NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
“केरल की तर्ज़ पर किसान कर्ज़ राहत आयोग बनाना ज़रूरी”
मध्य प्रदेश सरकार ने ‘जय किसान फसल ऋण माफी’ योजना लागू तो कर दी, लेकिन सारे किसान इसके दायरे में नहीं आएंगे।
राजु कुमार
17 Jan 2019
मध्य प्रदेश में ‘जय किसान फसल ऋण माफी' योजना लागू

किसानों का कर्ज़ माफ़ी एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। पिछले साल संपन्न विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने यह घोषणा की थी कि उसकी सरकार आने पर किसानों के कर्ज माफ किए जाएंगे। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से भाजपा को बेदखल करने में कांग्रेस की इस घोषणा का बड़ा हाथ रहा है। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते ही कमलनाथ ने सबसे पहले कर्ज माफी की फाइल पर दस्तख्त किए। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि यदि 10 दिन में कर्ज माफ़ी पर अमल नहीं हुआ, तो मुख्यमंत्री को बदल दिया जाएगा। मध्य प्रदेश में ऐसी नौबत तो नहीं आई, लेकिन कर्ज में डूबे प्रदेश सरकार के लिए कर्ज़ माफ़ी के लिए रकम जुटाना आसान नहीं है और यही वजह है कि इस योजना को स्वरूप देते-देते महीना भर का समय लग गया। अब मध्यप्रदेश सरकार ने ऋण माफ़ी के लिए आवेदन पत्र जमा करना शुरू कर दिया है और मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि फरवरी के अंत तक पात्र किसानों के खाते में दो लाख रुपये तक की कर्ज़ माफ़ी की रकम पहुंच जाएगी।

इस योजना के पूरी तरह से क्रियान्वयन को लेकर कृषि के जानकार आशंकाएं जता रहे हैं। उन्हें लगता है कि इस योजना का लाभ उठाने से बहुत से किसान वंचित रह जाएंगे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव जसविंदर सिंह का कहना है कि कर्ज़ माफी का लाभ सभी किसानों को देने के लिए केरल की तर्ज़ पर किसान कर्ज़ राहत आयोग बनाना चाहिए। 70 फीसदी किसानों ने महाजनों से कर्ज़ लिए हैं, उनके लिए फिलहाल इस योजना में जगह नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जीरो फीसदी ब्याज पर ऋण देने की घोषणा की थी, जिसकी वजह से बहुत से किसानों को ऋण मिलना बंद हो गया और यहां तक कि कॉपरेटिव में नए सदस्य तक नहीं बनाए गए। ऐसे में किसानों ने महाजनी कर्ज ले लिया। कर्ज माफ़ी के कारण बैंक कर्ज़ देने में आनाकानी करने लगे हैं। इन सारे मसलों की जांच करने और किसानों को लाभ दिलाने के लिए आयोग बनाना बहुत ही जरूरी है। उनका कहना है कि कांग्रेस के सरकार में आने के बाद भी प्रदेश में 4 किसानों ने आत्महत्या की है। आखिर यह क्यों हुआ?

माकपा के ही बादल सरोज का कहना है, ‘‘सरकार के इस कदम को अच्छा कहा जा सकता है, लेकिन इसके दायरे में किसानों द्वारा खेती के लिए लिए गए सभी स्रोतों के कर्ज़ को शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही आगे किसान इस दुश्चक्र में न फंसे, इसके लिए कदम उठाना जरूरी है।’’

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यह कहा कि महाजनों से लिए गए कर्ज को लेकर भी अध्ययन करवा रहे हैं, और उनकी कोशिश होगी, इस तरह से अनौपचारिक कर्ज पर अंकुश लगाया जाए। उनका कहना है कि किसानों को मजबूत किए बिना मध्यप्रदेश की कृषि आधारित अर्थ-व्यवस्था मजबूत नहीं हो सकती। कृषि क्षेत्र अर्थ-व्यवस्था की नींव है। ‘जय किसान फसल ऋण माफी योजना’ से प्रदेश के 55 लाख किसानों के 50 हजार करोड़ रुपये के फसल ऋण माफ हो जाएंगे। ऋण मुक्ति के बाद किसानों को प्रमाण-पत्र भी दिए जाएंगे और यह सारी प्रक्रिया फरवरी तक पूरी हो जाएगी। उन्होंने यह कहा कि युवाओं के लिए रोजगार सृजन के लिए प्रदेश में निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा।

किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सुनीलम् का कहना है, ‘‘किसानों का कर्ज माफ करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन यह संभव हो, यह सुनिश्चित करना भी सरकार की जिम्मेदारी है और इसके लिए बजट प्रावधान करना और लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने से पहले पूरा करना महत्वपूर्ण है।’’

मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि मध्यप्रदेश को निवेश के क्षेत्र में प्रतियोगी राज्य बनाना है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश को भौगोलिक लाभ नहीं मिला है। इसलिए प्रदेश की अपनी नीति बनानी होगी। इस पर डॉ. सुनीलम् का कहना है कि सरकार को किसानों के हित में यह सुनिश्चित करना होगा कि निवेश लाने के नाम पर किसानों की बहुफसली जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। किसानों के लिए चिंतित सरकार को पहले से अधिग्रहित जमीन को भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किसानों को लौटाना चाहिए, जिसका उपयोग अबतक नहीं किया गया है।

किसानों को राहत देने की इस योजना के आगे-पीछे बहुत सारे पेच हैं। बार-बार कर्ज माफी की घोषणा के कारण किसानों को बैंक ऋण देने में आना-कानी कर रहे हैं। किसानों को कर्ज माफी से ज्यादा चिंता अपनी फसलों का लागत निकालने को लेकर है। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी चाहते हैं। किसान पुत्रों की खेती से बेरुखी, भविष्य में कृषि संकट को ज्यादा बढ़ाएगा। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि समग्र नीति बनाए बिना सिर्फ कर्ज़ माफ़ी फौरी राहत ही दे सकता है, लेकिन इसकी भी तत्कालिक जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता।

Madhya Pradesh
farmer crises
loan relief
kamalnath
जय किसान फसल ऋण माफी योजना
Congress
Kerala
किसान कर्ज़ राहत आयोग

Related Stories

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  

केरल उप-चुनाव: एलडीएफ़ की नज़र 100वीं सीट पर, यूडीएफ़ के लिए चुनौती 

कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ


बाकी खबरें

  • श्रुति एमडी
    किसानों, स्थानीय लोगों ने डीएमके पर कावेरी डेल्टा में अवैध रेत खनन की अनदेखी करने का लगाया आरोप
    18 May 2022
    खनन की अनुमति 3 फ़ीट तक कि थी मगर 20-30 फ़ीट तक खनन किया जा रहा है।
  • मुबाशिर नाइक, इरशाद हुसैन
    कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट
    18 May 2022
    स्थानीय कारीगरों को उम्मीद है कि यूनेस्को की 2021 की शिल्प एवं लोककला की सूची में श्रीनगर के जुड़ने से पुरानी कला को पुनर्जीवित होने में मदद मिलेगी। 
  • nato
    न्यूज़क्लिक टीम
    फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने
    17 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के विस्तार के रूप में फिनलैंड-स्वीडन के नेटो को शामिल होने और तुर्की के इसका विरोध करने के पीछे के दांव पर न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सोनिया यादव
    मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!
    17 May 2022
    देश में मैरिटल रेप को अपराध मानने की मांग लंबे समय से है। ऐसे में अब समाज से वैवाहिक बलात्कार जैसी कुरीति को हटाने के लिए सर्वोच्च अदालत ही अब एकमात्र उम्मीद नज़र आती है।
  • ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    17 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की। कोर्ट ने कथित शिवलिंग क्षेत्र को सुरक्षित रखने और नमाज़ जारी रखने के आदेश दिये हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License