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घटना-दुर्घटना
भारत
राजनीति
कुल्लू: बसों की जर्जर हालत से परेशान निवासी
इस तरह के सड़क हादसों को लेकर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की ज़िला कमेटी ने गम्भीर चिंता व्यक्त की है। सीपीएम ने इन सभी हादसों के लिए सरकार को दोषी ठहराते हुए कहा है कि अगर असुरक्षित यातायात के ख़िलाफ़ जल्द कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती तो वे 11 जुलाई को विरोध प्रदर्शन करेंगे।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
04 Jul 2019
कुल्लू: बसों की जर्जर हालत से परेशान निवासी

हाल ही में कुल्लू ज़िले के बंजार व शिमला के झांझीडी में जो बस हादसे हुए हैं तथा जो 49 बेगुनाह जानें इसमें गई हैं इसने पूरे प्रदेश की जनता को हिला कर रख दिया है। कई लोगों का कहना है कि सरकार को संजीदगी से इन हादसों को रोकने के लिए ठोस क़दम उठाने चाहिए थे वह आज भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। सरकार केवल ऐसे बयान दिखावे के लिए दे रही है जिनका ज़मीनी स्तर पर कोई प्रभाव नहीं दिखाई दे रहा है।

इस तरह के सड़क हादसों को लेकर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की ज़िला कमेटी ने गम्भीर चिंता व्यक्त की है। सीपीएम ने इन सभी हादसों के लिए सरकार को दोषी ठहराते हुए कहा है कि अगर असुरक्षित यातायात के ख़िलाफ़ जल्द कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती तो वे 11 जुलाई को विरोध प्रदर्शन करेंगे।

इससे पहले कुल्लू ज़िले के गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज के छात्रों ने ख़राब बस सेवा के विरोध में ज़िले में सड़क को जाम किया था। इसी तरह, ज़िले के बंजार और अन्नी से ऐसी ख़बरें आईं, जहां छात्रों और स्थानीय लोगों को बसों के कम फेरे होने के कारण परेशान होना पड़ता है। कॉलेज के छात्र इसके ख़िलाफ़ सड़क पर धरने पर बैठ गए, जिसके कारण दोनों तरफ़ ट्रैफ़िक जाम हो गया। इसके अलावा, जब स्कूली बच्चों और कुछ अन्य लोगों को सीटें भर जाने के बाद बस में चढ़ने के लिए कहा गया, तो उन्होंने भी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और कुछ स्थानों पर निवासियों ने शिकायत की कि बस स्टॉप पर बसें नहीं रुकती हैं। 

क्षेत्र में बसों की कमी के कारण, उन्हें अपने गंतव्य तक पहुँचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। स्कूल और कॉलेज के छात्र, कर्मचारी और किसान, जो सुबह फसलों को बाज़ारों में ले जाते हैं और शाम को लौटते हैं, बस सेवा पर निर्भर होते हैं। स्थानीय निवासियों ने कहा कि यह जानने के बावजूद कि ओवरलोड बसों में यात्रा करना जोखिम भरा है, लोगों के पास बस में चढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

निजी बस दुर्घटना के बाद, लोग इतने भयभीत हैं कि वे क्षेत्र में निजी बस सेवा नहीं चाहते हैं। उन्होंने राज्य सरकार से स्थानीय लोगों के लिए यात्रा की सुविधा प्रदान करने के लिए हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) बसें उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।

सीपीएम के नेता और शिमला के पूर्व मेयर ने कहा, "बंजार बस हादसे की सरकार द्वारा बैठाई गई जांच की रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया है कि हादसे का मुख्य कारण सड़क की दशा व शिकार हुई बस खटारा थी तथा चलने की हालत में नहीं थी। परन्तु फिर भी यह बस लगभग 80 सवारियों को लेकर जा रही थी। जिसमें काफ़ी संख्या छात्र छात्राओं की थी और इनको सरकार की लापरवाही के कारण अपनी जान गवानी पड़ी। आज सरकार केवल कुछ अधिकारियों के विरुद्ध हल्की कार्यवाही व बस दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उसका परमिट कैंसिल कर अपना पल्ला झाड़ रही है। जबकि जनता की जान व माल की सुरक्षा व सुरक्षित परिवहन व्यवस्था उपलब्ध करवाना सरकार का उत्तरदायित्व है। इन हादसों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर कई सवालिया निशान खड़े किए हैं।"

सीपीएम ने सरकार से मांग की है कि "प्रदेश में सड़क हादसों व बस दुर्घटनाओं को रोकने के लिए संजीदगी से ठोस क़दम उठाए जाएँ। सड़कों की दशा में तुरन्त सुधार करे तथा विशेष रूप से दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को चिन्हित कर इनको युद्धस्तर पर दुरुस्त किया जाए। प्रत्येक सड़क में मज़बूत क्रैश बैरियर लगाए जाएँ। निजी व सरकार की खटारा व कंडम बसों को तुरंत सेवा से हटाया जाए तथा नई बसों का प्रावधान किया जाए। सभी बसों का निरीक्षण उचित रूप से किया जाए तथा कोताही के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति के विरुद्ध कड़ी क़ानूनी कार्यवाही की जाए। सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करने की परंपरा को समाप्त करने के लिए बस्ती के स्तर पर सड़क के साथ स्थान चिन्हित कर पार्किंग का निर्माण तुरंत किया जाए। शिमला शहर में पार्किंग की विकराल होती समस्या को दूर करने के लिए सरकार क़ानून पारित करे जिनके घर सड़क के साथ बने हैं तथा उसमें पार्किंग नहीं है उनको पार्किंग फ़्लोर बनाने का प्रावधान करें तथा उन्हें एक अतिरिक्त मंज़िल का प्रावधान किया जाए।"

यदि सरकार शीघ्र जनता को सुरक्षित व उचित परिवहन की व्यवस्था नहीं करती तो सीपीएम ने 11 जुलाई, 2019 से सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन आरम्भ करने की बात कही है।

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