NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कामरान यूसुफ एक पत्रकार हैं, एनआईए विश्वसनीय प्रमाण प्रदान करने में विफल रही है : न्यायाधीश
न्यायाधीश ने एनआईए को यूसुफ और अन्य सह-आरोपी के बीच कोई सीधा संबंध साबित ना कर पाने पर और कोई साक्ष या प्रमाण ना दे पाने पर उन्हें फटकारा लगाई I

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
14 Mar 2018
Translated by मुकुंद झा
KAMRAM YUSUF

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश तरुण सहारावत कश्मीरी फोटोपत्रकार कामरान यूसुफ के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा किए गए जांच की आलोचना की और उन्होंने कहा ज़मानत की सुनवाई के दौरान NIA को कई  मौके दिए गये परन्तु वो कोई ठोस और विश्सनीय साक्ष अदालत के सम्मुख प्रस्तुत नहीं  कर पाई है | गिरफ्तारी के छ्हे महीने बाद एनआईए की विशेष अदालत में न्यायाधीश द्वरा युसफ की ज़मानत याचिका को स्वीकार कर ली गई थी | युसफ के जमानत के आदेश की विस्तृत कॉपी मंगलवार को जारी की गई थी |

पिछले साल सितंबर में यूसुफ को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी वित्तपोषण और पत्थरबाज़ी के मामले में आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने विभिन्न जगहों पर हुई पत्थरबाज़ी की घटनाओं में यूसुफ की उपस्थिति को दर्शया और कहा कि उनके खिलाफ प्राथमिक साक्ष्य हैं। हालांकि, न्यायाधीश ने ज़मानत आदेश में बताया है, "एनआईए ने किसी फोटो / वीडियो को रिकॉर्ड नहीं कराया है, जो ये दिखाए रहा हो कि आवेदक / आरोपी किसी भी जगह पर पत्थरबाज़ी जैसी किसी गतिविधि में शामिल रहा हो ।"

वारिश फ़रसत,जो की यूसुफ के वकील हैं उन्होंने अदालत को बताया की यूसुफ उन घटनास्थलो पर मौजूद था ,परन्तु वो केवल अपने फोटोपत्रकार के रूप में कर्तव्यो का निर्वाह करने के लिए वहाँ मौजूद था और केवल उसकी उन घटनास्थलों पर मौजूदगी किसी भी घटना को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है | न्यायाधीश भी अपने जमानत के आदेश में उनके इस दिर्ष्टिकोण से सहमत दिखे |

आरोप पत्र में और मामले की पूरी सुनवाई के दौरान एनआईए ने तर्क दिया कि यूसुफ वास्तविकता  में एक पत्रकार ही नहीं क्योकि उन्होंने कभी भी सरकार द्वारा किये गये किसी विकास के कार्यो को कवर नहीं किया है | बचाव पक्ष ने इस आरोप के खिलाफ न्यायाधीश को दिखाया की कामरान द्वरा सरकार के कई कार्यक्रमों को कवर किया गया है,ज़मानत आदेश में ,न्यायाधीश एनआईए के तर्क से असहमत होते हुए कहते है की “आवेदक /अभियुक्त ने जम्मू कश्मीर के संवेदनशील क्षेत्रो की फोटोपत्रकार के रूप में वास्तविक तस्वीर पेश की है|”

न्यायाधीश ने एनआईए को यूसुफ और अन्य सह-आरोपी के बीच कोई सीधा संबंध साबित न कर पाने पर और कोई साक्ष या प्रमाण ना दे पाने पर उन्हें फटकारा लगाई | एनआईए ने यूसुफ के खिलाफ षड्यंत्र का आरोप लगाया था कि वह अन्य आरोपियों के सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में हैं। जांच एजेंसी ने उन फोन नंबरों की सूची दी, जिसके द्वरा यूसुफ दूसरे आरोपियों के साथ कथिततौर पर अप्रत्यक्ष रूप से अन्य आरोपियों के संपर्क में थे। लेकिन एजेंसी ने इन नंबरों के मालिकों का कोई विवरण नहीं दिया । न्यायाधीश ने आदेश में कहा है, "यह समझ नहीं आया कि अभियोजन पक्ष ने उन्हें इस मामले में अभियुक्त क्यों नहीं बनाया  है या कथित अपराधों में उनकी भागीदारी / सहभागिता की जांच क्यों नहीं की गई, इस तथ्य के बावजूद कि वर्तमान आवेदन पिछले चार महीनों से लंबित है जबकी चार्जशीट को 50 दिन पहले ही दाखिल किया गया है | यह आश्चर्यजनक है कि आईओ (जांच अधिकारी), एनआईए अब तक इन लोगों के बारे में कोई ब्योरा नहीं दे पा रही है। "

एनआईए ने तीन संरक्षित गवाहों के बयानों को यूसुफ के खिलाफ सबूत के रूप में पेश किया था  । न्यायाधीश ने आदेश में लिखा है कि बचाव पक्ष ने उसे बताया गया था कि गवाह सुरक्षाकर्मी हैं, जो की इनकी निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह लगता है क्योकि उनका इस में हित दिखता है । बिना पुख्ता सबूत द्वारा पुष्टि किए जाने तक सिर्फ उनके बयान से कुछ भी नहीं हो सकता है ।

इसके अलावा, ज़मानत आदेश का कहना है कि एनआईए ने आरोपपत्र में कहा है कि पत्थरबाज़ ने मुखौटे पहन रखा था | बचाव पक्ष ने सवाल उठाया कि ऐसी परिस्थति  में, गवाह यूसुफ की पहचान कैसे कर पाए? न्यायाधीश ने यह भी पाया कि एनआईए द्वारा अभियुक्तों की पहचान के लिए,जो प्रक्रिया है उसके आधार पर कोई परीक्षण पहचान परेड आयोजित नहीं किया। एनआईए का दावा है कि अभियुक्तों की पहचान के लिए गवाहों को फोटो दी गई थी, लेकिन ये बयानों से मेल नहीं खाती है। न्यायाधीश ने 1994 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ओर इशारा करते हुए कहा कि जांच में किसी आरोपी की पहचान परेड न करना समान मूल्य के खिलाफ है ,केवल एक तस्वीर के आधार पर पहचान करना संदिग्ध व्यक्ति के साथ अन्याय है |

न्यायाधीश ने आगे लिखा है कि यूसुफ के खिलाफ कोई आरोप नहीं है कि वह किसी प्रतिबंधित संगठन का सदस्य हैं, अन्य अभियुक्तों के साथ यूसुफ का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है, यूसफ किसी भी तरह के आरोप में दोषी नहीं पाया गया है या वो अतीत में किसी तरह की आंतकी घटना में शामिल नहीं रहे है, और ना कोई सामान या विस्फोटक उनसे मिला है |

अतिरिक्त रूप से जमानत आदेश में कहा गया है कि ,विचार करने पर ये पाया गया है कि गवाह संरक्षित हैं और सुरक्षा कर्मियों के सदस्य हैं, यूसुफ को उन पर असर डालने या धमकी देने और साक्ष्यो के साथ छेड़छाड़ करने का कोई मौका नहीं है। सभी उपरोक्त तथ्यों के आधार पर, न्यायाधीश ने आदेश में कहा है कि यूसुफ जमानत पर रिहा होने का हकदार है।

यूसुफ
जम्मू कश्मीर
पत्थरबाज़ी
NIA
अभी व्यक्ति की आज़ादी
पत्रकार

Related Stories

धर्म, क़ानून और स्वामीः क्रूर होते समाज में न्याय और करुणा के स्वर

बॉब डिलन से प्रेरित : "हू किल्ड स्टेन स्वामी?"

दुख की बात है कि हमारे समाज में फादर स्टेन स्वामी जैसे लोग हीरो नहीं बनते!

सुधा भारद्वाज राजनीतिक बंदी हैं कोई क्रिमिनल नहीं, कोरोना महामारी को देखते हुए उन्हें जल्द रिहा किया जाए

एल्गार मामला: अदालत ने रोना विल्सन, शोमा सेन की याचिकाओं पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा

एल्गार मामला: अदालत का स्वामी की मेडिकल जमानत अर्जी पर एनआईए को नोटिस

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने अखिल गोगोई को मिली जमानत को बरकरार रखा

भीमा-कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा की ज़मानत याचिका पर फ़ैसला सुरक्षित

एल्गार परिषद मामला: अदालत ने स्टैन स्वामी की जमानत अर्जी पर आदेश टाला

भीमा कोरेगांव प्रकरण: न्यायालय ने नवलखा की अर्जी पर एनआईए से मांगा जवाब


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License