्रेट कांग्रेस का नियंत्रण खोने जा रहे हैं। इसका मतलब है कि बाइडेन के घरेलू एजेंडे का शो कई मायनों में खत्म हो गया है और रिपब्लिकन उसे हर तरह से ब्लॉक करने की स्थिति में होंगे।

यह कहना काफी होगा, इसकी बड़ी संभावना यह है कि 2024 के चुनाव में अमेरिका एक बार फिर गुस्से में और विभाजित हो जाएगा, जैसा कि 2016 में हुआ था, जो निश्चित रूप से लोकतंत्र के भविष्य के लिए सबसे चिंताजनक परिदृश्य होगा। दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के बीच और नीले और लाल राज्यों के बीच और उसके भीतर तेजी से बढ़ती कट्टरता आसानी से राजनीतिक हिंसा, मिलिशिया की सक्रियता और केंद्रीय प्रशासन और सरकार के अवैध होने के रोष में फूट सकती है।

यह सब, निश्चित रूप से, अमेरिकी विदेश नीतियों और विश्व राजनीति में साथ ही विशेष रूप से यूएस-रूस-चीन त्रिकोण पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। बेलींग को उम्मीद है कि महामारी का भयावह प्रभाव हो सकता है, क्योंकि अब तक यह स्पष्ट हो चुका है कि दुनिया की तीन बड़ी शक्तियां सहयोग करने में विफल रही हैं।

जैसे-जैसे अमेरिका घरेलू मोर्चे पर गंभीर रूप से अस्थिर होता जाएगा, वैसे-वैसे यूरोप, पश्चिम एशिया और एशिया-प्रशांत में उसकी गूंज महसूस की जाएगी। 2024 में ट्रम्प या उनके जैसे किसी व्यक्ति की वापसी का भूत पहले से ही अमेरिका के कुछ यूरोपीय सहयोगियों के दिमाग में होना चाहिए।

अमेरिका, चीन या रूस का किसी को भी आमने-सामने जानबूझकर एक दूसरे को लक्षित करने की संभावना नहीं होगी। प्रत्यक्ष युद्ध की तुलना में प्रॉक्सी युद्ध अधिक होने की संभावना है, और बढ़ते साइबर युद्ध की संभावना अभी भी अधिक है।

हालांकि, तीनों नेताओं में से किसी को भी अस्तित्वगत राजनीतिक खतरे की स्थिति में सभी दांव बंद हैं। इतिहास गवाह है। वास्तव में, प्रत्यक्ष युद्ध केवल पूर्ण युद्ध हो सकता है, जिससे लगभग पूर्ण विनाश हो सकता है।

हालाँकि, अधिक से अधिक संभावना युद्ध में आकस्मिक उलझाव में निहित है, या तो हमले की झूठी प्रत्याशा में या पूर्वी यूरोप या सुदूर पूर्व और दक्षिण चीन सागर में संघर्षों और तनावों की पहले से ही उलझी हुई प्रकृति के गलत अनुमान के माध्यम से ऐसा होने की संभावना है।

एम.के. भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वे उज्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।

Biden
USA
UK
Russia
China

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान

रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ

यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 

पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन

और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव

अमेरिकी आधिपत्य का मुकाबला करने के लिए प्रगतिशील नज़रिया देता पीपल्स समिट फ़ॉर डेमोक्रेसी

90 दिनों के युद्ध के बाद का क्या हैं यूक्रेन के हालात

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा


बाकी खबरें

  • kisan
    न्यूज़क्लिक टीम
    किसानों ने देश को संघर्ष करना सिखाया - अशोक धवले
    25 Dec 2021
    किसान आंदोलन ने इस देश के मजदूरों और किसानों को नई हिम्मत दी है। ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धवले ने न्यूज़क्लिक के साथ ख़ास बातचीत में कहा कि आंदोलन के कामयाब होने की बुनियादी शर्त…
  • yogi
    अजय कुमार
    योगी सरकार का काम सांप्रदायिकता का ज़हर फैलाना है या नौजवानों को बेरोज़गार रखना?
    25 Dec 2021
    उत्तर प्रदेश का चुनावी माहौल हिंदू-मुस्लिम धार पर बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है। तो आइए इस नफ़रत के माहौल को काटते हुए उत्तर प्रदेश की बेरोज़गारी पर बात करते हैं।
  • manipur
    शशि शेखर
    मणिपुर : ड्रग्स का कनेक्शन, भाजपा और इलेक्शन
    25 Dec 2021
    मणिपुर में ड्रग कार्टेल और भाजपा नेताओं की उसमे संलिप्तता की कई खबरें आ चुकी हैं। टेररिस्ट संगठन से लिंक के आरोपी, थोनाजाम श्याम कुमार सिंह, 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं। विधायकी की…
  • up
    सत्येन्द्र सार्थक
    यूपी चुनाव 2022: पूर्वांचल में इस बार नहीं हैं 2017 वाले हालात
    25 Dec 2021
    पूर्वांचल ख़ासकर गोरखपुर में सभी प्रमुख पार्टियां अपनी जीत का दावा कर रही हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर ज़िले की 9 सीटों में से 8 पर भाजपा ने जीत हासिल की थी, लेकिन जानकारों का मानना है कि…
  • bhasha singh
    भाषा सिंह
    बात बोलेगी : दरअसल, वे गृह युद्ध में झोंकना चाहते हैं देश को
    24 Dec 2021
    हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर 2021 तक चली बैठक को धर्म संसद का नाम देने वाले वे सारे उन्मादी मारने-काटने की बात करने वाले, ख़ुद को स्वामी और साध्वी कहलाने वाले शख़्स दरअसल समाज को उग्र हिंदु राष्ट्र के…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License