NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
पुस्तकें
कला
भारत
राजनीति
केदारनाथ सिंह का निधन प्रगतिशील-जनवादी धारा के लिए एक अपूरणीय क्षति है:जनवादी लेखक संघ
केदारनाथ सिंह का जाना हिन्दी और भारतीय साहित्य-समाज के लिए अत्यंत दुखद सूचना है |कुछ दिनों से वे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे जहां 19 मार्च की शाम को उनका देहावसान हो गया
जनवादी लेखक संघ
20 Mar 2018
kedarnath singh

केदारनाथ सिंह का जाना हिन्दी और भारतीय साहित्य-समाज के लिए अत्यंत दुखद सूचना है. लगभग दो महीने पहले निमोनिया से तबीयत बिगड़ने के बाद से वे पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाये थे. कुछ दिनों से वे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे जहां 19 मार्च की शाम को उनका देहावसान हो गया.

1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के चकिया गाँव में जन्मे केदार जी ने बनारस से हिन्दी में एम ए और पीएच डी करने के बाद कई कॉलेजों में अध्यापन किया और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में पढ़ाते हुए 1999 में वहाँ से सेवानिवृत्त हुए. हिन्दी के मौजूदा कवियों में वे, निस्संदेह, शीर्ष-स्थानीय थे. हिन्दी की प्रगतिशील कविता को नयी भावभूमियों की ओर ले जाने और सौन्दर्यबोध के स्तर पर उसे सूक्ष्मतर अवलोकनों से संपन्न करने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. वे आवेश और आक्रोश के नहीं, स्थैर्य और संवेदनशील अंतर्वीक्षण के कवि थे. ‘अभी बिल्कुल अभी’, ‘ज़मीन पक रही है’, ‘यहां से देखो’, ‘अकाल में सारस’, ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ’, 'तालस्ताय और साइकिल', 'सृष्टि पर पहरा' उनके प्रमुख संग्रह हैं. कविताओं में गहरे डूबने वाले शिक्षक और आलोचक के रूप में भी उनकी ख्याति रही. ‘कल्पना और छायावाद’, ‘आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्ब-विधान’ और ‘मेरे समय के शब्द’ उनकी आलोचना पुस्तकें हैं. ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, कुमारन आशान पुरस्कार आदि से सम्मानित केदार जी की कविताएँ सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक विदेशी भाषाओं में भी अनूदित हुईं.

केदारनाथ सिंह का निधन भारतीय साहित्य के लिए और विशेषतः हिन्दी की प्रगतिशील-जनवादी धारा के लिए एक अपूरणीय क्षति है. जनवादी लेखक संघ उन्हें भरे हृदय से श्रद्धा-सुमन अर्पित करता है.

मुरली मनोहर प्रसाद सिंह (महासचिव)

राजेश जोशी (संयुक्त महासचिव)

संजीव कुमार (संयुक्त महासचिव)

ये बयान जनवादी लेखक संघ के फेसबुक पेज़ से ली गई है|

केदारनाथ सिंह
जनवादी लेखक संघ
जनवादी लेखक
जेनयु

Related Stories

अरुणा रॉय : कहानियों, नाटकों और गानों के ज़रिये करें जनवादी राजनीति का प्रचार

जल्द ही जयपुर में आयोजित होगा "जन साहित्य पर्व"


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License