NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
केजरीवाल का मोदी से सवाल, क्या लोकतंत्र से आपका मतलब विपक्षी विधायकों को खरीदना है!
केजरीवाल की प्रतिक्रिया भाजपा के उस दावे के बाद सामने आयी है जिसमें उन्होंने कहा था कि आप के 14 ‘निराश’ विधायक उनके संपर्क में हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
03 May 2019
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
PHOTO : IANS

चुनावी दौर में राजधानी दिल्ली की राजनीति में नए दांव-पेच देखने को मिल रहे हैं और बात विकास और अन्य मुद्दों से आगे जाकर विधायकों की ‘ख़रीद-फ़रोख़्त’ तक जा पहुंची है और इसपर वार-पलटवार शुरू हो गया है। दिल्ली में छठे दौर में 12 मई को मतदान होना है।  

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आड़े हाथों लेते हुये सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री के लिए लोकतंत्र का मतलब विपक्षी पार्टी के विधायकों को ‘खरीद’ कर सरकार बनाना है? केजरीवाल की प्रतिक्रिया भाजपा के उस दावे के बाद सामने आयी है जिसमें उन्होंने कहा था कि आप के 14 ‘निराश’ विधायक उनके संपर्क में हैं।

केजरीवाल ने यह भी जोर देकर कहा कि आप सदस्यों को खरीदना आसान नहीं है।

मोदी जी, आप हर विपक्षी पार्टी के राज्य में MLA ख़रीद कर सरकारें गिराओगे? क्या यही आपकी जनतंत्र की परिभाषा है? और इतने MLA ख़रीदने के लिए इतना पैसा कहाँ से लाते हो?

आप लोग पहले भी कई बार हमारे MLA ख़रीदने की कोशिश कर चुके हो। AAP वालों को ख़रीदना आसान नहीं https://t.co/nEStYE3ipP

— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 3, 2019

एक समाचार को टैग करते हुये केजरीवाल ने कई ट्वीट के जरिये भाजपा पर निशाना साधा।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मोदी जी, लोकतंत्र का मतलब दूसरी पार्टी के विधायकों को खरीदना और इससे सरकार बनाना है। विधायकों को खरीदने के लिए भाजपा इतना पैसा कहां से लाती है। आप लोग पहले भी कई बार हमारे विधायकों को खरीदने की कोशिश कर चुके हो लेकिन आप सदस्यों को खरीदना इतना आसान नहीं है।’’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में यही खबर भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल को टैग करते हुये सवाल किया, ‘‘आप के 14 विधायकों को खरीदने की आपकी बात कहां फंस गयी। आप कितना दे रहे हो और वो कितना मांग रहे हैं।’’   

गोयल ने बृहस्पतिवार को कहा था कि आप विधायक ‘बहुत निराश’ हैं और पार्टी छोड़ने के लिए तैयार हैं।

आप ने भाजपा पर लोकसभा चुनाव के दौरान खरीद-फरोख्त में लिप्त होने का आरोप लगाया।

गोयल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आप के 14 विधायक हमारे संपर्क में हैं और वे जल्द ही पार्टी छोड़ देंगे क्योंकि वे अपने अपनी पार्टी द्वारा किए गए काम से निराश हैं।’’

आप नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने बुधवार को भाजपा पर अपने सात विधायकों को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये का प्रस्ताव देने का आरोप लगाया।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘जब से भाजपा के पास विकास का कोई मुद्दा उठाने के लिए नहीं बचा है तब से वह हमारे सात विधायकों को 10-10 करोड़ रुपये देकर खरीदने का प्रयास कर खरीद-फरोख्त में लिप्त हो गई है।’’

इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए गुरुवार को भाजपा ने दावा किया कि सात नहीं बल्कि 14 आप विधायक 'निराश' थे और पार्टी छोड़ना चाहते थे। 

अब इन सब दावों-प्रतिदावों में कितना दम है, ये कितनी दबाव की रणनीति है और कितनी गंभीर, ये देखने वाली बात है। बिल्कुल यही दांव बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में खेला है। अभी पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की एक चुनावी रैली में कहा था कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के 40 विधायक उनके संपर्क हैं और चुनाव परिणाम आने के बाद वे भाजपा में शामिल होंगे। इसे विपक्षी पार्टी को भीतराघात का डर दिखाकर उलझाने और बढ़त बनाने की राजनीति के तौर पर भी देखा-समझा जा सकता है, लेकिन जब इस तरह की बातें चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से कही जाती है तो बात गंभीर हो जाती है और निश्चित तौर पर चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेना चाहिए कि क्या ये एक महज़ मामूली चुनावी जुमला या भाषण है या फिर चुनाव आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन।

(समाचार एजेंसी भाषा और आईएएनएस के इनपुट के साथ)

General elections2019
2019 आम चुनाव
2019 Lok Sabha elections
Delhi
Arvind Kejriwal
bjp-congress-aap
vijay goyal
Narendra modi

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License